Wednesday, February 14, 2018

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में अल्पमत का चेयरमैन बनवाने की राजेश शर्मा की हरकत को विजय गुप्ता का भी समर्थन सचमुच मिलेगा क्या ?

नई दिल्ली । विज्ञान भवन में आयोजित हुए इंस्टीट्यूट के 68वें वार्षिक समारोह के अवसर पर निवर्तमान प्रेसीडेंट नीलेश विकमसे को तीन केंद्रीय मंत्रियों के सामने पिछले 'सीए डे' फंक्शन की बदइंतजामी को लेकर जो लताड़ सुनने को मिली, उसने सेंट्रल काउंसिल सदस्य राजेश शर्मा की करतूतों की याद एक बार फिर ताजा करा दी - और इस याद ने नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के चेयरमैन के चुनाव को लेकर राजेश शर्मा द्वारा बनाए जा रहे समीकरण को गड़बड़ा देने की आशंका पैदा कर दी है । यह आशंका वास्तव में सेंट्रल काउंसिल के एक दूसरे सदस्य विजय गुप्ता को लेकर उठी है । लोगों को लग रहा है कि 'सीए डे' फंक्शन में की गईं राजेश शर्मा की करतूतों की यादें जिस तरह से चार्टर्ड एकाउंटेंट्स को अभी भी पीड़ा पहुँचा रही हैं, उसे देखते हुए विजय गुप्ता अपना नाम किसी भी रूप में राजेश शर्मा के साथ जोड़ने को तैयार शायद न हों । नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के चेयरमैन को लेकर राजेश शर्मा लेकिन जो समीकरण बनाते सुने जा रहे हैं, उसमें उन्होंने विजय गुप्ता को शामिल किया हुआ है । हालाँकि यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि राजेश शर्मा ने अपने समीकरण में शामिल करने के लिए विजय गुप्ता की सहमति ले ली है, या उन्हें फँसाने के लिए वह उनका नाम अपने मन से ले रहे हैं । राजेश शर्मा के नजदीकियों का कहना है कि राजेश शर्मा यदि अपने किसी खेल में विजय गुप्ता के भी शामिल होने की बात कर रहे हैं, तो इसके लिए उन्होंने अवश्य ही विजय गुप्ता से सहमति ले ली होगी; लेकिन विजय गुप्ता के नजदीकियों का कहना है कि प्रोफेशन के लोगों के बीच राजेश शर्मा की भारी बदनामी को देखते हुए विजय गुप्ता चुनावी वर्ष में राजेश शर्मा के साथ किसी भी रूप में खड़े नहीं दिखना चाहेंगे - उनके किसी खेल में शामिल होना तो बहुत दूर की बात है । 
68वें वार्षिक समारोह में राजेश शर्मा की कारस्तानियों के कारण भरी सभा में नीलेश विकमसे की जो फजीहत हुई, उसने विजय गुप्ता को और भी सावधान कर दिया है । उनकी यह सावधानी नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के चेयरमैन के चुनाव को लेकर राजेश शर्मा द्वारा तैयार की गई रणनीति को गड़बड़ा रही है । राजेश शर्मा ने पंकज पेरिवाल को अल्पमत के बावजूद चेयरमैन बनवाने की जो रणनीति तैयार की है, उसमें विजय गुप्ता की अहम् भूमिका है । उल्लेखनीय है कि नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के 13 सदस्यों में राजेश शर्मा के उम्मीदवार के रूप में पंकज पेरिवाल को कुल 6 सदस्यों का समर्थन प्राप्त है । तरह तरह की हरकतों व दबावों से राजेश शर्मा ने बाकी सदस्यों में से किसी एक का समर्थन जुटाने का प्रयास तो बहुत किया है, लेकिन उनकी बदनामी को देखते हुए उनका प्रयास सफल नहीं हो सका है । इस असफलता के चलते ही राजेश शर्मा ने दावा करना शुरू किया कि चेयरमैन तो पंकज पेरिवाल ही बनेगा, इसके लिए भले ही एक्स-ऑफिसो के रूप में उन्हें और विजय गुप्ता को अपना वोट क्यों न डालना पड़े । उल्लेखनीय है कि रीजनल काउंसिल में एक्स-ऑफिसो के रूप में हालाँकि पाँच वोट और हैं, और उन पाँचों को पंकज पेरिवाल व राजेश शर्मा की जोड़ी के खिलाफ ही देखा/पहचाना जाता है - लेकिन राजेश शर्मा को उनकी परवाह नहीं है । राजेश शर्मा जानते हैं कि यह पाँचों 'शरीफ' लोग हैं और यह एक्स-ऑफिसो के रूप में अपना अपना वोट नहीं डालेंगे । दरअसल जैसा कि समाज में होता है - जहाँ बदमाशियाँ बदमाशों के प्रभाव के कारण नहीं होती/बढ़ती हैं, बल्कि शरीफों के चुप रहने के कारण बढ़ती हैं; ठीक उसी तर्ज पर इंस्टीट्यूट में राजेश शर्मा की हरकतों ने इंस्टीट्यूट व प्रोफेशन को अपने प्रभाव के कारण कलंकित नहीं किया हुआ है, बल्कि इसलिए कलंकित किया हुआ है क्योंकि दूसरे लोग चुपचाप बैठे तमाशा देखते रहते हैं । राजेश शर्मा इसीलिए आश्वस्त हैं कि नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल का चेयरमैन बनवाने में उनकी मर्जी सफल हो जाएगी । विजय गुप्ता को वह 'अपने जैसा ही' मानते/समझते हैं ।
विजय गुप्ता को राजेश शर्मा अपने खेल में इसलिए भी शामिल समझते हैं, क्योंकि पंकज पेरिवाल के साथ विजय गुप्ता के यूँ भी अच्छे संबंध हैं । विजय गुप्ता को अपनी उम्मीदवारी के लिए लुधियाना में पंकज पेरिवाल और उनके पिता से सहयोग व समर्थन मिलता रहा है । राजेश शर्मा को विश्वास है कि वही सहयोग व समर्थन पंकज पेरिवाल के पक्ष में वोट करने के लिए विजय गुप्ता की मजबूरी बनेगा । विजय गुप्ता के सामने दोहरी समस्या है - एक तो यह कि पंकज पेरिवाल के लिए वह वोट करने को यदि तैयार हो भी जाएँ, तो भी पंकज पेरिवाल की जीत वास्तव में राजेश शर्मा की ही जीत मानी/समझी जाएगी और उनके हाथ कुछ नहीं लगेगा; दूसरी समस्या यह कि राजेश शर्मा की बदनामी का कीचड़ उनके साथ और चिपक जायेगा । विजय गुप्ता को यह भी लगता है कि पंकज पेरिवाल यदि अल्पमत में होने के बावजूद चेयरमैन बन भी जाते हैं, तो पूरे वर्ष बार बार मौजूदा चेयरमैन राकेश मक्कड़ की तरह फजीहत के शिकार बनेंगे - और तब बार बार उनका नाम भी उछलेगा, और यह बात चुनावी वर्ष में उनके लिए खासी फजीहत भरी साबित हो सकती है । विजय गुप्ता को अगले वर्ष वाइस प्रेसीडेंट का चुनाव भी लड़ना है । अल्पमत के चेयरमैन के रूप में पंकज पेरिवाल के झंझट तब तक चलते ही रहेंगे और यह बात विजय गुप्ता के लिए मुसीबत भरी साबित हो सकती है । इसलिए विजय गुप्ता के शुभचिंतकों का मानना और कहना है कि विजय गुप्ता को नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में अल्पमत का चेयरमैन बनवाने के राजेश शर्मा के खेल में नहीं पड़ना/फँसना चाहिए । विजय गुप्ता क्या करेंगे, यह तो बाद में पता चलेगा - अभी लेकिन यह जरूर पता चल रहा है कि नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के चेयरमैन पद के चुनाव की चाबी विजय गुप्ता के पास ही है ।