Saturday, October 21, 2017

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के सेक्रेटरी वी सागर के सख्त दिशा-निर्देशों ने नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के चेयरमैन राकेश मक्कड़ और उनके 'लुटेरे गिरोह' के सदस्यों की मनमानियों पर रोक लगाने के साथ उनकी मुसीबतें भी बढ़ाई

नई दिल्ली । इंस्टीट्यूट के सेक्रेटरी वी सागर ने नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल की मीटिंग दिल्ली में ही करने को लेकर जो कोड़ा फटकारा है, तो रीजनल काउंसिल के चेयरमैन राकेश मक्कड़ और उनके संगी-साथी मीटिंग से बचने/भागने के लिए बहाने खोजने लगे हैं । बहाने खोजने में पूर्व चेयरमैन दीपक गर्ग ने जिस बेशर्मी का परिचय दिया, उसे देख कर बेशर्मी को भी शर्म आ गई होगी - दीपक गर्ग ने ऑडिट-सीजन का वास्ता देते हुए रीजनल काउंसिल की मीटिंग को स्थगित कर देने का सुझाव दिया है । मजे की बात है कि मीटिंग का समय तो उन्हीं लोगों ने तय किया है, समय तय करते हुए उन्हें ऑडिट-सीजन का ध्यान नहीं आया । ऑडिट-सीजन का ध्यान पिछले दस दिनों में उन्हें तब भी नहीं आया, जब रीजनल काउंसिल की मीटिंग लुधियाना में करने की तैयारी की जा रही थी । लुधियाना की बजाये दिल्ली में मीटिंग करने की बात आते ही दीपक गर्ग को ऑडिट-सीजन का ध्यान आ गया । दीपक गर्ग के बाद रीजनल काउंसिल के लुटेरे गिरोह के दूसरे सदस्यों ने भी जिस तरह से ऑडिट-सीजन का रोना शुरू किया है, उससे लग रहा है कि राकेश मक्कड़ इसी को बहाना बना कर ऐन मौके पर मीटिंग को स्थगित कर देने के चक्कर में हैं । राकेश मक्कड़ और उनके लुटेरे गिरोह के दूसरे सदस्य हालाँकि इंस्टीट्यूट की सेंट्रल काउंसिल में नॉमिनेटेड सदस्य विजय झालानी की उस धमकी से भी डरे हुए हैं, जिसमें कहा गया है कि रीजनल काउंसिल के पदाधिकारियों ने यदि नियमानुसार काम नहीं किया तो वह इंस्टीट्यूट में औपचारिक शिकायत दर्ज करवायेंगे ।
चेयरमैन राकेश मक्कड़ और उनके लुटेरे गिरोह के दूसरे सदस्यों को इंस्टीट्यूट के सेक्रेटरी वी सागर के उस फैसले से भी तगड़ा झटका लगा है, जिसमें राजेश अग्रवाल की लगातार अनुपस्थिति का हवाला देते हुए रीजनल काउंसिल की सदस्यता को समाप्त करने के फैसले को निरस्त कर दिया गया है । उल्लेखनीय है कि रीजनल काउंसिल के कुल 13 सदस्यों में सात सदस्यों के खिलाफ हो जाने की स्थिति को बैलेंस करने के लिए राकेश मक्कड़ ने राजेश अग्रवाल की सदस्यता समाप्त करने की चाल चली । इसके लिए उन्हें इंस्टीट्यूट के एक नियम का सहारा भी मिल गया, जिसमें लंबे समय तक लगातार अनुपस्थित रहने वाले सदस्य की सदस्यता समाप्त करने का प्रावधान है । लेकिन इंस्टीट्यूट के सेक्रेटरी वी सागर ने राजेश अग्रवाल की सदस्यता समाप्त करने के राकेश मक्कड़ के फैसले को मान्य नहीं किया । उनका तर्क है कि राजेश अग्रवाल जिस परिस्थिति में लगातार अनुपस्थित रहे, उस परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए वह संदर्भित नियम के दायरे में नहीं आते हैं । इंस्टीट्यूट के सेक्रेटरी वी सागर ने राजेश अग्रवाल की सदस्यता के मुद्दे पर झटका देने के साथ-साथ ही रीजनल काउंसिल की मीटिंग दिल्ली में ही करने का फरमान जारी करके राकेश मक्कड़ और उनके लुटेरे गिरोह के सदस्यों की सारी योजना पर पानी फेरने का काम किया है । इसके बाद से ही राकेश मक्कड़ और उनके लुटेरे गिरोह के सदस्यों ने नार्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल की मीटिंग से बचने और मीटिंग को स्थगित कर देने के बहाने खोजना शुरू कर दिया है ।
उल्लेखनीय है कि राकेश मक्कड़ और उनके लुटेरे गिरोह के सदस्यों ने पहले तो रीजनल काउंसिल के 13 में से सात सदस्यों द्वारा की गई मीटिंग बुलाने की मांग को अनसुना करने का प्रयास किया; चौतरफा दबाव पड़ने पर जब रीजनल काउंसिल की मीटिंग बुलाने की माँग को अनसुना करना उनके लिए संभव नहीं रहा - तो उन्होंने मीटिंग दिल्ली में करने की बजाये लुधियाना में करने के जरिये अपने को बचाने की रणनीति बनाई । इंस्टीट्यूट के सेक्रेटरी वी सागर ने लेकिन राकेश मक्कड़ और उनके गिरोह के सदस्यों की लगातार जारी 'हरकतों' से तंग आकर जो सख्त रवैया अपनाया - उसके चलते राकेश मक्कड़ और उनके लुटेरे गिरोह के सदस्यों ने अपने आप को चारों तरफ से घिरा पाया है । उन्होंने जान/समझ लिया है कि सेंट्रल काउंसिल सदस्य राजेश शर्मा की सरपरस्ती भी अब उन्हें नहीं बचा पा रही है । कई लोगों को तो लगता है कि राकेश मक्कड़ और उनके संगी-साथियों की लगातार जो फजीहत और बदनामी हो रही है, उसके असली जिम्मेदार राजेश शर्मा ही हैं । नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल की घटनाओं पर नजर रखने वाले लोगों का कहना है कि राकेश मक्कड़ और उनके साथी मीटिंग को स्थगित करने के लिए जो चालबाजियाँ कर रहे हैं, उससे उनकी मुश्किलें और बढ़ेंगी ही । राजेश शर्मा की सलाहानुसार, राकेश मक्कड़ और उनके लुटेरे गिरोह के सदस्यों ने पिछले दिनों में अपने को बचाने के लिए जो भी हथकंडे आजमाये हैं, वह सभी न सिर्फ फेल हुए हैं - बल्कि उनकी परेशानियों को बढ़ाने और उनकी बदनामी करवाने वाले ही साबित हुए हैं । इसी से लगता है कि राकेश मक्कड़ 23 अक्टूबर की घोषित मीटिंग चाहें कर लें, या चाहें स्थगित कर दें - आगे का रास्ता उनके लिए मुसीबत और फजीहत भरा ही है ।