Thursday, November 16, 2017

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट 321 में इंटरनेशनल बोर्ड सदस्यों के साथ डिनर में शामिल होने के खर्च के हिसाब-किताब में घपलेबाजी के आरोपों के बीच विनय गर्ग द्वारा सुशील अग्रवाल के लिए बनाई गई फजीहत की स्थिति मल्टीपल की राजनीति में क्या सचमुच एक बड़ी 'घटना' है ?

नई दिल्ली । लायंस इंटरनेशनल के बोर्ड सदस्यों के साथ डिनर में शामिल होने वाले लोगों से पैसे लेने या न लेने के मामले में असमंजस के चलते कोऑर्डीनेटर की भूमिका निभा रहे पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील अग्रवाल को भारी फजीहत का सामना करना पड़ा - और उनकी इस फजीहत का ठीकरा मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन विनय गर्ग के सिर फोड़े जाने के चलते मामला और गर्मा गया है । मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट 321 में इस वर्ष एक अजब-गजब तमाशा यह चल रहा है कि मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन के पद पर तो विनय गर्ग हैं, लेकिन मल्टीपल की कमान तेजपाल खिल्लन और सुशील अग्रवाल के हाथों में ही देखी/पहचानी जाती है - जिस कारण कई बार ऐसे फैसले हो जाते हैं, जो विनय गर्ग की किरकिरी का कारण बनते हैं । लेकिन इंटरनेशनल बोर्ड सदस्यों के साथ डिनर कराने का मौका देने के लिए पैसे लेने या न लेने के मामले में विनय गर्ग ने अपने चेयरमैन होने की दबंगई दिखाई, तो बेचारे सुशील अग्रवाल को भारी फजीहत का सामना करना पड़ा । मल्टीपल काउंसिल के ही कुछेक पदाधिकारियों ने, जो डिनर का मुफ्त निमंत्रण पाने की कोशिशों के असफल हो जाने के कारण विनय गर्ग से खफा हुए हैं, सुशील अग्रवाल को विनय गर्ग के खिलाफ भड़काने का काम किया - लेकिन सुशील अग्रवाल भी चूँकि मौके की नजाकत समझ रहे हैं, इसलिए उन्होंने फिलहाल भड़काने वाली बातों को दरकिनार कर फजीहत का घूँट चुपचाप गटक जाने में ही अपनी भलाई देखी/पहचानी है ।
इंटरनेशनल बोर्ड सदस्यों के साथ डिनर में मल्टीपल के पदाधिकारियों और लोगों को शामिल करने को लेकर चूँकि कोई स्पष्ट नीति नहीं थी, इसलिए भी इस मामले में मनमानियाँ चलीं - और पैसों के घपले तक के आरोप चर्चा में हैं । उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले इंटरनेशनल डायरेक्टर विजय राजू की तरफ से डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स तथा अन्य पदाधिकारियों को संदेश मिला था कि जो डिस्ट्रिक्ट गवर्नर अपने डिस्ट्रिक्ट में पाँच सौ या उससे अधिक नए सदस्य जोड़ चुका होगा, उसे इंटरनेशनल बोर्ड सदस्यों के साथ डिनर में शामिल होने का मौका मुफ्त में मिलेगा । मजे की बात यह रही कि उनके इस ऑफर को किसी ने भी गंभीरता से नहीं लिया । डिनर के एक दिन पहले तक यही स्पष्ट नहीं था कि किस से पैसे लेने हैं और किस से नहीं लेने हैं । इसी असमंजसता के चलते दिल्ली में आयोजित हुई बोर्ड मीटिंग की तैयारी करने/करवाने में दिन/रात एक करने वाले डिस्ट्रिक्ट 321 ए थ्री के पूर्व गवर्नर दीपक तलवार से पैसे देने को कह दिया गया । तैयारी में हाथ बँटाने वाले डिस्टिक्ट 321 ए थ्री के ही एक अन्य पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर राकेश त्रेहन से भी जब पैसे देने के लिए कहा गया तो वह बुरी तरह नाराज हो गए, और उन्होंने यह कहते हुए बबाल काटा कि यहाँ काम भी करो, और रोटी खाने के लिए पैसे भी दो - तब उनके पैसे माफ कर दिए गए । उनके डिनर के पैसे माफ करने का फैसला हुआ, तब फिर दीपक तलवार से भी पैसे नहीं लेने का फैसला हुआ । इस तरह राकेश त्रेहन के बबाल से दीपक तलवार को भी फायदा हो गया । यह हालाँकि किसी की भी समझ में नहीं आया कि इनके डिनर का पैसा माफ करने का फैसला किस स्तर की अथॉरिटी ने किया और इनका पैसा आखिर किस 'अकाउंट' में एडजस्ट हुआ ?
इससे भी बड़ा तमाशा डिस्ट्रिक्ट्स के तीनों/तीनों पदाधिकारी गवर्नर्स के मामले में हुआ । कार्यक्रम के कोऑर्डीनेटर के रूप में सुशील अग्रवाल ने कार्यक्रम से दो दिन पहले मेल लिख कर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स को बाकायदा सूचना दी कि जो भी गवर्नर डिनर में शामिल होना चाहता है, वह साढ़े नौ हजार रुपये देकर अपना रजिस्ट्रेशन करवा ले । जिस किसी ने सुशील अग्रवाल से यह कंफर्म करने की कोशिश भी की कि क्या डिस्ट्रिक्ट गवर्नर को भी पैसे देने होंगे, तो उसे यही सुनने को मिला कि हाँ, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर को भी पैसे देने होंगे । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स ने लेकिन जब विनय गर्ग से इस बारे में बात की, तो विनय गर्ग का कहना रहा कि अरे आप सुशील अग्रवाल की बात छोड़ो, उनके चक्कर में न पड़ो - मैं आपको पास देता/दिलवाता हूँ । विनय गर्ग की पहल पर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर तथा फर्स्ट व सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स को उनके जीवन साथी के साथ डिनर शामिल होने का मौका मुफ्त में मिला । ऐसे में, लोगों के बीच सवाल उठा कि विनय गर्ग की पहल से यदि डिस्ट्रिक्ट के पदाधिकारियों को इंटरनेशनल बोर्ड सदस्यों के साथ डिनर में शामिल होने का मौका मुफ्त में मिल सकता था, तो फिर सुशील अग्रवाल डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स से प्रति व्यक्ति साढ़े नौ हजार रुपये देने/जमा कराने के लिए दबाव क्यों बना रहे थे ? गौर करने वाला तथ्य यह है कि इंटरनेशनल बोर्ड सदस्यों के 13 नवंबर के डिनर को लायंस कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इंडिया एसोसिएशन (एलसीसीआईए) द्वारा स्पॉन्सर करने का तो जिक्र मिलता है, लेकिन इस बात का कहीं कोई जिक्र नहीं है कि बाकी लोगों के डिनर का खर्च कौन उठायेगा । यह अनुमान की बात रही कि साढ़े नौ हजार रुपये का रजिस्ट्रेशन इसीलिए रखा गया है कि डिनर में शामिल होने वाले लोग अपना खर्चा स्वयं करेंगे । यहाँ तक कोई समस्या नहीं हुई । समस्या तब शुरू हुई जब अलग अलग कारणों से तथा अलग अलग परिस्थितियों के चलते कई लोगों को इंटरनेशन बोर्ड सदस्यों के साथ मुफ्त में डिनर करने का मौका मिला । सवाल यह उठा कि इनका खर्चा कहाँ से मिला, और जिन लोगों से पैसे लिए गए - वह किस अकाउंट में गए ?
यह सामान्य से सवाल इसलिए बबाल बनते नजर आ रहे हैं, क्योंकि इनका जबाव किसी से नहीं मिल पा रहा है । पैसे भी अलग अलग पदाधिकारियों ने लिए - किसी ने केएम गोयल को पैसे दिए, किसी ने सुशील अग्रवाल को तथा किसी ने विनय गर्ग को पैसे देकर डिनर का टिकट लिया । एक डिनर की कीमत साढ़े नौ हजार रुपये रखे जाने को लेकर भी कई लोगों की आपत्ति रही और उन्होंने इसे काफी महँगा आँका/बताया । इससे भी हिसाब/किताब में घपलेबाजी होने के आरोप लगे हैं । हिसाब-किताब में घपलेबाजी के आरोपों के बीच मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन होने का रुतबा दिखा/जता कर विनय गर्ग ने पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील अग्रवाल के लिए जो फजीहत वाली स्थिति बनाई है - उसे मल्टीपल की राजनीति में एक बड़ी 'घटना' के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है ।