Tuesday, October 10, 2017

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सतीश सिंघल की बेईमानीपूर्ण हरकतों का रोटरी इंटरनेशनल के पदाधिकारियों द्वारा संज्ञान लिए जाने की खबर से आलोक गुप्ता की चुनावी जीत के रंग में भंग पड़ा और उनकी जीत विवाद के घेरे में आ गई

गाजियाबाद । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद का चुनाव जल्दी कराए जाने के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सतीश सिंघल के फैसले के पीछे बेईमानी और बदनीयती के आरोपों का रोटरी इंटरनेशनल द्वारा संज्ञान लिए जाने की खबर ने आलोक गुप्ता की जीत के जोश को ठंडा करने तथा 'आगे' के लिए उनकी मुश्किलों का बढ़ाने का काम किया है । उल्लेखनीय है कि आज सुबह आलोक गुप्ता की चुनावी जीत की खबर मिलने के साथ ही सतीश सिंघल को दिल्ली स्थित रोटरी इंटरनेशनल के साऊथ एशिया ऑफिस से यह खबर भी मिली कि रोटरी इंटरनेशनल के पदाधिकारियों ने जल्दी चुनाव करवाए जाने के पीछे उनकी पक्षपातपूर्ण बेईमानी और बदनीयती को पहचाना है और अपने स्तर पर इसकी जाँच करवाने का निश्चय किया है । सतीश सिंघल ने अपनी तरफ से तो खबर को छिपाने की कोशिश की, लेकिन साऊथ एशिया ऑफिस से ही डिस्ट्रिक्ट 3011 के कुछेक पूर्व गवर्नर्स को भी यह खबर मिली, तब फिर सतीश सिंघल के लिए इसे छिपाए रखना मुश्किल हो गया । सतीश सिंघल ने हालाँकि यह कहते हुए बेफिक्री दिखाने/जताने का प्रयास जरूर किया कि रोटरी इंटरनेशनल के नियमों के अनुसार ही डिस्ट्रिक्ट गवर्नर को यह अधिकार प्राप्त है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद का चुनाव वह कब करवाए, इसलिए इस संबंध में की गई शिकायत और या होने वाली जाँच का कोई अर्थ नहीं है - लेकिन मामले में रोटरी इंटरनेशनल के पदाधिकारियों के दिलचस्पी लेने की खबर के कारण आलोक गुप्ता की चुनावी जीत के रंग में भंग जरूर पड़ गया है और उनकी जीत विवाद के घेरे में आ गई है ।
मजे की बात यह है कि जल्दी चुनाव करवाए जाने को लेकर रोटरी इंटरनेशनल में कोई ऑफिशियल शिकायत नहीं की गई है । साऊथ एशिया ऑफिस से भी जो जानकारी मिली है, उसके अनुसार भी जल्दी चुनाव करवाने के पीछे बेईमानी और बदनीयती का संज्ञान रोटरी इंटरनेशनल के पदाधिकारियों ने खुद से ही लिया है । दरअसल, सतीश सिंघल का यह फैसला रोटरी इंटरनेशनल के पदाधिकारियों के संज्ञान में खुद-ब-खुद रोटरी में सतीश सिंघल की कुख्याति के कारण आया जान पड़ता है । रोटरी नोएडा ब्लड बैंक में हिसाब-किताब की गड़बड़ियों के कारण सतीश सिंघल को रोटरी में रोटरी के नाम पर धंधा करने वाले व्यक्ति के रूप में देखा/पहचाना जाता है । इस 'पहचान' के कारण - 'बद अच्छा बदनाम बुरा' वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए उनके हर कदम को संदेह की निगाह से देखा जाता है । संभवतः यही वजह रही कि जल्दी चुनाव करवाने की सतीश सिंघल की घोषणा को संदेह की निगाह से देखा गया, और रोटरी इंटरनेशनल के पदाधिकारियों ने अपने स्तर पर सतीश सिंघल के असली इरादे को भाँपने/समझने की कोशिश की । पिछले दिनों दिल्ली में आयोजित हुए रोटरी के बड़े कार्यक्रमों में रोटरी इंटरनेशनल के बड़े पदाधिकारी और नेता शामिल हुए तो उन्हें सतीश सिंघल की हरकतों और बेईमानियों के तरह तरह के किस्से सुनने को मिले । इन्हीं किस्सों में आलोक गुप्ता की उम्मीदवारी को प्रमोट करने तथा क्लब्स के प्रेसीडेंट्स पर आलोक गुप्ता को तवज्जो देने के लिए दबाव बनाने के उनके प्रयासों का भी जिक्र हुआ । समझा जाता है कि इसके बाद से ही रोटरी इंटरनेशनल के बड़े पदाधिकारियों ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में सतीश सिंघल की डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव से जुड़ी कारगुजारियों पर निगाह रखना शुरू किया ।
डिस्ट्रिक्ट 3012 में चुनावी विवादों का हाल का रिकॉर्ड कुछ अच्छा नहीं है । पीछे संपन्न हुए सीओएल तथा इंटरनेशनल डायरेक्टर के चुनाव के लिए बनने वाली नोमीनेटिंग कमेटी के चुनाव विवाद और आरोपों में पड़े और मामला रोटरी इंटरनेशनल तक पहुँचा । डिस्ट्रिक्ट के पूर्व गवर्नर मुकेश अरनेजा की बदनामी का आलम यह है कि पिछली रोटरी इंस्टीट्यूट की कमेटी में तत्कालीन इंटरनेशनल डायरेक्टर मनोज देसाई ने उन्हें जगह तक नहीं दी । सतीश सिंघल के साथ उन्हीं मुकेश अरनेजा ने भी आलोक गुप्ता की उम्मीदवारी की कमान सँभाली हुई थी और आरोप सुने जा रहे थे कि डीआरएफसी के रूप में मुकेश अरनेजा ने आलोक गुप्ता के लिए वोट जुटाने के  उद्देश्य से डीडीएफ की सौदेबाजी की । मुकेश अरनेजा और सतीश सिंघल की भरपूर बदनामी के कारण, आलोक गुप्ता की उम्मीदवारी को सफल बनाने के लिए उनके द्वारा अपनाए जा रहे हथकंडों ने उनकी बदनामी की आग को घी डाल कर भड़काने का काम किया । यही कारण रहा कि रोटरी इंटरनेशनल के पदाधिकारियों ने कोई ऑफिशियल शिकायत हुए बिना, खुद से संज्ञान लेकर जल्दी चुनाव करवाने के पीछे छिपी बेईमानी और बदनीयती की जाँच करने का फैसला लिया है । उल्लेखनीय है कि पड़ोसी डिस्ट्रिक्ट - डिस्ट्रिक्ट 3011 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट विनय भाटिया के चुनाव के मामले में भी रोटरी इंटरनेशनल ने बिना ऑफिशियल शिकायत हुए, खुद से संज्ञान लेकर चुनावी बेईमानी की जाँच की थी और जाँच में आरोपों को सच पाए जाने पर इंटरनेशनल बोर्ड ने तीन पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स के खिलाफ सख्त टिप्पणियाँ की थीं ।
मजे की बात है कि सतीश सिंघल डिस्ट्रिक्ट 3011 के उक्त मामले को अपनी और आलोक गुप्ता की ढाल के रूप में देख रहे हैं और आश्वस्त हैं कि चुनावी बेईमानी के दोषी पाए जाने के बावजूद जैसे वहाँ 'वास्तव' में किसी का कुछ नहीं बिगड़ा, वैसे ही यहाँ भी नहीं बिगड़ेगा - बदनामी से डरना क्या ? बदनाम हैं तो क्या, नाम तो है । दरअसल मुकेश अरनेजा और सतीश सिंघल ने तो अपने आप को बदनामी के कीचड़ में 'एडजस्ट' कर लिया है; आलोक गुप्ता के लिए लेकिन 'सिर मुंडाते ओले पड़ने' वाली बात हो गयी है । एक अच्छी जीत की खबर के साथ-साथ, उनकी चुनावी जीत को 'मैनेज' करने के मामले को इंटरनेशनल पदाधिकारियों द्वारा संज्ञान में लेने की खबर भी आने से उनकी जीत का उत्साह तो ठंडा पड़ा है - रोटरी इंटरनेशनल पदाधिकारियों और नेताओं के बीच उनका नाम मुकेश अरनेजा व सतीश सिंघल जैसे पहले से बदनाम लोगों के साथ सीधे-सीधे और जुड़ गया है ।