चंडीगढ़ । पूर्व इंटरनेशनल प्रेसीडेंट राजेंद्र उर्फ राजा साबू पंजाब के बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए पैसे जुटाने की अपील करके भारी फजीहत का शिकार बन गए हैं । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर जितेंद्र ढींगरा ने बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए पैसों की बजाए सामान जुटाने की अपील करके राजा साबू की पैसे इकट्ठा करने की योजना पर पानी भी फेर दिया है । डिस्ट्रिक्ट के लोगों का कहना है कि उत्तराखंड के बाढ़ पीड़ितों के लिए इकट्ठा की गई रकम में से जो करीब तीन करोड़ रुपए बचे हुए हैं, राजा साबू उस पैसे को पंजाब के बाढ़ पीड़ितों के लिए क्यों नहीं रिलीज करते - ताकि बाढ़ पीड़ितों को तत्काल राहत पहुँचाई जा सके । उक्त करीब तीन करोड़ रुपयों पर कुंडली मारे बैठे राजा साबू तथा उनके नजदीकी पूर्व गवर्नर्स ने लोगों की यह माँग सुनकर अपनी अपनी जुबानें सिल ली हैं, और चुप्पी साध ली है । डिस्ट्रिक्ट के लोगों का यह भी कहना है कि पंजाब के बाढ़ पीड़ितों की मुसीबतों को देखते हुए राजा साबू को जिम्बाब्वे मेडीकल मिशन को रद्द करके उसमें खर्च होने वाले पैसे को पंजाब के बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए देना चाहिए । डिस्ट्रिक्ट के लोगों की इस माँग ने राजा साबू की ड्रामेबाजी तथा रोटरी को लूट-खसोट व मौज-मजे का जरिया मानने/बनाने की चालबाजियों को उद्घाटित करने का काम किया है । लोगों का आरोप है कि प्राकृतिक आपदाओं के पीड़ितों तथा बीमारों की मदद को राजा साबू तथा उनके साथी गवर्नर्स ने 'धंधा' बना लिया है ।
उल्लेखनीय है कि अभी हाल ही में पानीपत में आयोजित हुए मेंबरशिप डेवलपमेंट सेमीनार में राजा साबू ने अपने भाषण को नाटकीय रूप देते हुए पंजाब के बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए पैसे इकट्ठे करने की भावुकता भरी अपील की । डिस्ट्रिक्ट के लोग अब राजा साबू की नाटकबाजियों को खूब समझ/पहचान चुके हैं, इसलिए उन्होंने तुरंत ही कहना/पूछना शुरू कर दिया कि राजा साबू को सचमुच पंजाब के बाढ़ पीड़ितों की चिंता है, या बाढ़ पीड़ितों के नाम पर पैसे इकट्ठे करने की चिंता है - और यदि उन्हें सचमुच पंजाब के बाढ़ पीड़ितों की चिंता है तो उत्तराखंड बाढ़ पीड़ितों के लिए इकट्ठे हुए पैसों में से बाकी बचे करीब तीन करोड़ रुपए तथा जिम्बाब्वे दौरे में खर्च होने वाले पैसे को तुरंत से पंजाब के बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए उन्हें दे देने चाहिए । गौरतलब है कि कुछेक वर्ष पहले उत्तराखंड में बाढ़ ने जब विनाशलीला रची थी, तब राजा साबू की चेयरमैनी में एक प्रोजेक्ट-ट्रस्ट बना था, जिसमें करोड़ों रुपए इकट्ठा हुए थे । उस प्रोजेक्ट को बंद हुए करीब दो वर्ष हो चुके हैं, जिसका हिसाब-किताब भी दिया जा चुका है । उस हिसाब-किताब के अनुसार ही, दो करोड़ 83 लाख रुपए बचे हुए हैं । राजा साबू ने कभी किसी को नहीं बताया कि उस रकम का आखिर होगा क्या ? डिस्ट्रिक्ट में लोगों का कहना है कि राजा साबू अब जब पंजाब के बाढ़ पीड़ितों की परेशानियों से व्यथित हैं और उनकी मदद करना चाहते हैं, तो उक्त रकम को तुरंत से पंजाब के बाढ़ पीड़ितों के लिए रिलीज क्यों नहीं करते हैं और उक्त रकम को क्यों दबाए बैठे हैं ?
डिस्ट्रिक्ट फाइनेंस कमेटी के सदस्य एमपी गुप्ता ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर जितेंद्र ढींगरा को लिखे एक पत्र में राजा साबू तथा उनके साथी पूर्व गवर्नर्स द्वारा दबाई गई रकम का हवाला देते हुए कुल करीब साढ़े तीन करोड़ रुपए का जोड़ लगाया है; उनका कहना है कि राजा साबू और उनके साथी गवर्नर्स से उक्त पैसों को बसूल करके पंजाब के बाढ़ पीड़ितों की मदद करना चाहिए । पंजाब के बाढ़ पीड़ितों की मदद के नाम पर राजा साबू द्वारा पैसे इकट्ठे करने की अपील पर डिस्ट्रिक्ट के लोगों को भड़का देख कर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर जितेंद्र ढींगरा ने घोषणा कर दी है कि डिस्ट्रिक्ट में बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए कोई नगद पैसा इकट्ठा नहीं किया जायेगा, और सिर्फ सामान के रूप में ही मदद जुटाई और की जाएगी । जितेंद्र ढींगरा की इस घोषणा से राजा साबू और उनके साथी गवर्नर्स की पंजाब के बाढ़ पीड़ितों की मदद के नाम पर पैसा इकट्ठा करने की योजना को गहरा धक्का लगा है । इसके साथ ही, डीआरएफसी (डिस्ट्रिक्ट रोटरी फाउंडेशन चेयरमैन) के रूप में टीके रूबी ने पंजाब और महाराष्ट्र में बाढ़ की विनाशलीला को देखते हुए जिम्बाब्वे मेडीकल मिशन में खर्च होने वाले पैसे को बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए खर्च करने का वास्ता देकर उक्त मिशन को हरी झंडी देने से इंकार किया हुआ है; लेकिन राजा साबू और 'मेडीकल मिशन' के खेल में शामिल उनके सहयोगी मधुकर मल्होत्रा तरह तरह से टीके रूबी पर जिम्बाब्वे मेडीकल मिशन को हरी झंडी देने के लिए दबाव बना रहे हैं, और उन्हें 'ब्लैकमेल' करने की कोशिश कर रहे हैं । प्राकृतिक आपदाओं के अवसरों पर सरकारी अधिकारियों, ठेकेदारों व नेताओं को लूट-खसोट मचाते तो 'देखा'/पहचाना गया है; रोटरी में राजा साबू और उनके साथी गवर्नर्स को उनके जैसी हरकतें करते देखना रोटरी की पहचान व प्रतिष्ठा के संदर्भ में बहुत ही शर्मनाक है ।
[मेडीकल मिशन में वॉलिंटियर के नाम पर शामिल होकर राजा साबू और उनके साथी गवर्नर्स क्या करते हैं, इसका आभास इस रिपोर्ट के साथ प्रकाशित राजा साबू व मधुकर मल्होत्रा की तस्वीर को देख कर पाया/समझा जा सकता है !]