लखनऊ । विशाल सिन्हा ने पिछले दिनों विभिन्न
क्लब्स के कार्यक्रमों में शराब पी कर जिस तरह से हंगामा तथा दूसरे लोगों
से बदतमीजी की है, उसके चलते कमल शेखर की उम्मीदवारी का अभियान शुरू होने
के साथ ही खासी बड़ी मुसीबत में फँसता नजर आ रहा है । दरअसल कमल शेखर की उम्मीदवारी का झंडा विशाल सिन्हा के हाथ में ही है, और विशाल सिन्हा की हरकतों को देखते हुए डिस्ट्रिक्ट के क्लब्स के पदाधिकारी व अन्य प्रमुख लोग अभी से ही विशाल सिन्हा के खिलाफ बातें करने लगे हैं । विशाल सिन्हा की तरफ से हद की हरकत तो यह हुई कि फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर एके सिंह
के क्लब के कार्यक्रम तक में वह बदतमीजी करने से बाज नहीं आये, और यहाँ वह
सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के उम्मीदवार अशोक अग्रवाल से भिड़ गए -
जिसका अशोक अग्रवाल ने भी करारा जबाव दिया और उनका नशा उतार दिया । विशाल सिन्हा की हरकत पर एके सिंह और उनके क्लब के पदाधिकारी भी
नाराज हुए । उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट की इस वर्ष की चुनावी राजनीति के बनते दिख
रहे समीकरण में एके सिंह को कमल शेखर की तरफ देखा/पहचाना जा रहा है, किंतु
विशाल सिन्हा की हरकत के चलते एके सिंह के क्लब के पदाधिकारियों के बीच
विशाल सिन्हा के खिलाफ खासी नाराजगी पैदा हो गई है । ऐसे में, एके सिंह के लिए भी कमल शेखर की उम्मीदवारी को अपने क्लब का समर्थन सुनिश्चित करने/करवाने की चुनौती पैदा हो गई है ।
कमल शेखर की उम्मीदवारी के साथ हमदर्दी रखने वाले लोगों ने गुरनाम सिंह से भी शिकायत की है और उन्हें चेताया है कि विशाल सिन्हा की हरकतों पर यदि लगाम नहीं लगाई गई, तो कमल शेखर के लिए 'अपने' समझे जाने वाले समर्थकों को भी एकजुट बनाये रखना मुश्किल हो जायेगा - और तब कमल शेखर चुनावी लड़ाई शुरू होने से पहले ही चुनाव हार जायेंगे । उल्लेखनीय है कि शुरू में खुद गुरनाम सिंह ने कमल शेखर की उम्मीदवारी के पक्ष में अभियान चलाया था, और कुछेक लोगों के बीच कमल शेखर को इंट्रोड्यूज किया था - जिसका कमल शेखर की उम्मीदवारी को फायदा होता हुआ भी नजर आया था; लेकिन बाद में गुरनाम सिंह ने कमल शेखर की उम्मीदवारी की कमान विशाल सिन्हा को सौंप दी । विशाल सिन्हा ने अपनी हरकतों से लेकिन गुरनाम सिंह के किए धरे पर पानी फेर दिया है । विशाल सिन्हा को यूँ तो बहुत मेहनती लायन नेता के रूप में देखा/पहचाना जाता है, लेकिन लोगों का मानना/कहना है कि जब वह शराब पी लेते हैं - तब आपा खो बैठते हैं और फिर बदतमीजी पर उतर आते हैं । शराब उनकी बड़ी कमजोरी है, इसलिए उनके संगी-साथी भी शराबी किस्म के ही हैं । ऐसे में हमेशा ही हालत यह हो जाती है कि शराब उनके सामने न आये, 'यह हो नहीं सकता'; और शराब सामने हो और वह न पियें - यह उनके संगी-साथी 'होने नहीं देते' ।
विशाल सिन्हा के नजदीकियों का कहना हालाँकि यह भी है कि विशाल सिन्हा की बदतमीजियों का कारण सिर्फ नशा ही नहीं है, बल्कि चुनावी राजनीति की कमजोरी से पैदा हुया फ्रस्टेशन भी कारण है । विशाल सिन्हा दरअसल यह देख कर बुरी तरह निराश हैं कि जिन कमल शेखर की उम्मीदवारी का उन्होंने झंडा उठा लिया है, वह कमल शेखर भी यह विश्वास नहीं कर पा रहे हैं कि विशाल सिन्हा के भरोसे वह सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद का चुनाव जीत सकेंगे - और इसीलिए कमल शेखर अपनी उम्मीदवारी के अभियान के लिए पैसा खर्च करने को तैयार नहीं हो रहे हैं । कमल शेखर के शुभचिंतक ही कमल शेखर को बता/समझा रहे हैं कि डिस्ट्रिक्ट में पिछले पाँच/छह वर्षों में केएस लूथरा के समर्थन के बिना कोई गवर्नर नहीं चुना जा सका है; विशाल सिन्हा को भी जिस वर्ष केएस लूथरा का समर्थन नहीं मिला था - वह बुरी तरह चुनाव हार गए थे; उसके अगले वर्ष केएस लूथरा की खुशामद करके उनका समर्थन जुटा कर ही विशाल सिन्हा गवर्नर के लिए चुने जा सके थे; इसलिए विशाल सिन्हा के चक्कर में मत पड़ो । कमल शेखर के शुभचिंतक और नजदीकी ही उन्हें तर्क दे रहे हैं कि केएस लूथरा की मदद के बिना जो विशाल सिन्हा अपना खुद का चुनाव नहीं जीत सके, वह विशाल सिन्हा उन्हें क्या जितवायेंगे ? पिछली बार विशाल सिन्हा के साथ अशोक अग्रवाल का जो बुरा अनुभव रहा, उसी के कारण तो अशोक अग्रवाल इस बार विशाल सिन्हा का साथ छोड़ कर केएस लूथरा के साथ आ गए हैं । इन सब बातों का असर लगता है कि कमल शेखर पर हुआ है, और इसीलिए उम्मीदवार होने के बावजूद अपनी उम्मीदवारी के अभियान में वह कोई पैसा खर्च नहीं कर रहे हैं । विशाल सिन्हा इस बात पर भड़के हुए हैं, और इसके फ्रस्टेशन में वह जहाँ कहीं मौका मिलता है - बदतमीजी करने लगते हैं ।
विशाल सिन्हा को वास्तव में यह डर भी है कि कमल शेखर बिना पैसा खर्च किए जिस तरह से उम्मीदवार बने हुए हैं, उससे वह कभी भी अगली बार समर्थन का आश्वासन लेकर केएस लूथरा से मिल जायेंगे - और तब विशाल सिन्हा डिस्ट्रिक्ट में भारी फजीहत का शिकार होंगे । इसलिए वह केएस लूथरा तथा उनके लोगों के साथ बदतमीजियाँ करके ऐसा माहौल बना देना चाहते हैं ताकि कमल शेखर का केएस लूथरा के पास जाने का रास्ता ही बंद हो जाए । लेकिन उनकी यह रणनीति उल्टी ही पड़ रही है । विशाल सिन्हा की हरकतों को देख कर डिस्ट्रिक्ट में उनके प्रति जो नाराजगी पैदा हो रही है तथा बढ़ रही है, उसका सीधा नुकसान कमल शेखर की उम्मीदवारी को हो रहा है । कमल शेखर की उम्मीदवारी वैसे ही कमजोर मुकाम पर खड़ी है, तिस पर विशाल सिन्हा की हरकतें उसे और कमजोर बना रही है । ऐसे में, कमल शेखर के शुभचिंतकों की आवाज और तेज होती जा रही है, जिसमें कहा/बताया जा रहा है कि विशाल सिन्हा के भरोसे कमल शेखर अपना समय, अपनी एनर्जी, अपना पैसा और अपनी पहचान/साख ही खोयेंगे - हालाँकि अभी भी समय है कि वह समझ/संभल जाएँ ।
कमल शेखर की उम्मीदवारी के साथ हमदर्दी रखने वाले लोगों ने गुरनाम सिंह से भी शिकायत की है और उन्हें चेताया है कि विशाल सिन्हा की हरकतों पर यदि लगाम नहीं लगाई गई, तो कमल शेखर के लिए 'अपने' समझे जाने वाले समर्थकों को भी एकजुट बनाये रखना मुश्किल हो जायेगा - और तब कमल शेखर चुनावी लड़ाई शुरू होने से पहले ही चुनाव हार जायेंगे । उल्लेखनीय है कि शुरू में खुद गुरनाम सिंह ने कमल शेखर की उम्मीदवारी के पक्ष में अभियान चलाया था, और कुछेक लोगों के बीच कमल शेखर को इंट्रोड्यूज किया था - जिसका कमल शेखर की उम्मीदवारी को फायदा होता हुआ भी नजर आया था; लेकिन बाद में गुरनाम सिंह ने कमल शेखर की उम्मीदवारी की कमान विशाल सिन्हा को सौंप दी । विशाल सिन्हा ने अपनी हरकतों से लेकिन गुरनाम सिंह के किए धरे पर पानी फेर दिया है । विशाल सिन्हा को यूँ तो बहुत मेहनती लायन नेता के रूप में देखा/पहचाना जाता है, लेकिन लोगों का मानना/कहना है कि जब वह शराब पी लेते हैं - तब आपा खो बैठते हैं और फिर बदतमीजी पर उतर आते हैं । शराब उनकी बड़ी कमजोरी है, इसलिए उनके संगी-साथी भी शराबी किस्म के ही हैं । ऐसे में हमेशा ही हालत यह हो जाती है कि शराब उनके सामने न आये, 'यह हो नहीं सकता'; और शराब सामने हो और वह न पियें - यह उनके संगी-साथी 'होने नहीं देते' ।
विशाल सिन्हा के नजदीकियों का कहना हालाँकि यह भी है कि विशाल सिन्हा की बदतमीजियों का कारण सिर्फ नशा ही नहीं है, बल्कि चुनावी राजनीति की कमजोरी से पैदा हुया फ्रस्टेशन भी कारण है । विशाल सिन्हा दरअसल यह देख कर बुरी तरह निराश हैं कि जिन कमल शेखर की उम्मीदवारी का उन्होंने झंडा उठा लिया है, वह कमल शेखर भी यह विश्वास नहीं कर पा रहे हैं कि विशाल सिन्हा के भरोसे वह सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद का चुनाव जीत सकेंगे - और इसीलिए कमल शेखर अपनी उम्मीदवारी के अभियान के लिए पैसा खर्च करने को तैयार नहीं हो रहे हैं । कमल शेखर के शुभचिंतक ही कमल शेखर को बता/समझा रहे हैं कि डिस्ट्रिक्ट में पिछले पाँच/छह वर्षों में केएस लूथरा के समर्थन के बिना कोई गवर्नर नहीं चुना जा सका है; विशाल सिन्हा को भी जिस वर्ष केएस लूथरा का समर्थन नहीं मिला था - वह बुरी तरह चुनाव हार गए थे; उसके अगले वर्ष केएस लूथरा की खुशामद करके उनका समर्थन जुटा कर ही विशाल सिन्हा गवर्नर के लिए चुने जा सके थे; इसलिए विशाल सिन्हा के चक्कर में मत पड़ो । कमल शेखर के शुभचिंतक और नजदीकी ही उन्हें तर्क दे रहे हैं कि केएस लूथरा की मदद के बिना जो विशाल सिन्हा अपना खुद का चुनाव नहीं जीत सके, वह विशाल सिन्हा उन्हें क्या जितवायेंगे ? पिछली बार विशाल सिन्हा के साथ अशोक अग्रवाल का जो बुरा अनुभव रहा, उसी के कारण तो अशोक अग्रवाल इस बार विशाल सिन्हा का साथ छोड़ कर केएस लूथरा के साथ आ गए हैं । इन सब बातों का असर लगता है कि कमल शेखर पर हुआ है, और इसीलिए उम्मीदवार होने के बावजूद अपनी उम्मीदवारी के अभियान में वह कोई पैसा खर्च नहीं कर रहे हैं । विशाल सिन्हा इस बात पर भड़के हुए हैं, और इसके फ्रस्टेशन में वह जहाँ कहीं मौका मिलता है - बदतमीजी करने लगते हैं ।
विशाल सिन्हा को वास्तव में यह डर भी है कि कमल शेखर बिना पैसा खर्च किए जिस तरह से उम्मीदवार बने हुए हैं, उससे वह कभी भी अगली बार समर्थन का आश्वासन लेकर केएस लूथरा से मिल जायेंगे - और तब विशाल सिन्हा डिस्ट्रिक्ट में भारी फजीहत का शिकार होंगे । इसलिए वह केएस लूथरा तथा उनके लोगों के साथ बदतमीजियाँ करके ऐसा माहौल बना देना चाहते हैं ताकि कमल शेखर का केएस लूथरा के पास जाने का रास्ता ही बंद हो जाए । लेकिन उनकी यह रणनीति उल्टी ही पड़ रही है । विशाल सिन्हा की हरकतों को देख कर डिस्ट्रिक्ट में उनके प्रति जो नाराजगी पैदा हो रही है तथा बढ़ रही है, उसका सीधा नुकसान कमल शेखर की उम्मीदवारी को हो रहा है । कमल शेखर की उम्मीदवारी वैसे ही कमजोर मुकाम पर खड़ी है, तिस पर विशाल सिन्हा की हरकतें उसे और कमजोर बना रही है । ऐसे में, कमल शेखर के शुभचिंतकों की आवाज और तेज होती जा रही है, जिसमें कहा/बताया जा रहा है कि विशाल सिन्हा के भरोसे कमल शेखर अपना समय, अपनी एनर्जी, अपना पैसा और अपनी पहचान/साख ही खोयेंगे - हालाँकि अभी भी समय है कि वह समझ/संभल जाएँ ।