Thursday, February 1, 2018

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में दीपक गुप्ता और मुकेश अरनेजा अपने स्वार्थ में सतीश सिंघल की डिस्ट्रिक्ट गवर्नरी 'बचाने' के लिए सुशील गुप्ता और बासकर चॉकलिंगम जैसे बड़े नेताओं तक से दोहरा खेल खेलते हुए धोखाधड़ी कर रहे हैं क्या ?

गाजियाबाद । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी दीपक गुप्ता और पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर मुकेश अरनेजा ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सतीश सिंघल का इस्तीफा कराने के मामले में इंटरनेशनल डायरेक्टर बासकर चॉकलिंगम को जिस तरह से छकाया और बेवकूफ बनाया हुआ है, उसके कारण सतीश सिंघल के मामले में रोटरी इंटरनेशनल पदाधिकारियों के बीच इन दोनों की भूमिका भी खासी संदिग्ध हो गई है । उल्लेखनीय है कि रोटरी नोएडा ब्लड बैंक में घपलेबाजी तथा अनियमितताओं के आरोपों के मामले में सतीश सिंघल पर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद से इस्तीफा देने के लिए रोटरी के बड़े नेताओं की तरफ से भारी दबाव है । सतीश सिंघल को इस्तीफे के लिए राजी करने के लिए रोटरी के बड़े नेताओं व पदाधिकारियों ने दीपक गुप्ता व मुकेश अरनेजा की भी मदद लेने का प्रयास किया । इन दोनों को चूँकि सतीश सिंघल के नजदीकियों के रूप में देखा/पहचाना जाता है, इसलिए पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील गुप्ता और मौजूदा इंटरनेशनल डायरेक्टर बासकर चॉकलिंगम ने इन दोनों को काम सौंपा कि रोटरी और डिस्ट्रिक्ट की पहचान व प्रतिष्ठा को बनाए रखने की अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए यह सतीश सिंघल को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के पद से इस्तीफा देने के लिए राजी करें । इन्हें बताया गया कि सतीश सिंघल यदि इस्तीफा नहीं देते हैं, और रोटरी इंटरनेशनल उन्हें बर्खास्त करता है तो यह डिस्ट्रिक्ट व रोटरी की पहचान व प्रतिष्ठा के लिए बहुत ही बुरी बात होगी । दीपक गुप्ता और मुकेश अरनेजा ने सुशील गुप्ता और बासकर चॉकलिंगम को आश्वस्त किया कि वह सतीश सिंघल से इस्तीफा दिलवा देंगे और डिस्ट्रिक्ट व रोटरी की पहचान व प्रतिष्ठा को आँच नहीं आने देंगे । लेकिन उनके द्वारा दिए गए आश्वासन के बावजूद सतीश सिंघल चूँकि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के पद से इस्तीफा देते हुए नहीं 'दिख रहे हैं, इसलिए दीपक गुप्ता और मुकेश अरनेजा की भूमिका भी संदेह के घेरे में आ गई है ।
यूँ तो, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के पद से इस्तीफा देने और या न देने का फैसला सतीश सिंघल को ही करना है; दूसरा कोई उन्हें सिर्फ अपनी राय दे सकता है - इसलिए सतीश सिंघल यदि इस्तीफा नहीं दे रहे हैं, तो उसके लिए दीपक गुप्ता और मुकेश अरनेजा को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है । बात लेकिन यदि इतनी ही आसान और सहज होती, तो दीपक गुप्ता और मुकेश अरनेजा के लिए कोई समस्या ही खड़ी नहीं होती । इनके लिए समस्या लेकिन इसलिए खड़ी हुई है क्योंकि यह दोनों सतीश सिंघल की मुसीबतें शुरू होने के बाद से समय समय पर सुशील गुप्ता व बासकर चॉकलिंगम के 'यहाँ' सतीश सिंघल की वकालत करते रहे हैं । दरअसल जब भी कोई मामला उठ खड़ा होता है, तब पर्दे के पीछे भी बहुत से सौदे/समझौते करने के खेल चलते हैं । सतीश सिंघल के मामले में भी यह खेल चले ही हैं - और पर्दे के पीछे चलने वाले इस खेल में सतीश सिंघल के दोस्तों और दुश्मनों ने अपनी अपनी भूमिका निभाई ही है । सतीश सिंघल के दोस्तों के रूप में दीपक गुप्ता और मुकेश अरनेजा की भूमिका काफी हद तक उद्घाटित भी रही । इन्होंने सतीश सिंघल को 'बचाने' की अपने अपने स्तर पर हर मुमकिन कोशिश भी की - इसलिए दीपक गुप्ता और मुकेश अरनेजा के लिए यह कह कर बच निकलना आसान नहीं है कि इस्तीफे के मामले में सतीश सिंघल उनकी सुन नहीं रहे हैं । यदि यह ऐसा कहते हैं तो फिर आगे इनके लिए सतीश सिंघल की वकालत करना मुश्किल ही होगा । बात सिर्फ इतनी ही होती, तो भी कोई बात नहीं होती । कई बातें दरअसल इतनी घुली-मिली हैं कि दीपक गुप्ता और मुकेश अरनेजा के लिए अपने आप को सतीश सिंघल से अलग कर लेना आसान नहीं होगा ।
मुकेश अरनेजा की डीआरएफसी के रूप में की गई कारस्तानियों का जो चिट्ठा रोटरी इंटरनेशनल में है, वास्तव में उसने इस मामले को आसान नहीं रहने दिया है । उल्लेखनीय है कि डीआरएफसी के रूप में मुकेश अरनेजा द्वारा की गईं ग्रांट्स के पैसों की हेराफेरियों को लेकर निवर्त्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर शरत जैन की शिकायतों का पुलिंदा रोटरी इंटरनेशनल के संज्ञान में है । आरोप है कि पिछले रोटरी वर्ष में हुए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में दीपक गुप्ता को वोट दिलवाने के लिए मुकेश अरनेजा ने डीआरएफसी के रूप में ग्रांट्स के काम में हेराफेरियाँ कीं थीं । शरत जैन की शिकायतों से बचने के लिए मुकेश अरनेजा को सतीश सिंघल की मदद की जरूरत पड़ेगी । सतीश सिंघल उनकी मदद तब कर सकेंगे, जब वह खुद बचेंगे । यदि नहीं भी बच सकेंगे, तो कम से कम रोटरी के बड़े नेताओं व पदाधिकारियों के साथ संबंध तो खराब नहीं करेंगे और उनसे सहानुभूतिपूर्ण किस्म का संवाद तो बनाए रखेंगे । इस सहानुभूतिपूर्ण संवाद को बनाए रखने के लिए ही दीपक गुप्ता और मुकेश अरनेजा काम आयेंगे । इसके लिए जरूरी है कि यह दोनों रोटरी के बड़े नेताओं व पदाधिकारियों की सतीश सिंघल से इस्तीफा दिलवाने की अपेक्षा को पूरा करवाएँ । इस जरूरत को समझते/पहचानते हुए ही दीपक गुप्ता व मुकेश अरनेजा ने सतीश सिंघल का इस्तीफा करवाने/दिलवाने को लेकर अभी तक भी सुशील गुप्ता व बासकर चॉकलिंगम के सामने हाथ खड़े नहीं किए हैं । यही स्थिति सतीश सिंघल का इस्तीफा न होने/मिलने की सूरत में दीपक गुप्ता और मुकेश अरनेजा को फँसाती है ।  
सुशील गुप्ता और बासकर चॉकलिंगम के साथ इस बीच जिन लोगों की सतीश सिंघल के मामले को लेकर बातें हुईं हैं, उनकी मानें तो इन्हें अब यह भी लगने लगा है कि दीपक गुप्ता और मुकेश अरनेजा उनके साथ खेल कर रहे हैं, और सतीश सिंघल का इस्तीफा करवाने को लेकर ईमानदारी से कोई प्रयास नहीं कर रहे हैं । सुशील गुप्ता और बासकर चॉकलिंगम को यह भी लग रहा है कि दीपक गुप्ता और मुकेश अरनेजा अपने आपको बचाने के लिए सतीश सिंघल को इस्तीफा न देने के लिए तैयार कर रहे हैं, और इनकी ही शह के चलते इंटरनेशनल प्रेसीडेंट ईआन रिसेले के सुझाव के बावजूद सतीश सिंघल डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के पद से इस्तीफा नहीं दे रहे हैं । दीपक गुप्ता और मुकेश अरनेजा को डर है कि सतीश सिंघल के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद से हटने के बाद डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की जिम्मेदारी यदि कहीं सुभाष जैन को मिल गई तो ग्रांट्स में की गई हेराफेरियों पर पर्दा डाले रखना मुश्किल हो जायेगा - और तब न जाने क्या मुसीबत खड़ी हो जाए ? इसलिए दीपक गुप्ता और मुकेश अरनेजा को भी यह जरूरी लग रहा है कि किसी भी तरह से सतीश सिंघल की गवर्नरी बच जाए और उनका गवर्नर-काल पूरा हो जाए । दीपक गुप्ता और मुकेश अरनेजा की इस 'जरूरत' का आभास चूँकि सुशील गुप्ता और बासकर चॉकलिंगम को भी हो जाने के संकेत मिल रहे हैं - इसलिए सतीश सिंघल का इस्तीफा न होने की सूरत में दीपक गुप्ता और मुकेश अरनेजा की भूमिका भी संदेह के घेरे में आती नजर आ रही है । दीपक गुप्ता और मुकेश अरनेजा के लिए मुसीबत की बात यह हुई है कि सतीश सिंघल पर छाए संकट ने उनके लिए एक तरफ कुआँ तो दूसरी तरफ खाई वाली स्थिति पैदा कर दी है ।