फरीदाबाद
। विनय भाटिया ने फरीदाबाद के रोटेरियंस की नाराजगी से बचने और अपनी टीम
के संभावित साथियों से ज्यादा से ज्यादा पैसा जुटाने के लिए विनोद बंसल को
जिस तरह से ढाल बनाया हुआ है, उसके चलते खासतौर से फरीदाबाद के रोटेरियंस
के बीच विनोद बंसल नाहक ही फजीहत का शिकार हो रहे हैं । एक तरफ
फरीदाबाद के आम रोटेरियंस की शिकायत है कि विनोद बंसल के कारण उन्हें
डिस्ट्रिक्ट में आगे बढ़ने का मौका नहीं मिल रहा है, तो दूसरी तरफ फरीदाबाद
के खास रोटेरियंस का रोना है कि विनोद बंसल अपने हस्तक्षेप से नेतागिरी
करने/दिखाने का अवसर उनसे छीन रहे हैं । कुछ लोगों को यह बात जरूर समझ में आ
रही है कि विनोद बंसल के नाम पर विनय भाटिया अपने आप को बचा रहे हैं और
अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं । विनय भाटिया के सामने समस्या की बात दरअसल
यह है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर की कुर्सी तक पहुँचने के लिए उन्होंने
फरीदाबाद के लोगों को बड़े बड़े सब्ज़बाग दिखाए हुए हैं और उन्हें
महत्त्वपूर्ण पद देने के वायदे किए हुए हैं; लेकिन अब जब अपने वायदे निभाने
का समय आया है तो विनय भाटिया के सामने लोगों की 'डिमांड' पूरी करना
मुश्किल हो रहा है । फरीदाबाद में दस से पंद्रह रोटेरियंस तो असिस्टेंट
गवर्नर बनने की लाइन में लगे हुए हैं - और यह कोई अपने आप लाइन में नहीं
लगे हैं; विनय भाटिया से पक्का वाला वायदा मिलने के बाद यह लाइन में लगे
हैं । विनय भाटिया के सामने मुसीबत की बात यह है कि वह इनमें से किसे सचमुच
असिस्टेंट गवर्नर बनाएँ और किसे छोड़ें - और जिसे छोड़ें, उसे क्या कह कर
छोड़ें ?
विनय भाटिया इस मुसीबत से बचने के लिए ही विनोद बंसल के पीछे छिप छिप जा रहे हैं । असिस्टेंट गवर्नर बनने का कोई अभिलाषी जब भी उनसे पूछता है कि उन्हें असिस्टेंट गवर्नर कब घोषित कर रहे हो, तब विनय भाटिया यह कहते हुए अपनी लाचारी और बेचारगी दिखाने लगते हैं कि टीम बनाने का काम विनोद बंसल ने अपने हाथ में लिया हुआ है, मैंने तुम्हारा नाम उन्हें दे तो दिया है - अब देखो, वह क्या करते हैं ? फरीदाबाद के खास रोटेरियंस भी विनय भाटिया से जब किसी की सिफारिश करते हैं, तो विनय भाटिया उनसे भी विनोद बंसल का नाम लेकर बच निकलने की कोशिश करते हैं । फरीदाबाद में कई लोगों ने कहना भी शुरू कर दिया है कि विनय भाटिया को जब उनसे कोई काम होता है, तब तो वह उन्हें महत्त्वपूर्ण पद देने की बात से बात शुरू करते हैं, लेकिन बाद में फिर बहानेबाजी करने लगते हैं । विनय भाटिया ने अपने गवर्नर-काल की तैयारी शुरू कर दी है, और इसके लिए कुछेक रोटेरियंस के साथ हाल ही में उन्होंने एक मीटिंग भी की है । इस मीटिंग में जिन लोगों को नहीं बुलाया गया, वह तो विनय भाटिया से नाराज हुए ही हैं और उन्होंने विनय भाटिया की खबर लेने/देने का काम शुरू कर ही दिया है; जिन्हें मीटिंग में बुलाया गया उनमें से भी कई लोग इस बात पर नाराज हुए हैं कि विनय भाटिया उनसे तो उम्मीदों पर उम्मीदें किए जा रहे हैं, लेकिन उनके लिए कुछ करने की बात आती है, तो विनोद बंसल का नाम लेकर कटने लगते हैं ।
विनय भाटिया पर सबसे गंभीर आरोप पैसों को लेकर लग रहा है । उल्लेखनीय है कि गवर्नर-काल की शुरुआत में पैसों की जो जरूरत होती है, गवर्नर बनने वाला व्यक्ति उस जरूरत को या तो अपनी जेब से पूरा करता है, और या उनसे इकट्ठा करता है जिन्हें वह महत्त्वपूर्ण पद दे रहा होता है । विनय भाटिया ने दूसरों से पैसा इकट्ठा करने वाला विकल्प अपनाया है - जिसमें समस्या की बात लेकिन यह हो रही है कि विनय भाटिया अपनी टीम के संभावित साथियों से पैसे तो माँग रहे हैं, लेकिन यह स्पष्ट नहीं कर रहे हैं कि उन्हें पद क्या दिए जा रहे हैं । उनके इस व्यवहार से उनकी टीम के सदस्यों को शक हुआ है कि विनय भाटिया उन्हें गफलत में रख कर ज्यादा से ज्यादा पैसा इकट्ठा कर लेने की जुगाड़ में हैं । विनय भाटिया अपने इस खेल में चूँकि विनोद बंसल का नाम ले रहे हैं, इसलिए उनके खेल का शिकार बनने वाले लोगों को लग रहा है कि विनय भाटिया के खेल में विनोद बंसल की भी मिलीभगत है ।
विनय भाटिया के 'खेल' ने अशोक कंतूर को आफत में किया हुआ है । अशोक कंतूर ने विनय भाटिया के गवर्नर-काल में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए उम्मीदवारी प्रस्तुत करने का निश्चय किया हुआ है; इसलिए वह विनय भाटिया के साथ शुरू से लगे रहने की तैयारी में हैं । इस 'स्थिति' को विनय भाटिया ने उनकी कमजोरी के रूप में समझ लिया है, और इसका फायदा उठाते हुए खर्चों का ज्यादा से ज्यादा बोझ उन पर डालने का काम शुरू कर दिया है । अशोक कंतूर के नजदीकियों का कहना है कि अशोक कंतूर के लिए मुसीबत की बात यह है कि अभी रवि चौधरी भी तमाम खर्चों के लिए उन पर निर्भर रहते हैं, और अब विनय भाटिया ने भी उन पर बोझ बढ़ाना शुरू कर दिया है । अशोक कंतूर के लिए यह मुसीबत दोहरी - दोहरी क्या तिहरी इसलिए है कि विनय भाटिया के ज्यादा नजदीक रहने के चक्कर में वह कहीं वह विनोद बंसल के उम्मीदवार के रूप में न देखे जाने लगें - और तब डिस्ट्रिक्ट के कई पूर्व गवर्नर्स पहले से ही उनके खिलाफ न हो जाएँ । अशोक कंतूर के नजदीकियों का कहना है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के उम्मीदवार के रूप में अशोक कंतूर को विनोद बंसल का समर्थन तो चाहिए, लेकिन वह सीधे सीधे उनके उम्मीदवार के रूप में 'दिखने' से भी बचना चाहते हैं ।
विनय भाटिया की ज्यादा से ज्यादा पैसा इकट्ठा करने की चालाकी तथा खर्चों का बोझ दूसरों के सिर मढ़ने की कोशिशों ने फरीदाबाद से उनकी टीम में रहने वाले संभावित सदस्यों के साथ-साथ अशोक कंतूर के लिए तो मुसीबत खड़ी की ही है, उनके साथ-साथ विनोद बंसल के लिए भी आफतपूर्ण हालात बना दिए हैं । विनय भाटिया को गवर्नर चुनवाने में तन-मन-धन से मदद करने वाले फरीदाबाद के आम और खास लोग तो अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर ही रहे हैं ।
विनय भाटिया इस मुसीबत से बचने के लिए ही विनोद बंसल के पीछे छिप छिप जा रहे हैं । असिस्टेंट गवर्नर बनने का कोई अभिलाषी जब भी उनसे पूछता है कि उन्हें असिस्टेंट गवर्नर कब घोषित कर रहे हो, तब विनय भाटिया यह कहते हुए अपनी लाचारी और बेचारगी दिखाने लगते हैं कि टीम बनाने का काम विनोद बंसल ने अपने हाथ में लिया हुआ है, मैंने तुम्हारा नाम उन्हें दे तो दिया है - अब देखो, वह क्या करते हैं ? फरीदाबाद के खास रोटेरियंस भी विनय भाटिया से जब किसी की सिफारिश करते हैं, तो विनय भाटिया उनसे भी विनोद बंसल का नाम लेकर बच निकलने की कोशिश करते हैं । फरीदाबाद में कई लोगों ने कहना भी शुरू कर दिया है कि विनय भाटिया को जब उनसे कोई काम होता है, तब तो वह उन्हें महत्त्वपूर्ण पद देने की बात से बात शुरू करते हैं, लेकिन बाद में फिर बहानेबाजी करने लगते हैं । विनय भाटिया ने अपने गवर्नर-काल की तैयारी शुरू कर दी है, और इसके लिए कुछेक रोटेरियंस के साथ हाल ही में उन्होंने एक मीटिंग भी की है । इस मीटिंग में जिन लोगों को नहीं बुलाया गया, वह तो विनय भाटिया से नाराज हुए ही हैं और उन्होंने विनय भाटिया की खबर लेने/देने का काम शुरू कर ही दिया है; जिन्हें मीटिंग में बुलाया गया उनमें से भी कई लोग इस बात पर नाराज हुए हैं कि विनय भाटिया उनसे तो उम्मीदों पर उम्मीदें किए जा रहे हैं, लेकिन उनके लिए कुछ करने की बात आती है, तो विनोद बंसल का नाम लेकर कटने लगते हैं ।
विनय भाटिया पर सबसे गंभीर आरोप पैसों को लेकर लग रहा है । उल्लेखनीय है कि गवर्नर-काल की शुरुआत में पैसों की जो जरूरत होती है, गवर्नर बनने वाला व्यक्ति उस जरूरत को या तो अपनी जेब से पूरा करता है, और या उनसे इकट्ठा करता है जिन्हें वह महत्त्वपूर्ण पद दे रहा होता है । विनय भाटिया ने दूसरों से पैसा इकट्ठा करने वाला विकल्प अपनाया है - जिसमें समस्या की बात लेकिन यह हो रही है कि विनय भाटिया अपनी टीम के संभावित साथियों से पैसे तो माँग रहे हैं, लेकिन यह स्पष्ट नहीं कर रहे हैं कि उन्हें पद क्या दिए जा रहे हैं । उनके इस व्यवहार से उनकी टीम के सदस्यों को शक हुआ है कि विनय भाटिया उन्हें गफलत में रख कर ज्यादा से ज्यादा पैसा इकट्ठा कर लेने की जुगाड़ में हैं । विनय भाटिया अपने इस खेल में चूँकि विनोद बंसल का नाम ले रहे हैं, इसलिए उनके खेल का शिकार बनने वाले लोगों को लग रहा है कि विनय भाटिया के खेल में विनोद बंसल की भी मिलीभगत है ।
विनय भाटिया के 'खेल' ने अशोक कंतूर को आफत में किया हुआ है । अशोक कंतूर ने विनय भाटिया के गवर्नर-काल में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए उम्मीदवारी प्रस्तुत करने का निश्चय किया हुआ है; इसलिए वह विनय भाटिया के साथ शुरू से लगे रहने की तैयारी में हैं । इस 'स्थिति' को विनय भाटिया ने उनकी कमजोरी के रूप में समझ लिया है, और इसका फायदा उठाते हुए खर्चों का ज्यादा से ज्यादा बोझ उन पर डालने का काम शुरू कर दिया है । अशोक कंतूर के नजदीकियों का कहना है कि अशोक कंतूर के लिए मुसीबत की बात यह है कि अभी रवि चौधरी भी तमाम खर्चों के लिए उन पर निर्भर रहते हैं, और अब विनय भाटिया ने भी उन पर बोझ बढ़ाना शुरू कर दिया है । अशोक कंतूर के लिए यह मुसीबत दोहरी - दोहरी क्या तिहरी इसलिए है कि विनय भाटिया के ज्यादा नजदीक रहने के चक्कर में वह कहीं वह विनोद बंसल के उम्मीदवार के रूप में न देखे जाने लगें - और तब डिस्ट्रिक्ट के कई पूर्व गवर्नर्स पहले से ही उनके खिलाफ न हो जाएँ । अशोक कंतूर के नजदीकियों का कहना है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के उम्मीदवार के रूप में अशोक कंतूर को विनोद बंसल का समर्थन तो चाहिए, लेकिन वह सीधे सीधे उनके उम्मीदवार के रूप में 'दिखने' से भी बचना चाहते हैं ।
विनय भाटिया की ज्यादा से ज्यादा पैसा इकट्ठा करने की चालाकी तथा खर्चों का बोझ दूसरों के सिर मढ़ने की कोशिशों ने फरीदाबाद से उनकी टीम में रहने वाले संभावित सदस्यों के साथ-साथ अशोक कंतूर के लिए तो मुसीबत खड़ी की ही है, उनके साथ-साथ विनोद बंसल के लिए भी आफतपूर्ण हालात बना दिए हैं । विनय भाटिया को गवर्नर चुनवाने में तन-मन-धन से मदद करने वाले फरीदाबाद के आम और खास लोग तो अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर ही रहे हैं ।