नई दिल्ली । विजय गुप्ता की नाराजगी के चलते इंस्टीट्यूट के वाइस प्रेसीडेंट पद के लिए उत्तम अग्रवाल खेमे के उम्मीदवारों के लिए मुसीबत और गंभीर चुनौती खड़ी हो गयी है । उल्लेखनीय है कि इंस्टीट्यूट के वाइस प्रेसीडेंट के चुनाव में प्रत्येक वर्ष टाँग अड़ाने वाले पूर्व प्रेसीडेंट उत्तम अग्रवाल
पहले तो धीरज खंडेलवाल की उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने में लगे थे,
लेकिन उनकी स्थिति को कमजोर देख कर उत्तम अग्रवाल ने अब निहार जम्बूसारिया व
अब्राहम बाबु की उम्मीदवारी का झंडा भी उठा लिया है । अब्राहम बाबु को
हालाँकि पिछले वर्ष प्रेसीडेंट रहे देवराज रेड्डी के उम्मीदवार के रूप में
देखा/पहचाना जा रहा है । उत्तम अग्रवाल का भी समर्थन मिल जाने से अब्राहम
बाबु की स्थिति को बेहतर हुआ देखा/माना जा रहा है । निहार जम्बूसारिया
भी उत्तम अग्रवाल के कोई विश्वासपात्र उम्मीदवार नहीं हैं; वास्तव में
निहार जम्बूसारिया की स्थिति बेहतर देख/जान कर उत्तम अग्रवाल ने
उन्हें भी अपना उम्मीदवार बताना/दिखाना शुरू कर दिया है, ताकि उनके जीतने
पर वह जीत का श्रेय खुद ले सकें । उत्तम अग्रवाल के पक्के वाले
उम्मीदवार तो धीरज खंडेलवाल ही हैं, और उन्हें वाइस प्रेसीडेंट चुनवाने के
लिए उत्तम अग्रवाल ने हर संभव कोशिश की हुई है । उनकी इस कोशिश को लेकिन
दिल्ली में उनके खासमखास विजय गुप्ता के रवैये से तगड़ा झटका लगा है । विजय
गुप्ता से लगे झटके की भरपाई के लिए दिल्ली में सेंट्रल काउंसिल के एक दूसरे सदस्य राजेश शर्मा आगे तो आए हैं, लेकिन
उत्तम अग्रवाल उन पर भरोसा नहीं कर रहे हैं - और इस कारण से धीरज खंडेलवाल
का मामला बिगड़ता हुआ ही दिख रहा है ।
धीरज खंडेलवाल का इंस्टीट्यूट की सेंट्रल काउंसिल में पहला टर्म है । वाइस प्रेसीडेंट पद के लिए उन्हें उम्मीदवार बनाने की उत्तम अग्रवाल की कार्रवाई से विजय गुप्ता दरअसल इसीलिए उखड़े हुए हैं । विजय गुप्ता को काफी समय से यह शिकायत यूँ भी रही ही है कि बेहद नजदीकी होने के बावजूद उत्तम अग्रवाल ने वाइस प्रेसीडेंट पद के लिए उनकी उम्मीदवारी को कभी भी गंभीरता से समर्थन नहीं दिया । धीरज खंडेलवाल को वाइस प्रेसीडेंट पद के लिए आगे करने की उत्तम अग्रवाल की कार्रवाई का विजय गुप्ता ने इसीलिए बुरा माना कि उनके जैसे सीनियर काउंसिल सदस्य को तो उत्तम अग्रवाल ने कभी गंभीरता से नहीं लिया, और धीरज अग्रवाल जैसे नए सदस्य के लिए वह पूरी तरह सक्रिय हो रहे हैं । बात केवल विजय गुप्ता की नाराजगी की होती, तो उत्तम अग्रवाल को ज्यादा फर्क नहीं पड़ता - लेकिन विजय गुप्ता की नाराजगी के चलते धीरज खंडेलवाल जैसे नए सदस्य की उम्मीदवारी के खिलाफ माहौल बन गया और कुल मिलाकर यह माहौल उत्तम अग्रवाल के खिलाफ संगठित होता नजर आया । इंस्टीट्यूट के वाइस प्रेसीडेंट पद के चुनाव के संदर्भ में प्रतिकूल बनते हालात की नजाकत को भाँप कर उत्तम अग्रवाल ने पैंतरा बदला और अब्राहम बाबु व निहार जम्बूसारिया की उम्मीदवारी का भी झंडा उठा लिया - ताकि उनकी नेतागिरी की हवा बनी रहे ।
उत्तम अग्रवाल ने इसके साथ-साथ विजय गुप्ता को भी अपने साथ बनाए रखने के प्रयत्न किए हैं । उन्हें विश्वास है कि विजय गुप्ता को धीरज खंडेलवाल की उम्मीदवारी पर भले ही शिकायत हो, लेकिन अब्राहम बाबु और या निहार जम्बूसारिया में से किसी एक के समर्थन के लिए वह विजय गुप्ता को अवश्य ही राजी कर लेंगे । लोगों को भी लगता है कि विजय गुप्ता राजी हो जायेंगे, लेकिन इसके लिए वह उत्तम अग्रवाल के साथ अगले वर्ष के वाइस प्रेसीडेंट के चुनाव में समर्थन पाने की सौदेबाजी करना चाहेंगे । विजय गुप्ता को डर है कि इस बार यदि सदर्न रीजन से वाइस प्रेसीडेंट बन गया, तो अगले वर्ष उत्तम अग्रवाल फिर से धीरज खंडेलवाल को उम्मीदवार बना/बनवा देंगे - और पिछले वर्षों की तरह वह एक बार फिर ठगे रह जायेंगे । विजय गुप्ता इस बार के चुनाव में उत्तम अग्रवाल के खेमे में बने रहने और या उससे बाहर आ निकलने का 'फैसला' कर लेना चाहते हैं । उत्तम अग्रवाल के खेमे में बने रहने का फैसला करके दरअसल अभी तक उन्हें कोई फायदा नहीं हुआ है - दूसरे लोग उत्तम अग्रवाल का 'आदमी' मानते हुए उनका विरोध करते हैं, और उत्तम अग्रवाल उन्हें गंभीरता से लेते नहीं हैं । इसलिए विजय गुप्ता इस बार मामला इधर का और या उधर का कर लेना चाहते हैं । उत्तम अग्रवाल के साथ विजय गुप्ता के खिंचाव को देखते हुए राजेश शर्मा ने उत्तम अग्रवाल के साथ नजदीकी बनाने की कोशिश तो खूब की, लेकिन उत्तम अग्रवाल ने उन्हें कोई ज्यादा भाव नहीं दिया है । उत्तम अग्रवाल दरअसल राजेश शर्मा पर भरोसा नहीं कर पा रहे हैं, उन्हें लग रहा है कि राजेश शर्मा कभी भी उन्हें धोखा दे देंगे । उत्तम अग्रवाल दिल्ली में भरोसेमंद साथी/सहयोगी के रूप में सिर्फ विजय गुप्ता को ही देखते/मानते हैं - लेकिन विजय गुप्ता ने भी लगता है कि अब पक्का निश्चय कर लिया है कि वह उत्तम अग्रवाल के यहाँ सिर्फ इस्तेमाल ही नहीं होंगे, और अपना 'हक' भी मागेंगे । विजय गुप्ता के इस रवैये ने उत्तम अग्रवाल और उनके भरोसे वाइस प्रेसीडेंट बनने की उम्मीद लगाए उम्मीदवारों को मुसीबत में डाल दिया है ।
धीरज खंडेलवाल का इंस्टीट्यूट की सेंट्रल काउंसिल में पहला टर्म है । वाइस प्रेसीडेंट पद के लिए उन्हें उम्मीदवार बनाने की उत्तम अग्रवाल की कार्रवाई से विजय गुप्ता दरअसल इसीलिए उखड़े हुए हैं । विजय गुप्ता को काफी समय से यह शिकायत यूँ भी रही ही है कि बेहद नजदीकी होने के बावजूद उत्तम अग्रवाल ने वाइस प्रेसीडेंट पद के लिए उनकी उम्मीदवारी को कभी भी गंभीरता से समर्थन नहीं दिया । धीरज खंडेलवाल को वाइस प्रेसीडेंट पद के लिए आगे करने की उत्तम अग्रवाल की कार्रवाई का विजय गुप्ता ने इसीलिए बुरा माना कि उनके जैसे सीनियर काउंसिल सदस्य को तो उत्तम अग्रवाल ने कभी गंभीरता से नहीं लिया, और धीरज अग्रवाल जैसे नए सदस्य के लिए वह पूरी तरह सक्रिय हो रहे हैं । बात केवल विजय गुप्ता की नाराजगी की होती, तो उत्तम अग्रवाल को ज्यादा फर्क नहीं पड़ता - लेकिन विजय गुप्ता की नाराजगी के चलते धीरज खंडेलवाल जैसे नए सदस्य की उम्मीदवारी के खिलाफ माहौल बन गया और कुल मिलाकर यह माहौल उत्तम अग्रवाल के खिलाफ संगठित होता नजर आया । इंस्टीट्यूट के वाइस प्रेसीडेंट पद के चुनाव के संदर्भ में प्रतिकूल बनते हालात की नजाकत को भाँप कर उत्तम अग्रवाल ने पैंतरा बदला और अब्राहम बाबु व निहार जम्बूसारिया की उम्मीदवारी का भी झंडा उठा लिया - ताकि उनकी नेतागिरी की हवा बनी रहे ।
उत्तम अग्रवाल ने इसके साथ-साथ विजय गुप्ता को भी अपने साथ बनाए रखने के प्रयत्न किए हैं । उन्हें विश्वास है कि विजय गुप्ता को धीरज खंडेलवाल की उम्मीदवारी पर भले ही शिकायत हो, लेकिन अब्राहम बाबु और या निहार जम्बूसारिया में से किसी एक के समर्थन के लिए वह विजय गुप्ता को अवश्य ही राजी कर लेंगे । लोगों को भी लगता है कि विजय गुप्ता राजी हो जायेंगे, लेकिन इसके लिए वह उत्तम अग्रवाल के साथ अगले वर्ष के वाइस प्रेसीडेंट के चुनाव में समर्थन पाने की सौदेबाजी करना चाहेंगे । विजय गुप्ता को डर है कि इस बार यदि सदर्न रीजन से वाइस प्रेसीडेंट बन गया, तो अगले वर्ष उत्तम अग्रवाल फिर से धीरज खंडेलवाल को उम्मीदवार बना/बनवा देंगे - और पिछले वर्षों की तरह वह एक बार फिर ठगे रह जायेंगे । विजय गुप्ता इस बार के चुनाव में उत्तम अग्रवाल के खेमे में बने रहने और या उससे बाहर आ निकलने का 'फैसला' कर लेना चाहते हैं । उत्तम अग्रवाल के खेमे में बने रहने का फैसला करके दरअसल अभी तक उन्हें कोई फायदा नहीं हुआ है - दूसरे लोग उत्तम अग्रवाल का 'आदमी' मानते हुए उनका विरोध करते हैं, और उत्तम अग्रवाल उन्हें गंभीरता से लेते नहीं हैं । इसलिए विजय गुप्ता इस बार मामला इधर का और या उधर का कर लेना चाहते हैं । उत्तम अग्रवाल के साथ विजय गुप्ता के खिंचाव को देखते हुए राजेश शर्मा ने उत्तम अग्रवाल के साथ नजदीकी बनाने की कोशिश तो खूब की, लेकिन उत्तम अग्रवाल ने उन्हें कोई ज्यादा भाव नहीं दिया है । उत्तम अग्रवाल दरअसल राजेश शर्मा पर भरोसा नहीं कर पा रहे हैं, उन्हें लग रहा है कि राजेश शर्मा कभी भी उन्हें धोखा दे देंगे । उत्तम अग्रवाल दिल्ली में भरोसेमंद साथी/सहयोगी के रूप में सिर्फ विजय गुप्ता को ही देखते/मानते हैं - लेकिन विजय गुप्ता ने भी लगता है कि अब पक्का निश्चय कर लिया है कि वह उत्तम अग्रवाल के यहाँ सिर्फ इस्तेमाल ही नहीं होंगे, और अपना 'हक' भी मागेंगे । विजय गुप्ता के इस रवैये ने उत्तम अग्रवाल और उनके भरोसे वाइस प्रेसीडेंट बनने की उम्मीद लगाए उम्मीदवारों को मुसीबत में डाल दिया है ।