Wednesday, February 21, 2018

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के प्रेसीडेंट नवीन गुप्ता और उनके पिता एनडी गुप्ता के नाम पर नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल का चेयरमैन बनवाने की विजय झालानी की राजनीति ने पंकज पेरिवाल का और तमाशा बनाया

नई दिल्ली । राजेश शर्मा और विजय गुप्ता के बाद एनडी गुप्ता व नवीन गुप्ता का नाम लेकर विजय झालानी के भी पंकज पेरिवाल को चेयरमैन बनवाने के लिए कमर कस लेने के चलते, नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के चेयरमैन का चुनाव और भी दिलचस्प हो गया है । यह दिलचस्प इसलिए भी हो गया है क्योंकि इतने तुर्रमखाँओं के सक्रिय होने/रहने के बावजूद पंकज पेरिवाल छह सदस्यीय अल्पमत ग्रुप के उम्मीदवार ही बने हुए हैं, और सात सदस्यीय बहुमत ग्रुप के सदस्यों को उनके पक्ष में तोड़/जोड़ पाना मुश्किल क्या, असंभव बना हुआ है । दरअसल सात सदस्यीय बहुमत ग्रुप के सदस्यों को लग रहा है कि वह एकजुट रहते हैं, और अल्पमत के बाद भी पंकज पेरिवाल यदि सेंट्रल काउंसिल सदस्यों की मदद से चेयरमैन बन भी जाते हैं - तो भी पूरे वर्ष महत्त्वपूर्ण मामलों में बहुमत की जरूरत को पूरा करने में वह पंकज पेरिवाल को नचाते रहेंगे और असली राजपाट उनके ही हाथ में होगा; और यह 'हार में भी जीत' का मजेदार नजारा होगा । इस नजारे को संभव करने के लिए सेंट्रल काउंसिल के बाकी सदस्यों ने चुपचाप बैठ तमाशा देखने की भूमिका में अपने आपको अवस्थित कर लिया है, और वह चाह रहे हैं कि राजेश शर्मा व विजय गुप्ता अपना वोट डाल कर पंकज पेरिवाल को चेयरमैन बनवा ही दें - जिससे कि पूरे वर्ष उन्हें फजीहत का सामना करना पड़ेगा; चुनावी वर्ष में यह फजीहत राजेश शर्मा व विजय गुप्ता को भारी पड़ेगी और अपना गुल खिलायेगी ।
दरअसल इसी डर के चलते विजय गुप्ता ने अपने आप को राजेश शर्मा के साथ 'उस तरह से' नहीं जोड़ा है, जिस तरह से राजेश शर्मा उन्हें अपने साथ 'दिखा' रहे हैं । उल्लेखनीय है कि राजेश शर्मा दावा कर रहे हैं कि पंकज पेरिवाल के समर्थन में रीजनल काउंसिल में बहुमत यदि नहीं जुटा, तो वह और विजय गुप्ता वोट डाल कर पंकज पेरिवाल की बहुमत की जरूरत को पूरा करेंगे । विजय गुप्ता लेकिन एक अलग राग सुना रहे हैं - वह लोगों को बता रहे हैं कि विरोधी खेमे के सदस्यों में अधिकतर को नितिन कँवर व राजेंद्र अरोड़ा से समस्या है, इसलिए इन दोनों को निकाल कर पंकज पेरिवाल की चेयरमैनी में एक तीसरा नया ग्रुप बनाया जा सकता है । सेंट्रल काउंसिल में नॉमिनेटेड सदस्य विजय झालानी ने दूर का पाँसा फेंका है, जिसके तहत वह विरोधी खेमे के कुछेक सदस्यों से कह रहे हैं कि एनडी गुप्ता और नवीन गुप्ता चाहते हैं कि पंकज पेरिवाल चेयरमैन बने - इसलिए कोई ऐसा समीकरण बनाओ कि राजेश शर्मा की पकड़ से छूट कर पंकज पेरिवाल चेयरमैन बन जाए । माना/समझा जा रहा है कि नवीन गुप्ता के प्रेसीडेंट-काल में उनका और उनके पिता एनडी गुप्ता का नाम लेकर विजय झालानी इंस्टीट्यूट में जो राजनीति करना चाह रहे हैं, उसकी शुरुआत उन्होंने नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के चेयरमैन पद को लेकर हो रही उखाड़-पछाड़ में शामिल होकर कर दी है । दरअसल इंस्टीट्यूट में विजय झालानी को सबसे पहले राजेश शर्मा से निपटना है, और इसके लिए वह पंकज पेरिवाल को राजेश शर्मा की गिरफ्त से निकाल कर अपनी पकड़ में लाना और रखना चाहते हैं और लोगों को 'दिखाना' चाहते हैं कि पंकज पेरिवाल को वह भी चेयरमैन बनवा सकते हैं ।
मजे की बात यह है कि इस सारी उठा-पटक में तमाशा बेचारे पंकज पेरिवाल का बन रहा है । रीजन के चुनावबाज नेताओं ने उन्हें फुटबॉल समझ रखा है, और उन पर अपनी अपनी किक इस्तेमाल कर रहे हैं । नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में इससे पहले चेयरमैन पद के किसी उम्मीदवार का ऐसा तमाशा नहीं बना होगा, जैसा कि पंकज पेरिवाल का बना हुआ है । सेंट्रल काउंसिल सदस्यों ने तो उन्हें लेकर अपनी अपनी पोजीशन ले ली है, और हर कोई उनके चेयरमैन बनने में अपना अपना फायदा देख रहा है । वास्तव में इसी से साबित हो रहा है कि हर कोई उन्हें मोहरा बना कर अपनी अपनी राजनीति सेट करने में लगा है, और कोई भी सचमुच में उनकी जीत का समीकरण बनाने में दिलचस्पी नहीं ले रहा है । रीजनल काउंसिल में विरोधी खेमे के सदस्य उनके फोन तक नहीं उठा रहे हैं; चर्चा है कि चेयरमैन बनवाने की राजनीति से दूरी बनाए नजर आ रहे सेंट्रल काउंसिल सदस्यों ने रीजनल काउंसिल के बहुमत ग्रुप के सदस्यों को समझा दिया है कि सारी कोशिश उनकी एकता को तोड़ने के लिए हो रही है, इसलिए पहली जरूरत अपनी एकता को बनाए रखने की है; रीजनल काउंसिल में बहुमत की एकता के विरोध के बाद भी पंकज पेरिवाल यदि चेयरमैन बन भी गया तो भी चुनावी वर्ष में यह उनके सभी विरोधियों के लिए फायदे की बात ही होगी । नॉदर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के चेयरमैन के चुनाव का मजेदार सीन यही बना है कि हर किसी को लग रहा है कि चुनाव यदि रीजनल काउंसिल में बहुमत के आधार पर नहीं हुआ, तो पूरे वर्ष जो उठापटक होगी - वह पंकज पेरिवाल और उनके समर्थक सेंट्रल सदस्यों के लिए घातक ही साबित होगी ।