Tuesday, November 21, 2017

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3080 में टीके रूबी के साथ-साथ राजा साबू पर भी मदद न करने का आरोप लगा कर मधुकर मल्होत्रा क्या सचमुच राजा साबू का 'आदमी' होने का टैग हटा कर रीजनल रोटरी फाउंडेशन कोऑर्डीनेटर का पद हथियाने का जुगाड़ बैठा रहे हैं ?

चंडीगढ़ । रीजनल रोटरी फाउंडेशन कोऑर्डीनेटर पद के लिए लॉबिइंग शुरू करके मधुकर मल्होत्रा दोहरी मुसीबत में फँस गए हैं । उन्हें यह देख/जान कर तगड़ा झटका लगा है कि उक्त पद पर उनकी नियुक्ति रुकवाने के लिए उनके डिस्ट्रिक्ट के गवर्नर टीके रूबी तो अपने तरीके से प्रयास कर ही रहे हैं, उनके समर्थक समझे जाने वाले राजेंद्र उर्फ़ राजा साबू ने भी उनकी नियुक्ति को लेकर कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है । राजा साबू के रवैये को लेकर मधुकर मल्होत्रा को ही नहीं, डिस्ट्रिक्ट के बाहर के नेताओं को भी झटका लगा है । मधुकर मल्होत्रा न सिर्फ राजा साबू के ही क्लब के सदस्य हैं, बल्कि राजा साबू के बड़े खास भी हैं । मधुकर मल्होत्रा उनका बड़ा ध्यान भी रखते हैं । अभी हाल ही में अपने नाम पर ली गई मंगोलिया मेडीकल मिशन की ग्रांट को ठिकाने लगाने के लिए मधुकर मल्होत्रा ने मंगोलिया की जो यात्रा की थी, उसमें वह राजा साबू को भी वॉलिंटियर के रूप में ले गए थे । राजा साबू ने वहाँ बहुत आनंद लिया था और आनंद लेते मौकों की तस्वीरें भी खिंचवाई थीं । राजा साबू को आनंद लेते देख मधुकर मल्होत्रा को भी अच्छा लगा था, और उन्होंने उम्मीद की थी कि इसके बदले में राजा साबू भी मौका पड़ने पर उनके लिए कुछ करेंगे । लेकिन कमल सांघवी के इस्तीफा देने के बाद खाली हुए रीजनल रोटरी फाउंडेशन कोऑर्डीनेटर पद पर नियुक्ति के मामले का अब जब मौका आया है, तब राजा साबू उनके लिए कुछ करते हुए नहीं दिख रहे हैं । मजे की बात यह है कि मधुकर मल्होत्रा उक्त पद मिलने या न मिलने को लेकर ज्यादा परेशान नहीं हैं, वह इस बात से ज्यादा परेशान हैं कि रोटरी में सभी को यह 'दिख' रहा है कि उक्त पद उन्हें दिलवाने के लिए राजा साबू कोई प्रयत्न नहीं कर रहे हैं । रोटरी नेताओं और रोटेरियंस के बीच राजा साबू का आदमी होने की पहचान रखने वाले मधुकर मल्होत्रा के लिए यह बात ज्यादा झटके वाली है ।
मधुकर मल्होत्रा को इससे भी बड़ा झटका डिस्ट्रिक्ट गवर्नर टीके रूबी के रवैये से लगा है । यूँ तो पिछले दो-ढाई वर्षों से टीके रूबी के साथ उनका छत्तीस का रिश्ता चल रहा था, लेकिन हाल ही के दिनों में उन्होंने महसूस किया कि जैसे टीके रूबी दबाव में आ रहे हैं । दरअसल राजा साबू और उनके गिरोह के लोगों को टीके रूबी के साथ सीधी लड़ाई में जो हार/मात मिली, उससे सबक लेकर उन्होंने अपनी रणनीति बदली है - जिसके तहत तरह तरह के जाल बिछा कर उन्होंने टीके रूबी की घेराबंदी की है । इस घेराबंदी का टीके रूबी पर उन्हें असर पड़ता हुआ भी 'दिखा' है । राजा साबू एंड कंपनी ने टीके रूबी के प्रति दोहरा रवैया अपनाया है - एक तरफ तो रोटरी इंटरनेशनल में तथा रोटरी के बड़े नेताओं के बीच विभिन्न मामलों को लेकर उनकी शिकायत करके उनपर दबाव बनाने का प्रयास किया है, और दूसरी तरफ उनके साथ संबंध सुधारने की कोशिशें भी की हैं । संबंध सुधारने की कोशिशें हालाँकि पर्दे के पीछे ही चली हैं, लेकिन पर्दे के थोड़ा-बहुत हिलने/डुलने से उन कोशिशों की झलक बाहर भी लोगों को देखने को मिली है । टीके रूबी के रवैये में भी दोनों तरफ के लोगों को 'झुकने' वाला दृश्य नजर आया है । साथ ही लेकिन लोगों को यह भी 'देखने' को मिला है कि बात बनते बनते बिगड़ भी जा रही है - टीके रूबी और राजा साबू व उनके गिरोह के लोग पास आते हुए दिखते भी हैं, लेकिन वह फिर छिटक कर दूर हो जाते हैं । राजा साबू गिरोह के लोगों को ही लगता है और उनका कहना है कि टीके रूबी तो झगड़े को खत्म करना चाहते हैं, लेकिन उनके नजदीकी उन्हें भड़का देते हैं और फिर वह भड़क कर पीछे हट जाते हैं । टीके रूबी के साथ चल रही इस धूप-छाँव के बावजूद मधुकर मल्होत्रा को उम्मीद थी कि रीजनल रोटरी फाउंडेशन कोऑर्डीनेटर पद के लिए की जा रही उनकी कोशिशों में टीके रूबी बाधा खड़ी नहीं करेंगे । लेकिन मधुकर मल्होत्रा को यह जान/देख कर तगड़ा झटका लगा है कि उक्त पद की दौड़ में उनके सामने रूकावटें खड़ी करने के लिए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में टीके रूबी ने पहले से ही व्यवस्था कर या करवा दी थी ।
रीजनल रोटरी फाउंडेशन कोऑर्डीनेटर पद के लिए मची पेलमपेल से परिचित लोगों का कहना हालाँकि यह भी है कि उक्त पद के लिए मधुकर मल्होत्रा होड़ में कहीं थे ही नहीं, और वह अपनी खीझ और अपना फ्रस्ट्रेशन निकालने के लिए नाहक ही राजा साबू और टीके रूबी को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं । असल में, उक्त पद के लिए आवेदन माँगने की कार्रवाई के सामने आने के बाद मधुकर मल्होत्रा को उम्मीद बँधी थी कि राजा साबू यदि दिलचस्पी लेंगे तो उक्त पद पर उनकी ताजपोशी हो सकती है । लेकिन देबाशीष मित्रा तथा विजय जालान जैसे लोगों को भी जब उक्त पद के लिए लाइन में खड़ा देखा गया, तब कई अन्य 'उम्मीदवारों' के साथ-साथ मधुकर मल्होत्रा का नाम स्वतः ही पीछे हट गया । देवाशीष मित्रा पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर शेखर मेहता के डिस्ट्रिक्ट के पूर्व गवर्नर हैं, और विजय जालान पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर अशोक महाजन तथा रोटरी फाउंडेशन के लिए हाल ही में चुने गए ट्रस्टी गुलाम वहनवती के डिस्ट्रिक्ट के पूर्व गवर्नर हैं । इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए नोमीनेटिंग कमेटी द्वारा चुने गए अधिकृत उम्मीदवार भरत पांड्या भी इसी डिस्ट्रिक्ट के हैं । रीजनल रोटरी फाउंडेशन कोऑर्डीनेटर पद पर होने वाली नई नियुक्ति में गुलाम वहनवती की सिफारिश की खास अहमियत होगी - यह सोच कर विजय जालान इस पद पर अपनी नियुक्ति को लेकर बहुत आशावान हैं । उन्हें विश्वास है कि गुलाम वहनवती इस पद के लिए उनके नाम की ही सिफारिश करेंगे । उक्त पद के लिए उम्मीदवारों के बीच जिस तरह का घमासान लेकिन मच गया है, उसे देखते/समझते हुए लग रहा है कि किसी भी प्रभावी नेता के लिए 'अपने' आदमी को यह पद दिलवा पाना आसान नहीं होगा । राजा साबू, सुशील गुप्ता और मनोज देसाई जैसे नेता इस पद को लेकर छिड़ी लड़ाई से जिस तरह से बाहर हो गए हैं, उससे लग रहा है कि इस पर पर होने वाली नियुक्ति सभी को चौंकाने का काम ही करेगी । ऐसे में, कुछेक लोगों को यह भी लग रहा है कि राजा साबू पर मदद न करने का आरोप लगा कर मधुकर मल्होत्रा शायद राजा साबू का 'आदमी' होने का टैग हटाने तथा राजा साबू विरोधी नेताओं के बीच पैठ बनाने तथा उनका समर्थन जुटाने की तिकड़म लगा रहे हैं । उन्हें लग रहा है कि शायद इससे ही रीजनल रोटरी फाउंडेशन पद के मामले में उनका काम बन जाए ।