Saturday, October 14, 2017

रोटरी इंटरनेशनल प्रेसीडेंट बनने की लाइन में लगने की तैयारी कर रहे पूर्व डायरेक्टर सुशील गुप्ता के पीछे हटने के कारण, इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए अधिकृत उम्मीदवार को चेलैंज करने की अशोक गुप्ता की तैयारी मँझधार में फँसी

जयपुर । इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए चुने गए अधिकृत उम्मीदवार भरत पांड्या को चेलैंज करने की तैयारी के तहत अशोक गुप्ता ने समर्थन जुटाने का जो प्रयास शुरू किया है, उसे कोई खास समर्थन न मिलता देख अशोक गुप्ता और उनके नजदीकियों को तगड़ा झटका लगा है । पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील गुप्ता के रवैये ने तो उन्हें सदमे जैसी हालत में पहुँचा दिया है । निवर्त्तमान इंटरनेशनल डायरेक्टर मनोज देसाई उनके चेलैंज में उन्हें दिलचस्पी लेते/दिखाते हुए तो लग रहे हैं, लेकिन कुछ करते और कोई नतीजा दिखाते हुए नजर नहीं आए हैं । अशोक गुप्ता ने विभिन्न डिस्ट्रिक्ट्स के कई पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स से समर्थन जुटाने हेतु बात की है, लेकिन अधिकतर पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स ने उनके चेलैंज को लेकर कोई खास उत्साह नहीं जताया/दिखाया । 17 सितंबर को नोमीनेटिंग कमेटी द्वारा फैसला करने की प्रक्रिया में बुरी तरह पराजित होने के बाद अशोक गुप्ता और उनके नजदीकियों ने पहला सप्ताह तो शोक मनाने में बिता दिया, उसके बाद फिर उन्होंने चेलैंज करने के बारे में सोचना शुरू किया । पिछले दो सप्ताहों में अशोक गुप्ता और उनके नजदीकियों ने विभिन्न डिस्ट्रिक्ट्स में समर्थन जुटाने के लिए कई बड़े/छोटे नेताओं के दरवाजे खटखटाए हैं, लेकिन इस कोशिश में उन्हें जो प्रतिक्रिया मिली है - उसने उन्हें हतोत्साहित ही किया है । अशोक गुप्ता के कुछेक नजदीकी और समर्थक तो कहने भी लगे हैं कि अशोक गुप्ता को चेलैंज/फैलेंज के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए, अन्यथा उनकी और ज्यादा फजीहत होगी ।
अशोक गुप्ता के लिए फजीहत की बात यह भी हुई है कि चेलैंज न करने के लिए रोटरी के बड़े नेता उन्हें मनाने का कोई प्रयास भी नहीं कर रहे हैं । उल्लेखनीय है कि भरत पांड्या की अधिकृत उम्मीदवारी को चेलैंज कर सकने को लेकर और जिन जिन उम्मीदवारों से खतरा था, उन सभी को 'मैनेज' कर लेने की बातें सुनी जा रही हैं । गुलाम वहनवती को रोटरी फाउंडेशन में ट्रस्टी बना दिया गया है; रंजन ढींगरा और दीपक कपूर को भी आकर्षक ऑफर के साथ-साथ 'अगली बार' का झुनझुना दिया/दिखाया जा रहा है - लेकिन अशोक गुप्ता को कोई 'मैनेज' करने का प्रयास ही नहीं कर रहा है । इससे लगता है कि रोटरी के बड़े नेता और पदाधिकारी भी चाहते हैं कि भरत पांड्या की अधिकृत उम्मीदवारी को अशोक गुप्ता चेलैंज करें : हालाँकि उनकी चाहना है अलग अलग कारणों से - कुछ नेता लोग तो इसलिए चाहते हैं, ताकि उन्हें अपनी राजनीति दिखाने/जताने का मौका मिले, और कुछ इसलिए चाहते हैं ताकि अशोक गुप्ता यह भी करके देख लें और बाहर निकलें तथा दूसरों के लिए मौका छोड़ें ।
अशोक गुप्ता और उनके नजदीकियों को पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील गुप्ता का रवैया काफी हैरान/परेशान करने वाला लगा है । उन्हें सबसे ज्यादा उम्मीद सुशील गुप्ता से ही थी; सुशील गुप्ता की तरफ से जब रंजन ढींगरा को चेलैंज न करने के लिए राजी कर लिया गया था, तब अशोक गुप्ता और उनके नजदीकियों की उम्मीद और बढ़ गई थी - लेकिन सुशील गुप्ता उनकी मदद करते हुए भी नहीं दिख रहे हैं । इसका एक प्रमुख कारण यह सुना/बताया जा रहा है कि सुशील गुप्ता चूँकि इंटरनेशनल प्रेसीडेंट पद के लिए लाइन में लगना चाहते हैं, इसलिए वह किसी भी तरह के विवाद में पड़ने/फँसने से बचना चाहते हैं - और इसलिए ही उन्होंने अशोक गुप्ता की चेलैंज करने की तैयारी से अपने आपको दूर किया/दिखाया हुआ है । अशोक गुप्ता के लिए मुसीबत की बात यह बनी है कि जिन सुशील गुप्ता पर वह सबसे ज्यादा भरोसा कर रहे थे, उन सुशील गुप्ता ने इस बार तो उन्हें बीच मँझधार में छोड़ ही दिया है - दो/तीन वर्ष में ही मिलने वाले अगली बार के मौके के लिए भी वह कोई झूठा-मूठा भरोसा तक उन्हें नहीं दे रहे हैं । सुना जा रहा है कि सुशील गुप्ता अगली बार के लिए अपने ही डिस्ट्रिक्ट के पूर्व गवर्नर विनोद बंसल को 'हवा' दे रहे हैं । उनके डिस्ट्रिक्ट के पूर्व गवर्नर्स के बीच चर्चा है कि विनोद बंसल आजकल सुशील गुप्ता की 'आँख का तारा' बने हुए हैं, जो अभी तक रंजन ढींगरा हुआ करते थे ।
सुशील गुप्ता के पीछे हटने से अशोक गुप्ता के चैलेंजिंग अभियान को जो धक्का लगा है, उससे उबरने का वह कोई तरीका नहीं खोज पा रहे हैं । निवर्त्तमान इंटरनेशनल डायरेक्टर मनोज देसाई की तरफ से उन्हें उत्साहित किए जाने की बातें तो सुनी जा रही हैं, लेकिन मनोज देसाई वास्तव में उनकी मदद करते हुए नहीं नजर आ रहे हैं । इसका एक बड़ा कारण यह माना/समझा जा रहा है कि इंटरनेशनल डायरेक्टर के रूप में मनोज देसाई ने विभिन्न डिस्ट्रिक्ट्स में लोगों को अलग अलग कारणों से नाराज किया हुआ है, और इसलिए वह किसी से ज्यादा कुछ कहने की स्थिति में नहीं हैं । अशोक गुप्ता ने हाल ही के दिनों में विभिन्न डिस्ट्रिक्ट्स के पूर्व गवर्नर्स से खुद भी बात की है, और अपने चेलैंज के लिए समर्थन जुटाने का प्रयास किया है - पर अपने प्रयासों के नतीजों से वह खुद ही बहुत आश्वस्त नहीं हैं । अशोक गुप्ता के नजदीकियों का कहना है कि उनके कई समर्थकों ने हालात की प्रतिकूलता का हवाला देते हुए उन्हें चेलैंज को लेकर आगे न बढ़ने का सुझाव भी दिया है, लेकिन चेलैंज को लेकर अशोक गुप्ता जितना आगे बढ़ चुके हैं - उससे पीछे हटना भी उनके लिए फजीहतभरा होगा । नोमीनेटिंग कमेटी की चुनावी प्रक्रिया में सबसे पहले चुनावी दौड़ से बाहर होने के कारण अशोक गुप्ता की एक बार किरकिरी हो चुकी है, चेलैंज को लेकर वह जिस मँझधार में फँसे नजर आ रहे हैं - उससे लग रहा है कि इंटरनेशनल डायरेक्टर बनने के लिए अपनाई गई उनकी कोई भी तरकीब उनके काम नहीं आ पा रही है, और इंटरनेशनल डायरेक्टर बनने का उनका सपना एक बुरा सपना साबित होने जा रहा है ।