नई दिल्ली । नॉर्दर्न इंडिया रीजनल
काउंसिल के चेयरमैन राकेश मक्कड़ ने एक फैसला करने में दिखाए अपने व्यवहार
से 'प्याज भी खाए और जूते भी खाए' वाली मशहूर कहावत को चरितार्थ किया है ।
उल्लेखनीय है कि रीजनल काउंसिल की मीटिंग बुलाए जाने की माँग पर पहले
तो उन्होंने चुप्पी साधे रखी, लेकिन जब चारों तरफ से इस चुप्पी को लेकर उन
पर 'जूते' पड़े तब फिर वह मीटिंग बुलाने के रूप में 'प्याज' खाने को तैयार
हो गए । इस तैयारी में भी राकेश मक्कड़ ने एक अन्य मशहूर कहावत को चरितार्थ
किया - 'चोर चोरी से जाए, पर हेराफेरी से न जाए ।' रीजनल काउंसिल की मीटिंग बुलाने को लेकर मजबूर हुए राकेश मक्कड़ ने यह मीटिंग दिल्ली में करने की बजाए लुधियाना में करने का फैसला लिया है ।
मजे की बात यह भी है कि पैसों की कमी का वास्ता देकर राकेश मक्कड़ ने अभी
हाल ही में लायब्रेरीज बंद करने का फैसला किया था, लेकिन लुधियाना में
रीजनल काउंसिल की मीटिंग करने में लाखों रूपया बहाने में उनके सामने कोई
समस्या नहीं है । रीजनल काउंसिल के 13 में से 7 सदस्यों को इस पर ऐतराज
है, लेकिन नियमों का हवाला देते हुए राकेश मक्कड़ लुधियाना में रीजनल
काउंसिल की मीटिंग करने के अपने फैसले को सही ठहरा रहे हैं । राकेश
मक्कड़ को इस नियम का तो पता है कि नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल की एक
मीटिंग दिल्ली से बाहर की जा सकती है, लेकिन नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल को लोकतांत्रिक,
पारदर्शी और ईमानदार तरीके से चलाए जाने के नियमों को लेकर चेयरमैन के रूप में उन्होंने अपनी
आँखें बंद की हुई हैं ।
चेयरमैन के रूप में राकेश मक्कड़ रीजनल काउंसिल की मीटिंग बुलाने की काउंसिल सदस्यों के बहुमत की माँग पर पहले तो चुप्पी साधे रहे, लेकिन चारों तरफ से दबाव पड़ने के कारण अब जब वह मीटिंग बुलाने के लिए मजबूर हुए हैं - तब वह बहुमत सदस्यों की दिल्ली में मीटिंग बुलाने की माँग को अनसुना कर रहे हैं । चेयरमैन के रूप में राकेश मक्कड़ ने मीटिंग के एजेंडे में बहुमत सदस्यों द्वारा प्रस्तुत किए गए मुद्दों को भी शामिल करने से इंकार कर दिया है । यह गहरे अफसोस की और बिडंवना की बात है कि रीजनल काउंसिल के 13 में से 7 सदस्यों को लग रहा है कि लुधियाना में मीटिंग करने के पीछे राकेश मक्कड़ और उनके साथी पदाधिकारियों का वास्तविक उद्देश्य यह है कि वह मीटिंग को मनमाने तरीके से चला सकें, तथा बहुमत सदस्यों को अपनी बात न करने/कहने दें । इसी कारण से, काउंसिल के बहुमत सदस्यों ने मीटिंग के लिए ऑब्जर्वर की माँग की है । यहाँ इस बात को याद करना प्रासंगिक होगा कि पिछले दिनों दिल्ली में हुई रीजनल काउंसिल की मीटिंग में ऑब्जर्वर की उपस्थिति के बावजूद राकेश मक्कड़ और उनके साथी पदाधिकारियों की तरफ से इतनी बदतमीजी हुई थी कि काउंसिल सदस्यों को पुलिस बुलाने की धमकी देनी पड़ी थी । काउंसिल के बहुमत सदस्यों का मानना/कहना है कि जब दिल्ली में राकेश मक्कड़ और उनके साथी पदाधिकारियों के हौंसले इतने बुलंद थे, तो लुधियाना में तो फिर वह मनमानी करने से भला क्यों चूकेंगे ?
राकेश मक्कड़ और उनके साथी पदाधिकारियों पर आरोप है कि रीजनल काउंसिल की मीटिंग से सेंट्रल काउंसिल सदस्यों को दूर रखने के उद्देश्य से ही उन्होंने दिल्ली की बजाए लुधियाना में मीटिंग करने का फैसला किया है । दरअसल उन्हें डर है कि दिल्ली में मीटिंग होने पर उनकी मनमानियों पर सेंट्रल काउंसिल सदस्यों की निगाह रहेगी और जरूरत पड़ने पर वह हस्तक्षेप कर सकते हैं । उन्हें यह डर इसलिए भी है क्योंकि मीटिंग से बचने की उनकी कोशिश सेंट्रल काउंसिल सदस्यों की सक्रियताभरे हस्तक्षेप के कारण ही विफल हुई है । राकेश मक्कड़ हालाँकि इस आरोप को बेबुनियाद बताते हुए तर्क करते हैं कि सेंट्रल काउंसिल सदस्यों पर लुधियाना में हो रही मीटिंग में शामिल होने पर कोई रोक नहीं है; लुधियाना में हो रही मीटिंग में शामिल होने के लिए सेंट्रल काउंसिल सदस्यों को लुधियाना जाने की परेशानी उठानी पड़ेगी - जैसी बातों पर तंज कसते हुए राकेश मक्कड़ और उनके साथियों का कहना है कि चुनाव के समय तो यह लोग दौड़ दौड़ कर लुधियाना जाते रहते हैं, तब तो इन्हें किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं होती है; अब मीटिंग में शामिल होने को लेकर इन्हें क्यों परेशानी होगी ?
सेंट्रल काउंसिल सदस्यों द्वारा की गई घेराबंदी के बाद रीजनल काउंसिल की मीटिंग बुलाने के लिए मजबूर हुए राकेश मक्कड़ ने सेंट्रल काउंसिल सदस्यों के प्रति जो तंजभरी बातें कहना शुरू की हैं, और इसके जरिए सेंट्रल काउंसिल सदस्यों के सामने जो चुनौती खड़ी की है - उससे मामला और दिलचस्प हो उठा है । उल्लेखनीय है कि राकेश मक्कड़ के एक साथी-पदाधिकारी नितिन कँवर ने पहले अतुल गुप्ता और फिर विजय गुप्ता के साथ अलग अलग कार्यक्रमों में जो बदतमीजी तथा तू तू मैं मैं की, और राकेश मक्कड़ ने इन 'कामों' के लिए नितिन कँवर को जिस तरह का संरक्षण दिया, उससे सेंट्रल काउंसिल के सदस्य नार्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के मामलों को लेकर पहले से ही दबाव में हैं । लुधियाना में रीजनल काउंसिल की मीटिंग करने का दाँव चल कर राकेश मक्कड़ ने रीजनल काउंसिल के बहुमत सदस्यों की माँग और कोशिश का 'दलिया' बनाने के साथ-साथ सेंट्रल काउंसिल सदस्यों के सामने भी जो चुनौती खड़ी की है - उससे लग रहा है कि नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल की कार्रवाइयों में पटाखे अभी फूटते रहेंगे ।
चेयरमैन के रूप में राकेश मक्कड़ रीजनल काउंसिल की मीटिंग बुलाने की काउंसिल सदस्यों के बहुमत की माँग पर पहले तो चुप्पी साधे रहे, लेकिन चारों तरफ से दबाव पड़ने के कारण अब जब वह मीटिंग बुलाने के लिए मजबूर हुए हैं - तब वह बहुमत सदस्यों की दिल्ली में मीटिंग बुलाने की माँग को अनसुना कर रहे हैं । चेयरमैन के रूप में राकेश मक्कड़ ने मीटिंग के एजेंडे में बहुमत सदस्यों द्वारा प्रस्तुत किए गए मुद्दों को भी शामिल करने से इंकार कर दिया है । यह गहरे अफसोस की और बिडंवना की बात है कि रीजनल काउंसिल के 13 में से 7 सदस्यों को लग रहा है कि लुधियाना में मीटिंग करने के पीछे राकेश मक्कड़ और उनके साथी पदाधिकारियों का वास्तविक उद्देश्य यह है कि वह मीटिंग को मनमाने तरीके से चला सकें, तथा बहुमत सदस्यों को अपनी बात न करने/कहने दें । इसी कारण से, काउंसिल के बहुमत सदस्यों ने मीटिंग के लिए ऑब्जर्वर की माँग की है । यहाँ इस बात को याद करना प्रासंगिक होगा कि पिछले दिनों दिल्ली में हुई रीजनल काउंसिल की मीटिंग में ऑब्जर्वर की उपस्थिति के बावजूद राकेश मक्कड़ और उनके साथी पदाधिकारियों की तरफ से इतनी बदतमीजी हुई थी कि काउंसिल सदस्यों को पुलिस बुलाने की धमकी देनी पड़ी थी । काउंसिल के बहुमत सदस्यों का मानना/कहना है कि जब दिल्ली में राकेश मक्कड़ और उनके साथी पदाधिकारियों के हौंसले इतने बुलंद थे, तो लुधियाना में तो फिर वह मनमानी करने से भला क्यों चूकेंगे ?
राकेश मक्कड़ और उनके साथी पदाधिकारियों पर आरोप है कि रीजनल काउंसिल की मीटिंग से सेंट्रल काउंसिल सदस्यों को दूर रखने के उद्देश्य से ही उन्होंने दिल्ली की बजाए लुधियाना में मीटिंग करने का फैसला किया है । दरअसल उन्हें डर है कि दिल्ली में मीटिंग होने पर उनकी मनमानियों पर सेंट्रल काउंसिल सदस्यों की निगाह रहेगी और जरूरत पड़ने पर वह हस्तक्षेप कर सकते हैं । उन्हें यह डर इसलिए भी है क्योंकि मीटिंग से बचने की उनकी कोशिश सेंट्रल काउंसिल सदस्यों की सक्रियताभरे हस्तक्षेप के कारण ही विफल हुई है । राकेश मक्कड़ हालाँकि इस आरोप को बेबुनियाद बताते हुए तर्क करते हैं कि सेंट्रल काउंसिल सदस्यों पर लुधियाना में हो रही मीटिंग में शामिल होने पर कोई रोक नहीं है; लुधियाना में हो रही मीटिंग में शामिल होने के लिए सेंट्रल काउंसिल सदस्यों को लुधियाना जाने की परेशानी उठानी पड़ेगी - जैसी बातों पर तंज कसते हुए राकेश मक्कड़ और उनके साथियों का कहना है कि चुनाव के समय तो यह लोग दौड़ दौड़ कर लुधियाना जाते रहते हैं, तब तो इन्हें किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं होती है; अब मीटिंग में शामिल होने को लेकर इन्हें क्यों परेशानी होगी ?
सेंट्रल काउंसिल सदस्यों द्वारा की गई घेराबंदी के बाद रीजनल काउंसिल की मीटिंग बुलाने के लिए मजबूर हुए राकेश मक्कड़ ने सेंट्रल काउंसिल सदस्यों के प्रति जो तंजभरी बातें कहना शुरू की हैं, और इसके जरिए सेंट्रल काउंसिल सदस्यों के सामने जो चुनौती खड़ी की है - उससे मामला और दिलचस्प हो उठा है । उल्लेखनीय है कि राकेश मक्कड़ के एक साथी-पदाधिकारी नितिन कँवर ने पहले अतुल गुप्ता और फिर विजय गुप्ता के साथ अलग अलग कार्यक्रमों में जो बदतमीजी तथा तू तू मैं मैं की, और राकेश मक्कड़ ने इन 'कामों' के लिए नितिन कँवर को जिस तरह का संरक्षण दिया, उससे सेंट्रल काउंसिल के सदस्य नार्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के मामलों को लेकर पहले से ही दबाव में हैं । लुधियाना में रीजनल काउंसिल की मीटिंग करने का दाँव चल कर राकेश मक्कड़ ने रीजनल काउंसिल के बहुमत सदस्यों की माँग और कोशिश का 'दलिया' बनाने के साथ-साथ सेंट्रल काउंसिल सदस्यों के सामने भी जो चुनौती खड़ी की है - उससे लग रहा है कि नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल की कार्रवाइयों में पटाखे अभी फूटते रहेंगे ।