अंबाला
। मोहिंदर पॉल गुप्ता की मेहनत अंततः रंग लाई और उनके अभियान को एक बड़ी
कामयाबी यह मिली है कि रोटरी उत्तराखंड डिजास्टर रिलीफ ट्रस्ट के दो करोड़
83 लाख रुपए हड़पने की जो तैयारी की जा रही थी, वह फेल हो गई है । अभी
तक इस रकम को स्कूल रिस्टेब्लिशमेंट फंड में ट्रांसफर दिखा कर इसे खर्च हुआ
बताने/जताने की कोशिश की जा रही थी, लेकिन मोहिंदर पॉल गुप्ता की लगातार
कोशिशों के बाद ट्रस्ट की तरफ से यशपाल दास ने अब यह जानकारी दी है कि यह
रकम अभी निपट नहीं गई है, बल्कि नौ वर्षों में खर्च होगी । यशपाल दास ने
हालाँकि होशियारी और चालाकी बरतते हुए अभी भी यह नहीं बताया है कि इस रकम का रखवाला अब
कौन है और यह रकम आखिर खर्च किस हिसाब से और किसके कहने से होगी ?
मोहिंदर पॉल गुप्ता रोटरी क्लब चंडीगढ़
सिटी ब्यूटीफुल के पूर्व प्रेसीडेंट हैं और पिछले कुछ समय से उन्होंने
डिस्ट्रिक्ट के कार्यक्रमों तथा प्रोजेक्ट्स के हिसाब-किताब में पारदर्शिता
लाने तथा जिम्मेदार लोगों को जबावदेह बनाने के लिए अभियान छेड़ा हुआ है,
जिसके तहत वह सवाल पूछते रहे हैं । मोहिंदर पॉल
गुप्ता का सवाल पूछना विभिन्न ट्रस्टों और अभियानों के मालिक बने बैठे
राजेंद्र उर्फ़ राजा साबू और यशपाल दास को इतना बुरा लगता रहा है कि कई
मौकों पर इन्होंने मोहिंदर पॉल गुप्ता को लोगों के बीच बदनाम व अपमानित
करने तक का प्रयास किया - इस प्रयास के पीछे इनका उद्देश्य वास्तव में
मोहिंदर पॉल गुप्ता का मुँह बंद करना था । मोहिंदर पॉल गुप्ता लेकिन इनकी
चाल में नहीं फँसे और तथ्यों को 'बताने से ज्यादा छिपाने की' इनकी कोशिशों
से पैदा होने सवालों को लगातार पूछते रहे - जिसका नतीजा एक बड़ी जीत के रूप
में सामने आया है ।
'हार' से पैदा हुई बदहवासी और बौखलाहट
यशपाल दास के पत्र में पढ़ी/देखी जा सकती है । मोहिंदर पॉल गुप्ता ने यशपाल
दास की जिस ईमेल को लेकर शिकायत की, यशपाल दास ने शुरू में तो यह कहते हुए
उसका बचाव किया कि उक्त ईमेल उन्होंने सिर्फ पूर्व गवर्नर्स को लिखी थी, जो
सोशल मीडिया में आ रही गलत जानकारियों से भ्रमित हो रहे थे और सच्चाई
जानना चाहते थे । पत्र के अंत में वह लेकिन यह दावा करने लगे कि जो लोग
उन्हें जानते हैं उन्हें विश्वास है कि वह कुछ भी गलत नहीं कर सकते हैं ।
तो क्या डिस्ट्रिक्ट के पूर्व गवर्नर्स उन्हें नहीं जानते हैं और यदि
'जानते' हैं तो 'उन्हें' सफाई देने की जरूरत उन्हें क्यों पड़ी ? यशपाल
दास को यदि सचमुच लगता है कि रोटरी उत्तराखंड डिजास्टर रिलीफ ट्रस्ट के
हिसाब-किताब को लेकर गलत बयानी हो रही है, और लोग भ्रमित हो रहे हैं तो
उन्हें सभी का भ्रम दूर करना चाहिए ! यशपाल दास के पत्र में ही उनकी
बदहवासी का आलम यह देखने को मिलता है कि एक तरफ तो वह दावा करते हैं कि जो
लोग उन्हें जानते हैं, वह उन पर विश्वास करते हैं और किसी भ्रम का शिकार
नहीं होंगे, और अपनी तरफ से सफाई भी उन्हें ही देते हैं जो उन्हें जानते
हैं । दरअसल यशपाल दास के इस 'व्यवहार' में ही वह सोच उद्घाटित होती है
जो अपने आप को 'राजा' समझती है और डिस्ट्रिक्ट के लोगों को दोयम दर्जे का
मानती है और जिन्हें जबाव देना जरूरी नहीं समझती है । सोशल मीडिया में
सवाल डिस्ट्रिक्ट के सदस्य ही तो उठा रहे हैं; सवाल करने वाले मोहिंदर पॉल
गुप्ता एक वरिष्ठ रोटेरियन और पूर्व अध्यक्ष हैं और पिछले एक वर्ष में पूर्व इंटरनेशनल
प्रेसीडेंट राजा साबू के हाथों से आउटस्टैंडिंग डिस्ट्रिक्ट चेयरमैन का
अवॉर्ड ले
चुके हैं - वह यदि भ्रमित हैं, तो उनका भ्रम दूर करने में पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर यशपाल दास की
क्रीज क्यों खराब हो रही है ?
हिसाब-किताब संबंधी सवाल पूछने पर
बदहवास और बौखलाने का व्यवहार सिर्फ यशपाल दास ने ही नहीं दिखाया है, इससे
पहले निवर्त्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रमन अनेजा की डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस
में
राजा साबू भी ऐसा ही व्यवहार दिखा चुके हैं । वहाँ मोहिंदर पॉल
गुप्ता ने एक प्रोजेक्ट की फंडिंग के बारे में सवाल पूछा था, जिस पर राजा
साबू बुरी तरह तमतमा गए थे और बौखलाए गुस्से में वह अपनी सीट छोड़ कर
हॉल के बीच तक आ गए थे और लोगों को उकसाने के इरादे से सवाल करने लगे थे कि उन्हें प्रोजेक्ट करना
चाहिए कि नहीं ? बेईमानीभरी चालाकी से पूछे गए इस सवाल में लोगों का
ध्यान डायवर्ट करने की राजा साबू की कोशिश लेकिन छिपी नहीं रह सकी थी; क्योंकि
लोगों का तुरंत ध्यान गया कि प्रोजेक्ट के होने या न होने को लेकर तो सवाल
था ही नहीं - सवाल तो इस बारे में था कि किसी प्रोजेक्ट में पैसे कहाँ से
आते हैं, कितने आते हैं और कैसे खर्च होते हैं ? राजा साबू के इस नाटक
में राजा-भक्ति दिखाते हुए पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर
जेपीएस सिबिया ने भी अतिथि कलाकार की भूमिका निभाते हुए मोहिंदर पॉल गुप्ता
को चुप करने/कराने की कोशिश की थी । सवाल
का सीधा जबाव देने की बजाए, सवाल से राजा साबू का बुरी तरह बौखलाना लोगों
को 'चोर की दाढ़ी में तिनका' वाला मुहावरा याद दिला गया था । मोहिंदर पॉल गुप्ता के एक सीधे-सादे से सवाल से यशपाल दास का बदहवास होना और बौखलाना उक्त मुहावरे की एक बार फिर याद दिलाता है ।
मोहिंदर
पॉल गुप्ता के सवालों से राजा साबू और यशपाल दास तथा उनके 'नजदीकी'
गवर्नर्स बौखलाएँ चाहें जितना, लेकिन वह हिसाब-किताब देने के लिए मजबूर भी
हो रहे हैं । इस तरह मोहिंदर पॉल गुप्ता के अभियान ने डिस्ट्रिक्ट में हवा
बदलने का काम किया है । डिस्ट्रिक्ट की हवा बदलने के काम को और हवा देने का काम मौजूदा डिस्ट्रिक्ट
गवर्नर टीके रूबी की उस घोषणा ने भी किया है, जिसमें उन्होंने रोटरी इंटरनेशनल से खर्चे के लिए मिलने वाली रकम को
प्रोजेक्ट्स में देने की घोषणा की है । टीके रूबी की यह घोषणा दिखा/जता
रही है कि डिस्ट्रिक्ट के नए पदाधिकारी ज्यादा पारदर्शी व जबावदेह तरीके
से काम करने में यकीन कर रहे हैं । उल्लेखनीय है कि इससे पहले किसी
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर ने - यहाँ तक कि राजा साबू और यशपाल दास तक ने भी -
लोगों को इस बात की हवा तक नहीं लगने दी कि
उन्हें खर्चे के लिए रोटरी इंटरनेशनल से कितनी रकम मिली है । डिस्ट्रिक्ट
में लोग याद करते हुए कह रहे हैं कि उन्होंने तो अभी तक यही
देखा/पाया है कि किसी गवर्नर से यदि यह पूछ भी लो कि उन्हें खर्चे के नाम
पर रोटरी से क्या मिला है, तो वह नाराज हो जाता रहा है । यशपाल दास ने भी
मोहिंदर पॉल गुप्ता को लिखे पत्र में नाराजगी की बौखलाहट 'दिखाई' है ।
अच्छी बात लेकिन यह है कि यशपाल दास की नाराजगीभरी बौखलाहट के बावजूद
मोहिंदर पॉल गुप्ता सवाल पूछने के अपने अभियान के प्रति संकल्पित नजर आ रहे
हैं ।