Saturday, February 24, 2018

रोटरी इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए भरत पांड्या और अशोक गुप्ता के बीच हो रहे चुनाव में अचानक से नॉन-डिस्ट्रिक्ट स्टेटस वाले डिस्ट्रिक्ट 3100 को वोटिंग अधिकार दिलवाने के फैसले ने चुनाव को और भी विवादपूर्ण बना दिया है

नई दिल्ली । रोटरी इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए जोन 4 में वोट डालने की समय-सीमा के अंतिम सप्ताह में डिस्ट्रिक्ट 3100 को अचानक से वोटिंग अधिकार मिलने की खबर से जो हड़कंप मचा है, उसने रोटरी इंटरनेशनल के पदाधिकारियों की कार्य-पद्धति पर तो सवालिया निशान लगाया ही है - चुनावी व्यवस्था को भी शक व आरोपों के घेरे में ला दिया है । उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट 3100 सजा के तौर पर नॉन-डिस्ट्रिक्ट स्टेटस में है, और इसलिए एक डिस्ट्रिक्ट के रूप में उसकी पहचान और उसके अधिकार निलंबित हैं । डिस्ट्रिक्ट में कोई गवर्नर नहीं है और पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स को इंटरनेशनल असाइनमेंट्स से अलग-थलग किया हुआ है । डिस्ट्रिक्ट की व्यवस्था देखने और उसे 'रास्ते पर लाने' की जिम्मेदारी डिस्ट्रिक्ट 3011 के पूर्व गवर्नर संजय खन्ना को सौंपी हुई है । खास और अंतर्विरोधी बात लेकिन यह है कि संजय खन्ना की देखरेख में डिस्ट्रिक्ट में डिस्ट्रिक्ट स्टेटस वाले काम हो भी रहे हैं - जैसे क्लब्स की सक्रियता बनी हुई है, संजय खन्ना के प्रयत्नों से रोटरी फाउंडेशन से संबद्ध कार्रवाइयाँ शुरू हुई हैं और अगले रोटरी वर्ष के लिए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का चुनाव भी संपन्न हुआ है । लेकिन फिर भी, नॉन-डिस्ट्रिक्ट स्टेटस के कारण डिस्ट्रिक्ट 3100 को इंटरनेशनल डायरेक्टर का चयन करने वाली नोमीनेटिंग कमेटी में प्रतिनिधित्व नहीं मिला, और इस पर किसी को कोई आश्चर्य भी नहीं हुआ । न इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के उम्मीदवारों और उनके समर्थकों ने, और न डिस्ट्रिक्ट 3100 के वोटरों ने इसकी कोई उम्मीद या माँग ही की । सभी ने मान लिया कि नॉन-डिस्ट्रिक्ट स्टेटस में होने के कारण डिस्ट्रिक्ट 3100 को भरत पांड्या व अशोक गुप्ता के बीच हो रहे इंटरनेशनल डायरेक्टर के चुनाव की प्रक्रिया से बाहर ही रहना है ।
लेकिन अभी जब इंटरनेशनल डायरेक्टर के चुनाव पूरे होने की समय-सीमा को समाप्त होने में करीब सप्ताह भर का ही समय बचा रह गया है, तब अचानक से सूचना मिली कि डिस्ट्रिक्ट 3100 के क्लब्स के प्रेसीडेंट्स को लिंक व पासवर्ड भेजे जा रहे हैं, ताकि इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव में वह अपने अधिकार का प्रयोग कर सकें । अचानक मिली इस सूचना से हड़कंप मचना स्वाभाविक ही था, और वह मचा भी । हैरत की बात किंतु यह हुई कि इस बारे में पक्की सूचना और या व्यवस्था के बारे में संबद्ध पदाधिकारियों को भी कुछ पता नहीं था । प्रेसीडेंट्स को लिंक व पासवर्ड भेजे जाने की सूचना तो मिली है, लेकिन सचमुच में लिंक व पासवर्ड नहीं मिले । इस बारे में जब रोटरी इंटरनेशनल के दिल्ली स्थित साऊथ एशिया ऑफिस के पदाधिकारियों से पूछा गया तो उन्होंने कोई जानकारी न होने की बात कहते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया । डिस्ट्रिक्ट के लोगों को लगा कि साऊथ एशिया ऑफिस के पदाधिकारी कामचोरी कर रहे हैं और या किसी उम्मीदवार को फायदा पहुँचाने के उद्देश्य से बदमाशी दिखा रहे हैं । हद की बात तो यह हुई कि रोटरी इंटरनेशनल के प्रतिनिधि के रूप में डिस्ट्रिक्ट 3100 की जिम्मेदारी देख/संभाल रहे संजय खन्ना तक को अधिकृत रूप से नहीं पता कि वास्तव में हो क्या रहा है; इसीलिए पहले तो उन्होंने इसे अफवाह बताया, लेकिन जब उन्हें बताया गया कि कुछेक क्लब्स के प्रेसीडेंट्स को लिंक व पासवर्ड मिले हैं - तब वह यह पता करने के लिए सक्रिय हुए कि इस मामले में हो क्या रहा है, और वास्तव में होना क्या है ? यह स्थिति तब की है, जब वोटिंग लाइन बंद होने में कुल चार दिन बचे हैं । रोटरी इंटरनेशनल पदाधिकारियों के काम करने के बेवकूफीभरे तरीके का यह एक नया और दिलचस्प उदाहरण है ।
इस नए उदाहरण से एक बार फिर यह सवाल उठा कि रोटरी इंटरनेशनल के पदाधिकारियों की अक्ल का ताला धीरे धीरे खुलता है क्या ? नॉन-डिस्ट्रिक्ट स्टेटस में होने के कारण जिस डिस्ट्रिक्ट 3100 को नोमीनेटिंग कमेटी में प्रतिनिधित्व देने से तो इंकार कर दिया गया, लेकिन अब जब चुनावी प्रक्रिया संपन्न होने में कुल चार दिन बचे हैं, तब उसी डिस्ट्रिक्ट को चुनावी प्रक्रिया में शामिल होने का अधिकार दे दिया गया है । तर्क सुना जा रहा है कि डिस्ट्रिक्ट भले ही नॉन-डिस्ट्रिक्ट स्टेटस में हो, लेकिन क्लब्स तो काम कर रहे हैं - इसलिए उनके प्रेसीडेंट्स को चुनावी प्रक्रिया में शामिल कर लिया गया है । इस तर्क से सवाल लेकिन यह उठता है कि नोमीनेटिंग कमेटी के लिए प्रतिनिधि चुनने का काम भी तो प्रेसीडेंट्स को ही करना था - तब प्रेसीडेंट्स को उनके अधिकार देने का ख्याल क्यों नहीं आया ? मजे की और मजाक की बात यह भी है कि नॉन-डिस्ट्रिक्ट स्टेटस के बावजूद डिस्ट्रिक्ट 3100 के प्रेसीडेंट्स के लिए रोटरी फाउंडेशन के अधिकार तो खुले हुए हैं; उन्होंने अगले रोटरी वर्ष के लिए गवर्नर का चुनाव भी कर लिया है - जिसे रोटरी इंटरनेशनल ने ट्रेनिंग भी दे दी है; लेकिन उन्हें इंटरनेशनल डायरेक्टर का चुनाव/चयन करने वाली नोमीनेटिंग कमेटी में प्रतिनिधि चुनने/भेजने का अधिकार नहीं दिया गया । पर अब जब रोटरी इंटरनेशनल के पदाधिकारियों की अक्ल का ताला खुला, तो उन्होंने नॉन-डिस्ट्रिक्ट स्टेटस में होने के बावजूद डिस्ट्रिक्ट 3100 को इंटरनेशनल डायरेक्टर के लिए समाप्ति की ओर बढ़ रही चुनावी प्रक्रिया में शामिल करने का फैसला कर लिया है ।
अचानक हुए इस फैसले को लेकिन शक की निगाह से भी देखा/पहचाना जा रहा है । कई एक लोगों को शक है कि डिस्ट्रिक्ट 3100 को अचानक से अंतिम दिनों में इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव में शामिल करने के पीछे भरत पांड्या की उम्मीदवारी को फायदा पहुँचाने का उद्देश्य छिपा हो सकता है । जोन की चुनावी राजनीति के खिलाड़ियों का मानना और कहना है कि जोन के विभिन्न डिस्ट्रिक्ट्स में पड़े वोटों का जो विवरण मिल रहा है, उसमें भरत पांड्या के मुकाबले अशोक गुप्ता का पलड़ा भारी पहचाना जा रहा है, जिसके कारण भरत पांड्या के समर्थक बड़े नेताओं के बीच चिंता और घबराहट है । हालाँकि भरत पांड्या की उम्मीदवारी के समर्थक बड़े नेताओं ने अपनी तरफ से भरत पांड्या की उम्मीदवारी को बढ़त दिलवाने के लिए प्रयास तो खूब किए, लेकिन अपने प्रयासों का कोई लाभ मिलता हुआ उन्हें नहीं दिख रहा है । लोगों के बीच चर्चा सुनी जा रही है कि अशोक गुप्ता की बढ़त को रोकने के लिए ही भरत पांड्या के समर्थक नेताओं ने आनन-फानन में डिस्ट्रिक्ट 3100 को चुनावी प्रक्रिया में शामिल करवाने का फैसला करवा लिया है । उन्हें उम्मीद है कि यहाँ वह भरत पांड्या को इतने वोट जरूर दिलवा लेंगे, जिससे कि अशोक गुप्ता की बढ़त को वह रोक सकेंगे । उल्लेखनीय है कि भरत पांड्या को ज्यादा से ज्यादा वोट दिलवाने के लिए उनके समर्थक नेताओं ने कुछेक डिस्ट्रिक्ट्स में वोटिंग लाइन भी शिड्यूल से पहले ही खुलवा ली थीं, जिस पर खासा विवाद हुआ था । चुनावी प्रक्रिया पूरी होने के शिड्यूल से सप्ताह भर पहले अचानक से डिस्ट्रिक्ट 3100 को चुनावी प्रक्रिया में शामिल करने के फैसले ने जोन 4 में हो रहे इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव को और भी विवादपूर्ण बना दिया है ।