Monday, February 26, 2018

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की सेंट्रल इंडिया रीजनल काउंसिल में अल्पमत वाले सत्ता खेमे के सदस्यों की चालबाजियों को पिटता देख उम्मीद बनी है कि इस बार बहुमत के समर्थन वाला सदस्य ही चेयरमैन बनेगा, और वह ज्ञान चंद्र मिश्र होंगे

कानपुर । सेंट्रल इंडिया रीजनल काउंसिल के चेयरमैन का चुनाव करने के लिए अल्पमत वाले सत्ता खेमे ने काउंसिल सदस्यों की मीटिंग 22 फरवरी को करने की जो योजना बनाई थी, उसके फेल हो जाने के कारण अभी के सत्ता खेमे के सदस्यों के सामने सत्ता से बाहर हो जाने का खतरा पैदा हो गया है - और सभी को विश्वास है कि सत्ता खेमे के सदस्यों तथा उनके समर्थक सेंट्रल काउंसिल सदस्यों ने यदि कोई घटिया हरकत नहीं की तो चेयरमैन पद पर ज्ञान चंद्र मिश्र की ताजपोशी हो जाएगी । यह उम्मीद तो हालाँकि पहले से ही थी कि प्रकाश शर्मा, मुकेश कुशवाह, मनु अग्रवाल व केमिशा सोनी के रूप में सेंट्रल काउंसिल के जिन चार सदस्यों ने एक्स-ऑफिसो के रूप में अल्पमत वाले चेयरमैन को चुनवाने की जो हरकत पिछली बार की थी, उसे वह इस बार नहीं दोहरायेंगे । दरअसल इस हरकत के लिए उनकी भारी फजीहत हुई और अल्पमत वाला चेयरमैन जिस तरह सिर्फ एक कठपुतली बन कर रह गया और काउंसिल के कामकाज का बेड़ागर्क कर गया, उसके लिए लोगों ने चेयरमैन को कम तथा उन्हें समर्थन देने वाले चार सेंट्रल काउंसिल सदस्यों को ज्यादा कोसा । चुनावी वर्ष में ऐसी फजीहत झेलना उनके लिए आत्मघाती हो सकता है, इसलिए अब की बार उनके रीजनल काउंसिल की चुनावी राजनीति से दूर रहने की उम्मीद की गई थी - और लोगों की यह उम्मीद काउंसिल सदस्यों की 22 फरवरी की मीटिंग को लेकर छिड़े विवाद में उनके रवैये से पूरी होती हुई दिखी भी । मजे की बात यह देखने में आई कि पूरे वर्ष सत्ताधारियों की जो फजीहत हुई, उससे सेंट्रल काउंसिल के सदस्य तो सबक लेते हुए दिखे, लेकिन रीजनल काउंसिल के सदस्य पुराने ढर्रे पर ही चलते हुए नजर आए । मीटिंग के लिए 22 फरवरी की तारीख तय करके उन्होंने यही साबित किया कि उनके लिए मानवीयता का कोई मूल्य और महत्ता नहीं है, और अपने साथ के लोगों के दुःख में भी वह अपना फायदा लेने/उठाने का काम कर सकते हैं ।
22 फरवरी को दरअसल सेंट्रल इंडिया रीजनल काउंसिल के ही एक सदस्य रोहित रुवाटिया की माँ की तेरहवीं का कार्यक्रम था । रीजनल काउंसिल के सत्ता खेमे के सदस्यों ने आकलन किया कि रोहित रुवाटिया तो वहाँ व्यस्त होंगे, और इस कारण से काउंसिल की मीटिंग में शामिल नहीं हो सकेंगे - इससे विरोधी खेमे की ताकत घटेगी, जिसका फायदा वह उठा सकेंगे । काउंसिल के सदस्य के रूप में अपने ही साथी की माँ के निधन में राजनीतिक फायदा उठा लेने का मौका बनाने की यह हरकत साबित करती है कि सत्ता खेमे के सदस्यों के लिए राजनीति और कुर्सी ही सर्वोपरि है । अन्य कुछेक लोगों के साथ-साथ पिछले चेयरमैन अभय छाजेड़ ने भी काउंसिल के सेक्रेटरी मुकेश बंसल से अनुरोध किया कि वह जानते तो हैं ही कि 22 फरवरी को रोहित रुवाटिया की माँ की तेरहवीं हैं, इसलिए उस दिन मीटिंग न रखें, बाद की किसी भी तारीख में मीटिंग रख लें । इसके बावजूद मुकेश बंसल ने 22 फरवरी की ही मीटिंग रख ली और उसका नोटिस निकाल दिया । इस पर बबाल होना ही था, और वह हुआ भी । मुकेश बंसल की तरफ से सुना गया कि सेंट्रल काउंसिल सदस्य प्रकाश शर्मा ने उन्हें आश्वस्त किया कि 22 फरवरी को मीटिंग करने को लेकर जो हाय/हल्ला है, उसे अनसुना करो - क्योंकि यह हाय/हल्ला करने वाले लोग इससे ज्यादा और कुछ कर भी नहीं सकेंगे । प्रकाश शर्मा को दरअसल गौतम शर्मा को रीजनल काउंसिल के पदाधिकारियों की टीम में फिट करना था, और उन्हें लगता रहा कि 22 फरवरी को मीटिंग करके ही वह इस काम को कर सकते हैं । लेकिन जल्दी ही प्रकाश शर्मा और रीजनल काउंसिल के पदाधिकारियों को समझ में आ गया कि 22 फरवरी को मीटिंग करने की उनकी चालबाजी कामयाब हो नहीं पाएगी ।
दरअसल काउंसिल सदस्य रोहित रुवाटिया की माँ की तेरहवीं वाले दिन ही मीटिंग करने को लेकर रीजन के लोगों से जो प्रतिक्रिया मिली, उसके चलते सेंट्रल काउंसिल में प्रकाश शर्मा के संगी-साथियों ने इस मुद्दे पर उनसे अलग राय रखना शुरू की । इससे जो माहौल बना, उससे 22 फरवरी को मीटिंग करके अपना राजनीतिक हित साधने वाले काउंसिल सदस्यों को समझ में आ गया कि 22 फरवरी को मीटिंग करने की जिद करके कहीं ऐसा न हो कि उन्हें लोगों के बीच बदनामी भी मिले, और कोई पद भी न मिले । लिहाजा 22 फरवरी की मीटिंग स्थगित करके, मीटिंग के लिए 28 फरवरी की नई तारीख घोषित की गई । रीजनल काउंसिल के मौजूदा सत्ता खेमे में 10 में से कुल चार सदस्य ही हैं; पिछली बार सेंट्रल काउंसिल के जिन चार सदस्यों के समर्थन से इन्होंने अल्पमत में होने के बावजूद सत्ता पा ली थी, वह इस बार पिछली बार जैसी भूमिका निभाने को तैयार नहीं नजर आ रहे हैं । इससे लग रहा है कि इस बार सेंट्रल इंडिया रीजनल काउंसिल को बहुमत के समर्थन वाला चेयरमैन मिल जायेगा । बहुमत वाले खेमे में चेयरमैन पद के लिए ज्ञान चंद्र मिश्र के नाम पर सहमति है, इसलिए उम्मीद की जा रही है कि 28 फरवरी को ज्ञान चंद्र मिश्र नए चेयरमैन चुन ही लिए जायेंगे ।