नई दिल्ली । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की अगले रोटरी वर्ष में होने वाली
चुनावी लड़ाई में अशोक कंटूर को फायदा पहुँचाने और या वरीयता देने की कोशिश
में अनूप मित्तल को बाहर बैठाने के लिए की जा रही कोशिशों ने डिस्ट्रिक्ट
की चुनावी राजनीति में खासी गर्मी पैदा कर दी है । यह गर्मी इस कारण भी
तेज हुई है, क्योंकि उक्त कोशिश की अगुआई विनोद बंसल कर रहे हैं । विनोद
बंसल अगले रोटरी वर्ष के लिए डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर की भूमिका में तो हैं ही,
अगले डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विनय भाटिया को यूँ भी उनके ही 'आदमी' के रूप में
देखा/पहचाना जाता है - और विनय भाटिया के अभी तक जो भी कार्यक्रम हुए हैं,
उनमें अशोक कंटूर को अच्छी तवज्जो तथा आगे आगे रहने का मौका मिला है । दरअसल इसी पृष्ठभूमि के कारण अनूप मित्तल को पीछे करके अशोक कंटूर को आगे बढ़ाने की विनोद बंसल की कोशिश विवाद का विषय बन गई है ।
हालाँकि विनोद बंसल ने कई मौकों पर कहा है कि वह किसी को आगे/पीछे करने का
काम नहीं कर रहे हैं; उनके लिए अनूप मित्तल भी महत्त्व रखते हैं और अशोक
कंटूर भी महत्त्वपूर्ण हैं । उनका तो सिर्फ यह मानना/कहना है कि इनकी
एनर्जी का फायदा डिस्ट्रिक्ट व रोटरी को मिले, न कि एक-दूसरे से 'लड़' कर
नष्ट हो जाए; उनका मानना है कि दोनों को ही गवर्नर बनना है और दोनों को
बनना ही चाहिए, और यह काम आपस में लड़े बिना आगे/पीछे बन के हो सकता है । दोनों
में से आगे कौन रहे, पहले कौन बने - इस बारे में विनोद बंसल ने तर्क दिया
कि अनूप मित्तल चूँकि लगातार दो बार चुनाव हार चुके हैं, इसलिए अपनी हार के
कारणों का मंथन करने के लिए उन्हें थोड़ा 'दूर' रह कर विचार करना चाहिए और
इसके लिए एक वर्ष अपनी उम्मीदवारी से गैप करना चाहिए । विनोद बंसल का
कहना रहा कि यह सिर्फ उनका विचार है, दूसरे लोगों को भी इस बारे में अपने
अपने विचार देने चाहिए, और बहुमत की जो राय हो - उसे स्वीकार किया जाना
चाहिए । लेकिन विनोद बंसल का यह विचार ही बबाल का कारण बन गया है ।
लोग वास्तव में विचार पर गौर नहीं कर रहे हैं - गौर इस बात पर कर रहे हैं कि यह विचार विनोद बंसल क्यों दे रहे हैं ? हालाँकि इसमें लोगों का ज्यादा दोष नहीं है - क्योंकि उन्हें एक तरफ तो विनोद बंसल की सरपरस्ती वाले रोटरी वर्ष के कार्यक्रमों में अशोक कंटूर को तवज्जो मिलती दिख रही है, और दूसरी तरफ विनोद बंसल से अशोक कंटूर को फायदा पहुँचाने वाला विचार सुनने को मिल रहा है; दरअसल इसी परस्पर जुड़े दिख रहे दृश्य के कारण विनोद बंसल और उनका विचार विवाद में फँस गया है । विनोद बंसल के नाम पर विवाद हो जाने से कुछेक पूर्व गवर्नर्स अचानक से अनूप मित्तल के समर्थक हो गए हैं, और उनका कहना है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में विनोद बंसल अपनी राजनीति कर रहे हैं । विनोद बंसल बातों बातों में अजीत जालान का नाम भी भावी उम्मीदवार के रूप में ले लेते हैं । इससे लोगों को लग रहा है कि उन्होंने 'अपने' उम्मीदवारों की कोई लिस्ट तैयार कर ली है । अशोक कंटूर को फायदा पहुँचाने के लिए अनूप मित्तल को रास्ते से हटाने का विनोद बंसल का उनके लगातार दो वर्ष हारने का जो तर्क है, वह भी विवाद में पड़ गया है । अनूप मित्तल के पुराने और नए बने समर्थकों का कहना है कि पहले वर्ष में कुल करीब दो महीने की उम्मीदवारी में अनूप मित्तल पाँच उम्मीदवारों में दूसरे नंबर पर रहे थे, और दूसरे वर्ष में वह वास्तव में हारे नहीं हैं - बल्कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रवि चौधरी ने बेशर्म व निर्लज्ज किस्म की हरकतों के जरिए उन्हें हराया है । इसलिए अनूप मित्तल की लगातार दो वर्षों की उनकी हार को उनकी कमजोरी के रूप में नहीं देखा जा सकता है । और इसीलिए अनूप मित्तल को अपनी हार के कारणों पर विचार मंथन करने की जरूरत नहीं है, बल्कि डिस्ट्रिक्ट के वरिष्ठ व जिम्मेदार पूर्व गवर्नर्स को यह विचार करने की जरूरत है कि डिस्ट्रिक्ट में चुनाव को लेकर क्या मैकेनिज्म बनाया जाए ताकि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के पद पर बैठा व्यक्ति पक्षपातपूर्ण बेईमानी कम से कम बेशर्मी के साथ न कर सके !
उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में रवि चौधरी की कारस्तानियों का कच्चा-चिटठा अनूप मित्तल के क्लब के प्रेसीडेंट ने तैयार किया था, जिसे वह रोटरी इंटरनेशनल कार्यालय भेजने की तैयारी कर रहे थे । पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील गुप्ता तथा अन्य कुछ वरिष्ठ पूर्व गवर्नर्स ने डिस्ट्रिक्ट की छवि और पहचान व प्रतिष्ठा खराब होने का वास्ता देकर उन्हें रोटरी इंटरनेशनल में शिकायत करने से रोका । अनूप मित्तल और उनके क्लब के पदाधिकारियों को आश्वस्त किया गया कि वह आगे इस बात का ध्यान रखेंगे और व्यवस्था बनायेंगे कि कोई डिस्ट्रिक्ट गवर्नर चुनावी राजनीति में वैसी सक्रिय भूमिका न निभा सके, जैसी कि रवि चौधरी ने निभाई है । अनूप मित्तल की तरफ से हो सकने वाली चुनावी शिकायत को रोकने के लिए सुशील गुप्ता तथा कुछेक अन्य पूर्व गवर्नर्स ने अनूप मित्तल को आश्वस्त किया था कि वह देखेंगे कि आगे उनके साथ वैसी नाइंसाफी न हो, जैसी इस वर्ष हुई है । लेकिन विनोद बंसल की मुहिम से सुशील गुप्ता तथा अन्य पूर्व गवर्नर्स की तरफ से अनूप मित्तल को दिया गया आश्वासन संकट में पड़ता नजर आ रहा है । विनोद बंसल ने हालाँकि कई बार कहा/दोहराया है कि उनके डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर होते हुए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में विनय भाटिया चुनाव में सक्रिय व पक्षपातपूर्ण भूमिका नहीं निभा सकेंगे; लेकिन अशोक कंटूर को फायदा पहुँचाने की गरज से अनूप मित्तल को चुनावी मुकाबले से हटने/हटवाने का विचार व्यक्त करके उन्होंने एक अपनी भूमिका के प्रति संदेह तो पैदा कर ही लिया है - और इस कारण से डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में गर्मी आ गई महसूस होने लगी है ।
लोग वास्तव में विचार पर गौर नहीं कर रहे हैं - गौर इस बात पर कर रहे हैं कि यह विचार विनोद बंसल क्यों दे रहे हैं ? हालाँकि इसमें लोगों का ज्यादा दोष नहीं है - क्योंकि उन्हें एक तरफ तो विनोद बंसल की सरपरस्ती वाले रोटरी वर्ष के कार्यक्रमों में अशोक कंटूर को तवज्जो मिलती दिख रही है, और दूसरी तरफ विनोद बंसल से अशोक कंटूर को फायदा पहुँचाने वाला विचार सुनने को मिल रहा है; दरअसल इसी परस्पर जुड़े दिख रहे दृश्य के कारण विनोद बंसल और उनका विचार विवाद में फँस गया है । विनोद बंसल के नाम पर विवाद हो जाने से कुछेक पूर्व गवर्नर्स अचानक से अनूप मित्तल के समर्थक हो गए हैं, और उनका कहना है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में विनोद बंसल अपनी राजनीति कर रहे हैं । विनोद बंसल बातों बातों में अजीत जालान का नाम भी भावी उम्मीदवार के रूप में ले लेते हैं । इससे लोगों को लग रहा है कि उन्होंने 'अपने' उम्मीदवारों की कोई लिस्ट तैयार कर ली है । अशोक कंटूर को फायदा पहुँचाने के लिए अनूप मित्तल को रास्ते से हटाने का विनोद बंसल का उनके लगातार दो वर्ष हारने का जो तर्क है, वह भी विवाद में पड़ गया है । अनूप मित्तल के पुराने और नए बने समर्थकों का कहना है कि पहले वर्ष में कुल करीब दो महीने की उम्मीदवारी में अनूप मित्तल पाँच उम्मीदवारों में दूसरे नंबर पर रहे थे, और दूसरे वर्ष में वह वास्तव में हारे नहीं हैं - बल्कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रवि चौधरी ने बेशर्म व निर्लज्ज किस्म की हरकतों के जरिए उन्हें हराया है । इसलिए अनूप मित्तल की लगातार दो वर्षों की उनकी हार को उनकी कमजोरी के रूप में नहीं देखा जा सकता है । और इसीलिए अनूप मित्तल को अपनी हार के कारणों पर विचार मंथन करने की जरूरत नहीं है, बल्कि डिस्ट्रिक्ट के वरिष्ठ व जिम्मेदार पूर्व गवर्नर्स को यह विचार करने की जरूरत है कि डिस्ट्रिक्ट में चुनाव को लेकर क्या मैकेनिज्म बनाया जाए ताकि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के पद पर बैठा व्यक्ति पक्षपातपूर्ण बेईमानी कम से कम बेशर्मी के साथ न कर सके !
उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में रवि चौधरी की कारस्तानियों का कच्चा-चिटठा अनूप मित्तल के क्लब के प्रेसीडेंट ने तैयार किया था, जिसे वह रोटरी इंटरनेशनल कार्यालय भेजने की तैयारी कर रहे थे । पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील गुप्ता तथा अन्य कुछ वरिष्ठ पूर्व गवर्नर्स ने डिस्ट्रिक्ट की छवि और पहचान व प्रतिष्ठा खराब होने का वास्ता देकर उन्हें रोटरी इंटरनेशनल में शिकायत करने से रोका । अनूप मित्तल और उनके क्लब के पदाधिकारियों को आश्वस्त किया गया कि वह आगे इस बात का ध्यान रखेंगे और व्यवस्था बनायेंगे कि कोई डिस्ट्रिक्ट गवर्नर चुनावी राजनीति में वैसी सक्रिय भूमिका न निभा सके, जैसी कि रवि चौधरी ने निभाई है । अनूप मित्तल की तरफ से हो सकने वाली चुनावी शिकायत को रोकने के लिए सुशील गुप्ता तथा कुछेक अन्य पूर्व गवर्नर्स ने अनूप मित्तल को आश्वस्त किया था कि वह देखेंगे कि आगे उनके साथ वैसी नाइंसाफी न हो, जैसी इस वर्ष हुई है । लेकिन विनोद बंसल की मुहिम से सुशील गुप्ता तथा अन्य पूर्व गवर्नर्स की तरफ से अनूप मित्तल को दिया गया आश्वासन संकट में पड़ता नजर आ रहा है । विनोद बंसल ने हालाँकि कई बार कहा/दोहराया है कि उनके डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर होते हुए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में विनय भाटिया चुनाव में सक्रिय व पक्षपातपूर्ण भूमिका नहीं निभा सकेंगे; लेकिन अशोक कंटूर को फायदा पहुँचाने की गरज से अनूप मित्तल को चुनावी मुकाबले से हटने/हटवाने का विचार व्यक्त करके उन्होंने एक अपनी भूमिका के प्रति संदेह तो पैदा कर ही लिया है - और इस कारण से डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में गर्मी आ गई महसूस होने लगी है ।