Thursday, November 2, 2017

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3080 में उद्घाटित हुए ग्लोबल ग्राँट के विवरण में राजा साबू के क्लब के किस्से किसी तिलस्मी कहानी जैसा ही रोमांच देने के साथ-साथ किसी तिलस्मी कहानी के 'रोटरी के लुटेरे' जैसे किसी शीर्षक का फील दे रहे हैं

चंडीगढ़ । डिस्ट्रिक्ट जीएमएल के नए अंक में डिस्ट्रिक्ट में आने वाले ग्लोबल ग्रांट के पैसों का विवरण प्रकाशित होने से राजा साबू और उनके गिरोह के पूर्व गवर्नर्स जिस बुरी तरह से भड़के हुए हैं, उससे ही जाहिर हो रहा है कि राजा साबू और उनके गिरोह के पूर्व गवर्नर्स को क्यों डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में कठपुतलियाँ ही चाहिए होती हैं - और क्यों उन्होंने पिछले करीब ढाई वर्षों से टीके रूबी को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर न बनने देने के लिए तरह तरह की अड़ंगेबाजी के जरिए मोर्चा खोला हुआ था ? ग्लोबल ग्रांट के नाम पर डिस्ट्रिक्ट में कितनी रकम आ रही है, किसके पास आ रही है, और किस उद्देश्य के लिए आ रही है - इसे डिस्ट्रिक्ट के लोगों से छिपाकर रखना राजा साबू और उनके गिरोह के पूर्व गवर्नर्स के लिए जरूरी क्यों है; और इसके जाहिर होने पर वह इतने भड़के हुए क्यों हैं ? इस सवालों का जबाव डिस्ट्रिक्ट जीएमएल के नए अंक में ग्लोबल ग्रांट के विवरणों पर सरसरी सी नजर डाल कर ही मिल जाता है । यह विवरण तिलस्मी कहानियों के किस्सों से कम रोचक नहीं है । आखिर कौन यह जान कर रोमांचित नहीं होगा कि राजा साबू के क्लब ने यूगाँडा में ब्लड बैंक खोलने के लिए 4 लाख 94 हजार 804 डॉलर इकट्ठा किए, जिसकी आधी रकम ग्लोबल ग्राँट के रूप में है । डिस्ट्रिक्ट तो छोड़िये, राजा साबू के क्लब में अधिकतर लोगों को यह नहीं पता होगा कि यूगाँडा आखिर है कहाँ और वहाँ ब्लड बैंक खोलने की क्या/क्यों जरूरत है ? मानवीय आधार पर सोचें तो मान सकते हैं कि निश्चित ही जरूरत होगी, ब्लड बैंक की जरूरत आखिर कहाँ नहीं है ? पर सवाल यह है कि राजा साबू के क्लब के सदस्यों को आखिर कैसे पता चला कि यूगाँडा में ब्लड बैंक की जरूरत है ? क्लब के सदस्यों का कहना है कि इस तरह की बातें राजा साबू ही 'तय' करते हैं; राजा साबू ने कह दिया कि यूगाँडा में ब्लड बैंक बनवाना है, तो बस ग्लोबल ग्राँट के लिए आवेदन कर दिया गया और पैसे निकलवाने का काम अपनी पहुँच का इस्तेमाल करते हुए राजा साबू ने कर दिया ।
मजे की बात यह है कि राजा साबू के क्लब ने यूगाँडा में ब्लड बैंक बनवाने के लिए अपनी तरफ से कुल 10 हजार डॉलर ही दिए हैं । राजा साबू के क्लब का यह किस्सा लेकिन निवर्त्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रमन अनेजा की कारस्तानी के सामने कुछ भी नहीं - उन्होंने तो राजा साबू को भी पीछे छोड़ दिया है । ग्लोबल ग्राँट के विवरण बता रहे हैं कि रमन अनेजा ने तो अपने क्लब - रोटरी क्लब पानीपत मिडटाउन में यूगाँडा मेडीकल मिशन के नाम पर एक लाख 92 हजार डॉलर झटक लिए । पानीपत मिडटाउन के सदस्य बेचारे पूछ रहे हैं कि यूगाँडा है कहाँ ?  क्लब के सदस्यों को यूगाँडा मेडीकल मिशन के नाम पर इकट्ठा की गई रकम की भनक न मिल सके, इसके लिए रमन अनेजा ने इस मिशन के लिए क्लब से लेकिन इकन्नी भी नहीं ली । रमन अनेजा के इस मिशन के पीछे भी 'प्रेरणा' राजा साबू की ही बताई जा रही है । राजा साबू का यह 'यूगाँडा प्रेम' डिस्ट्रिक्ट में किसी को समझ नहीं आया, लेकिन रोटरी के बड़े नेता इस प्रेम की जो कहानी सुनाते हैं - वह राजा साबू के खेल को बेनकाब करती है । राजा साबू की यह प्रेम कहानी वास्तव में, वर्ष 2018-19 के लिए इंटरनेशनल प्रेसीडेंट चुने गए सेमुअल ओवोरि से तार जोड़ने की राजा साबू की कोशिश की कहानी है । यूगाँडा के प्रमुख रोटेरियन सेमुअल ओवोरि के इंटरनेशनल प्रेसीडेंट बनने की लाइन में लगते ही राजा साबू ने उनसे नजदीकी बनाने के प्रयास तेज कर दिए और इसके लिए उन्होंने यूगाँडा में सेवा कार्य 'करने' को जरिया बनाया । मेडीकल मिशन और ब्लड बैंक के नाम पर राजा साबू को सेमुअल ओवोरि से यूगाँडा में बार-बार मिलने का और बात करने का मौका मिलता - और इस तरह वह सेमुअल ओवोरि के निकट आते और उनके प्रेसीडेंट-काल में फायदा उठाते । लेकिन सेमुअल ओवोरि के साथ-साथ राजा साबू की भी बदकिस्मती यह रही कि सेमुअल ओवोरि की एक दुर्घटना में मृत्यु हो गई - और तब राजा साबू की बड़ी होशियारी से तैयार की गयी सारी योजना भी मिट्टी में दफ़्न हो गई ।
राजा साबू के लिए दोहरी मुसीबत की बात यह रही कि एक तरफ तो उनकी योजना पिट गई, और दूसरी तरफ ग्लोबल ग्राँट का विवरण सामने आने से डिस्ट्रिक्ट के लोगों के सामने उनकी योजना की पोल-पट्टी भी खुल गई । लोगों को तथ्यों के साथ पहली बार पता चला कि राजा साबू कैसे रोटरी के पैसे पर अपनी राजनीति करते हैं ? सेमुअल ओवोरि रोटरी के इंटरनेशनल प्रेसीडेंट बनने जा रहे थे, तो क्या उनकी ऐसी हैसियत नहीं थी कि वह यूगाँडा में एक ब्लड बैंक बनवा लेते ? रोटरी के अलावा, वह यूगाँडा की एक बड़ी हस्ती थे - वहाँ वह एक सेलीब्रिटी बैंकर थे, जो देश के नामी बैंकों में डायरेक्टर, एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर तथा मैनेजिंग डायरेक्टर जैसे प्रमुख पदों पर रह चुके थे । ऐसे में सहज ही समझा जा सकता है कि यूगाँडा में ब्लड बैंक या मेडीकल मिशन के नाम पर कुछ करने की जरूरत होती तो क्या सेमुअल ओवोरि को सचमुच राजा साबू और रमन अनेजा जैसे लोगों से कहना पड़ता । राजा साबू ने जो किया, वह तो सेमुअल ओवोरि के जबर्दस्ती गले पड़ने जैसी बात हुई । इसमें भी राजा साबू यदि अपने पैसे खर्च करते, तो भी चलो कोई बात होती - रोटरी के पैसों पर अपना राजनीतिक भविष्य सँवारने की राजा साबू की कोशिश की पोल खोलता ग्लोबल ग्राँट का विवरण किसी तिलस्मी कहानी से कम रोचक नहीं है, जिसका शीर्षक 'रोटरी के लुटेरे' जैसा कुछ हो सकता है ।
ग्लोबल ग्राँट की तिलस्मी कहानी में रोचक किस्से और भी हैं । एक किस्सा यह भी है कि राजा साबू के क्लब ने कोरिया में गार्डनिंग इकोनॉमिक एक्टिविटीज के नाम पर ग्राँट सहित एक लाख 66 हजार डॉलर इकट्ठा किए, जिसमें क्लब का सहयोग मात्र तीन हजार डॉलर का है । राजा साबू के क्लब के दूसरे पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर मधुकर मल्होत्रा ने एक लाख 88 हजार 500 डॉलर मंगोलिया मेडीकल मिशन के नाम पर ग्राँट सहित लिए, अपने क्लब से लेकिन इस मिशन में उन्होंने इकन्नी भी नहीं दी । मंगोलिया मेडीकल मिशन के लिए क्लब से इकन्नी भले ही न ली गई हो, लेकिन मंगोलिया के हवाई टिकिट क्लब की एक अन्य पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर कवल बेदी की कंपनी से खरीदे सुने गए हैं । मंगोलिया मेडीकल मिशन में मधुकर मल्होत्रा अपनी पत्नी और राजा साबू के साथ वॉलिंटियर के रूप में गए, जहाँ पर 'पिकनिक' मनाते हुए इनकी तस्वीरों को देख कर डिस्ट्रिक्ट के लोग पहले से ही भड़के हुए थे । जीएमएल में ग्राँट के विवरण देख कर लोगों को लग रहा है कि राजा साबू और उनके गिरोह के पूर्व गवर्नर्स ने रोटरी के नाम पर रोटरी के पैसों से अपने बिजनेस बढ़ाने, पिकनिक मनाने तथा अपना राजनीतिक भविष्य सँवारने को ही अपना प्रमुख उद्देश्य बना लिया है ।