गाजियाबाद । अशोक जैन द्वारा अगले रोटरी वर्ष की डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की उम्मीदवारी में दिलचस्पी लेने तथा उनकी उम्मीदवारी को मुकेश अरनेजा व सतीश सिंघल का भी समर्थन होने की खबरों ने अमित गुप्ता की सारी प्लानिंग को चौपट करने का खतरा पैदा कर दिया है । उल्लेखनीय है कि
अमित गुप्ता की तरफ से लगातार यह दावा किया/सुना जाता रहा है कि अगले रोटरी
वर्ष के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में मुकेश अरनेजा और सतीश
सिंघल ने उनकी उम्मीदवारी का समर्थन करने का आश्वासन उन्हें दिया हुआ है ।
माना/समझा तो यहाँ तक जाता है कि उनके समर्थन के भरोसे ही अमित गुप्ता ने
अगले रोटरी वर्ष की उम्मीदवारी के लिए तैयारी की हुई है; और उनके समर्थन के
भरोसे ही अमित गुप्ता ने अगले वर्ष के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुभाष जैन और
क्लब के प्रमुख सदस्यों के ऐतराज तक को नजरअंदाज किया हुआ है । अमित
गुप्ता चूँकि सुभाष जैन के क्लब के ही सदस्य हैं, इसलिए सुभाष जैन और क्लब
के अन्य प्रमुख लोगों का लगातार कहना रहा कि अगले रोटरी वर्ष में सुभाष जैन
और क्लब के प्रमुख सदस्य गवर्नरी 'करने/चलाने' के काम में व्यस्त रहेंगे,
इसलिए अमित गुप्ता की उम्मीदवारी के पक्ष में काम करने के लिए वह समय नहीं
निकाल सकेंगे - और इस कारण से अमित गुप्ता अगले रोटरी वर्ष की बजाए उससे
आगे के वर्ष में उम्मीदवारी प्रस्तुत करें । अमित गुप्ता की तरफ से लोगों को लेकिन हमेशा ही इस बात का यही जबाव सुनने को मिला कि अगले रोटरी वर्ष के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के उम्मीदवार के रूप में वह स्वयं ही काम कर लेंगे और सुभाष जैन या क्लब के लोगों से सहयोग लेने/मिलने की कोशिश या उम्मीद वह नहीं करेंगे - और सहयोग न मिलने की किसी से कोई शिकायत भी वह नहीं करेंगे ।
अपने क्लब के लोगों के ऐतराज के बाद भी अमित गुप्ता के अगले वर्ष के लिए ही अपनी उम्मीदवारी पर डटे रहने के पीछे मुकेश अरनेजा और सतीश सिंघल के समर्थन को ही देखा/पहचाना जा रहा है । अमित गुप्ता के नजदीकियों के अनुसार ही, अगले रोटरी वर्ष की सिचुऐशन अमित गुप्ता को पूरी तरह अपने अनुकूल लग रही है - अमित गुप्ता को लग रहा है कि अगले रोटरी में सुभाष जैन चूँकि गवर्नरी करने में व्यस्त रहेंगे इसलिए उनकी मदद भले ही न कर सकें, लेकिन उनकी उम्मीदवारी का विरोध भी नहीं कर सकेंगे । दरअसल अमित गुप्ता को डर यह है कि सुभाष जैन कभी भी उनकी उम्मीदवारी को स्वीकार नहीं कर पायेंगे - उनके नजदीकियों को ही लगता है कि उन्हें यह बात मुकेश अरनेजा ने ही समझाई होगी कि सुभाष जैन कभी भी नहीं चाहेंगे कि क्लब में उनके अलावा और कोई भी गवर्नर हो जाए; इसलिए सुभाष जैन का गवर्नर-वर्ष ही उनके लिए उम्मीदवार बनने का बढ़िया मौका है । नजदीकियों की मानें तो मुकेश अरनेजा की समझाइस के अनुसार, अगले वर्ष की चुनावी राजनीति के परिदृश्य को लेकर अमित गुप्ता का आकलन यह है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर होने के नाते सुभाष जैन उनकी उम्मीदवारी में कोई समस्या पैदा नहीं करेंगे और मुकेश अरनेजा व सतीश सिंघल के समर्थन के बूते वह आसानी से अपनी उम्मीदवारी की नाव को पार करा लेंगे ।
अमित गुप्ता इस आकलन के भरोसे अपनी उम्मीदवारी को लेकर बेहद आश्वस्त रहे और इसी आश्वस्ति के चलते उन्होंने अपने क्लब के लोगों की भी एक नहीं सुनी । किंतु अब जब वह अशोक जैन की संभावित उम्मीदवारी को मुकेश अरनेजा व सतीश सिंघल के समर्थन की बात सुन रहे हैं, तो उन्हें चिंता हुई है । सुना/बताया जा रहा है कि मुकेश अरनेजा ने मौजूदा वर्ष के चुनाव में आलोक गुप्ता की उम्मीदवारी के लिए रमेश अग्रवाल का समर्थन जुटाने के ऐवज में रमेश अग्रवाल से सौदा किया था, जिसके तहत अशोक जैन को अगले वर्ष समर्थन देने की बात है । उक्त सौदे के अनुरूप ही अशोक जैन ने अपनी उम्मीदवारी के लिए तैयारी करना शुरू कर दी है - हालाँकि वास्तविक खेल इस वर्ष के चुनाव का नतीजा आने के बाद ही शुरू होगा । आलोक गुप्ता की उम्मीदवारी को सफल बनाने के लिए मुकेश अरनेजा और सतीश सिंघल ने जो चौतरफा 'फील्डिंग' लगाई थी, उसके चलते उन्हें आलोक गुप्ता की उम्मीदवारी के सफल होने की उम्मीद तो पूरी है; और सफल होने पर रमेश अग्रवाल तथा अन्य लोगों से किए गए सौदों का 'भुगतान' भी हो जाएगा - लेकिन किसी कारण से चुनावी नतीजा मनमाफिक नहीं आया तो उसका खामियाजा रमेश अग्रवाल और अशोक जैन को भी भुगतना पड़ेगा । अमित गुप्ता इसीलिए अशोक जैन की उम्मीदवारी को मुकेश अरनेजा व सतीश सिंघल के समर्थन की बात से निराश महसूस करने के बावजूद उम्मीद की लौ भी जलाए हुए हैं; वह इस बात को भी जानते ही हैं कि रोटरी की चुनावी राजनीति में वायदों और आश्वासनों की उम्र ज्यादा लंबी नहीं होती है । देखना दिलचस्प होगा कि मुकेश अरनेजा और सतीश सिंघल से अमित गुप्ता को मिला आश्वासन सच्चा साबित होता है, या झाँसा - और यदि झाँसा साबित हुआ तो अमित गुप्ता की उम्मीदवारी का क्या होगा ?
अपने क्लब के लोगों के ऐतराज के बाद भी अमित गुप्ता के अगले वर्ष के लिए ही अपनी उम्मीदवारी पर डटे रहने के पीछे मुकेश अरनेजा और सतीश सिंघल के समर्थन को ही देखा/पहचाना जा रहा है । अमित गुप्ता के नजदीकियों के अनुसार ही, अगले रोटरी वर्ष की सिचुऐशन अमित गुप्ता को पूरी तरह अपने अनुकूल लग रही है - अमित गुप्ता को लग रहा है कि अगले रोटरी में सुभाष जैन चूँकि गवर्नरी करने में व्यस्त रहेंगे इसलिए उनकी मदद भले ही न कर सकें, लेकिन उनकी उम्मीदवारी का विरोध भी नहीं कर सकेंगे । दरअसल अमित गुप्ता को डर यह है कि सुभाष जैन कभी भी उनकी उम्मीदवारी को स्वीकार नहीं कर पायेंगे - उनके नजदीकियों को ही लगता है कि उन्हें यह बात मुकेश अरनेजा ने ही समझाई होगी कि सुभाष जैन कभी भी नहीं चाहेंगे कि क्लब में उनके अलावा और कोई भी गवर्नर हो जाए; इसलिए सुभाष जैन का गवर्नर-वर्ष ही उनके लिए उम्मीदवार बनने का बढ़िया मौका है । नजदीकियों की मानें तो मुकेश अरनेजा की समझाइस के अनुसार, अगले वर्ष की चुनावी राजनीति के परिदृश्य को लेकर अमित गुप्ता का आकलन यह है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर होने के नाते सुभाष जैन उनकी उम्मीदवारी में कोई समस्या पैदा नहीं करेंगे और मुकेश अरनेजा व सतीश सिंघल के समर्थन के बूते वह आसानी से अपनी उम्मीदवारी की नाव को पार करा लेंगे ।
अमित गुप्ता इस आकलन के भरोसे अपनी उम्मीदवारी को लेकर बेहद आश्वस्त रहे और इसी आश्वस्ति के चलते उन्होंने अपने क्लब के लोगों की भी एक नहीं सुनी । किंतु अब जब वह अशोक जैन की संभावित उम्मीदवारी को मुकेश अरनेजा व सतीश सिंघल के समर्थन की बात सुन रहे हैं, तो उन्हें चिंता हुई है । सुना/बताया जा रहा है कि मुकेश अरनेजा ने मौजूदा वर्ष के चुनाव में आलोक गुप्ता की उम्मीदवारी के लिए रमेश अग्रवाल का समर्थन जुटाने के ऐवज में रमेश अग्रवाल से सौदा किया था, जिसके तहत अशोक जैन को अगले वर्ष समर्थन देने की बात है । उक्त सौदे के अनुरूप ही अशोक जैन ने अपनी उम्मीदवारी के लिए तैयारी करना शुरू कर दी है - हालाँकि वास्तविक खेल इस वर्ष के चुनाव का नतीजा आने के बाद ही शुरू होगा । आलोक गुप्ता की उम्मीदवारी को सफल बनाने के लिए मुकेश अरनेजा और सतीश सिंघल ने जो चौतरफा 'फील्डिंग' लगाई थी, उसके चलते उन्हें आलोक गुप्ता की उम्मीदवारी के सफल होने की उम्मीद तो पूरी है; और सफल होने पर रमेश अग्रवाल तथा अन्य लोगों से किए गए सौदों का 'भुगतान' भी हो जाएगा - लेकिन किसी कारण से चुनावी नतीजा मनमाफिक नहीं आया तो उसका खामियाजा रमेश अग्रवाल और अशोक जैन को भी भुगतना पड़ेगा । अमित गुप्ता इसीलिए अशोक जैन की उम्मीदवारी को मुकेश अरनेजा व सतीश सिंघल के समर्थन की बात से निराश महसूस करने के बावजूद उम्मीद की लौ भी जलाए हुए हैं; वह इस बात को भी जानते ही हैं कि रोटरी की चुनावी राजनीति में वायदों और आश्वासनों की उम्र ज्यादा लंबी नहीं होती है । देखना दिलचस्प होगा कि मुकेश अरनेजा और सतीश सिंघल से अमित गुप्ता को मिला आश्वासन सच्चा साबित होता है, या झाँसा - और यदि झाँसा साबित हुआ तो अमित गुप्ता की उम्मीदवारी का क्या होगा ?