Wednesday, July 26, 2017

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल के प्रेसीडेंट नरेश अग्रवाल के धंधेबाजों, दंगाईयों और ब्लैकमेलरों के सामने कमजोर पड़ने से डिस्ट्रिक्ट 321 ए थ्री से निकाले गए विक्रम शर्मा को लायनिज्म में वापसी का मौका मिला

नई दिल्ली । विक्रम शर्मा के वीएस कुकरेजा के क्लब का सदस्य बनने के जरिए लायनिज्म को पुलिस थानों और अदालतों तक ले जाने वाले लोगों ने एक बार फिर लायंस इंटरनेशनल की लीडरशिप को तमाचा जड़ा है - और लायंस इंटरनेशनल की लीडरशिप तमाचे की चोट को चुपचाप सहलाने पर मजबूर हुई है । उल्लेखनीय है कि विक्रम शर्मा डिस्ट्रिक्ट 321 ए थ्री में थे, जहाँ उन्होंने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनने के लिए तीन-चार बार प्रयास किये थे । उनके आखिरी प्रयास में ही जो भीषण ड्रामा हुआ था, उसकी सजा के कारण डिस्ट्रिक्ट 321 ए थ्री फिर डिस्ट्रिक्ट नहीं रहा - और अभी तक डिस्ट्रिक्ट का अधिकार प्राप्त नहीं कर सका है । डिस्ट्रिक्ट 321 ए थ्री में अपने आपको महारथी समझने वाले पूर्व गवर्नर्स डीके अग्रवाल और हर्ष बंसल ने लायंस इंटरनेशनल के नियमों और कायदों से बेईमानी और धोखाधड़ी करते हुए विक्रम शर्मा को फर्जी तरीके से गवर्नर तो 'चुनवा' दिया था, लेकिन लायंस इंटरनेशनल के प्रकोप से वह उन्हें नहीं बचवा सके - बल्कि डीके अग्रवाल, हर्ष बंसल और विक्रम शर्मा की कारस्तानी ने डिस्ट्रिक्ट को ही 'सड़क' पर ला दिया । पहले चुनावी लड़ाई में और फिर नियम-कायदों की लड़ाई में हार का मुँह देखने वाले विक्रम शर्मा ने उस प्रकरण में फिर थाना और अदालत का सहारा लेने का प्रयास भी किया था - नतीजा लेकिन यह हुआ कि उन्हें लायनिज्म से ही निकाल दिया गया था । डीके अग्रवाल और हर्ष बंसल ने अपने अपने तरीके से प्रयास तो बहुत किए कि विक्रम शर्मा को लायनिज्म में फिर से शामिल कर लिया जाए, लेकिन डिस्ट्रिक्ट 321 ए थ्री की जिम्मेदारी संभाल रहे पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर केएम गोयल ने उनके प्रयासों को सफल नहीं होने दिया ।
लेकिन यह तब तक की बात थी, जब कि लायंस इंटरनेशनल की लीडरशिप में दम होता और 'दिखता' था ! नरेश अग्रवाल के इंटरनेशनल प्रेसीडेंट बनने के साथ लायंस इंटरनेशनल की लीडरशिप ने जिस तरह अपाहिज होना शुरू किया और धंधेबाजों, दंगाईयों और ब्लैकमेलरों के सामने समर्पण करना शुरू किया - तो विक्रम शर्मा को लायनिज्म में लौटने का सुनहरा मौका दिखा । यह एक मजेदार तुलना होगी कि करीब दो वर्ष पहले लायनिज्म की चुनावी लड़ाई को थाना और अदालत ले गए विक्रम शर्मा को लायंस इंटरनेशनल की तत्कालीन लीडरशिप ने एक झटके में बाहर का रास्ता दिखा दिया था, लेकिन ठीक वही हरकत करने वाले वीएस कुकरेजा के खिलाफ कार्रवाई करने में नरेश अग्रवाल के नेतृत्व वाली लीडरशिप की कंपकंपी छूट गयी है । ऐसे में, डीके अग्रवाल और हर्ष बंसल ने भी समझ लिया कि विक्रम शर्मा से लायनिज्म की 'सेवा' करवाने के लिए उन्हें वीएस कुकरेजा की शरण में ही भेजना उचित होगा । लायनिज्म से बाहर कर दिए गए विक्रम शर्मा की चोर दरवाजे से हुई वापसी ने लोगों को कहने का मौका दिया है कि डिस्ट्रिक्ट 321 ए वन में वीएस कुकरेजा के क्लब में विक्रम शर्मा की मौजूदगी लायन राजनीति में मात और लताड़ खाने वाले लोगों को थानों और अदालतों में जाने के लिए प्रेरित करने का काम भी करेगी । यह प्रसंग इस बात का भी उदाहरण बन गया है कि नरेश अग्रवाल की स्वार्थपूर्ण 'कमजोरी' लायनिज्म को पता नहीं कैसे कैसे दिन दिखवाएगी ?
विक्रम शर्मा को वीएस कुकरेजा के क्लब में प्रवेश दिलवाने में सफल हो कर डीके अग्रवाल और हर्ष बंसल ने अपने लिए भी मल्टीपल में अहम् पद पाने की उम्मीद बढ़ा ली है । दरअसल इन दोनों के लिए ही समस्या और चुनौती की बात यह हो गयी है कि वैसे तो यह बड़े नेता हैं लेकिन मल्टीपल में इनकी कोई पूछ ही नहीं हो रही है । मल्टीपल में राजनीति का जो खाका बना है और नए नए लोग मुखर व सक्रिय हैं - वह इन्हें या तो पहचानते ही नहीं हैं और पहचानते भी हैं तो कोई तवज्जो नहीं देते हैं । अपने लिए जगह बनाने के लिए इन्हें तेजपाल खिल्लन की शरण में आना जरूरी लगा होगा और इसके लिए ही इन्होंने विक्रम शर्मा रूपी अपने मोहरे के जरिए पहली चाल चली है । इस चाल के सफल हो जाने से डीके अग्रवाल और हर्ष बंसल को भी उम्मीद बँधी है कि जैसे विक्रम शर्मा को दोबारा से लायनिज्म की 'सेवा' करने का मौका मिल गया है, ठीक उसी तरह से उन्हें भी नेतागिरी करने/दिखाने का मौका मिल जायेगा । धंधेबाजों, दंगाईयों और ब्लैकमेलरों के सामने नरेश अग्रवाल ने जिस तरह से अपने आप को कमजोर और असहाय साबित किया है - उससे विक्रम शर्मा, डीके अग्रवाल और हर्ष बंसल को भी अपने दिन फिरने का संकेत मिला है; और उन्होंने प्रयास शुरू कर दिए हैं ।