शामली
। वर्ष 2018-19 के गवर्नर पद के लिए दीपक जैन की चुनावी जीत को जिस तरह से
हर कोई 'खरीदी' गई जीत के रूप में देख/बता रहा है, उससे दीपक जैन के
समर्थकों व शुभचिंतकों के लिए उनकी जीत बेरौनक-सी हो गई है - जिसका नतीजा
है कि दीपक जैन की जीत को लेकर डिस्ट्रिक्ट में कोई उत्साह नहीं बन सका है ।
दीपक जैन की जीत पर कुछ वही लोग खुश नजर आ रहे हैं, जो विगत में
डिस्ट्रिक्ट की बर्बादी के लिए जिम्मेदार रहे हैं - और जो अपनी हरकतों के
कारण रोटरी इंटरनेशनल से फटकार खाते रहे हैं । दीपक जैन की जीत पर
डिस्ट्रिक्ट में जैसा ठंडापन छाया है, उसे देख कर ऐसा लग रहा है जैसे कि
उन्हें वोट देने और दिलवाने वाले लोगों को ही डिस्ट्रिक्ट में मुँह छिपाना
पड़ रहा है । दीपक जैन को जो अप्रत्याशित जीत मिली है, वह आखिर इसीलिए तो
मिली है क्योंकि लोगों ने उन्हें समर्थन दिया/दिलवाया है - इतना जोरदार
समर्थन मिलने के बावजूद उनकी जीत पर डिस्ट्रिक्ट में यदि 'मातम' का सा
माहौल है, तो इसका मतलब यही लगाया/समझा जा रहा है कि उनकी जीत को 'मैनेज्ड'
जीत के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है; और उनकी इस जीत को संभव बनाने
के लिए जिन लोगों ने वोट दिए हैं, वह भी मान रहे हैं कि उन्होंने तो एक
'सौदे' के तहत वोट दिया है, इसलिए सौदे से निकले नतीजे पर खुश होने की भला
क्या बात है ?
डिस्ट्रिक्ट के कई प्रमुख लोगों को दरअसल यह आशंका
भी है कि अगला रोटरी वर्ष भी कहीं कोर्ट-कचहरी की भेंट न चढ़ जाए और तब
दीपक जैन की दशा भी कहीं दीपक बाबू और दिनेश शर्मा जैसी न हो जाए ? यह
आशंका डिस्ट्रिक्ट के उन बदनाम पूर्व गवर्नर्स के सक्रिय हो जाने से और बढ़ी
है, जो सच्ची/झूठी शिकायतों के जरिए दूसरों को बदनाम करने और 'गिराने' का
खेल खेलते रहे हैं - और दीपक जैन की जीत के चलते जिन्हें फिर से सिर उठाने
का मौका मिल गया है । डर यह है कि बदनाम पूर्व गवर्नर्स अब दीपक जैन से
उन्हें जितवाने की 'कीमत' बसूलने के जुगाड़ में लगेंगे और चाहेंगे कि दीपक
जैन उनकी ही मुट्ठी में रहें । दीपक जैन के लिए सभी को खुश कर सकना
असंभव ही होगा - ऐसे में, दीपक जैन जिसे खुश नहीं रख सके, वही फिर दीपक जैन
को 'दिन में तारे' दिखाने की मुहिम में जुट जायेगा । दीपक जैन अचानक से
उम्मीदवार बन कर चुनावी जीत को 'मैनेज' करने में तो सफल हो गए हैं, लेकिन
चूँकि डिस्ट्रिक्ट के बुरी तरह उलझे हुए ताने-बाने से उनका परिचय नहीं है -
और जीत के बाद उन्हें उससे परिचित होने के लिए पर्याप्त समय भी नहीं
मिलेगा, इसलिए मजबूरी में उन्हें उन्हीं बदनाम नेताओं की गिरफ्त में रहना
पड़ेगा, जिनकी 'मदद' से उन्होंने चुनावी जीत हासिल की है ।
डिस्ट्रिक्ट
में लोगों को हालात अभी जल्दी सुधरते हुए नहीं दिख रहे हैं । वास्तव में
इसीलिए डिस्ट्रिक्ट में तमाम आम और खास लोगों ने चुनावी प्रक्रिया में
दिलचस्पी ही नहीं ली । रोटरी के नियम-कानूनों को जानने वाले लोगों की निगाह
में तो, जो चुनाव हुआ है - वह वैध ही नहीं है । ऐसा मानने और दावा करने
वाले लोगों का कहना है कि वर्ष 2018-19 के गवर्नर पद के लिए हुए चुनाव की
वैधता को यदि किसी चुनौती दे दी, तो यह चुनाव ही निरस्त हो जायेगा ।
दरअसल, इसी सोच के चलते डिस्ट्रिक्ट के तमाम आम और खास लोगों ने अपने आप को
चुनावी झमेले से दूर ही रखा । वास्तव में, इस बात ने भी दीपक जैन को
चुनावी जीत को 'मैनेज' करने में मदद पहुँचाई । लेकिन इसी बात ने दीपक जैन
के गवर्नरी की कुर्सी तक पहुँचने और गवर्नरी कर लेने को संदेहास्पद बना
दिया है । दीपक जैन के सामने एक तरफ तो इस संदेह से निपटने की चुनौती
है, और दूसरी तरफ अपने समर्थक बदनाम नेताओं को साधे रखने की मुसीबत है ।
चुनावी जीत से साथ-साथ दीपक जैन को जो यह चुनौती और मुसीबत मिली है - उसी
के कारण उनकी चुनावी जीत का रंग फीका पड़ा है ।