Thursday, October 12, 2017

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3080 में राजनीतिक रूप से लगातार 'पिट' रहे राजा साबू गिरोह के पूर्व गवर्नर्स को, कॉलिज ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग में टीके रूबी और अजय मदान पर हुए 'हमलों' को चुपचाप देखते रहे, जितेंद्र ढींगरा के रवैये में उम्मीद और उत्साह का 'टॉनिक' मिला

चंडीगढ़ । इंटरनेशनल डायरेक्टर बासकर चॉकलिंगम की मौजूदगी में हुई कॉलिज ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर टीके रूबी पर हुए 'हमलों' के बीच जितेंद्र ढींगरा के चुप बने रहने को राजा साबू गिरोह के पूर्व गवर्नर्स अपने लिए उम्मीद की किरण के रूप में देख/पहचान रहे हैं । राजा साबू गिरोह के पूर्व गवर्नर्स को यह बात बहुत ही उल्लेखनीय और महत्त्वपूर्ण लगी है कि मीटिंग में टीके रूबी को तरह तरह के आरोपों के जरिए जब घेरा जा रहा था, तब मीटिंग में मौजूद जितेंद्र ढींगरा ने न तो आरोपों का कोई विरोध किया और न ही टीके रूबी का बचाव करने का कोई प्रयास किया । यहाँ तक कि राजा साबू गिरोह के पूर्व गवर्नर्स द्वारा मीटिंग में डिस्ट्रिक्ट सेक्रेटरी अजय मदान की उपस्थिति का आक्रामक ढंग से विरोध किए जाने के मुद्दे पर भी जितेंद्र ढींगरा चुप बने रहे । अजय मदान, जितेंद्र ढींगरा के ही क्लब के सदस्य हैं और समझा जाता है कि जितेंद्र ढींगरा के सुझाव पर ही उन्हें टीके रूबी की टीम में डिस्ट्रिक्ट सेक्रेटरी जैसा महत्त्वपूर्ण पद मिला है । इसके बावजूद, उनके साथ राजा साबू गिरोह के पूर्व गवर्नर्स द्वारा की गई बदतमीजी पर जितेंद्र ढींगरा चुप बने रहे - तो इसे राजा साबू गिरोह के पूर्व गवर्नर्स अपने लिए एक संभावित अनुकूल स्थिति के रूप में देख रहे हैं ।
दरअसल, राजा साबू गिरोह के पूर्व गवर्नर्स को लगता है कि उनकी आक्रामक रवैये भरी रणनीति के कारण टीके रूबी जिस तरह अलग अलग किस्म की 'मुसीबतों' में फँसे हैं, उसे देख कर जितेंद्र ढींगरा सावधान और बचाव की मुद्रा में आ गए हैं । उन्हें लगता है कि जितेंद्र ढींगरा को महसूस हो रहा होगा कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में टीके रूबी को जिन मुश्किलों का सामना करना पड़ा है, या पड़ रहा है - वैसी मुश्किलें उनके सामने न आएँ;  इसीलिए जितेंद्र ढींगरा, टीके रूबी के 'साथ' होते हुए भी उनसे दूर 'दिखने' का भी प्रयास कर रहे हैं । हालाँकि टीके रूबी चूँकि एक अलग परिस्थिति में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर 'बने' हैं, इसलिए उन्हें परेशान करने के लिए राजा साबू गिरोह के लोगों को कई मौके स्वतः ही मिल गए हैं - जो जितेंद्र ढींगरा के मामले में नहीं मिल सकेंगे; लेकिन राजा साबू गिरोह के पूर्व गवर्नर्स ने पिछले दिनों बार बार जिस तरह की नॉनसेंस हरकतें की हैं, उससे लगता नहीं है कि मौके 'बनाने' में उन्हें कोई समस्या आएगी । इस बात को जितेंद्र ढींगरा भी समझ रहे होंगे; और इसी बिना पर राजा साबू गिरोह के पूर्व गवर्नर्स को लग रहा है कि जितेंद्र ढींगरा संभावित मुसीबतों से बचने के लिए ही उनके साथ टकराव को टालना चाहते हैं और इसीलिए टीके रूबी पर हो रहे शाब्दिक हमलों को लेकर वह चुप ही बने रहे ।
यहाँ इस तथ्य को रेखांकित करना प्रासंगिक होगा कि पिछले रोटरी वर्ष में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए नोमीनेटिंग कमेटी द्वारा अधिकृत उम्मीदवार चुने जाने के  बाद जितेंद्र ढींगरा को राजा साबू और उनके गिरोह के पूर्व गवर्नर्स के प्रति लचीला रवैया अपनाते हुए 'देखा' गया था, जिसका उन्हें सुफल भी मिला - राजा साबू और उनके गिरोह के पूर्व गवर्नर्स की तरफ से उनके डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी बनने में कोई बाधा खड़ी नहीं की गई । हालाँकि गिरोह के दो नेताओं - मधुकर मल्होत्रा और प्रमोद विज ने लोगों के बीच स्पष्ट घोषणा की हुई थी कि वह किसी भी कीमत पर जितेंद्र ढींगरा को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर की कुर्सी तक नहीं पहुँचने देंगे । उन दिनों राजा साबू और उनके गिरोह के पूर्व गवर्नर्स तथा जितेंद्र ढींगरा के बीच शांति स्थापित होती हुई नजर आ रही थी । वास्तव में, इस शांति की दोनों को ही जरूरत थी - राजा साबू और उनके गिरोह के पूर्व गवर्नर्स लड़ाई/झगड़े के चलते अपनी भारी फजीहत करवा चुके थे, तो जितेंद्र ढींगरा भी समझ रहे थे कि शांति करके ही वह गवर्नरी कर सकेंगे । जितेंद्र ढींगरा चूँकि कुछ समय पहले तक राजा साबू गिरोह के प्रमुख 'लड़ाकुओं' में थे, लिहाजा उनके बीच शांति स्थापित होने में ज्यादा समस्या भी नहीं आई । लेकिन अप्रत्याशित रूप से घटे घटनाचक्र में जब टीके रूबी को वर्ष 2017-18 की गवर्नरी मिल गई, तब अचानक से हालात फिर पहले वाली स्थिति में पहुँच गए ।
टीके रूबी को गवर्नरी मिलने से राजा साबू और उनके गिरोह के पूर्व गवर्नर्स की छाती पर जो साँप लोटा, उसकी फुँकार ने राजा साबू और उनके गिरोह के पूर्व गवर्नर्स की तरफ बढ़ते जितेंद्र ढींगरा के कदमों को रोकने का भी काम किया । गवर्नर बनने के बाद से टीके रूबी को राजा साबू गिरोह की तरफ से जिन भी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, वह यूँ तो उन्होंने अकेले ही भोगी/निपटाई हैं - लेकिन जितेंद्र ढींगरा हमेशा ही उनके सहयोगी बने भी दिखाई दिए हैं; किंतु इंटरनेशनल डायरेक्टर बासकर चॉकलिंगम की मौजूदगी में संपन्न हुई कॉलिज ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग में पहली बार  जितेंद्र ढींगरा और टीके रूबी के बीच कुछ 'गैप' देखा गया । राजा साबू गिरोह के पूर्व गवर्नर्स को इस गैप में अपनी साँसे वापस मिलती दिख रही हैं, और जिसे वह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में भुनाना चाहेंगे । राजा साबू गिरोह के पूर्व गवर्नर्स के लिए इस वर्ष होने वाला डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद का चुनाव बिलकुल जीने/मरने जैसा मामला है । हालाँकि वह अभी तक कोई ऐसा उम्मीदवार नहीं खोज पाए हैं, जो टीके रूबी और जितेंद्र ढींगरा की मिलीजुली ताकत का मुकाबला करने का साहस दिखा सके । इस मामले में राजा साबू गिरोह के पूर्व गवर्नर्स के लिए राहत और उम्मीद की बात सिर्फ यही है कि टीके रूबी और जितेंद्र ढींगरा के उम्मीदवार के रूप में देखे/पहचाने जा रहे रमेश बजाज का चुनाव अभियान ढीला/ढाला ही है, और वह पूरी तरह टीके रूबी और जितेंद्र ढींगरा के भरोसे हैं; ऐसे में टीके रूबी और जितेंद्र ढींगरा के बीच दिख रहा गैप रमेश बजाज के लिए मुसीबत बढ़ाने वाला भी साबित हो सकता है - रमेश बजाज की उम्मीदवारी को लेकर जितेंद्र ढींगरा की असहमति की चर्चा पहले से है भी ।
डिस्ट्रिक्ट में कई लोगों का मानना और कहना लेकिन यह भी है कि कुछेक मौकों पर टीके रूबी और जितेंद्र ढींगरा के व्यवहार और रवैये में फर्क भले ही नजर आता हो, किंतु उसे दोनों के बीच बनते/बढ़ते गैप के रूप में देखना राजनीतिक नासमझी और जल्दबाजी में निर्णय पर पहुँचने का सुबूत है । इसके अलावा, राजा साबू गिरोह के पूर्व गवर्नर्स खुद बुरी तरह बँटे हुए हैं - वह टीके रूबी के सामने मुसीबत खड़ी करने के मामले में तो आपसी बैरभाव भूल कर एकसाथ हो जाते हैं, लेकिन सत्ता में अपनी वापसी करने को लेकर किसी रोडमैप पर उनके बीच सचमुच एकता हो सकना अभी तो मुश्किल क्या, असंभव ही दिख रहा है । राजनीतिक रूप से लगातार 'पिट' रहे राजा साबू गिरोह के पूर्व गवर्नर्स को बासकर चॉकलिंगम की मौजूदगी में हुई कॉलिज ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग में टीके रूबी और अजय मदान पर हुए 'हमलों' को चुपचाप देखते रहे जितेंद्र ढींगरा के रवैये में उम्मीद और उत्साह का 'टॉनिक' जरूर मिला है ।