Wednesday, November 1, 2017

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में ग्लोबल ग्रांट को ठिकाने लगाने के उद्देश्य से रमेश अग्रवाल के क्लब के 'पहले' प्रोजेक्ट के दूसरी बार हो रहे उद्घाटन में सुशील गुप्ता की मिलीभगत ने 'वॉश इन स्कूल' प्रोग्राम को ही संदेहास्पद बना दिया है

नई दिल्ली । रमेश अग्रवाल ने अपने क्लब के पहले वॉश इन स्कूल प्रोजेक्ट के तीन नबंवर को होने वाले उद्घाटन का जो निमंत्रण लोगों को दिया है, वह 'वॉश इन स्कूल' प्रोजेक्ट के नाम पर होने वाली धोखाधड़ी का बड़ा दिलचस्प और गंभीर उदाहरण बन गया है । इस उदाहरण में पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील गुप्ता की मिलीभगत ने मामले को और भी ज्यादा गंभीर बना दिया है । सुशील गुप्ता और रमेश अग्रवाल चूँकि 'रोटरी इंडिया वॉश इन स्कूल प्रोग्राम' के क्रमशः चेयरमैन और सेक्रेटरी हैं, इसलिए रमेश अग्रवाल के क्लब द्वारा की जा रही धोखाधड़ी ने पूरे प्रोग्राम को ही संदेहास्पद बना दिया है । उल्लेखनीय है कि रमेश अग्रवाल ने अपने क्लब - रोटरी क्लब दिल्ली अशोका के पहले वॉश इन स्कूल प्रोजेक्ट के उद्घाटन के नाम पर नोएडा के सेक्टर 93 स्थित गेझा गाँव के स्कूल में तीन नबंवर के जिस कार्यक्रम का निमंत्रण लोगों को दिया है, उस प्रोजेक्ट का उद्घाटन तो दो वर्ष पहले, 7 अगस्त 2015 को तत्कालीन इंटरनेशनल प्रेसीडेंट और तत्कालीन इंटरनेशनल डायरेक्टर मनोज देसाई कर चुके हैं । निवर्त्तमान इंटरनेशनल प्रेसीडेंट जोन जर्म जब प्रेसीडेंट इलेक्ट थे, तब रमेश अग्रवाल उन्हें भी इस स्कूल में किए गए अपने क्लब के 'पहले' प्रोजेक्ट का अवलोकन करा चुके हैं । मजे की बात यह है कि गेझा गाँव के स्कूल में रमेश अग्रवाल के क्लब के 'पहले' प्रोजेक्ट का अवलोकन करते जोन जर्म की तस्वीर रमेश अग्रवाल के संपादन में प्रकाशित हो रहे 'रोटरी इंडिया वॉश इन स्कूल प्रोग्राम' के बुलेटिन 'विंस टाइम्स' के मई 2016 के अंक में प्रकाशित भी हो चुकी है ।
दो वर्ष पहले उद्घाटित हो चुके अपने क्लब के 'पहले' वॉश इन स्कूल प्रोजेक्ट का दोबारा उद्घाटन करवाने की जरूरत रमेश अग्रवाल को आखिर क्यों पड़ी ? इस बारे में क्लब के पदाधिकारियों के बीच जो चर्चा है, वह और भी ज्यादा चौंकाने वाली है । क्लब के पदाधिकारियों का ही मानना और कहना है कि दोबारा उद्घाटन का यह नाटक रमेश अग्रवाल को ऑस्ट्रेलियाई डिस्ट्रिक्ट 9810 के क्लब - रोटरी क्लब बॉक्स हिल सेंट्रल के सहयोग से मिली ग्लोबल ग्रांट को ठिकाने लगाने के लिए करना पड़ रहा है । दरअसल ग्लोबल ग्रांट को जस्टिफाई करने के लिए प्रोजेक्ट को वर्ष 2016-17 में पूरा हुआ दिखाना था; लिहाजा रमेश अग्रवाल ने 7 अगस्त 2015 को उद्घाटित हुए प्रोजेक्ट में ही लीपापोती करके उसे और डेकोरेट कर उसे दोबारा उद्घाटन के लिए तैयार कर दिया । मजे की बात यह है कि क्लब के पदाधिकारियों को लेकिन इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि ग्लोबल ग्रांट के तहत इस प्रोजेक्ट के नाम पर कितना पैसा आया है, और वह कहाँ कैसे खर्च हुआ है ? उल्लेखनीय है कि मौजूदा इंटरनेशनल डायरेक्टर बासकर चॉकलिंगम ने निर्देश दिया हुआ है कि डिस्ट्रिक्ट्स में रोटरी के नाम पर चल रहे प्रोजेक्ट्स के हिसाब-किताब की जानकारी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर कार्यालय को दी जानी चाहिए, रमेश अग्रवाल ने लेकिन ग्लोबल ग्रांट के हिसाब-किताब की जानकारी अपने क्लब के पदाधिकारियों तक को नहीं दी है । क्लब के पदाधिकारी इस बात पर भी खफा हैं कि प्रोजेक्ट जब क्लब का है, तो उसके उद्घाटन कार्यक्रम का निमंत्रण उनकी तरफ से जाना चाहिए था, लेकिन रमेश अग्रवाल ने अपनी नेतागिरी चमकाने के लिए निमंत्रण अपने नाम से भेजा है ।
रमेश अग्रवाल द्वारा अपने क्लब के 'पहले' वॉश इन स्कूल प्रोजेक्ट के दूसरी बार करवाए जा रहे उद्घाटन के मामले में पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील गुप्ता की मिलीभगत ने मामले को और गंभीर बना दिया है । केआर रवींद्रन और मनोज देसाई द्वारा 7 अगस्त 2015 को किए गए उद्घाटन कार्यक्रम में तथा उसके बाद जोन जर्म द्वारा किए गए अवलोकन कार्यक्रम में सुशील गुप्ता भी शामिल तो हुए ही होंगे; न भी हुए हों, तो उन कार्यक्रमों की जानकारी तो उन्हें निश्चित ही होगी; 'विंस टाइम्स' में प्रकाशित तस्वीर भी उन्होंने देखी होगी - उसके बाद भी वह उसी प्रोजेक्ट को दोबारा उद्घाटित करने के लिए आखिर कैसे तैयार हो गए हैं ? गेझा गाँव के स्कूल में रमेश अग्रवाल के क्लब के 'पहले' प्रोजेक्ट का दूसरी बार उद्घाटन करने के लिए सुशील गुप्ता के साथ केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा भी आ रहे हैं । महेश शर्मा को तो रमेश अग्रवाल की इस धोखाधड़ी का पता नहीं होगा, सुशील गुप्ता से तो उम्मीद की जाती है कि उन्हें तो यह पता होना ही चाहिए कि वह जिस प्रोजेक्ट का उद्घाटन करने के लिए तैयार हो गए हैं, वह दो वर्ष पहले ही उद्घाटित हो चुका है । रोटरी इंडिया विंस प्रोग्राम घपलेबाजियों के आरोपों के घेरे में पहले से ही रहा है; उसके बावजूद लेकिन कोई सपने में भी नहीं सोच सकता था कि प्रोग्राम के सेक्रेटरी रमेश अग्रवाल अपने ही क्लब के प्रोजेक्ट में हेराफेरी के साथ-साथ धोखाधड़ी भी कर लेंगे, और प्रोग्राम के चेयरमैन सुशील गुप्ता आँखें बंद कर उनकी इस धोखाधड़ी में उनका साथ देंगे ।