नई दिल्ली । 'सीए डे' फंक्शन के नाम पर हुई बदइंतजामी और बेईमानी के मामलों में चार्टर्ड एकाउंटेंट्स इंस्टीट्यूट के प्रेसीडेंट नीलेश विकमसे की मिलीभगत के किस्से इंस्टीट्यूट के मुख्यालय के गलियारों में भी जिस तरह से सुने/सुनाए जा रहे हैं, उससे लग रहा है कि नीलेश विकमसे की मुसीबतें अभी जल्दी से खत्म होने वाली नहीं हैं । इंस्टीट्यूट
की सेंट्रल काउंसिल में नोमीनेटेटड सदस्यों ने नीलेश विकमसे को 'बचाने'
के लिए प्रयास तो शुरू कर दिए हैं, लेकिन नीलेश विकमसे को लेकर जिस तरह की
'नई' 'नई' बातों का खुलासा हो रहा है - उससे लगता नहीं है कि नीलेश
विकमसे की परेशानियाँ जल्दी समाप्त होंगी । कई लोगों को लग रहा है कि उनकी
परेशानियों को बढ़ाने का काम 'सीए डे' फंक्शन के मुख्य खलनायक राजेश शर्मा
और इंस्टीट्यूट के सेक्रेटरी वी सागर की तरफ से भी हो रहा है । ऐसा
मानने और कहने वाले लोगों का तर्क है कि दरअसल इन दोनों को डर है कि नीलेश
विकमसे अपने आप को बचाने के लिए कहीं इन्हें ही बलि का बकरा न बना दें,
इसलिए इन्होंने नीलेश विकमसे को संकेत देना शुरू कर दिया है कि उन्होंने
यदि इन्हें फँसा कर अपने आप को बचाने की कोशिश की तो यह उन्हें भी नहीं
छोड़ेंगे । नीलेश विकमसे के शुभचिंतकों को भी लग रहा है कि 'सीए डे'
फंक्शन के नाम पर हुई बदइंतजामी और बेईमानी के मामलों में फँसने से बचने के
लिए राजेश शर्मा और वी सागर की तरफ से उन्हें 'ब्लैकमेल' करने के प्रयास
हो रहे हैं ।
मजे की बात यह है कि राजेश शर्मा तो अभी हालाँकि 'फरार' ही चल रहे हैं, जिस कारण सोशल मीडिया में उनकी तरफ से सूनापन ही फैला/बना हुआ है - लेकिन उनके नजदीकियों ने चर्चाओं का बाजार पूरी तरह गर्म बनाया हुआ है । उनकी तरफ से ही पूछने के अंदाज में बताया जा रहा है कि 'सीए डे' फंक्शन में राजेश शर्मा के परिवार की मौजूदगी की तो बातें की जा रही हैं, लेकिन नीलेश विकमसे के परिवार की उपस्थिति की बात कोई क्यों नहीं कर रहा है ? राजेश शर्मा के नजदीकियों की तरफ से ही बताया और पूछा जा रहा है कि नीलेश विकमसे का पूरा परिवार - उनके भाई और उनके अपने एकल परिवार के सदस्य फंक्शन में शामिल होने के लिए मुंबई से दिल्ली पहुँचे थे; उनके आने-जाने के किराए और दिल्ली में आने-जाने तथा ठहरने के खर्च किस मद से हुए हैं - यह सवाल क्यों नहीं चर्चा में हैं ? राजेश शर्मा के नजदीकियों की तरफ से सबसे गंभीर बात यह की जा रही है कि 'सीए डे' फंक्शन का जो स्वरूप बना, उसे पूरी तरह से नीलेश विकमसे ने तैयार किया था और उनका असली मकसद केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल को खुश करना था - जिनसे उन्हें प्रेसीडेंट पद से हटने के बाद महत्त्वपूर्ण नियुक्तियों के रूप में फायदा उठाना था । इस बात से चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के बीच नीलेश विकमसे की अपने भाई कमलेश विकमसे के साथ होने/चलने वाली प्रोफेशनल होड़ की बात एक बार फिर मुखर हो उठी है ।
उल्लेखनीय है कि वेस्टर्न रीजन के लोग दिल्ली के लोगों को बताते रहे हैं कि काउंसिल में आने का नीलेश विकमसे का एक प्रमुख उद्देश्य यह है कि उन्हें अपने भाई कमलेश विकमसे से प्रोफेशनली आगे 'निकलना' है । अन्य कई लोगों की तरह नीलेश विकमसे भी मानते हैं कि कमलेश विकमसे का सितारा इंस्टीट्यूट की काउंसिल का सदस्य बनने और फिर प्रेसीडेंट बनने के बाद ही बुलंद हुआ है । नीलेश विकमसे को उम्मीद रही कि काउंसिल में आने/रहने के चलते जिस तरह कमलेश विकमसे के लिए 'तरक्की' के रास्ते खुले, वैसे ही उनके लिए भी रास्ते बनेंगे और खुलेंगे । इंस्टीट्यूट के प्रेसीडेंट के रूप में नीलेश विकमसे ने अपनी तरक्की के रास्ते को खोलने/खुलवाने के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए ही 'सीए डे' फंक्शन के स्वरूप को ही पूरी तरह बदल दिया और उसे तमाशे का रूप दे दिया । राजेश शर्मा के नजदीकियों की तरफ से कहा/बताया जा रहा है कि 'सीए डे' फंक्शन के नाम पर जो कुछ भी हुआ, उसके लिए मुख्य तौर पर नीलेश विकमसे ही मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं, राजेश शर्मा ने तो उनकी सिर्फ मदद की है । दिलचस्प नजारा यह देखने को मिल रहा है कि राजेश शर्मा के नजदीकी सिर्फ राजेश शर्मा की ही वकालत नहीं कर रहे हैं, बल्कि इंस्टीट्यूट के सेक्रेटरी वी सागर को भी यह कहते हुए 'बचाने' के लिए माहौल बना रहे हैं कि सेक्रेटरी ने तो वही किया जो प्रेसीडेंट ने उन्हें करने को कहा - इसमें सेक्रेटरी की भला क्या गलती है ?
प्रेसीडेंट नीलेश विकमसे को बदनाम करने की राजेश शर्मा के नजदीकियों की कार्रवाई के पीछे राजेश शर्मा का ही दिमाग देखा/पहचाना जा रहा है; और माना जा रहा है कि इस तरह से राजेश शर्मा ने नीलेश विकमसे को 'ब्लैकमेल' करने की तैयारी की है, ताकि नीलेश विकमसे उनके खिलाफ कोई कार्रवाई न कर सकें । राजेश शर्मा ने इंस्टीट्यूट के सेक्रेटरी वी सागर की मदद करने/करवाने के जरिए उन्हें भी अपने साथ मिला लेने की चाल चली है । उल्लेखनीय है कि 'सीए डे' फंक्शन के नाम पर हुई बदइंतजामी और बेईमानी के लिए राजेश शर्मा को ही मुख्य रूप से जिम्मेदार माना/ठहराया जा रहा है, और जमकर उनकी लानत/मनालत हो रही है - जिसके कारण उन्हें लोगों की नजरों से छिपछिपा कर रहना पड़ रहा है । उन्हें जानने वालों का कहना लेकिन यह है कि राजेश शर्मा की चमड़ी बड़ी मोटी है, अभी हो रही लानत/मनालत से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ रहा होगा; वह तो बस मौके का इंतजार कर रहे होंगे कि लोगों का गुस्सा शांत हो और वह फिर अपनी कारस्तानियों को खुल कर शुरू करें । अभी पर्दे के पीछे रहते हुए उन्होंने अपने नजदीकियों को काम पर लगाया हुआ है, जो प्रेसीडेंट नीलेश विकमसे की पोल-पट्टी खोलने में लगे हुए हैं । राजेश शर्मा का लगता है कि नीलेश विकमसे को दबाव में लेकर ही वह अपने आप को बचा सकेंगे ।
मजे की बात यह है कि राजेश शर्मा तो अभी हालाँकि 'फरार' ही चल रहे हैं, जिस कारण सोशल मीडिया में उनकी तरफ से सूनापन ही फैला/बना हुआ है - लेकिन उनके नजदीकियों ने चर्चाओं का बाजार पूरी तरह गर्म बनाया हुआ है । उनकी तरफ से ही पूछने के अंदाज में बताया जा रहा है कि 'सीए डे' फंक्शन में राजेश शर्मा के परिवार की मौजूदगी की तो बातें की जा रही हैं, लेकिन नीलेश विकमसे के परिवार की उपस्थिति की बात कोई क्यों नहीं कर रहा है ? राजेश शर्मा के नजदीकियों की तरफ से ही बताया और पूछा जा रहा है कि नीलेश विकमसे का पूरा परिवार - उनके भाई और उनके अपने एकल परिवार के सदस्य फंक्शन में शामिल होने के लिए मुंबई से दिल्ली पहुँचे थे; उनके आने-जाने के किराए और दिल्ली में आने-जाने तथा ठहरने के खर्च किस मद से हुए हैं - यह सवाल क्यों नहीं चर्चा में हैं ? राजेश शर्मा के नजदीकियों की तरफ से सबसे गंभीर बात यह की जा रही है कि 'सीए डे' फंक्शन का जो स्वरूप बना, उसे पूरी तरह से नीलेश विकमसे ने तैयार किया था और उनका असली मकसद केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल को खुश करना था - जिनसे उन्हें प्रेसीडेंट पद से हटने के बाद महत्त्वपूर्ण नियुक्तियों के रूप में फायदा उठाना था । इस बात से चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के बीच नीलेश विकमसे की अपने भाई कमलेश विकमसे के साथ होने/चलने वाली प्रोफेशनल होड़ की बात एक बार फिर मुखर हो उठी है ।
उल्लेखनीय है कि वेस्टर्न रीजन के लोग दिल्ली के लोगों को बताते रहे हैं कि काउंसिल में आने का नीलेश विकमसे का एक प्रमुख उद्देश्य यह है कि उन्हें अपने भाई कमलेश विकमसे से प्रोफेशनली आगे 'निकलना' है । अन्य कई लोगों की तरह नीलेश विकमसे भी मानते हैं कि कमलेश विकमसे का सितारा इंस्टीट्यूट की काउंसिल का सदस्य बनने और फिर प्रेसीडेंट बनने के बाद ही बुलंद हुआ है । नीलेश विकमसे को उम्मीद रही कि काउंसिल में आने/रहने के चलते जिस तरह कमलेश विकमसे के लिए 'तरक्की' के रास्ते खुले, वैसे ही उनके लिए भी रास्ते बनेंगे और खुलेंगे । इंस्टीट्यूट के प्रेसीडेंट के रूप में नीलेश विकमसे ने अपनी तरक्की के रास्ते को खोलने/खुलवाने के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए ही 'सीए डे' फंक्शन के स्वरूप को ही पूरी तरह बदल दिया और उसे तमाशे का रूप दे दिया । राजेश शर्मा के नजदीकियों की तरफ से कहा/बताया जा रहा है कि 'सीए डे' फंक्शन के नाम पर जो कुछ भी हुआ, उसके लिए मुख्य तौर पर नीलेश विकमसे ही मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं, राजेश शर्मा ने तो उनकी सिर्फ मदद की है । दिलचस्प नजारा यह देखने को मिल रहा है कि राजेश शर्मा के नजदीकी सिर्फ राजेश शर्मा की ही वकालत नहीं कर रहे हैं, बल्कि इंस्टीट्यूट के सेक्रेटरी वी सागर को भी यह कहते हुए 'बचाने' के लिए माहौल बना रहे हैं कि सेक्रेटरी ने तो वही किया जो प्रेसीडेंट ने उन्हें करने को कहा - इसमें सेक्रेटरी की भला क्या गलती है ?
प्रेसीडेंट नीलेश विकमसे को बदनाम करने की राजेश शर्मा के नजदीकियों की कार्रवाई के पीछे राजेश शर्मा का ही दिमाग देखा/पहचाना जा रहा है; और माना जा रहा है कि इस तरह से राजेश शर्मा ने नीलेश विकमसे को 'ब्लैकमेल' करने की तैयारी की है, ताकि नीलेश विकमसे उनके खिलाफ कोई कार्रवाई न कर सकें । राजेश शर्मा ने इंस्टीट्यूट के सेक्रेटरी वी सागर की मदद करने/करवाने के जरिए उन्हें भी अपने साथ मिला लेने की चाल चली है । उल्लेखनीय है कि 'सीए डे' फंक्शन के नाम पर हुई बदइंतजामी और बेईमानी के लिए राजेश शर्मा को ही मुख्य रूप से जिम्मेदार माना/ठहराया जा रहा है, और जमकर उनकी लानत/मनालत हो रही है - जिसके कारण उन्हें लोगों की नजरों से छिपछिपा कर रहना पड़ रहा है । उन्हें जानने वालों का कहना लेकिन यह है कि राजेश शर्मा की चमड़ी बड़ी मोटी है, अभी हो रही लानत/मनालत से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ रहा होगा; वह तो बस मौके का इंतजार कर रहे होंगे कि लोगों का गुस्सा शांत हो और वह फिर अपनी कारस्तानियों को खुल कर शुरू करें । अभी पर्दे के पीछे रहते हुए उन्होंने अपने नजदीकियों को काम पर लगाया हुआ है, जो प्रेसीडेंट नीलेश विकमसे की पोल-पट्टी खोलने में लगे हुए हैं । राजेश शर्मा का लगता है कि नीलेश विकमसे को दबाव में लेकर ही वह अपने आप को बचा सकेंगे ।