नई
दिल्ली । वरिष्ठ रोटेरियन आभा झा चौधरी ही नहीं, बल्कि रोटरी के प्रति भी
बदतमीजी करने/दिखाने के आरोपों का संज्ञान लेते हुए रोटरी इंटरनेशनल के
पदाधिकारियों ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रवि चौधरी के खिलाफ जाँच कमेटी गठित
करने का फैसला किया है । इस तरह अपनी हरकतों के चलते रवि चौधरी
डिस्ट्रिक्ट के पहले और एशिया जोन के इस वर्ष के 42 डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स
में अकेले डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बने हैं - जो अपनी करतूतों के चलते रोटरी
इंटरनेशनल की जाँच के दायरे में आये हैं । किसी भी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के
लिए यह शर्म की बात होनी चाहिए, किंतु रवि चौधरी तो निराले व्यक्ति हैं -
शर्मसार होने की बजाये वह अभी भी मामले की नजाकत और रोटरी समाज में हो रही
अपनी बेइज्जती को गंभीरता से लेने की बजाये निरंतर बेहूदगी ही दिखाए/किए जा
रहे हैं । रोटरी इंटरनेशनल द्वारा जाँच बैठाये जाने के लिए एक तरफ तो
वह पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील गुप्ता को कोस रहे हैं, तथा दूसरी तरफ
वह दावा कर रहे हैं कि जाँच कमेटी के सामने वह अपने इतने समर्थक और गवाह
खड़े कर देंगे कि जाँच कमेटी उनके खिलाफ कुछ कर ही नहीं पाएगी ।
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद का दुरुपयोग करते और रौब दिखाते हुए रवि चौधरी की
समर्थक और गवाह तैयार करने की कोशिशों को देखते हुए आभा झा चौधरी
ने भी स्पष्ट कह दिया है कि जाँच कमेटी में उन्हें यदि न्याय होता हुआ नहीं
दिखा, तो फिर वह देश के कानूनों का सहारा लेंगी और जरूरत पड़ी तो पुलिस
में भी रिपोर्ट करेंगी । जाँच को प्रभावित करने की रवि चौधरी की कोशिशों तथा उस पर आभा झा चौधरी के आक्रामक तेवरों ने मामले को और जटिल बना दिया है ।
रवि चौधरी ने पहले तो बदतमीजी की, और अब निर्लज्ज तरीके से वह अपनी बदतमीजी को उचित ठहराने की जो कोशिश कर रहे हैं - उसने डिस्ट्रिक्ट के बड़े और प्रमुख पूर्व गवर्नर्स को डिस्ट्रिक्ट की साख व प्रतिष्ठा को लेकर चिंतित बना दिया है । उन्हें डर है कि 27 दिन बाद एक से तीन दिसंबर के बीच मलेशिया में जो एशिया जोन इंस्टीट्यूट होना है, और जिसमें रोटरी इंटरनेशनल के पदाधिकारियों के साथ-साथ एशिया जोन के डिस्ट्रिक्ट्स के पदाधिकारी और प्रमुख लोग उपस्थित होंगे - वहाँ रवि चौधरी की करतूत के कारण कहीं डिस्ट्रिक्ट को और डिस्ट्रिक्ट के लोगों को फजीहत का शिकार न होना पड़े । रवि चौधरी ने मामले को लेकर अकड़भरी बेशर्मी का जो रवैया अपनाया है, उसके चलते उनके समर्थक और नजदीकी पूर्व गवर्नर्स ने भी उनसे दूरी बना ली है । डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर दमनजीत सिंह और विनोद बंसल को रवि चौधरी के बड़े समर्थकों के रूप में देखा/पहचाना जाता रहा है, किंतु अपनी जली-कटी बातों और अकड़ भरे रवैये से रवि चौधरी इन्हें पहले ही अपने से दूर कर चुके हैं, और आभा झा चौधरी के साथ की गई उनकी बदतमीजी के मामले ने तो उन्हें रवि चौधरी से और बचने के लिए मजबूर कर दिया है । जाँच बैठाने के लिए रवि चौधरी ने सुशील गुप्ता को जिम्मेदार ठहराते हुए जिस तरह से कोसना शुरू किया है, उसके चलते रवि चौधरी और भी अकेले पड़ गए हैं । कई लोगों का मानना और कहना है कि रवि चौधरी होशियारी से कोशिश करते तो आभा झा चौधरी के साथ उनका विवाद सम्मानजनक तरीके से समाप्त हो सकता था, लेकिन अपनी अकड़भरी निर्लज्ज बेवकूफी के चलते उन्होंने अपने आप को बुरी तरह फँसा लिया है ।
रवि चौधरी को लगता है कि यह विश्वास रहा कि इससे पहले जब वह डिस्ट्रिक्ट में बड़े बड़े लोगों के साथ बदतमीजी करते रहे हैं, और उनका कुछ नहीं बिगड़ा - तो आभा झा चौधरी के साथ बदतमीजी करने के मामले में ही उनका कोई क्या बिगाड़ लेगा ? उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का पदभार सँभालते ही रवि चौधरी ने जिस तरह का व्यवहार दिखाया - उससे उन्होंने अपने आप को 'सीरिअल' बदतमीज होने की संज्ञा से ही सुशोभित करवाया । पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रमेश चंद्र, जो रवि चौधरी के क्लब के ही सदस्य हैं - रवि चौधरी के पहले शिकार बने । छोटे क्लब्स को 'कमजोर' क्लब बताते हुए उनके पदाधिकारियों को बेइज्जत करना तथा कार्यक्रमों में न पहुँचने पर असिस्टेंट गवर्नर्स को लताड़ लगाना तो रवि चौधरी के लिए मामूली बातें रहीं, उन्होंने तो पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दीपक तलवार के क्लब, रोटरी क्लब दिल्ली चाणक्यपुरी के अधिष्ठापन समारोह तक में अपनी बदतमीजी का जलवा दिखाया । इसके आलावा, राजेश बत्रा के क्लब, रोटरी क्लब दिल्ली साऊथ सेंट्रल द्वारा सुल्तानपुरी स्कूल में आयोजित हो रहे विन्स कार्यक्रम में तो रवि चौधरी की ऐसी हरकतें रहीं कि क्लब के वरिष्ठ सदस्यों को गुस्से में 'गेट आउट' जैसा शब्द इस्तेमाल करते हुए उन्हें मौके से चले जाने के लिए कहना पड़ा; ब्लड बैंक की मीटिंग में दिल्ली में रोटरी के प्रतिष्ठित ब्लड बैंक की जिम्मेदारी सँभाल रहे पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विनोद बंसल पर उन्होंने 'दुकान चलाने' का आरोप लगा दिया; कैंसर फाउंडेशन की मीटिंग को लेकर रवि चौधरी का जो रवैया रहा, उसे देख कर फाउंडेशन के पदाधिकारियों को कहना पड़ा कि इससे पहले उन्हें किसी गवर्नर से इतना अपमानित नहीं होना पड़ा; डिस्ट्रिक्ट विन्स सेमीनार को इंडिया विन्स के चेयरमैन सुशील गुप्ता का संबोधन करवाए बिना समाप्त करके रवि चौधरी ने सुशील गुप्ता को अपमानित किया । इन 'सीरिअल' हरकतों के बावजूद, रवि चौधरी की बदतमीजी पर चूँकि कोई संज्ञान नहीं लिया जा रहा था, इसलिए उनके हौंसले बुलंद थे - और बुलंद हौंसलों की धमक में ही उन्होंने आभा झा चौधरी के साथ बदतमीजी करने में कोई संकोच नहीं किया । लोगों को हैरानी इस बात की है कि पहले के मामलों में बचते रहे, रवि चौधरी अपनी नई करतूत को लेकर लेकिन जिस तरह फँसे हैं और फँसते जा रहे हैं - उसकी गंभीरता को वह नहीं समझ रहे हैं, और लगातार छिछोरपन से ही मामले को हैंडल कर रहे हैं ।
डिस्ट्रिक्ट के लोगों का ही कहना है कि रवि चौधरी इस बात को नहीं समझ रहे हैं कि इस मामले को उन्हें एक व्यक्ति के रूप में नहीं, बल्कि रोटरी के एक डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में देखना और हैंडल करना चाहिए । वह इस बात को शायद समझ ही नहीं रहे हैं कि इस मामले में लगातार उनके द्वारा अपनाये जा रहे रवैये से डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में उनकी खुद की पहचान और साख के साथ-साथ डिस्ट्रिक्ट व रोटरी की पहचान व साख भी दाँव पर लग गई है । जाँच बैठाने के लिए सुशील गुप्ता जैसे वरिष्ठ पदाधिकारी को कोसने के साथ-साथ जाँच को प्रभावित करने के लिए रवि चौधरी जिस तरह से अपने गवाह और समर्थक तैयार कर रहे हैं, उस पर आभा झा चौधरी की तरफ से मिली प्रतिक्रिया से मामले के और भड़कने के संकेत दिख रहे हैं । लग रहा है कि आभा झा चौधरी के साथ बदतमीजी करना रवि चौधरी को भारी पड़ रहा है ।
रवि चौधरी ने पहले तो बदतमीजी की, और अब निर्लज्ज तरीके से वह अपनी बदतमीजी को उचित ठहराने की जो कोशिश कर रहे हैं - उसने डिस्ट्रिक्ट के बड़े और प्रमुख पूर्व गवर्नर्स को डिस्ट्रिक्ट की साख व प्रतिष्ठा को लेकर चिंतित बना दिया है । उन्हें डर है कि 27 दिन बाद एक से तीन दिसंबर के बीच मलेशिया में जो एशिया जोन इंस्टीट्यूट होना है, और जिसमें रोटरी इंटरनेशनल के पदाधिकारियों के साथ-साथ एशिया जोन के डिस्ट्रिक्ट्स के पदाधिकारी और प्रमुख लोग उपस्थित होंगे - वहाँ रवि चौधरी की करतूत के कारण कहीं डिस्ट्रिक्ट को और डिस्ट्रिक्ट के लोगों को फजीहत का शिकार न होना पड़े । रवि चौधरी ने मामले को लेकर अकड़भरी बेशर्मी का जो रवैया अपनाया है, उसके चलते उनके समर्थक और नजदीकी पूर्व गवर्नर्स ने भी उनसे दूरी बना ली है । डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर दमनजीत सिंह और विनोद बंसल को रवि चौधरी के बड़े समर्थकों के रूप में देखा/पहचाना जाता रहा है, किंतु अपनी जली-कटी बातों और अकड़ भरे रवैये से रवि चौधरी इन्हें पहले ही अपने से दूर कर चुके हैं, और आभा झा चौधरी के साथ की गई उनकी बदतमीजी के मामले ने तो उन्हें रवि चौधरी से और बचने के लिए मजबूर कर दिया है । जाँच बैठाने के लिए रवि चौधरी ने सुशील गुप्ता को जिम्मेदार ठहराते हुए जिस तरह से कोसना शुरू किया है, उसके चलते रवि चौधरी और भी अकेले पड़ गए हैं । कई लोगों का मानना और कहना है कि रवि चौधरी होशियारी से कोशिश करते तो आभा झा चौधरी के साथ उनका विवाद सम्मानजनक तरीके से समाप्त हो सकता था, लेकिन अपनी अकड़भरी निर्लज्ज बेवकूफी के चलते उन्होंने अपने आप को बुरी तरह फँसा लिया है ।
रवि चौधरी को लगता है कि यह विश्वास रहा कि इससे पहले जब वह डिस्ट्रिक्ट में बड़े बड़े लोगों के साथ बदतमीजी करते रहे हैं, और उनका कुछ नहीं बिगड़ा - तो आभा झा चौधरी के साथ बदतमीजी करने के मामले में ही उनका कोई क्या बिगाड़ लेगा ? उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का पदभार सँभालते ही रवि चौधरी ने जिस तरह का व्यवहार दिखाया - उससे उन्होंने अपने आप को 'सीरिअल' बदतमीज होने की संज्ञा से ही सुशोभित करवाया । पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रमेश चंद्र, जो रवि चौधरी के क्लब के ही सदस्य हैं - रवि चौधरी के पहले शिकार बने । छोटे क्लब्स को 'कमजोर' क्लब बताते हुए उनके पदाधिकारियों को बेइज्जत करना तथा कार्यक्रमों में न पहुँचने पर असिस्टेंट गवर्नर्स को लताड़ लगाना तो रवि चौधरी के लिए मामूली बातें रहीं, उन्होंने तो पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दीपक तलवार के क्लब, रोटरी क्लब दिल्ली चाणक्यपुरी के अधिष्ठापन समारोह तक में अपनी बदतमीजी का जलवा दिखाया । इसके आलावा, राजेश बत्रा के क्लब, रोटरी क्लब दिल्ली साऊथ सेंट्रल द्वारा सुल्तानपुरी स्कूल में आयोजित हो रहे विन्स कार्यक्रम में तो रवि चौधरी की ऐसी हरकतें रहीं कि क्लब के वरिष्ठ सदस्यों को गुस्से में 'गेट आउट' जैसा शब्द इस्तेमाल करते हुए उन्हें मौके से चले जाने के लिए कहना पड़ा; ब्लड बैंक की मीटिंग में दिल्ली में रोटरी के प्रतिष्ठित ब्लड बैंक की जिम्मेदारी सँभाल रहे पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विनोद बंसल पर उन्होंने 'दुकान चलाने' का आरोप लगा दिया; कैंसर फाउंडेशन की मीटिंग को लेकर रवि चौधरी का जो रवैया रहा, उसे देख कर फाउंडेशन के पदाधिकारियों को कहना पड़ा कि इससे पहले उन्हें किसी गवर्नर से इतना अपमानित नहीं होना पड़ा; डिस्ट्रिक्ट विन्स सेमीनार को इंडिया विन्स के चेयरमैन सुशील गुप्ता का संबोधन करवाए बिना समाप्त करके रवि चौधरी ने सुशील गुप्ता को अपमानित किया । इन 'सीरिअल' हरकतों के बावजूद, रवि चौधरी की बदतमीजी पर चूँकि कोई संज्ञान नहीं लिया जा रहा था, इसलिए उनके हौंसले बुलंद थे - और बुलंद हौंसलों की धमक में ही उन्होंने आभा झा चौधरी के साथ बदतमीजी करने में कोई संकोच नहीं किया । लोगों को हैरानी इस बात की है कि पहले के मामलों में बचते रहे, रवि चौधरी अपनी नई करतूत को लेकर लेकिन जिस तरह फँसे हैं और फँसते जा रहे हैं - उसकी गंभीरता को वह नहीं समझ रहे हैं, और लगातार छिछोरपन से ही मामले को हैंडल कर रहे हैं ।
डिस्ट्रिक्ट के लोगों का ही कहना है कि रवि चौधरी इस बात को नहीं समझ रहे हैं कि इस मामले को उन्हें एक व्यक्ति के रूप में नहीं, बल्कि रोटरी के एक डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में देखना और हैंडल करना चाहिए । वह इस बात को शायद समझ ही नहीं रहे हैं कि इस मामले में लगातार उनके द्वारा अपनाये जा रहे रवैये से डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में उनकी खुद की पहचान और साख के साथ-साथ डिस्ट्रिक्ट व रोटरी की पहचान व साख भी दाँव पर लग गई है । जाँच बैठाने के लिए सुशील गुप्ता जैसे वरिष्ठ पदाधिकारी को कोसने के साथ-साथ जाँच को प्रभावित करने के लिए रवि चौधरी जिस तरह से अपने गवाह और समर्थक तैयार कर रहे हैं, उस पर आभा झा चौधरी की तरफ से मिली प्रतिक्रिया से मामले के और भड़कने के संकेत दिख रहे हैं । लग रहा है कि आभा झा चौधरी के साथ बदतमीजी करना रवि चौधरी को भारी पड़ रहा है ।