सिकंदराबाद
। दिनेश शर्मा ने जिस कोर्ट-कचहरी के जरिए अपनी उम्मीदों और सपनों को पूरा
करने, अन्यथा रोटरी को ही भाड़ में भेजने की तैयारी की हुई थी - उसी
कोर्ट-कचहरी ने न सिर्फ उनकी उम्मीदों और सपनों पर पानी फेर दिया है, बल्कि
पटरी पर लौटते 'दिख' रहे डिस्ट्रिक्ट में उनकी स्थिति को और कमजोर बना
दिया है । नैनीताल हाई कोर्ट के फैसले के बाद वर्ष 2018-19 के
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए हो रहे चुनाव पर छाए संकट के बादल पूरी तरह
छंट गए हैं, और जल्दी ही अगले रोटरी वर्ष के लिए डिस्ट्रिक्ट को गवर्नर मिल
जाने का रास्ता साफ हो गया है । नैनीताल हाई कोर्ट ने जिस सख्त 'लहजे' में
फैसला सुनाया है और निचली अदालत के 'तरीके' पर टिप्पणी की है, उससे निचली
अदालत से अपनी जीत का फैसला ला कर गवर्नर बनने का दिनेश शर्मा का दावा भी
कमजोर पड़ गया है । उल्लेखनीय है कि दिनेश शर्मा और उनके संगी-साथी लगातार
यह दावा करते रहे हैं कि निचली अदालत में तो उनके पक्ष में फैसला आएगा ही,
और तब वह गवर्नर भी बन जायेंगे । पिछले दिनों निचली अदालत से वह जिस तरह
से वर्ष 2018-19 के गवर्नर के लिए हो रहे चुनाव को रुकवाने का फैसला करवा
लाए थे, उससे उन्हें और उन्हें भड़का कर अपनी राजनीति चमका रहे लोगों को तो
विश्वास भी हो चला था कि अब वह रोटरी इंटरनेशनल को 'घुटनों' पर ले आयेंगे
और अपने पक्ष में मनमाने फैसले करवा लेंगे । लेकिन नैनीताल हाई कोर्ट
के फैसले के बाद दिनेश शर्मा और उन्हें भड़काने वाले नेताओं का सारा विश्वास
डोल गया है । इस फैसले से यह भी स्पष्ट हो गया है कि कोर्ट-कचहरी के जरिए
दिनेश शर्मा ने जो नाटक फैलाया हुआ था, वह भी अब ज्यादा दिन नहीं चलेगा ।
नैनीताल
हाई कोर्ट के फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि दिनेश शर्मा की अदालती
कार्रवाई अगले रोटरी वर्षों के गवर्नर के लिए होने वाले चुनावों की
प्रक्रिया के लिए कोई बाधा नहीं बनेगी । अगले दो सप्ताह में डिस्ट्रिक्ट
को अगले रोटरी वर्ष का गवर्नर मिल जायेगा, और अगले चार-छह महीने में वर्ष
2019-2020 के गवर्नर पद के लिए भी चुनावी प्रक्रिया शुरू हो जाने की उम्मीद
है । दिनेश शर्मा रोटरी इंटरनेशनल के पदाधिकारियों के साथ सौदेबाजी में
लगे हुए थे और अगले रोटरी वर्ष की गवर्नरी पाने की उम्मीद लगाए हुए थे -
वह यदि उचित समय पर सौदेबाजी को अंजाम दे दिए होते, और डिस्ट्रिक्ट के
गिरोहबाज पूर्व गवर्नर्स पर निर्भर होने की बजाए डिस्ट्रिक्ट के लोगों के
साथ भरोसे के संबंध बनाने का प्रयास करते - तो बहुत संभावना थी कि अगले
रोटरी वर्ष में उन्हें गवर्नरी मिल जाती । लेकिन वह जिस बेवकूफीभरी
अकड़ में रहे, और डिस्ट्रिक्ट के गिरोहबाज पूर्व गवर्नर्स के साथ मिल कर न
सिर्फ रोटरी इंटरनेशनल की तरफ से नियुक्त किए गए पदाधिकारी संजय खन्ना से,
बल्कि इंटरनेशनल डायरेक्टर बासकर चॉकलिंगम तक से लुकाछिपी खेलते हुए भिड़ते
रहे - उससे उन्होंने कुल मिलाकर अपना ही नुकसान कर लिया है और अब लग
यही रहा है कि डिस्ट्रिक्ट में अपने लिए कोई हैसियत या सम्मानजनक स्थान
पाने/लेने की स्थिति से भी वह दूर होते जा रहे हैं ।
दिनेश
शर्मा ने जो नया शगूफा छोड़ा है, उससे उन्होंने खुद को और फजीहत में फँसा
लिया है । रोटरी इंटरनेशनल के पदाधिकारियों से वह सौदेबाजीभरी गुजारिश कर
रहे हैं कि वह अपना मुकदमा वापस ले लेते हैं, जिसके बदले में वर्ष 2018-19
के गवर्नर के लिए हो रहे चुनाव को रोक कर दोबारा से चुनावी प्रक्रिया शुरू
हो - जिसमें अभी के चारों उम्मीदवारों को उम्मीदवारी न प्रस्तुत करने
के लिए वह राजी कर लेंगे और वह अकेले ही उम्मीदवार होंगे और इस तरह वर्ष
2018-19 के लिए वह गवर्नर चुन लिए जायेंगे । उनकी इस बात पर रोटरी
इंटरनेशनल के पदाधिकारी हँस ही रहे हैं, और सोच रहे हैं कि दिनेश शर्मा
खुली आँखों से भी कैसे कैसे सपने देख लेते हैं ? कुछेक लोग मजे भी ले रहे
हैं । उनकी तरफ से दिनेश शर्मा को कहा गया है कि अब जो स्थिति है उसमें
उनके अगले रोटरी वर्ष का गवर्नर बनने की एक ही सूरत है और वह यह कि चुनावी
प्रक्रिया के बीच में ही सही, चारों उम्मीदवार अपनी अपनी उम्मीदवारी वापस
लेने के साथ साथ यह घोषणा भी कर दें कि अभी तक की वोटिंग के आधार पर
उनकी जीत यदि घोषित भी की गई, तो वह उसे स्वीकार नहीं करेंगे - तब रोटरी
इंटरनेशनल को झक मार कर दोबारा चुनाव करवाना ही पड़ेगा । यह सुझाव देने वाले
लोग कोई सुझाव नहीं दे रहे हैं, बल्कि वास्तव में दिनेश शर्मा की फिरकी ले
रहे हैं । इस तरह की बातों के बीच, दिनेश शर्मा के नजदीकियों को लग
रहा है कि डिस्ट्रिक्ट के गिरोहबाज पूर्व गवर्नर्स ने अपने चक्कर में फँसा
कर दिनेश शर्मा की खासी फजीहत करवा दी है ।