Friday, February 2, 2018

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3080 में वोटों की हेराफेरी मामले में टीके रूबी की अपील के नैनीताल हाई कोर्ट में स्वीकार हो जाने से डीसी बंसल और राजा साबू गिरोह के लोगों को ही आशंका हो चली है कि टीके रूबी के लिए बिछाए गए जाल में कहीं डेविड हिल्टन न फँस जाएँ !

देहरादून । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर टीके रूबी ने एक बार फिर डीसी बंसल को आगे करके राजा साबू गिरोह द्वारा लड़ी जा रही बदनीयतभरी लड़ाई में अपने विरोधियों को गच्चा दे दिया और विरोधी बेचारे हाथ मलते रह गए हैं । करीब दो वर्ष पहले, डेविड हिल्टन के गवर्नर-काल में दोबारा हुए वर्ष 2017-18 के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के चुनाव में वोटों में हेराफेरी होने/करने का आरोप लगाते हुए डीसी बंसल ने जो आपराधिक मुकदमा दायर किया है, देहरादून डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में आज उसकी सुनवाई होनी थी - और टीके रूबी के तमाम विरोधियों को उम्मीद थी कि टीके रूबी आज बस 'फँस' ही जायेंगे । टीके रूबी के विरोधियों को लेकिन यह देख/जान कर तगड़ा झटका लगा कि टीके रूबी की अपील पर नैनीताल हाई कोर्ट ने देहरादून डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में सुनवाई के लिए आए मामले में स्टे दे दिया है, और नैनीताल हाई कोर्ट में अब मामले की जेनुइननेस पर विचार होगा । टीके रूबी का आरोप रहा है कि उन पर वोटों में हेराफेरी करने का आरोप मढ़ना बदनीयती से भरा है और उनकी पहचान व प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचाने तथा उन्हें परेशान करने व फँसाने की कोशिश से प्रेरित है । इसी शिकायत के साथ टीके रूबी ने नैनीताल हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जहाँ उनकी शिकायत को प्रथम दृष्टया उचित मानते हुए स्वीकार कर लिया गया - तथा देहरादून डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में दर्ज मामले में आगे सुनवाई करने पर रोक लगाने का फैसला सुनाया । नैनीताल हाई कोर्ट के इस फैसले की जानकारी आज जब देहरादून डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में डीसी बंसल को मिली - तो उन्हें और राजा साबू गिरोह के सदस्य पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स को समझ में आ गया कि टीके रूबी एक बार फिर उनकी गिरफ्त में आने/फँसने से साफ बच निकले हैं ।
डीसी बंसल और राजा साबू गिरोह के सदस्य पूर्व गवर्नर्स दरअसल इस बात से खासे उत्साहित हैं कि फॉरेंसिक जाँच में वोटों में हेराफेरी होने की बात सच पाई गयी है । उल्लेखनीय है कि वोटों में हेराफेरी होने की फॉरेंसिक जाँच पहले डीसी बंसल ने और फिर उनकी शिकायत के बाद पुलिस ने करवाई, और दोनों ही जाँच में हेराफेरी होने की पुष्टि हुई है । इस पुष्टि में डीसी बंसल और राजा साबू गिरोह के सदस्य पूर्व गवर्नर्स को टीके रूबी की गर्दन भले ही फँसती दिखी हो, लेकिन यही पुष्टि वास्तव में टीके रूबी के खिलाफ शुरू हुए षड्यंत्रों की अगली कड़ी के रूप में भी सामने आती है - और तत्कालीन सत्ताधारियों को निशाने पर लेती है । इस मामले में अदालती फैसला क्या होता है, यह तो अदालत के सामने प्रस्तुत होने वाले तथ्यों और उनकी व्याख्या से अदालत में ही तय होगा; लेकिन इस मामले का डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति से भी चूँकि बुनियादी ताल्लुक है - इसलिए यह मामला राजनीतिक चर्चा का विषय भी बना हुआ है । राजनीतिक चर्चा में ही इस मामले की शुरुआत इस सवाल से मानी जा रही है कि दोबारा चुनाव होने की नौबत आखिर आई ही क्यों, जिसमें वोटों की हेराफेरी का आरोप है ? यह नौबत इसीलिए आई थी क्योंकि नोमीनेटिंग कमेटी द्वारा चुने गए अधिकृत उम्मीदवार के रूप में टीके रूबी को गवर्नर न बनने देने के लिए राजा साबू गिरोह के सदस्य पूर्व गवर्नर्स शुरू से ही तरह तरह की हरकतें और बेईमानियाँ कर रहे थे, और रोटरी इंटरनेशनल द्वारा 'पकड़े' व दंडित किए जा रहे थे । क्या इससे यह स्पष्ट संकेत नहीं मिलता है कि रोटरी इंटरनेशनल के फैसले के चलते दोबारा होने वाले चुनाव को जीतना आखिर किसके लिए अत्यंत जरूरी और जिद का मामला था ?
इससे भी बड़ा और महत्त्वपूर्ण सवाल यह है कि वोटों में हेराफेरी कर सकने का मौका आखिर था किसके पास ? उल्लेखनीय है कि पोस्टल बैलेट से हुए चुनाव में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर तथा राजा साबू व अन्य पूर्व गवर्नर्स डीसी बंसल को चुनाव जितवाने में अपनी पूरी ताकत लगाए हुए थे और क्लब्स के पदाधिकारियों को डरा/फुसला कर वोट जुटाने के काम में लगे हुए थे । अधिकतर क्लब्स के बारे में सभी को अनुमान था और या 'पता' था कि किस क्लब के वोट किसे मिल रहे हैं - और दोनों पक्ष अपने अपने वोट 'सुरक्षित' करने के लिए जी/जान लगाए हुए थे । दोनों पक्षों की सुरक्षित घेराबंदी में वोट तत्कालीन डिस्ट्रिक्ट गवर्नर डेविड हिल्टन की कस्टडी में पहुँचे और उनकी निगरानी में ही वोटों की गिनती हुई । ऐसे में, सामान्य समझ ही 'बता' सकती है कि वोटों में हेराफेरी करने का मौका वास्तव में डेविड हिल्टन के पास ही था । डेविड हिल्टन की भूमिका पूरी तरह डीसी बंसल के समर्थन में पक्षपातपूर्णतरीके से थी, जिसे कई मौकों पर टीके रूबी के प्रतिनिधि द्वारा किए गए हस्तक्षेप व दर्ज कराए गए आरोपों में देखा/पहचाना जा सकता है । खास बात यह भी है कि वोटों में हेराफेरी के बाद वोटों की गिनती से जो नतीजा निकला, उसमें डेविड हिल्टन ने जीत का सेहरा डीसी बंसल के सिर पर बाँधा । मजे की बात यह है कि उस समय डीसी बंसल ने वोटों में हेराफेरी होने का मामला नहीं उठाया और न ही कोई शिकायत की । वर्ष 2017-18 के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में डीसी बंसल ने कई मौकों पर अपना स्वागत करवाया और कई आयोजनों में शिरकत की । डीसी बंसल को विजयी घोषित करने के डेविड हिल्टन के फैसले पर टीके रूबी ने रोटरी इंटरनेशनल में शिकायत की थी, जिसे इंटरनेशनल बोर्ड ने उचित मानते हुए डेविड हिल्टन के फैसले को निरस्त कर दिया था । उसके बाद डीसी बंसल को 'पता' चला कि दोबारा हुए चुनाव में वोटों में हेराफेरी हुई है । इससे ही जाहिर/साबित है कि दोबारा हुए चुनाव में वोटों में हेराफेरी होने को लेकर डीसी बंसल कितने संजीदा रहे !
रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड टीके रूबी की शिकायत को यदि निरस्त कर देता, और डेविड हिल्टन के फैसले को बनाए रखता तो डीसी बंसल वोटों की हेराफेरी की शिकायत करते ही नहीं । इसी से लोगों को कहने का मौका मिला है कि वोटों में हेराफेरी तो वास्तव में डेविड हिल्टन के 'यहाँ' हुई, जिसका उद्देश्य किसी भी तरह से डीसी बंसल को विजय दिलवाना था, और 'विजय' जब तक डीसी बंसल के पास थी तब तक वोटों में हेराफेरी होना मुद्दा नहीं बना - लेकिन जैसे ही 'विजय' डीसी बंसल के हाथ से फिसली, वोटों में हेराफेरी होने की शिकायत सामने आ गई और आरोप टीके रूबी के सिर मढ़ दिया गया । वर्ष 2017-18 का गवर्नर पद टीके रूबी को मिलने से रोकने की राजा साबू गिरोह की हर कोशिश जब अंततः फेल हो गई और नाटकीय घटनाक्रम के चलते वर्ष 2017-18 का गवर्नर पद जब टीके रूबी को मिल गया - राजा साबू गिरोह तब भी अपनी हरकतों से बाज नहीं आया और तरह तरह की अड़चने खड़ी करते हुए टीके रूबी के गवर्नर-काल में बाधाएँ पैदा करने की कोशिशें की गईं और अभी भी की जा रही हैं । वोटों में हेराफेरी को लेकर डीसी बंसल द्वारा दर्ज करवाए गए आपराधिक मामले को इसी कोशिश के एक रूप में देखा/पहचाना जा रहा है । टीके रूबी की अपील के नैनीताल हाई कोर्ट में स्वीकार हो जाने से डीसी बंसल और राजा साबू गिरोह को लेकिन तगड़ा झटका लगा है और उनके लोगों को ही आशंका हो चली है कि टीके रूबी के लिए बिछाए गए जाल में कहीं डेविड हिल्टन न फँस जाएँ ! इस मामले का दिलचस्प पहलू यह भी है कि चुनाव करवाने और उसकी निगरानी करने/रखने की जिम्मेदारी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में डेविड हिल्टन की थी - वोटों में हेराफेरी होने की शिकायत लेकिन उनकी तरफ से दर्ज नहीं हुई । यही तथ्य उनकी भूमिका को और भी संदिग्ध व आरोपपूर्ण बना देता है ।