Tuesday, November 7, 2017

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3080 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की उम्मीदवारी को लेकर कपिल गुप्ता असमंजस में हैं, या टीके रूबी और जितेंद्र ढींगरा की जोड़ी के ऑल्टरनेटिव उम्मीदवार बन कर अगले वर्ष की दावेदारी को सुरक्षित करने की कोशिश कर रहे हैं ?

पानीपत । डिस्ट्रिक्ट फाउंडेशन सेमीनार में इकट्ठा हुए डिस्ट्रिक्ट के रोटेरियंस के बीच अपनी उम्मीदवारी की छाप छोड़ने और प्रभाव बनाने के मामले में असफल रहने के कारण कपिल गुप्ता की उम्मीदवारी का दावा कमजोर पड़ गया है । कपिल गुप्ता एक उम्मीदवार के रूप में अपनी धमक और अपना प्रभाव दिखाने में तो असफल रहे ही, उनके संभावित समर्थक नेताओं ने भी मौके का फायदा उठाने का कोई प्रयास तक नहीं किया - जिसके चलते लोगों के बीच चर्चा चली कि कपिल गुप्ता के पास अपनी उम्मीदवारी को सफल बनाने के लिए कोई योजना अभी तक भी है ही नहीं । इसका पूरा पूरा फायदा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के एक अन्य संभावित उम्मीदवार रमेश बजाज को मिला । मजे की बात यह रही कि मौके का फायदा उठाने/लेने के लिए रमेश बजाज की तरफ से भी लोगों को कोई प्रयास होते हुए नहीं नजर आए - उन्हें जो फायदा मिला, वह वास्तव में सत्ता के नजदीकी होने तथा संभावित प्रतिद्धंद्धी उम्मीदवार कपिल गुप्ता की कमजोरी के कारण मिला । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के प्रबल दावेदारों के रूप में देखे/पहचाने जा रहे कपिल गुप्ता और रमेश बजाज के ढीले/ढाले रवैये ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनावी परिदृश्य के साथ-साथ डिस्ट्रिक्ट की राजनीति को भी असमंजस में डाला हुआ है । मजे की और विडंबना की बात यह है कि डिस्ट्रिक्ट की राजनीति का पारा तो पूरी तरह से चढ़ा हुआ है, जिसके चलते डिस्ट्रिक्ट के नेताओं के बीच आग खासी भड़की हुई है - पर इस भड़की हुई आग में कुछ 'पकता' या 'जलता' हुआ नहीं दिख रहा है ।
डिस्ट्रिक्ट में टीके रूबी और जितेंद्र ढींगरा की जोड़ी ने राजा साबू और उनके गिरोह के पूर्व गवर्नर्स की जैसी 'बैंड बजाई' हुई है, और प्रतिक्रिया में राजा साबू और उनके गिरोह के पूर्व गवर्नर्स के बीच जिस तरह की बेचैनीभरी हलचल है - उसके कारण उम्मीद की जा रही थी कि राजा साबू और उनके गिरोह के पूर्व गवर्नर्स इस वर्ष के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में 'अपने' उम्मीदवार को जितवाने के लिए पूरी ताकत से सक्रिय होंगे । डिस्ट्रिक्ट में नेतागिरी करने तथा हावी होने का रास्ता 'अपने आदमी' को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर की कुर्सी पर बैठाने के प्रयासों के बीच से ही होकर गुजरता है । डिस्ट्रिक्ट की राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले हर किसी व्यक्ति का मानना और कहना है कि इस वर्ष यदि टीके रूबी और जितेंद्र ढींगरा की जोड़ी का उम्मीदवार जीत गया तो डिस्ट्रिक्ट में राजा साबू और उनके गिरोह के सदस्यों का धंधा-पानी तो बंद ही हुआ समझो; इसीलिए हर किसी को लगता है कि राजा साबू और उनके गिरोह के पूर्व गवर्नर्स इस वर्ष के चुनाव को बहुत ही गंभीरता से लेंगे और 'अपने' उम्मीदवार को चुनाव जितवाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे । कपिल गुप्ता को उनके उम्मीदवार के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है । सुधीर चौधरी और पूनम सिंह भी हालाँकि राजा साबू गिरोह का समर्थन पाने की कोशिशें करते सुने तो जा रहे हैं, लेकिन लोगों के बीच की चर्चाओं के अनुसार - इनके मुकाबले कपिल गुप्ता का ही पलड़ा भारी दिख रहा है । राजा साबू गिरोह के कुछेक नेता भी इन पँक्तियों के लेखक को पिछले कुछ समय से लगातार बताते रहे हैं कि टीके रूबी और जितेंद्र ढींगरा की जोड़ी से मुकाबला जीतने के लिए कपिल गुप्ता ही उनके उपयुक्त उम्मीदवार हो सकते हैं ।
राजा साबू गिरोह के नेताओं को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव के संदर्भ में हालात अपने अनुकूल भी 'दिख' रहे हैं; इस बारे में उनकी तरफ से जो कुछ कहा/बताया जा रहा है, उसमें तीन प्रमुख कारण गौर करने वाले हैं : एक तो यह कि उन्होंने रोटरी इंटरनेशनल में शिकायत कर कर के टीके रूबी और जितेंद्र ढींगरा पर इतना दबाव तो बना ही दिया है कि यह चुनाव में कोई पक्षपाती भूमिका खुल कर नहीं निभा सकेंगे; दूसरी बात यह कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट के रूप में प्रवीन चंद्र गोयल का समर्थन उन्हें मिलेगा; तीसरी तथा सबसे महत्त्व की बात यह कि सत्ता का पूरा समर्थन होने के बावजूद रमेश बजाज अपनी उम्मीदवारी को लेकर अभी तक भी कोई स्ट्रॉंग फीलिंग लोगों के बीच नहीं स्थापित कर सके हैं, और वह पूरी तरह से टीके रूबी और जितेंद्र ढींगरा पर ही निर्भर नजर आ रहे हैं, और इस तरह तेवर और बॉडी लैंग्वेज के मामले में वह 'कमजोर' ही दिख रहे हैं । इन परिस्थितियों की चर्चाओं के चलते उम्मीद की जा रही थी कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की चुनावी प्रक्रिया शुरू होने के बाद डिस्ट्रिक्ट के पहले बड़े कार्यक्रम के रूप में पानीपत में होने वाले फाउंडेशन सेमीनार में कपिल गुप्ता और उनके संभावित समर्थक के रूप में राजा साबू गिरोह के पूर्व गवर्नर्स अपनी 'राजनीति' का जोरदार प्रदर्शन करेंगे । लेकिन यह उम्मीद रखने वाले लोगों को यह देख कर गहरी निराशा हुई कि मौके का फायदा उठाने का प्रयास न कपिल गुप्ता की तरफ से हुआ, और न उनके संभावित समर्थक पूर्व गवर्नर्स की तरफ से हुआ । उनके रवैये को देख कर लगा ही नहीं कि वह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव को लेकर जरा भी गंभीर हैं । हालाँकि किया तो रमेश बजाज ने भी कुछ नहीं; उन्होंने भी सिर्फ उतना ही किया जितना करने का मौका उन्हें 'सत्ता' की तरफ से मिला - लेकिन उनका कुछ न करना तब मायने रखता, जब कपिल गुप्ता कुछ करते; रमेश बजाज को तो सत्ता का समर्थन है, इसलिए उन्हें ज्यादा कुछ करने की जरूरत भी तभी पड़ेगी, जब दूसरे उम्मीदवार कुछ करेंगे ।
फाउंडेशन सेमीनार में अपनी उम्मीदवारी के अभियान को लेकर अपनाए गए कपिल गुप्ता के ढीले/ढाले रवैये पर राजा साबू गिरोह के पूर्व गवर्नर्स ने कपिल गुप्ता को ही जिम्मेदार ठहराया है । उनका कहना है कि कपिल गुप्ता ही अपनी उम्मीदवारी को लेकर जब गंभीर नहीं हैं, तब वही क्या कर सकते हैं । कपिल गुप्ता के रवैये को देख कर राजा साबू गिरोह के पूर्व गवर्नर्स को तो यह भी शक होने लगा है कि कपिल गुप्ता कहीं टीके रूबी और जितेंद्र ढींगरा की जोड़ी के ऑल्टरनेटिव उम्मीदवार तो नहीं हैं, और इस वर्ष की उम्मीदवारी के जरिये कहीं वह अगले वर्ष की दावेदारी को सुरक्षित करने की कोशिश तो नहीं कर रहे हैं ? दरअसल डिस्ट्रिक्ट में राजा साबू और उनके गिरोह के पूर्व गवर्नर्स ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर टीके रूबी के खिलाफ जिस तरह का मोर्चा खोला हुआ है, उससे आभास मिल रहा है कि इस वर्ष डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद का चुनाव खासा महत्त्वपूर्ण होगा; ऐसे में टीके रूबी और जितेंद्र ढींगरा को शायद डर होगा कि चुनावी घमासान का दबाव रमेश बजाज यदि नहीं झेल सके और बीच में ही मैदान छोड़ते या पिछड़ते हुए दिखे - तो वह कपिल गुप्ता को आगे कर देंगे । और यदि ऐसी नौबत नहीं आई और रमेश बजाज आराम से डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी चुन लिए गए, तो कपिल गुप्ता अगले वर्ष इनके उम्मीदवार हो जायेंगे । डिस्ट्रिक्ट में अधिकतर लोग हालाँकि यही मान/समझ रहे हैं कि इस वर्ष का चुनाव रमेश बजाज और कपिल गुप्ता के बीच ही होना है, किंतु कपिल गुप्ता जिस तरह से परिस्थितिजन्य तमाम अनुकूलताओं का फायदा उठाने का भी प्रयास नहीं कर रहे हैं, उससे कुछ लोगों को - और इन कुछ लोगों में राजा साबू गिरोह के पूर्व गवर्नर्स भी शामिल हैं - संदेह हो रहा है कि कपिल गुप्ता कहीं टीके रूबी और जितेंद्र ढींगरा से मिले हुए ही तो नहीं हैं । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के एक मजबूत समझे जाने वाले उम्मीदवार के रूप में कपिल गुप्ता को लेकर बन रहे इस संदेह ने इस वर्ष के चुनावी परिदृश्य को खासा दिलचस्प बना दिया है ।