Tuesday, October 31, 2017

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3011 में रोटरी की पब्लिक इमेज की चिंता करने के नाम पर, आभा झा चौधरी के साथ हुई बदतमीजी के मामले में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रवि चौधरी को बचाने की जीतेंद्र गुप्ता की कोशिश पर ही सवाल खड़े हुए

['रचनात्मक संकल्प' को एक अनजान व्यक्ति से एक लिफाफा मिला, जिसे खोलने पर सतीश चंद्र अग्रवाल का एक पत्र मिला, जिसके साथ एक संक्षिप्त चिट में कहा गया कि यह पत्र यदि 'रचनात्मक संकल्प' में प्रकाशित होगा, तो ज्यादा लोगों तक पहुँच सकेगा और इसमें उठाए गए मुद्दे पर व्यापक चर्चा हो सकेगी । विषय की गंभीरता को देखते हुए उक्त पत्र को यहाँ हू-ब-हू प्रकाशित किया जा रहा है । संपादन के नाम पर हमने कुछेक मात्राओं को और कुछेक शब्दों के हिज्जों को दुरुस्त भर किया है ।]

प्रिय रोटेरियंस साथियों,
रोटरी की पब्लिक इमेज को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए जीतेंद्र गुप्ता का मैसेज मैंने भी पढ़ा और मुझे यह देख कर अच्छा लगा कि कोई तो है, जो रोटरी की पब्लिक इमेज को लेकर चिंतित है और इस बात की जरूरत समझता है कि हमें मामले को व्यापक रूप में समझने की जरूरत है; जीतेंद्र गुप्ता ने अपने मैसेज की शुरुआत ही यह कहते हुए की है : We need to understand the bigger picture. मामले को व्यापक रूप से समझने की जरूरत को रेखांकित करने के लिए मैं जीतेंद्र गुप्ता का शुक्रिया अदा करता हूँ ।
लेकिन मैं बहुत ही अफ़सोस के साथ यह भी महसूस करता हूँ कि मामले को व्यापक रूप से समझने की जरूरत को रेखांकित करने के बावजूद खुद जीतेंद्र गुप्ता ने मामले को बहुत ही चलताऊ और एकांगी तरीके से निपटा दिया है, तथा सारा दोष एक ब्लॉग पर मढ़ दिया है । अशोक घोष और दीपक कपूर तथा रमेश चंद्र व सुरेश भसीन के बीच के झगड़े के लिए, जिसमें कोर्ट-कचहरी तक हुई थी, क्या उक्त ब्लॉग जिम्मेदार है ? असित मित्तल के रूप में हमने एक ऐसे व्यक्ति को गवर्नर चुना था, जो अपनी हेराफेरियों के चलते काफी समय से जेल की हवा खा रहा है और रोटरी की पब्लिक इमेज पर धब्बा बन हुआ है, उसके लिए क्या उक्त ब्लॉग जिम्मेदार है ? विनय भाटिया को चुनाव जितवाने के लिए पूर्व गवर्नर्स ने जिस तरह की राजनीति की, जिसकी गूँज रोटरी इंटरनेशनल के पदाधिकारियों तक ने सुनी और बिना अधिकृत शिकायत के मामले की सुनवाई की और जिम्मेदार लोगों को लताड़ लगाई - उसके लिए क्या उक्त ब्लॉग जिम्मेदार है ? अभी हाल ही में, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रवि चौधरी ने वरिष्ठ रोटेरियन और अपनी टीम की एक प्रमुख सदस्य आभा झा चौधरी के साथ जो हरकत की, जिसे खिलाफ आभा झा चौधरी ने रोटरी इंटरनेशनल के पदाधिकारियों को विस्तृत पत्र लिखा है और उनसे अपील की है कि रोटरी को 'गुंडाइज्म' और 'गून-इज्म' का अड्डा न बनने दें - तो इसके लिए क्या उक्त ब्लॉग जिम्मेदार है ? रोटरी की पब्लिक इमेज बिगड़ने के लिए किसी बाहरी को जिम्मेदार ठहराने से ज्यादा जरूरी क्या यह नहीं होना चाहिए कि हम अपने गिरेबाँ में भी झाँके ?
हो सकता है कि रोटरी में होने वाले हमारे झगड़ों को उक्त ब्लॉग बढ़ा-चढ़ा कर और नमक-मिर्च लगा कर प्रस्तुत करता हो; पर सवाल यह है कि उसे ऐसा करने का मौका कौन देता है ? हम यह उम्मीद क्यों करते हैं कि हम खुद तो बहुत ही नीचता की, घटियापन की, टुच्चेपन की, बेईमानी की हरकतें करेंगे - और उक्त ब्लॉग से उम्मीद करेंगे कि वह हमारी हरकतों पर चुप रहे ? मुझे यह देख कर वास्तव में अफसोस हुआ कि रोटरी की पब्लिक इमेज की चिंता करते हुए जीतेंद्र गुप्ता 'अपनी' हरकतों को नियंत्रित करने को लेकर एक शब्द भी नहीं कहते हैं, और सारा आरोप 'दूसरों' पर थोप देते हैं - और इसे bigger picture को understand करना कहते हैं !
जीतेंद्र गुप्ता ने जिस ब्लॉग पर निशाना साधा है, उस ब्लॉग की रोटेरियंस के बीच पहुँच और विश्वसनीयता को लेकर मैं खुद हैरान रहा हूँ । उस ब्लॉग की रिपोर्ट्स मुझे हमेशा ही आश्चर्य में डालती रही हैं कि रोटरी समाज की जो जानकारियाँ हम रोटेरियंस को नहीं होती हैं, वह उस तक कैसे पहुँच जाती हैं और कभी कभी तो 'इधर घटना घटी, और उधर सूचना पहुँची' वाला मामला होता है । यह बात मुझे आश्चर्य में इसलिए डालती है, क्योंकि मैं हमेशा ही रोटेरियंस को और रोटरी के बड़े नेताओं को उस ब्लॉग के खिलाफ बात करते हुए ही पाता/सुनता हूँ । जीतेंद्र गुप्ता का कहना मुझे सच लगता है कि हम में से ही कुछ लोग उस ब्लॉग के छिपे मददगार होंगे । लेकिन मुझे यही चीज परेशान करती है कि हम में से कुछेक लोग उसके छिपे मददगार क्यों हैं, और कुछ छिपे मददगारों की मदद से उस ब्लॉग ने रोटेरियंस के बीच कैसे अपनी साख और विश्वसनीयता बना ली है, जो हम खुले में काम करने वाले रोटेरियंस नहीं बना सके हैं । मैं मानता हूँ कि इस बात को यदि हम समझ सकें, समझने की कोशिश कर सकें - तो हम मामले को व्यापक रूप से समझ सकेंगे; bigger picture को understand कर सकेंगे ।
मैंने जब जब उस ब्लॉग की जोरदार सफलता के कारणों को समझने की कोशिश की है, तब तब मैं इसी नतीजे पर पहुँचा हूँ कि उस ब्लॉग ने चूँकि रोटरी में बड़े नेताओं और पदाधिकारियों द्वारा आम रोटेरियंस से छिपा कर की जाने वाली बेईमानियों की पोल खोली है, तथा बड़े नेताओं और पदाधिकारियों द्वारा प्रताड़ित और अपमानित हुए लोगों का साथ दिया है, उनकी आवाज बना है - इसलिए रोटेरियंस के बीच उसकी साख और विश्वसनीयता बनी है । बड़े नेताओं और पदाधिकारियों तथा उनके आसपास रहने वाले लोगों ने उस ब्लॉग की भले ही एक नकारात्मक छवि बनाने की कोशिश की है, लेकिन रोटरी में होने वाली बेईमानियों और अपमान व प्रताड़नापूर्ण व्यवहार का शिकार होने वाले रोटेरियंस को वह ब्लॉग - अनजान होते हुए भी - अपना विश्वसनीय साथी और अपना दुःख बाँटने वाला लगा है ।
डिस्ट्रिक्ट में अभी हाल ही में घटी घटना को देखें : डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रवि चौधरी ने अपनी ही टीम की एक प्रमुख पदाधिकारी और वरिष्ठ रोटेरियन आभा झा चौधरी से कई रोटेरियंस की उपस्थिति में बदतमीजी की; यह देख रहे किसी रोटेरियंस ने लेकिन यह कोशिश तक नहीं की कि वह रवि चौधरी से कह सकें कि आपका यदि कोई इश्यू है भी, तो कम से कम बात तो तमीज से कीजिये । रवि चौधरी के व्यवहार के चलते आभा झा चौधरी जिस समय भारी मानसिक प्रताड़ना झेल रही थीं, उस समय उन्हें किसी रोटेरियंस से सांत्वना नहीं मिली - बल्कि एक अनजान माध्यम से, उस ब्लॉग की तरफ से सांत्वना मिली । यहाँ दो बातें रेखांकित करने योग्य हैं : एक तो यही कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रवि चौधरी की बदतमीजी का शिकार हुईं आभा झा चौधरी को किसी रोटेरियंस की तरफ से नहीं, बल्कि उस ब्लॉग की तरफ से नैतिक समर्थन मिला; दूसरी बात और ज्यादा महत्त्वपूर्ण है और वह यह कि निश्चित ही उस ब्लॉग को घटना की जानकारी मौके पर मौजूद लोगों से ही मिली होगी; हम मान लेते हैं कि आभा झा चौधरी से ही मिली होगी - लेकिन क्या यह बात हम रोटेरियंस के लिए शर्म की बात नहीं है कि सार्वजनिक प्रताड़ना व अपमान के चलते मानसिक संताप झेल रहीं आभा झा चौधरी को नैतिक समर्थन और सांत्वना की उम्मीद किसी रोटेरियंस से नहीं हुई, बल्कि एक अनजान बाहरी माध्यम के रूप में उस ब्लॉग से हुई । मुश्किल समय में, प्रताड़ना और अपमान झेल रहीं आभा झा चौधरी को हम रोटेरियंस ने - डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनने के लिए प्रयासरत उनके ही क्लब के सदस्य संजीव राय मेहरा तक ने - उन्हें जानते/पहचानते हुए भी उन्हें अकेला छोड़ दिया; और तब उनका संबल - उनसे अपरिचित और अनजान - वह ब्लॉग बना ! मुझे पूरा विश्वास है कि आभा झा चौधरी की उस मुश्किल घड़ी में यदि रोटेरियंस उन्हें सहारा और समर्थन देते, तो बात ब्लॉग तक जाती ही नहीं - और रोटरी की पब्लिक इमेज को भी धब्बा नहीं लगता । मैं जब भी bigger picture देखता हूँ, और उसे understand करने की कोशिश करता हूँ, तो इसी नतीजे पर पहुँचता हूँ कि हम रोटेरियंस यदि सही को सही और गलत को गलत कहना शुरू कर देंगे; रोटरी के नाम पर होने वाली बेईमानी और बात बात में दिखाई जाने वाली चौधराहटी अकड़ का विरोध करना शुरू कर देंगे; बेईमानी और अपमान व प्रताड़ना का शिकार होने वाले रोटेरियंस को समर्थन और मदद देना शुरू कर देंगे, तब किसी रोटेरियंस को अपना दुखड़ा रोने के लिए उक्त ब्लॉग के पास जाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी और वह ब्लॉग अपने आप ही बंद हो जायेगा ।
मुझे अफसोस है कि जीतेंद्र गुप्ता ने अपने मैसेज में bigger picture को understand करने की बात तो की है, लेकिन ईमानदारी से उसके लिए प्रयास नहीं किया है । यदि किया होता, तो वह आभा झा चौधरी के प्रति किए गए रवि चौधरी के व्यवहार पर अवश्य ही कुछ कहते । हो सकता है कि वह रवि चौधरी के व्यवहार को उचित मान रहे हों, लेकिन वह यह कहते तो - तभी तो लोगों को पता चलता कि उनकी सोच का स्तर क्या है ? जीतेंद्र गुप्ता ने रोटरी की पब्लिक इमेज को बचाने/सुधारने को लेकर जिस आधे-अधूरे तरीके से अपनी बात रखी है, उसमें अपना कोई राजनीतिक मंतव्य साधने की उनकी कोशिश नजर आती है; और इस कारण से उनका मैसेज पाखंड-पूर्ण व्यवहार महसूस होता है । मैं आश्वस्त हूँ और मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि इस तरह के पाखंड-पूर्ण व्यवहार से bigger picture को न तो understand किया जा सकता है, और न ही रोटरी की पब्लिक इमेज को बचाया/सुधारा जा सकता है ।
हाँ, जीतेंद्र गुप्ता की इस बात से मैं पूरी तरफ सहमत हूँ कि We need to understand the bigger picture.
काश, हम ईमानदारी से ऐसा कर पाएँ !

- सतीश चंद्र अग्रवाल
  पूर्व क्लब प्रेसीडेंट

                                              जीतेंद्र गुप्ता के मैसेज का स्क्रीन-शॉट :