सोनीपत
। सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए करीब दो सप्ताह पहले मदन
बत्रा की उम्मीदवारी प्रस्तुत होने के साथ जेपी सिंह खेमे के लोगों में जो
जोश पैदा हुआ था, मदन बत्रा का रवैया देखते हुए वह सिर्फ दो सप्ताह में ही न सिर्फ ठंडा पड़ गया है - बल्कि खेमे के लोगों के बीच कलह भी पैदा कर गया है ।
जेपी सिंह खेमे के लोगों ने अभी से मानना/कहना शुरू कर दिया है कि मदन
बत्रा को उम्मीदवार बना कर खेमे के नेताओं ने अपने पैरों पर खुद ही
कुल्हाड़ी मार ली है, और मदन बत्रा की उम्मीदवारी सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट
गवर्नर पद के चुनाव में खेमे के लिए आत्मघाती साबित होगी । अलग अलग क्लब्स व
शहरों में जेपी सिंह खेमे के जो लोग हैं, पिछले दो सप्ताह में उनके साथ
घटे/हुए अनुभवों के आधार पर खेमे के नेताओं ने पाया कि मदन बत्रा ने न तो
अपनी खुद की तरफ से सक्रिय होने को लेकर दिलचस्पी दिखाई है और न ही किसी की सलाह पर अमल करने का प्रयास किया - हर किसी को वह यही कहते हुए टरका रहे हैं
कि जेपी सिंह से बात करो । जिन लोगों ने जेपी सिंह से बात की, उनका कहना है
कि जेपी सिंह ने भी यह कहते हुए बात को टाला कि - मैं देखता हूँ । मदन
बत्रा अपनी उम्मीदवारी के अभियान को चलाने के मामले में अपने ही क्लब के
सदस्य और पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर अनिल सेठ तक को विश्वास में नहीं ले रहे
हैं । जेपी सिंह की तरफ से उन्हें सलाह मिली थी कि वह सेकेंड वाइस
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर गुरचरण सिंह भोला के साथ तालमेल बनाएँ और काम करें, मदन
बत्रा लेकिन गुरचरण सिंह भोला को भी तवज्जो देते हुए नहीं दिख रहे हैं ।
मदन बत्रा के नजदीकियों के अनुसार, मदन बत्रा चाहते हैं कि उनकी उम्मीदवारी के अभियान की कमान जेपी सिंह खुद सँभाले । जेपी सिंह लेकिन अभी फिलहाल किसी ऐसे झमेले में नहीं फँसना चाहते हैं, जिसके चलते उनका विनय गर्ग एंड टीम से टकराव पैदा हो और बढ़े । जेपी सिंह को अभी अपनी इंटरनेशनल डायरेक्टर(ई) पर मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट की पक्की वाली मोहर लगवानी है, और मीसल्स रूबेला के नाम पर चलाए जा रहे कार्यक्रमों के खर्चों के लिए रकम जुटाने वाले चेक्स पर मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन के रूप में विनय गर्ग के बार-बार हस्ताक्षर करवाते रहने हैं । इन दोनों कामों में कोई विवाद और या अड़चन पैदा न हो - इसलिए जेपी सिंह अभी डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के पचड़े में पड़ने से बचना चाहते हैं, और इसलिए अभी वह मदन बत्रा की उम्मीदवारी के अभियान की बागडोर को सीधे सीधे पकड़ने से बच रहे हैं । जेपी सिंह के इस 'बचने' को मदन बत्रा शक की निगाह से देख रहे हैं, और आशंकित बने हुए हैं कि कहीं जेपी सिंह पिछली बार की तरह इस बार भी तो उन्हें इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं । दूसरे लोगों की तरह मदन बत्रा भी जानते हैं कि इस वर्ष सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की उम्मीदवारी के लिए जेपी सिंह की पहली पसंद हरीश वाधवा थे, जो काफी हद तक अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत करने के लिए तैयार भी हो गए थे - लेकिन ऐन मौके पर फिर वह पीछे हट गए थे; दरअसल उनके कुछेक खास राजनीतिक दोस्तों/समर्थकों ने उन्हें साफ कह/बता दिया था कि वह इस वर्ष रमन गुप्ता की उम्मीदवारी को ही समर्थन देंगे, इसलिए हरीश वाधवा ने फिर उम्मीदवारी प्रस्तुत करने का विचार त्याग दिया - और तब जेपी सिंह ने मदन बत्रा को उम्मीदवार बनने के लिए राजी किया । जाहिर है कि मदन बत्रा, उम्मीदवारी के मामले में जेपी सिंह की सेकेंड के साथ-साथ मजबूरी की भी च्वाइस हैं । यह जानते/समझते हुए भी मदन बत्रा उम्मीदवार तो बन गए, लेकिन वह जेपी सिंह की ही निगरानी में अपना अभियान चलाना चाहते हैं - उन्हें लगता है कि इस तरीके से वह जेपी सिंह पर निगरानी रख सकेंगे, और 'इस्तेमाल' होने से बचे रहेंगे ।
मदन बत्रा जिस तरीके से दूसरे प्रमुख नेताओं और लोगों को इग्नोर कर रहे हैं, उससे उन्होंने अपने ही खेमे के लोगों को अपने से दूर कर लिया है । लोगों को मदन बत्रा का सबसे बुरा सुलूक तो सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर गुरचरण सिंह भोला के साथ देखने/सुनने को मिला है । सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर होने के नाते गुरचरण सिंह भोला उनके प्रभावशाली मददगार हो सकते थे, जेपी सिंह ने भी उन्हें गुरचरण सिंह भोला के साथ मिल कर काम करने का सुझाव दिया था - मदन बत्रा लेकिन इस अकड़ में हैं कि वह लायनिज्म में गुरचरण सिंह भोला से चूँकि सीनियर हैं, इसलिए गुरचरण सिंह भोला को खुद उनकी मदद करने के लिए उनके पास आना चाहिए । लोगों का कहना लेकिन यह है कि मदन बत्रा लायनिज्म में भले ही गुरचरण सिंह भोला से सीनियर हों, लेकिन उन्हें अब यह स्वीकार कर लेना चाहिए कि सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर होने के नाते लायनिज्म में गुरचरण सिंह भोला की हैसियत अब उनसे बड़ी हो गई है - और इसके अलावा अब जरूरत मदन बत्रा की है, प्यासे वह हैं - प्यासे को ही कुएँ के पास जाना होता है, कुआँ प्यासे के पास नहीं जाता है; इसलिए मदन बत्रा को अपनी अकड़ छोड़ कर मदद लेने के लिए जूनियर्स के पास जाना ही होगा । मदन बत्रा के इसी तरह के रवैये को देखते हुए उनके अपने खेमे के नेताओं तथा अन्य लोगों ने ही कहना शुरू कर दिया है कि इस तरह के बर्ताव के चलते मदन बत्रा के लिए सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए इस वर्ष होने वाले चुनाव में सत्ता खेमे के उम्मीदवार के रूप में रमन गुप्ता का मुकाबला कर पाना मुश्किल ही होगा ।
मदन बत्रा अपने रवैये और - अपने रवैये पर जाहिर हो रही अपने ही खेमे के लोगों की प्रतिक्रिया के चलते सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की इस वर्ष की चुनावी दौड़ में शामिल होने के साथ ही उससे बाहर होते हुए नजर आ रहे हैं । उनके अपने खेमे के लोगों का ही मानना और कहना है कि इस वर्ष के चुनाव को लेकर सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के सत्ता खेमे के उम्मीदवार के रूप में रमन गुप्ता ने जिस तरह की तैयारी दिखाई है, और अपनी तैयारी से लोगों के बीच जैसी पैठ बनाई है - उसका मुकाबला कर पाना मदन बत्रा के बस की बात नहीं है । मदन बत्रा के राजनीतिक उस्ताद जेपी सिंह अपने चक्करों में फँसे हैं, और ऐसे में वह मदन बत्रा के लिए उस तरह से कुछ नहीं कर सकते हैं - जिस तरह से मदन बत्रा सोचते और चाहते हैं । यह बात शायद मदन बत्रा ने भी समझ ली है, और इसीलिए वह घोषणा करने के बावजूद अपनी उम्मीदवारी को लेकर आशंकित हैं और कुछ करने से बच रहे हैं । यह स्थिति रमन गुप्ता की राह को और आसान बनाती नजर आ रही है ।
मदन बत्रा के नजदीकियों के अनुसार, मदन बत्रा चाहते हैं कि उनकी उम्मीदवारी के अभियान की कमान जेपी सिंह खुद सँभाले । जेपी सिंह लेकिन अभी फिलहाल किसी ऐसे झमेले में नहीं फँसना चाहते हैं, जिसके चलते उनका विनय गर्ग एंड टीम से टकराव पैदा हो और बढ़े । जेपी सिंह को अभी अपनी इंटरनेशनल डायरेक्टर(ई) पर मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट की पक्की वाली मोहर लगवानी है, और मीसल्स रूबेला के नाम पर चलाए जा रहे कार्यक्रमों के खर्चों के लिए रकम जुटाने वाले चेक्स पर मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन के रूप में विनय गर्ग के बार-बार हस्ताक्षर करवाते रहने हैं । इन दोनों कामों में कोई विवाद और या अड़चन पैदा न हो - इसलिए जेपी सिंह अभी डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के पचड़े में पड़ने से बचना चाहते हैं, और इसलिए अभी वह मदन बत्रा की उम्मीदवारी के अभियान की बागडोर को सीधे सीधे पकड़ने से बच रहे हैं । जेपी सिंह के इस 'बचने' को मदन बत्रा शक की निगाह से देख रहे हैं, और आशंकित बने हुए हैं कि कहीं जेपी सिंह पिछली बार की तरह इस बार भी तो उन्हें इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं । दूसरे लोगों की तरह मदन बत्रा भी जानते हैं कि इस वर्ष सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की उम्मीदवारी के लिए जेपी सिंह की पहली पसंद हरीश वाधवा थे, जो काफी हद तक अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत करने के लिए तैयार भी हो गए थे - लेकिन ऐन मौके पर फिर वह पीछे हट गए थे; दरअसल उनके कुछेक खास राजनीतिक दोस्तों/समर्थकों ने उन्हें साफ कह/बता दिया था कि वह इस वर्ष रमन गुप्ता की उम्मीदवारी को ही समर्थन देंगे, इसलिए हरीश वाधवा ने फिर उम्मीदवारी प्रस्तुत करने का विचार त्याग दिया - और तब जेपी सिंह ने मदन बत्रा को उम्मीदवार बनने के लिए राजी किया । जाहिर है कि मदन बत्रा, उम्मीदवारी के मामले में जेपी सिंह की सेकेंड के साथ-साथ मजबूरी की भी च्वाइस हैं । यह जानते/समझते हुए भी मदन बत्रा उम्मीदवार तो बन गए, लेकिन वह जेपी सिंह की ही निगरानी में अपना अभियान चलाना चाहते हैं - उन्हें लगता है कि इस तरीके से वह जेपी सिंह पर निगरानी रख सकेंगे, और 'इस्तेमाल' होने से बचे रहेंगे ।
मदन बत्रा जिस तरीके से दूसरे प्रमुख नेताओं और लोगों को इग्नोर कर रहे हैं, उससे उन्होंने अपने ही खेमे के लोगों को अपने से दूर कर लिया है । लोगों को मदन बत्रा का सबसे बुरा सुलूक तो सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर गुरचरण सिंह भोला के साथ देखने/सुनने को मिला है । सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर होने के नाते गुरचरण सिंह भोला उनके प्रभावशाली मददगार हो सकते थे, जेपी सिंह ने भी उन्हें गुरचरण सिंह भोला के साथ मिल कर काम करने का सुझाव दिया था - मदन बत्रा लेकिन इस अकड़ में हैं कि वह लायनिज्म में गुरचरण सिंह भोला से चूँकि सीनियर हैं, इसलिए गुरचरण सिंह भोला को खुद उनकी मदद करने के लिए उनके पास आना चाहिए । लोगों का कहना लेकिन यह है कि मदन बत्रा लायनिज्म में भले ही गुरचरण सिंह भोला से सीनियर हों, लेकिन उन्हें अब यह स्वीकार कर लेना चाहिए कि सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर होने के नाते लायनिज्म में गुरचरण सिंह भोला की हैसियत अब उनसे बड़ी हो गई है - और इसके अलावा अब जरूरत मदन बत्रा की है, प्यासे वह हैं - प्यासे को ही कुएँ के पास जाना होता है, कुआँ प्यासे के पास नहीं जाता है; इसलिए मदन बत्रा को अपनी अकड़ छोड़ कर मदद लेने के लिए जूनियर्स के पास जाना ही होगा । मदन बत्रा के इसी तरह के रवैये को देखते हुए उनके अपने खेमे के नेताओं तथा अन्य लोगों ने ही कहना शुरू कर दिया है कि इस तरह के बर्ताव के चलते मदन बत्रा के लिए सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए इस वर्ष होने वाले चुनाव में सत्ता खेमे के उम्मीदवार के रूप में रमन गुप्ता का मुकाबला कर पाना मुश्किल ही होगा ।
मदन बत्रा अपने रवैये और - अपने रवैये पर जाहिर हो रही अपने ही खेमे के लोगों की प्रतिक्रिया के चलते सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की इस वर्ष की चुनावी दौड़ में शामिल होने के साथ ही उससे बाहर होते हुए नजर आ रहे हैं । उनके अपने खेमे के लोगों का ही मानना और कहना है कि इस वर्ष के चुनाव को लेकर सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के सत्ता खेमे के उम्मीदवार के रूप में रमन गुप्ता ने जिस तरह की तैयारी दिखाई है, और अपनी तैयारी से लोगों के बीच जैसी पैठ बनाई है - उसका मुकाबला कर पाना मदन बत्रा के बस की बात नहीं है । मदन बत्रा के राजनीतिक उस्ताद जेपी सिंह अपने चक्करों में फँसे हैं, और ऐसे में वह मदन बत्रा के लिए उस तरह से कुछ नहीं कर सकते हैं - जिस तरह से मदन बत्रा सोचते और चाहते हैं । यह बात शायद मदन बत्रा ने भी समझ ली है, और इसीलिए वह घोषणा करने के बावजूद अपनी उम्मीदवारी को लेकर आशंकित हैं और कुछ करने से बच रहे हैं । यह स्थिति रमन गुप्ता की राह को और आसान बनाती नजर आ रही है ।