Saturday, November 11, 2017

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की एक्जामिनेशन कमेटी के सदस्य के रूप में राजेश शर्मा की चार्टर्ड एकाउंटेंट्स परीक्षाओं को मजाक बना देने की हरकत ने इंस्टीट्यूट के प्रेसीडेंट नीलेश विकमसे और वाइस प्रेसीडेंट नवीन गुप्ता की कार्य व निर्णय क्षमता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं

नई दिल्ली । इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की सेंट्रल काउंसिल के सदस्य राजेश शर्मा द्वारा की गई एक हरकत के पकड़ में आने से अभी भी चल रही चार्टर्ड एकाउंटेंट्स परीक्षा की पूरी प्रक्रिया संदेह के घेरे में आ गई है, और यह साबित हो गया है कि परीक्षाओं को ईमानदारी से करवा सकने की इंस्टीट्यूट की व्यवस्था को 'बेईमान' बने रखवालों ने ही छिन्न-भिन्न कर दिया है । चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के बीच पिछले कुछ समय से चर्चा तो गर्म थी कि नबंवर/दिसंबर में हो रही परीक्षाओं में राजेश शर्मा ने कई परीक्षा केंद्रों पर अपने चहेतों को ऑब्जर्वर के रूप में नियुक्ति दिलवाई है, लेकिन इस चर्चा को सिर्फ एक आरोप के रूप में देखा जा रहा था । चूँकि प्रोफेशन के लोगों के बीच राजेश शर्मा की खासी बदनामी है, और प्रोफेशन के लोगों के बीच उन्हें एक 'दलाल' के रूप में देखा/पहचाना जाता है; पिछले ही दिनों दिल्ली स्थित इंस्टीट्यूट के मुख्यालय में उनकी उपस्थिति में 'राजेश शर्मा चोर है' जैसे नारे गूँजे थे - इसलिए उक्त चर्चा पर किसी को हैरानी नहीं हुई थी, लेकिन उक्त आरोप को पुष्ट करने के लिए किसी के पास चूँकि कोई ठोस सुबूत नहीं था, जिसके कारण उक्त आरोप सिर्फ चर्चा का हिस्सा ही बना रहा । लेकिन 'रचनात्मक संकल्प' को इस बात का जो ठोस सुबूत मिला है, वह चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की परीक्षा-व्यवस्था में बेईमानीभरी सेंध लगाने की राजेश शर्मा की हरकत को सामने लाता है । सुबूत के रूप में सामने आए राजेश शर्मा द्वारा कुछेक खास खास लोगों को किए गए वाट्स-ऐप संदेश से साबित है कि राजेश शर्मा ने चार्टर्ड एकाउंटेंट्स परीक्षा की व्यवस्था को जैसे हाई-जैक कर लिया है और पूरी व्यवस्था को वह अपने बेईमानीभरे तरीके से संचालित कर रहे हैं ।
राजेश शर्मा ने अपने व्यवहार से 'रखवाले ही चोर बने' मुहावरे को चरितार्थ किया है । दरअसल राजेश शर्मा चार्टर्ड एकाउंटेंट्स इंस्टीट्यूट की उस एक्जामिनेशन कमेटी के ही सदस्य हैं, जिस पर चार्टर्ड एकाउंटेंट्स परीक्षाओं को ईमानदारी से करवाने की जिम्मेदारी है । उल्लेखनीय है कि इंस्टीट्यूट में 39 कमेटियाँ हैं, जिनमें कुल चार कमेटियों को स्टैंडिंग कमेटी का दर्जा प्राप्त है - इन चार कमेटियों में एक एक्जामिनेशन कमेटी है । इस तथ्य से ही इस कमेटी की महत्ता समझ में आ जाती है । इंस्टीट्यूट के प्रेसीडेंट नीलेश विकमसे इस कमेटी के मुखिया हैं; तथा उनके और इंस्टीट्यूट के वाइस प्रेसीडेंट के अलावा पाँच अन्य सदस्य इस कमेटी में हैं । इस कमेटी की ही अनुशंसा पर नवंबर/दिसंबर में होने वाली परीक्षाओं के लिए ऑब्जर्वर्स के मनोनयन हेतु 10 अगस्त को इंस्टीट्यूट ने नियमों की घोषणा की थी । यह घोषणा होने के बाद से ही राजेश शर्मा अपने चहेतों से संपर्क करने में जुट गए और उन्हें उनकी पसंद का परीक्षा-केंद्र दिलवाने तक का ऑफर देने लगे । 'दलाल'रूपी यह ऑफर इसलिए और ज्यादा गंभीर है - क्योंकि यह इंस्टीट्यूट की एक्जामिनेशन कमेटी के ही एक सदस्य की तरफ से दिया गया । इस ऑफर से सिर्फ राजेश शर्मा का ही करेक्टर सामने नहीं आया है, बल्कि इंस्टीट्यूट की परीक्षा-व्यवस्था का असली रूप भी सामने आया है । राजेश शर्मा द्वारा भेजे गए वाट्स-ऐप संदेश का स्क्रीन-शॉट राजेश शर्मा की ही करतूत को सामने नहीं ला रहा है, बल्कि इस तथ्य को भी उजागर कर रहा है कि नीलेश विकमसे और नवीन गुप्ता की सरपरस्ती में 'आस्तीन के साँपों' ने कैसे अपनी ऊँची पहुँच बना ली है - और परीक्षा जैसे अत्यंत महत्त्व के काम को कैसे मजाक बना दिया है ।
मजे की और राजेश शर्मा की तरफ से बेशर्मी की बात यह हुई कि राजेश शर्मा की इस हरकत को लेकर लोगों के बीच जब चर्चा शुरू हुई, तब राजेश शर्मा ने यह कहते हुए मामले को दबाने का प्रयास किया कि एक्जामिनेशन कमेटी के बाकी सदस्यों ने भी तो अपने अपने नजदीकियों और चहेतों को उनकी पसंद के परीक्षा केंद्र दिलवाने के लिए काम किए हैं । यह कहते/बताते हुए उनका आशय दरअसल यह रहा कि इस मामले में अकेले उन्हीं को निशाना क्यों बनाया जा रहा है । राजेश शर्मा की यह बात यदि सच है, तो समझा जा सकता है कि हालात आखिर किस कदर बिगड़े हुए हैं ? एक्जामिनेशन कमेटी में मंगेश किनरे, सुशील गोयल, केमिशा सोनी और पीसी जैन भी हैं । राजेश शर्मा अपनी करतूत पर पर्दा डाल कर अपने आप को बचाने तथा मामले को रफा-दफा करने/करवाने के लिए जिस तरफ से एक्जामिनेशन कमेटी के बाकी सदस्यों को भी 'आरोपी' बनाने का प्रयास कर रहे हैं, उसने मामले को दिलचस्प मोड़ दे दिया है । चार्टर्ड एकाउंटेंट्स परीक्षाओं के साथ-साथ इंस्टीट्यूट की एक्जामिनेशन कमेटी को ही मजाक बना देने की राजेश शर्मा की हरकत ने इंस्टीट्यूट के प्रेसीडेंट और वाइस प्रेसीडेंट नवीन गुप्ता की कार्य व निर्णय क्षमता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं ।