पानीपत ।
पानीपत में पाँच नबंवर को आयोजित हो रहे इंटरसिटी कार्यक्रम में राजेंद्र
उर्फ़ राजा साबू के आने या न आने को लेकर डिस्ट्रिक्ट के प्रमुख लोगों के
बीच एक दिलचस्प बहस छिड़ी हुई है । इस बहस का कारण यह है कि यूँ तो
अपने संगी-साथी गवर्नर्स के साथ राजा साबू ने टीके रूबी को डिस्ट्रिक्ट
गवर्नर के रूप में 'स्वीकार' करने से इंकार किया हुआ है, जिसके तहत वह टीके
रूबी के गवर्नर-काल के आयोजनों में शामिल नहीं हो रहे हैं - लेकिन सुना जा रहा है कि पानीपत के इंटरसिटी कार्यक्रम में शामिल होने के लिए राजा साबू बुरी तरह लालायित हैं और इसके लिए जुगाड़ लगा रहे हैं । लोगों
के बीच बहस की बात यह है कि राजा साबू क्या सामान्य निमंत्रण पर कार्यक्रम
में पहुँच जायेंगे, या अपने लिए 'खास' तरह से निमंत्रण पाने/लेने का
प्रयास करेंगे और उसमें सफल होने के बाद ही कार्यक्रम में पहुँचेंगे;
बहस का विषय यह भी है कि राजा साबू की हरकतों के चलते पिछले करीब ढाई
वर्षों से अभी हाल तक बार-बार लगातार तरह तरह से परेशान और अपमानित होते
रहे टीके रूबी क्या सब भूल जायेंगे और राजा साबू को 'खास' तरह से आमंत्रित
करने के लिए तैयार हो जायेंगे ? लोगों के बीच सारी बहस चूँकि कयासबाजी पर है, इसलिए लग रहा है कि सारा खेल पर्दे के पीछे चल रहा है - राजा
साबू अपने 'आदमियों' के जरिये टीके रूबी पर दबाव बना रहे हैं कि वह राजा
साबू को 'ठीक' से आमंत्रित करें, ताकि कार्यक्रम में राजा साबू के पहुँचने
का रास्ता 'बने', और टीके रूबी देख/समझ रहे हैं कि इस दबाव से वह कैसे और
कितना निपटें ?
पानीपत में हो रहे इंटरसिटी कार्यक्रम में आने को लेकर राजा साबू के बुरी तरह लालायित होने का कारण दरअसल कार्यक्रम में हरियाणा के राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी का मुख्य अतिथि के रूप में शामिल
होना है । राजा साबू रोटरी के 'जरिये' बड़े लोगों, नेताओं और प्रशासनिक
अधिकारियों से नजदीकी बनाने/बढ़ाने के काम में बड़े होशियार रहे हैं । वह
ऐसे हर कार्यक्रम में शामिल होते रहे हैं, जिसमें कोई बड़ा नेता या
प्रशासनिक अधिकारी आया हुआ होता है । राजा साबू के इस 'व्यवहार' को लेकर
पल्लव मुखर्जी के साथ घटी घटना डिस्ट्रिक्ट में खूब सुनी/सुनाई जाती रही है
। बात कुछ पुरानी है - पल्लव मुखर्जी अपने क्लब के एक कार्यक्रम का
निमंत्रण लेकर राजा साबू के पास गए । राजा साबू ने पहले तो उन्हें नखरे
दिखाते हुए अपनी व्यस्तता का वास्ता देकर कार्यक्रम में पहुँचने के प्रति
अपनी असमर्थता दिखाई, लेकिन बातचीत आगे बढ़ने पर जैसे ही उन्हें पता चला कि
कार्यक्रम में फारूख अब्दुल्ला आ रहे हैं, राजा साबू ने गजब की पलटी मारी
और अपनी सारी व्यस्तता भूल कर वह न सिर्फ कार्यक्रम में पहुँचने के लिए
तैयार हो गए, बल्कि पल्लव मुखर्जी से यह तक डिस्कस करने लगे कि मंच पर कौन
कौन और कहाँ कहाँ बैठेगा । इस डिस्कसन के जरिये दरअसल उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि मंच पर उन्हें फारूख अब्दुल्ला के ठीक बगल वाली कुर्सी पर बैठने का मौका मिले । एक कार्यक्रम में अरुण जेतली आये थे, तब भी राजा साबू ने इसी तरह का नाटक किया था ।
राजा साबू की इस नाटकबाजी को जानने/समझने वाले डिस्ट्रिक्ट के प्रमुख लोगों का विश्वास के साथ मानना और कहना है कि पानीपत
में हो रहे इंटरसिटी कार्यक्रम में यदि हरियाणा के राज्यपाल न आ रहे होते, तो राजा साबू - टीके रूबी के गवर्नर-काल के कार्यक्रमों के बहिष्कार के 'रास्ते' पर ही होते ।
पानीपत
में हो रहे इंटरसिटी कार्यक्रम का निमंत्रण खास तरीके से पाने के पीछे
राजा साबू का उद्देश्य वास्तव में यही है कि वह पहले से तय कर लेना चाहते
हैं कि कार्यक्रम में उनकी हैसियत और 'जगह' कहाँ और क्या होगी ? राजा
साबू को डर है कि कार्यक्रम के कर्ता-धर्ता कहीं उन्हें दर्शकों/श्रोताओं
में पूर्व गवर्नर्स के साथ न बैठा दें ? राजा साबू हरियाणा के राज्यपाल के
ठीक बगल वाली कुर्सी अपने लिए पक्की करना चाहते हैं, और इसीलिए वह अपने
आदमियों के जरिये टीके रूबी को घेर कर 'ठीक' से निमंत्रण चाहते हैं ।
राजा साबू के नजदीकियों का ही कहना है कि इस संबंध में टीके रूबी के पक्के
समर्थक और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी जितेंद्र ढींगरा को तो राजी कर लिया
गया है, जिन्होंने आश्वस्त किया है कि वह टीके रूबी को भी इस बात के लिए
राजी कर लेंगे कि राजा साबू को कार्यक्रम में 'उचित' जगह तथा मौका मिले । पिछले दो-ढाई वर्षों में राजा साबू द्वारा प्रेरित और संरक्षित लड़ाई में टीके रूबी का साथ देने वाले कई लोगों का मानना/कहना लेकिन यह है कि टीके रूबी को राजा साबू के झाँसे में आने से बचना चाहिए और उन्हें एक पूर्व गवर्नर की तरह ही ट्रीट करना चाहिए ।
लोगों का कहना है कि जब राजा साबू को खुद ही अपनी 'हैसियत' की गरिमा की
चिंता नहीं है और वह डिस्ट्रिक्ट की प्रशासनिक व्यवस्था तथा चुनावी राजनीति
में टुच्चेपन को संरक्षण देते हैं, तब फिर अन्य किसी को भी उनकी गरिमा की
चिंता करने की जरूरत क्या है ?
राजा साबू को हरियाणा के राज्यपाल के साथ बैठे 'दिखना' इस समय इसलिए भी जरूरी लग रहा है क्योंकि इस समय वह भारत सरकार के पद्म भूषण सम्मान के लिए जुगाड़ लगा रहे हैं । राजा साबू के लिए बदकिस्मती की बात यह है कि इसी समय वह रोटरी उत्तराखंड डिजास्टर रिलीफ ट्रस्ट के फंड में हेराफेरी के आरोपों में घिरे हैं । राजा साबू उक्त ट्रस्ट के चेयरमैन हैं । इसके अलावा, इसी समय उन पर रोटरी प्रोजेक्ट्स के नाम पर मौज-मजा करने के आरोपों का भी
शोर है । इन आरोपों के चलते पद्म भूषण पाने के लिए की जा रही उनकी कोशिशें
खटाई में पड़ सकती हैं, इसलिए वह अपने लिए ऐसे मौके की तलाश में हैं, जो
उक्त आरोपों से उठी धूल पर पानी डाल सके । पाँच नबंवर को हो रहे
इंटरसिटी कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में आ रहे हरियाणा के राज्यपाल
कप्तान सिंह सोलंकी के साथ बैठने तथा उनकी मौजूदगी में लच्छेदार भाषण देने
का मौका उन्हें उचित जान पड़ रहा है । यह मौका पाने के लिए राजा साबू ने
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर टीके रूबी पर जाल तो फेंक दिया है - अब यह देखना
दिलचस्प होगा कि टीके रूबी उनके जाल में फँसते हैं, या उससे बच निकलते हैं ?