नई दिल्ली । नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के सदस्य सुमित गर्ग 6 सितंबर को आयोजित किए जा रहे अपने कार्यक्रम के निमंत्रण पत्र में इंस्टीट्यूट के वाइस प्रेसीडेंट अतुल गुप्ता का नाम सबसे आखिर में रखने के कारण खासे विवाद में फँस गए हैं । अतुल गुप्ता के नजदीकी और समर्थक ही नहीं, बल्कि दूसरे लोग भी इस बात को प्रोटोकॉल का उल्लंघन मानते हुए इसे अतुल गुप्ता के अपमान के रूप में देख रहे हैं, और अपनी अपनी तरफ से सुझाव दे रहे हैं कि अपने मान-सम्मान का ख्याल रखते हुए अतुल गुप्ता को इस कार्यक्रम में शामिल नहीं होना चाहिए । लोगों का कहना है कि सुमित गर्ग नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के वरिष्ठ सदस्य हैं, और उन्हें इंस्टीट्यूट के तमाम कार्यक्रमों में विभिन्न रूपों में शामिल होने का अनुभव है, इसलिए उनसे उम्मीद की जाती है कि उन्हें इतनी समझ तो होगी ही कि उनके कार्यक्रम में जो चार लोग आ रहे हैं, प्रोटोकॉल के लिहाज से उनमें अतुल गुप्ता का नाम सबसे ऊपर होना चाहिए - लेकिन उनका नाम सबसे नीचे कर दिया गया है । कुछेक लोगों को लगता है कि सुमित गर्ग ने यह जानबूझ कर किया है और इस तरीके से वह अतुल गुप्ता को नीचा दिखाना चाहते हैं, लेकिन अन्य कई लोगों का मानना/कहना है कि यह सुमित गर्ग की अति-आत्मविश्वासी सोच व उसके चलते पैदा होने वाली 'बेवकूफी' का नतीजा है । उल्लेखनीय है कि सुमित गर्ग अपनी तरफ से बहुत कोशिश करते हैं कि उनकी छवि एक शांत, मैच्योर, गंभीर व्यक्ति की बने; लेकिन कई बार वह ऐसी हरकतें कर जाते हैं जिसके चलते वह फजीहत का शिकार बनते हैं ।
सुमित गर्ग के लिए मुसीबत की बात यह हुई है कि 6 सितंबर के कार्यक्रम के निमंत्रण को लेकर जो विवाद हुआ, उसे खत्म करने के लिए उनकी तरफ से दिए जबाव ने मामले को और भड़का दिया है ।उनकी तरफ से सफाई दी गई कि कार्यक्रम के आमंत्रितों के नाम इस क्रम से दिए गए हैं, जिस क्रम से उनके भाषण होने हैं; और चूँकि अतुल गुप्ता का भाषण सबसे अंत में होना है, इसलिए उनका नाम सबसे अंत में दिया गया है । उनके इस जबाव ने लेकिन मामले को शांत करने की बजाए और भड़का दिया है । लोगों का कहना/पूछना है कि किसी भी कार्यक्रम में मुख्य अतिथि का भाषण सबसे अंत में ही होता है, लेकिन निमंत्रण पत्र में उसका नाम सबसे पहले और प्रमुखता से छपता है । सुमित गर्ग 6 सितंबर को अपनी जेबी संस्था की वार्षिक कॉन्फ्रेंस कर रहे हैं; उस कॉन्फ्रेंस में कोई मुख्य अतिथि होगा; जिन चार लोगों के नाम हैं, उनमें अतुल गुप्ता के पास ही सबसे 'भारी' पद है, इसलिए लोगों का अनुमान है कि अतुल गुप्ता ही मुख्य अतिथि होंगे - और यदि वह मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित नहीं किए गए हैं, तो क्या इंस्टीट्यूट के वाइस प्रेसीडेंट को एक सामान्य वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया है ? सुमित गर्ग के नजदीकियों का कहना है कि यह झमेला दरअसल कार्यक्रम के निमत्रण पत्र के डिजाईन के कारण पैदा हुआ है; निमंत्रण पत्र का डिजाईन खासे अधकचरे तरीके व बेवकूफी से तैयार किया गया है और उसे रिलीज भी कर दिया गया - जिससे नाहक ही विवाद पैदा हो गया है; और विवाद की चपेट में इंस्टीट्यूट के वाइस प्रेसीडेंट अतुल गुप्ता आ गए हैं ।
अतुल गुप्ता को सुमित गर्ग के संदर्भित कार्यक्रम का निमंत्रण स्वीकार करने के लिए इसलिए भी आलोचना का शिकार होना पड़ रहा है, क्योंकि सुमित गर्ग उस नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के सदस्य हैं, जिसके अधिकारों को इंस्टीट्यूट ने अभी हाल ही रद्द कर दिया है और रीजनल काउंसिल को कागजी बना दिया है । लोगों का कहना/पूछना है कि पदाधिकारियों व सदस्यों के नाकारापन व आपस में लड़ने/झगड़ने के कारण जिस रीजनल काउंसिल को निष्प्रभावी कर दिया गया है, उसके एक सदस्य के कार्यक्रम में पहुँच कर अतुल गुप्ता प्रोफेशन के लोगों को आखिर क्या संदेश देना चाहते हैं ? अतुल गुप्ता इंस्टीट्यूट के वाइस प्रेसीडेंट न होते, तो चाहें जहाँ जाते और चाहें जो करते; लेकिन वाइस प्रेसीडेंट होने के नाते लोग उनसे उम्मीद करते हैं कि वह इंस्टीट्यूट की छवि व प्रतिष्ठा को ध्यान में रखते हुए उन लोगों के साथ खड़े नहीं दिखेंगे, जिन्हें अपनी जिम्मेदारियों को ठीक से न निभाने के लिए इंस्टीट्यूट ने ही सजा दी हुई है । सुमित गर्ग की जेबी संस्था के कार्यक्रम में इंस्टीट्यूट के वाइस प्रेसीडेंट के रूप में अतुल गुप्ता के शामिल होने से लोगों को कहने का मौका मिला है कि कार्यक्रमों में शामिल होने तथा मालाएँ पहनने की अतुल गुप्ता की 'भूख' लगता है कि अभी भी मिटी नहीं है; लोगों को हैरानी लेकिन इस बात की है कि अभी वाइस प्रेसीडेंट के रूप में तथा अगले वर्ष प्रेसीडेंट के रूप में अतुल गुप्ता को बहुत से कार्यक्रमों में जाने तथा मालाएँ पहनने का मौका मिलेगा - आखिर फिर क्यों उन्होंने इंस्टीट्यूट प्रशासन द्वारा निष्प्रभावी की गई नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के सदस्य की जेबी संस्था के कार्यक्रम में शामिल होने का फैसला किया ? उनका यह फैसला कार्यक्रम के निमंत्रण पत्र में प्रोटोकॉल के लिहाज से उनका अपमान होने के कारण और फजीहत का शिकार हो बैठा है ।