Friday, July 28, 2017

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के चेयरमैन राकेश मक्कड़ को भरोसा है कि उन पर लग रहे मनमानी बेईमानियों के आरोपों से उन्हें इंस्टीट्यूट के प्रेसीडेंट नीलेश विकमसे अवश्य ही बचा लेंगे

नई दिल्ली । चार्टर्ड एकाउंटेंट्स इंस्टीट्यूट की नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल की पूर्व चेयरपरसन पूजा अग्रवाल बंसल की लगातार दोहराई जाती माँग के दबाव में मौजूदा चेयरमैन राकेश मक्कड़ अंततः रीजनल काउंसिल की मीटिंग बुलाने के लिए मजबूर हुए हैं - और 4 अगस्त को रीजनल काउंसिल की मीटिंग के लिए घोषणा हो गयी है । इस माँग के चलते लगातार फजीहत का शिकार बन रहे राकेश मक्कड़ हालाँकि अभी भी अपनी मनमानी बेईमानियों को छिपाने और दबाने की कोशिशों से बाज नहीं आ रहे हैं - और इसी कोशिश के चलते 4 अगस्त की मीटिंग के लिए उन्होंने कोई एजेंडा तय तथा घोषित नहीं किया है । इंस्टीट्यूट के नियमानुसार, रीजनल काउंसिल का कोई सदस्य एजेंडे में कुछ जोड़ता है और काउंसिल के दो-तिहाई सदस्य उसका विरोध नहीं करते हैं, तो वह बात एजेंडे में शामिल होती है - लेकिन राकेश मक्कड़ किसी भी नियम को स्वीकारने तथा अपनाने से बचने का प्रयास कर रहे हैं और अपने ही मनमाने एजेंडे पर रीजनल काउंसिल की मीटिंग करना चाहते हैं । उन्हें अच्छी तरह पता है कि नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के सदस्यों के बीच उनकी हरकतों के खिलाफ बेहद नाराजगी है और मीटिंग में उनकी मनमानी चलेगी नहीं, जिस कारण मीटिंग में बबाल हो सकता है - इसके बावजूद राकेश मक्कड़ एजेंडे के मामले में नियमों का पालन करने के लिए तैयार नहीं हैं ।
राकेश मक्कड़ चेयरमैन के रूप में मनमानी करने तथा काउंसिल में लूट-खसोट मचाने, और अपनी मनमानी लूट-खसोट को छिपाने/दबाने के लिए इंस्टीट्यूट के नियमों के साथ खिलवाड़ करने की ताकत सेंट्रल काउंसिल सदस्य राजेश शर्मा से प्राप्त कर रहे हैं । अपने नजदीकियों को उन्होंने आश्वस्त किया है कि रीजनल काउंसिल में वह भले ही अल्पमत में हैं, लेकिन अंततः मामला तो फिर इंस्टीट्यूट के सेक्रेटरी और प्रेसीडेंट के पास ही जायेगा न, जहाँ राजेश शर्मा मामले को संभाल लेंगे । सीए डे फंक्शन के बबाल में इंस्टीट्यूट के सेक्रेटरी और प्रेसीडेंट ने जिस तरह से राजेश शर्मा का बचाव किया, उसका उदाहरण देते हुए राकेश मक्कड़ लोगों को आश्वस्त कर रहे हैं कि राजेश शर्मा के होते हुए इंस्टीट्यूट के सेक्रेटरी और प्रेसीडेंट उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करेंगे । चार्टर्ड एकाउंटेंट्स इंस्टीट्यूट जैसे देश के प्रतिष्ठित संस्थान के सेक्रेटरी वी सागर और प्रेसीडेंट नीलेश विकमसे ने अपने व्यवहार और रवैये से अपनी ऐसी पहचान और औकात बना ली है कि एक रीजनल काउंसिल का एक बेईमान पदाधिकारी मनमानी कर रहा है और काउंसिल सदस्यों के आरोपों पर ही दावा भी कर रहा है कि इंस्टीट्यूट के सेक्रेटरी और प्रेसीडेंट भी उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर सकेंगे ।
राकेश मक्कड़ पर इंस्टीट्यूट के नियमों की अवहेलना करते हुए इंस्टीट्यूट के पैसे को अपने भाई के हाथों लुटवा देने का गंभीर आरोप है । नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के सदस्यों ने ही इंस्टीट्यूट के प्रेसीडेंट नीलेश विकमसे को संबोधित ज्ञापन में खुलासा करते हुए आरोप लगाया है कि काउंसिल की तरफ से चलाई जा रही कोचिंग क्लासेस में फैकल्टी नियुक्त करने के मामले में भारी बेईमानी की जा रही है, नियुक्ति के जरिए कमीशन खाया जा रहा है और चेयरमैन के रूप में राकेश मक्कड़ ने इंस्टीट्यूट के नियमों की अवहेलना करते हुए मनमानी शर्तों पर अपने भाई को भी फैकल्टी नियुक्त कर दिया । ज्ञापन में इंस्टीट्यूट के उक्त नियम को रेखांकित करते हुए - जिसके अनुसार काउंसिल के पदाधिकारी अपने रिश्तेदारों, पार्टनर्स व क्लाइंट्स को लाभ का कोई काम अलॉट नहीं कर सकते हैं - बताया गया है कि राकेश मक्कड़ ने अपने भाई राजेश मक्कड़ को काउंसिल द्वारा चलाई जा रही बहुत सी क्लासेस दीं, और उन्हें भुगतान करने के मामले में भी नियमों व चली आ रही व्यवस्था में मनमाने तरीके से परिवर्तन किया गया - जिसमें राजेश मक्कड़ को ज्यादा पैसा दिया गया, और काउंसिल को मिलने वाला पैसा घट गया है । इसके साथ-साथ, आरोप है कि चेयरमैन के रूप में राकेश मक्कड़ अपने भाई की कोचिंग को प्रमोट करने के काम में लगे हुए हैं, और इसमें वह अलग अलग तरीके से इंस्टीट्यूट के नाम को भी इस्तेमाल कर रहे हैं - और इस तरह इंस्टीट्यूट के नियम-कानूनों का उन्होंने मजाक बना कर रख दिया है । कोचिंग क्लासेस तथा नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के प्रिंटिंग व फोटोकॉपी के काम देने में भी धाँधली के आरोप ज्ञापन में लगाए गए हैं ।
आरोपों की गंभीरता इस आरोप से लगाई/समझी जा सकती है कि कोचिंग क्लासेस में कैसे क्या हो रहा है, इस बात को काउंसिल सदस्यों से भी छिपाया जा रहा है - काउंसिल के ही सदस्यों का कहना है कि वह कई दिनों से पदाधिकारियों से पूछ/कह रहे हैं कि काउंसिल द्वारा चलाई जा रही कोचिंग क्लासेस में किस तरह से नियुक्तियाँ और भुगतान हुए हैं, लेकिन उन्हें जबाव नहीं दिया जा रहा है । इंस्टीट्यूट के प्रेसीडेंट नीलेश विकमसे को संबोधित ज्ञापन में कहा गया है कि काउंसिल के अकाउंट उन्हें दिखाने/बताने से तो बचा ही जा रहा है, उनके सवालों के जबाव भी नहीं दिए जाते हैं । यहाँ तक कि पिछले कार्यकारी वर्ष के आखिरी कुछ महीनों में कार्यकारी चेयरपरसन रहीं पूजा अग्रवाल बंसल तक से खर्चों के विवरण तथा अकाउंट छिपाए गए हैं । समझा जा सकता है कि नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में राकेश मक्कड़ और उनके दो-तीन साथी पदाधिकारियों ने किस तरह से कब्जा किया हुआ है और वह मनमानी लूट-खसोट मचाए हुए हैं कि काउंसिल के दूसरे सदस्यों से ही उन्हें तथ्य छिपाने पड़ रहे हैं । चेयरमैन राकेश मक्कड़ की बेशर्मी और निर्लज्जता का आलम यह है कि अपने टीए/डीए के बिल उन्होंने नगद तक ले लिए हैं, जो काउंसिल के नियमों का खुला उल्लंघन है ।
राकेश मक्कड़ का प्रयास यह है कि रीजनल काउंसिल की मीटिंग में यह आरोप रिकॉर्ड पर न आ सकें, और इसके लिए ही वह मीटिंग के एजेंडे को अपने मनमाने तरीके से तय करना चाहते हैं । उनकी इस हरकत से मीटिंग में बबाल हो, और काउंसिल व इंस्टीट्यूट की फजीहत हो - उन्हें इसकी चिंता नहीं है । उन्हें भरोसा है कि राजेश शर्मा के साथ उनके कनेक्शन के कारण इंस्टीट्यूट के सेक्रेटरी वी सागर और प्रेसीडेंट नीलेश विकमसे अंततः उन्हें बचा लेंगे । राकेश मक्कड़ के भरोसे के बावजूद काउंसिल के सदस्यों ने भी उम्मीद और कोशिश नहीं छोड़ी है कि राकेश मक्कड़ जैसे बेईमान की दाल अब ज्यादा दिन तक गलती नहीं रह सकेगी । उनका कहना है कि राकेश मक्कड़ को आखिरकार रीजनल काउंसिल की मीटिंग बुलाने के लिए मजबूर होना पड़ा है न - जिससे कि वह लगातार बचते और इंकार करते आ रहे थे । उल्लेखनीय है कि रीजनल काउंसिल की पूर्व चेयरपरसन पूजा अग्रवाल बंसल ने इंस्टीट्यूट प्रशासन को 12वीं मेल लिखी थी, जिसके बाद राकेश मक्कड़ के लिए रीजनल काउंसिल की मीटिंग से बचना/भागना संभव नहीं रह गया । इस तरह राकेश मक्कड़ की मनमानी बेईमानियों के खिलाफ काउंसिल सदस्यों ने अपनी लड़ाई का पहला चरण जीत लिया है, उन्हें उम्मीद है कि आगे भी सच्चाई की ही जीत होगी ।