Sunday, July 2, 2017

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में डीडीएफ डोनेशन के लिए दीपक गुप्ता को वोट देने का सौदा करने वाले क्लब्स के प्रेसीडेंट्स को मुकेश अरनेजा ने अंततः धोखा ही दिया

नई दिल्ली । मुकेश अरनेजा के कारण डिस्ट्रिक्ट के क्लब्स रोटरी फाउंडेशन ट्रस्ट से मिलने वाले डीडीएफ डोनेशन से वंचित रह गए हैं और इस तरह तमाम क्लब्स द्वारा तैयार किए गए विभिन्न प्रोजेक्ट्स शुरू होने से पहले ही दम तोड़ गए हैं । मजे की और विडंबना की बात यह रही कि अधिकतर ऐसे क्लब्स भी डिस्ट्रिक्ट रोटरी फाउंडेशन कमेटी चेयरमैन के रूप में मुकेश अरनेजा के कारण डीडीएफ डोनेशन पाने से वंचित हुए, जिन्होंने मुकेश अरनेजा के साथ दीपक गुप्ता को वोट देने की सौदेबाजी की थी । ऐसे क्लब्स के पदाधिकारी ही अब शिकायत करते सुने जा रहे हैं कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में मुकेश अरनेजा ने उनसे वायदा किया था कि वह यदि दीपक गुप्ता को वोट देंगे, तो वह डीडीएफ डोनेशन के उनके आवेदनों को जल्दी से जल्दी क्लियर कर देंगे । ऐसे क्लब्स के पदाधिकारियों की शिकायत है कि लेकिन जब डीडीएफ डोनेशन के आवेदनों को क्लियर करने का समय आया, तो मुकेश अरनेजा तो अपने वायदे को भुला ही बैठे - दीपक गुप्ता ने भी यह कहते हुए उनसे मुँह मोड़ लिया कि तुम्हारे और मुकेश अरनेजा के बीच क्या 'सौदा' हुआ था, उसके बारे में मुझे भला क्या पता है ? अपना काम निकल जाने के बाद मुकेश अरनेजा और दीपक गुप्ता ने जिस तरह से क्लब्स के पदाधिकारियों से किए गए वायदे/सौदे से किनारा किया है, उससे क्लब्स के पदाधिकारियों ने अपने आप को ठगा हुआ महसूस किया है ।
आरोप सुने जा रहे हैं कि क्लब्स के डीडीएफ डोनेशन के आवेदन क्लियर करने के लिए मुकेश अरनेजा 'रिश्वत' चाहते थे, जिसके न मिलने पर उन्होंने आवेदनों को क्लियर नहीं किया । उल्लेखनीय है कि मुकेश अरनेजा डीडीएफ डोनेशन को क्लब्स के पदाधिकारियों का खाने/कमाने का जरिया कहते/बताते रहे हैं; क्लब्स के पदाधिकारियों से वह कहते भी रहे हैं कि डीडीएफ डोनेशन को उन्हें मिल-बाँट कर खाना चाहिए - चर्चाओं के अनुसार, कुछेक क्लब्स के पदाधिकारी मुकेश अरनेजा को उनका 'हिस्सा' देने को तैयार भी हो गए थे, लेकिन लेना-देना व्यावहारिक रूप नहीं ले सका । दरअसल डीडीएफ डोनेशन लेने वाले क्लब्स दो खेमों में बँटते हैं - एक खेमे में ऐसे क्लब्स आते हैं, जो ईमानदारी से डीडीएफ डोनेशन का उपयोग करना चाहते हैं और करते भी हैं; दूसरे खेमे में ऐसे क्लब्स आते हैं जिनके प्रेसीडेंट डीडीएफ डोनेशन को जेब भरने का जरिया समझते हैं । चर्चाओं के अनुसार, पहले खेमे के क्लब्स के प्रेसीडेंट्स मुकेश अरनेजा की डिमांड पूरी करने के लिए तैयार नहीं हुए; और दूसरे खेमे के क्लब्स के प्रेसीडेंट्स ने डीडीएफ डोनेशन मिलने के बाद मुकेश अरनेजा को उनका हिस्सा देने की बात कही - मुकेश अरनेजा लेकिन उसके लिए तैयार नहीं हुए, वह डीडीएफ डोनेशन के आवेदन को क्लियर करने से पहले अपना हिस्सा ले लेना चाहते थे । इस चक्कर में मुकेश अरनेजा ने डीडीएफ डोनेशन के आवेदनों को क्लियर नहीं किया, और क्लब्स के प्रोजेक्ट बेमौत ही मर गए ।
रोटरी इंटरनेशनल के वरिष्ठ अधिकारियों ने हालाँकि व्यवस्था दी थी कि डीडीएफ डोनेशन के आवेदनों को डिस्ट्रिक्ट रोटरी फाउंडेशन कमेटी का चेयरमैन मनमाने तरीके से नहीं रोक सकता है, वह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का नुमाइंदा होता है और इसलिए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर की हरी झंडी मिलने के बाद उसकी निर्णायक भूमिका ज्यादा नहीं रह जाती है; लेकिन अपनी बेशर्मी और निर्लज्जता के लिए कुख्यात मुकेश अरनेजा ने इंटरनेशनल के वरिष्ठ पदाधिकारियों की इस नसीहत की भी परवाह नहीं की, और तरह तरह की बहानेबाजियों से डीडीएफ डोनेशन के आवेदनों को क्लियर करने से इंकार कर दिया । रोटरी वर्ष के अंतिम दिनों में ग्लोबल ग्रांट के आवेदनों को उन्होंने जिस आनन-फानन में क्लियर किया है, उससे लोगों को यह कहने का मौका मिला है कि ग्लोबल ग्रांट वाले क्लब्स के पदाधिकारियों ने अंतिम दिनों में उनकी जेब गर्म कर दी होगी - जिसके चलते मुकेश अरनेजा ने उनके आवेदनों को क्लियर कर दिया ।
डीडीएफ डोनेशन के क्लब्स के आवेदन क्लियर न होने के लिए कुछेक लोगों ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर शरत जैन के निकम्मेपन को भी जिम्मेदार ठहराया है । लोगों का कहना है कि लूट-खसोट के इरादे से की जा रही मुकेश अरनेजा की मनमानी पर रोक लगाने/लगवाने के लिए शरत जैन यदि समय रहते रोटरी इंटरनेशनल में शिकायत करते तो मुकेश अरनेजा को मनमानी करने से रोका जा सकता था । लेकिन डिस्ट्रिक्ट गवर्नर  में शरत जैन ने न तो मामले की गंभीरता को पहचाना/समझा और न उचित कार्रवाई करने की हिम्मत दिखाई - जो हुआ, उसके लिए अब मुकेश अरनेजा को जिम्मेदार ठहरा कर शरत जैन अपने निकम्मेपन पर पर्दा डालने का ही प्रयास कर रहे हैं । कुछ लोग इस बात से खुश हैं कि जिन क्लब्स के प्रेसीडेंट ने डीडीएफ डोनेशन लेने के लिए दीपक गुप्ता को वोट देने का सौदा मुकेश अरनेजा से किया, उन्हें मुकेश अरनेजा पर भरोसा करने का ठीक सबक मिला है । इन लोगों का कहना है कि मुकेश अरनेजा जैसे धोखेबाज व्यक्ति पर जो लोग अभी भी भरोसा करने को तैयार हो जाते हैं, उन्हें मुकेश अरनेजा से धोखा मिलने की शिकायत नहीं करना चाहिए । इस मामले में बदकिस्मती की बात लेकिन यही है कि मुकेश अरनेजा की बेईमानीभरी धोखाधड़ी हो, चाहे शरत जैन का निकम्मापन हो, और चाहें क्लब्स के प्रेसीडेंट की सौदेबाजियाँ हों - कुलमिलाकर नुकसान तो डिस्ट्रिक्ट और रोटरी का ही हुआ है ।