Sunday, February 18, 2018

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3080 में डिस्ट्रिक्ट सर्विस सोसायटी के पैसे चोरीछिपे राजा साबू की चेयरमैनी वाले उत्तराखंड रिलीफ फंड के बंद घोषित कर दिए गए अकाउंट में ले जाए जाने के मामले के तूल पकड़ने से डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में कपिल गुप्ता की उम्मीदवारी मुसीबत में पड़ी

चंडीगढ़ । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर टीके रूबी के गवर्नर-काल की मिड-ईयर रिव्यू मीटिंग में राजा साबू गिरोह की करीब साढ़े 21 लाख रुपए की 'लूट' और इस लूट को ठिकाने लगाने तथा छिपाने की कोशिशों को लेकर जो फजीहत हुई है, उसने कपिल गुप्ता की डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की उम्मीदवारी के लिए खासी समस्या पैदा कर दी है । उल्लेखनीय है कि कपिल गुप्ता अपनी उम्मीदवारी को कामयाबी दिलाने के लिए पूरी तरह से राजा साबू गिरोह के नेताओं पर निर्भर हैं, लेकिन नेताओं के लिए समस्या की बात यह हुई है कि वह किस मुँह से लोगों के बीच कपिल गुप्ता की उम्मीदवारी की सिफारिश और वकालत करें; बेशर्मी धारण करके यदि करें भी तो उनकी बेईमानियों के किस्से सुनने के बाद कौन उनकी सिफारिश व वकालत पर गौर करेगा ? कपिल गुप्ता के नजदीकियों ने भी मान लिया है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की चुनावी लड़ाई - लड़ाई शुरू होने से पहले ही वह हार गए हैं । कुछेक लोगों को हालाँकि लग रहा है कि दूसरे उम्मीदवारों की तुलना में कपिल गुप्ता की सक्रियता का ग्राफ चूँकि बेहतर है, और दूसरे उम्मीदवारों की तुलना में उनका समर्थन आधार भी अपेक्षाकृत बड़ा है - इसलिए कपिल गुप्ता के लिए चुनावी मुकाबला मुश्किल नहीं होगा; किंतु चुनावी राजनीति के अनुभवी लोगों का मानना और कहना है कि इस बार का मुकाबला दो उम्मीदवारों के बीच नहीं, बल्कि दो खेमों के बीच है; और डिस्ट्रिक्ट में इस समय राजा साबू खेमे की हरकतों के खिलाफ जो गुस्सा है - उसे देखते हुए कपिल गुप्ता के लिए चुनावी मुकाबला कठिन ही होगा । टीके रूबी की मिड-ईयर रिव्यू मीटिंग में क्लब्स के प्रेसीडेंट्स तथा अन्य लोगों के बीच राजा साबू गिरोह के पूर्व गवर्नर्स सदस्यों की हरकतों के प्रति जो नाराजगी फूटी है, उसे देखते हुए कपिल गुप्ता के लिए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद का उनके भरोसे लड़ा जाने वाला चुनाव खासी मुश्किल में फंस गया है ।
टीके रूबी के गवर्नर-काल की मिड-ईयर रिव्यू मीटिंग में 'रोटरी डिस्ट्रिक्ट 3080 सर्विस' सोसायटी के हिसाब-किताब और उसके रख-रखाव को लेकर जो गंभीर आरोप सामने आए, उससे राजा साबू गिरोह के सदस्य पूर्व गवर्नर्स की लूट-खसोट के तथ्य एक बार फिर उद्घाटित हुए हैं । सोसायटी के नियम के अनुसार, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सोसायटी का चेयरमैन होगा, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट सेक्रेटरी तथा निवर्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर ट्रेजरर होगा - लेकिन सोसायटी पर राजा साबू के मुँह लगे पूर्व गवर्नर्स मधुकर मल्होत्रा और चेतन अग्रवाल  ऐसी कुंडली मार कर बैठे हुए हैं कि इस नियम की बैंड बजाई हुई है । इनके बेशर्मी भरे दुस्साहस का आलम यह है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में टीके रूबी ने जब सोसायटी के हिसाब-किताब देखने/माँगने की कोशिश की तो मधुकर मल्होत्रा ने उन्हें बाकायदा ईमेल लिख कर जबाव दिया कि आप तो सोसायटी के सदस्य ही नहीं हो, इसलिए आपको हिसाब माँगने/देखने का अधिकार ही नहीं है । नियम के अनुसार, जिस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर को सोसायटी का चेयरमैन होना चाहिए, मधुकर मल्होत्रा उस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर को सोसायटी का सदस्य तक मानने से इंकार कर रहे हैं और हिसाब-किताब देखने/माँगने के उसके अधिकार को ही चुनौती दे रहे हैं । टीके रूबी को सोसायटी के हिसाब-किताब को लेकर इन लोगों से जिस तरह की उलझन का सामना करना पड़ रहा है, उससे यह भी पोल खुली है कि चेतन अग्रवाल और मधुकर मल्होत्रा की जोड़ी ने पिछले वर्षों में गवर्नर रहे रमन अनेजा, डेविड हिल्टन, दिलीप पटनायक आदि को भी उनका अधिकार नहीं लेने दिया है; और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट प्रवीन गोयल को भी सेक्रेटरी का अधिकार नहीं दिया गया है ।
मिड-ईयर रिव्यू मीटिंग में प्रेसीडेंट्स व अन्य पदाधिकारियों के बीच जो पोल खुली उसमें इस सवाल का जबाव भी मिला, कि राजा साबू के सिपहसालारों के रूप में चेतन अग्रवाल और मधुकर मल्होत्रा के लिए नियमों की अनदेखी करते हुए जबर्दस्ती सोसायटी पर कब्जा जमाए रखने की जरूरत आखिर क्यों है ? पता चला कि सोसायटी के बैंक अकाउंट से चोरीछिपे और मनमाने तरीके से 21 लाख 44 हजार 900 रुपए 14 सितंबर 2017 को राजा साबू की चेयरमैनी वाले उत्तराखंड रिलीफ फंड अकाउंट में ट्रांसफर कर लिए गए; सोसायटी के चेयरमैन टीके रूबी को जिसकी भनक तक नहीं लगने दी गई । लगता है कि टीके रूबी को शक था कि सोसायटी के हिसाब-किताब में चोरी-चकारी हो सकती है, इसलिए उन्होंने पहले से ही अनुरोध किया हुआ था कि उनकी जानकारी के बिना सोसायटी के पैसों का कोई इस्तेमाल न हो । उनके इस अनुरोध के बावजूद, सोसायटी के अकाउंट से पैसे राजा साबू के चेयरमैनी वाले अकाउंट में ले जाए गए । इस मामले में और भी गंभीर बात यह भी है कि उत्तराखंड रिलीफ फंड को 17 अगस्त 2017 को ही बंद घोषित करते हुए उसका हिसाब-किताब दे दिया गया था । उल्लेखनीय है कि करीब पौने तीन करोड़ रुपए के घपले के आरोप राजा साबू की चेयरमैनी वाले उत्तराखंड रिलीफ फंड में भी हैं; उसके बावजूद उस फंड अकाउंट को बंद करने की घोषणा के बाद भी 'रोटरी डिस्ट्रिक्ट 3080 सर्विस' सोसायटी के अकाउंट से चोरीछिपे 21 लाख से ज्यादा रुपए ले लिए गए । पैसों के इस ट्रांसफर की बात खुलने से उत्तराखंड रिलीफ फंड में हुई हेराफेरी के आरोप एक बार फिर ताजा हो गए हैं । हैरानी की बात यह है कि रोटरी डिस्ट्रिक्ट 3080 सर्विस सोसायटी के हिसाब-किताब में व्यवस्था और नियमों के पालन की बात शुरू हुई तो चेतन अग्रवाल व मधुकर मल्होत्रा की जोड़ी ने 'चोरी और सीनाजोरी' वाला रवैया अपना लिया है ।
टीके रूबी के गवर्नर-काल की मिड-ईयर रिव्यू मीटिंग में राजा साबू गिरोह के सदस्यों की लूट-खसोट की पोल खुली, तो प्रेसीडेंट्स व अन्य पदाधिकारियों का गुस्सा फूटा । कुछेक लोगों ने कहा भी कि अभी तक वह यह विश्वास नहीं करते थे कि रोटरी के नाम पर पैसों की चोरी व हेराफेरी में राजा साबू की मिलीभगत भी हो सकती है - लेकिन जिस तरह के तथ्य सामने आ रहे हैं, उससे तो लग रहा है कि राजा साबू की मिलीभगत के बिना इस तरह की हेराफेरी हो ही नहीं सकती है । मीटिंग में मौजूद कुछेक लोगों ने माँग भी की कि रोटरी के प्रोजेक्ट्स के नाम पर पैसों की लूट व हेराफेरी करने के आरोप में राजा साबू और दूसरे पदाधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाना चाहिए ताकि आगे यह रोटरी के नाम पर लूट-खसोट न कर सकें । रोटरी डिस्ट्रिक्ट 3080 सर्विस सोसायटी तथा उत्तराखंड रिलीफ फंड में हेराफेरियों के आरोपों व उसके दोषियों का वास्तव में क्या होगा, यह तो आगे पता चलेगा - अभी लेकिन इसका ठीकरा कपिल गुप्ता के सिर फूटता दिख रहा है । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में राजा साबू गिरोह के भरोसे जीत हासिल करने की तैयारी कर रहे कपिल गुप्ता को यह मुसीबत बैठे-बिठाए ही मिल गई है ।