Friday, July 7, 2017

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3011 में पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नेताओं की चालों और उनके बीच बनती नजर आ रही 'एकता' ने अनूप मित्तल के लिए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनावी मुकाबले को मुसीबतपूर्ण तथा अनिश्चितताभरा बना दिया है

नई दिल्ली । मुनीश गौड़ और पुष्पा सेठी की उम्मीदवारी की चर्चा के चलते डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद का जो चुनाव बहुकोणीय होता हुआ दिख रहा है, उसमें अनूप मित्तल को घेरने की रणनीति देखी/पहचानी जाने के कारण डिस्ट्रिक्ट का राजनीतिक परिदृश्य खासा दिलचस्प हो उठा है । डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के समीकरणों को जानने/समझने की कोशिश करने वाले लोगों को लग रहा है कि डिस्ट्रिक्ट के पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नेता लोग किसी एक उम्मीदवार का समर्थन करने को लेकर भले ही एकमत न हों, लेकिन अनूप मित्तल का विरोध करने को लेकर उनके बीच गजब की 'एकता' है । इस एकता का कोई मूर्त रूप नहीं है, यानि अनूप मित्तल के विरोध को लेकर नेताओं के बीच 'बनी' एकता दिख कहीं नहीं रही है - लेकिन अनूप मित्तल के विरोध में अंडरकरंट ऐसा है जो सभी नेताओं को आपस में जोड़े रखने का काम कर रहा है । अनूप मित्तल ने अपनी तरफ से हालाँकि नेताओं का समर्थन पाने का हर संभव प्रयास किया है, लेकिन उनकी दाल 'कहीं' भी अभी तक तो गलती हुई नहीं दिखी है । पिछले रोटरी वर्ष के चुनाव में सुरेश भसीन से मामूली अंतर से पिछड़ जाने, तथा नेताओं द्वारा समर्थित उम्मीदवारों से बहुत आगे रहने के कारण अनूप मित्तल और उनके समर्थकों को उम्मीद थी कि उनकी बढ़िया परफॉर्मेंस को देखते हुए कुछेक नेता लोग तो इस वर्ष उनकी उम्मीदवारी के समर्थन में आ ही जायेंगे - लेकिन पिछले वर्ष की बढ़िया परफॉर्मेंस भी अनूप मित्तल की उम्मीदवारी को नेताओं का समर्थन दिलवाने में विफल हो रही है ।
मजे की बात यह है कि अनूप मित्तल की इस विफलता के लिए खुद अनूप मित्तल को ही दोषी ठहराया जा रहा है । नेताओं की शिकायत है कि अनूप मित्तल के एटीट्यूड में दूसरों पर 'हावी' होने वाला जो भाव है, उसके चलते उन्हें 'अपनाना' मुश्किल हो जाता है और कई बार चाहते हुए भी उनके साथ रिश्ता बनाना दिक्कतभरा काम लगता है । हालाँकि अनूप मित्तल में हर वह खूबी है, जो कोई भी नेता 'अपने' उम्मीदवार में देखना/पाना चाहता है - लेकिन अनूप मित्तल चूँकि एक उम्मीदवार वाला 'भाव' नहीं दिखा/जता पाते हैं, इसलिए उनके लिए नेता(ओं) का समर्थन पाना मुश्किल बना हुआ है । यह एक मनोवैज्ञानिक सच्चाई है कि कोई भी नेता समर्थन चाहने वाले उम्मीदवार को अपने से एक सीढ़ी नीचे 'देखना' चाहता है - अनूप मित्तल के साथ समस्या लेकिन यह है कि वह खुद को नेता से दो सीढ़ी ऊपर 'दिखाते' हैं; और इसलिए नेता उनके साथ कनेक्ट ही नहीं हो पाता है, और यही कारण है कि हर नेता अनूप मित्तल की उम्मीदवारी का दुश्मन बना हुआ है । पिछले रोटरी वर्ष में अनूप मित्तल को किसी नेता का समर्थन नहीं मिला था, तो इसका कारण यही समझा गया था कि कोई चूँकि उनके जीत सकने का भरोसा नहीं बना सका था, इसलिए उनका समर्थन करने को तैयार नहीं हुआ था; लेकिन इस वर्ष तो उन्हें जीत के सबसे करीब समझा जा रहा है, उसके बाद भी कोई नेता उनकी उम्मीदवारी का समर्थन करने को तैयार होता नहीं दिख रहा है - तो यह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव के संदर्भ में अनूप मित्तल के लिए बड़ी मुसीबत और चुनौती की बात है ।
अनूप मित्तल भी इसे समझ रहे हैं, और इसलिए ही जीत के सबसे करीब होते हुए भी वह नेताओं का समर्थन प्राप्त करने के प्रयासों में लगे हैं । मुनीश गौड़ और पुष्पा सेठी की उम्मीदवारी की चर्चा ने लेकिन उनके प्रयासों को धक्का पहुँचाया है । इनकी उम्मीदवारी को अभी हालाँकि कोई भी ज्यादा महत्त्व नहीं दे रहा है, और किसी को भी यह भरोसा नहीं है कि इन दोनों की उम्मीदवारी डिस्ट्रिक्ट के चुनावी समीकरण को किसी भी तरह से बदल सकेगी - लेकिन इन दोनों की उम्मीदवारी अनूप मित्तल को नेताओं का समर्थन मिल सकने की संभावना को घटाने का काम जरूर करती हुई दिख रही है । जो स्थिति बन रही है, उसमें अनूप मित्तल के लिए मुसीबत दोहरी हो रही है - अनूप मित्तल की उम्मीदवारी को इस वर्ष यदि सचमुच किन्हीं भी नेताओं का समर्थन नहीं मिला, तो इसका क्लब्स के प्रेसीडेंट्स पर प्रतिकूल मनोवैज्ञानिक असर पड़ेगा ही; साथ ही नेता लोगों ने अपने अपने उम्मीदवार उतार कर चुनावी मुकाबले को बहुकोणीय बनाया तो वरीयता वोटों की गिनती के चलते अनूप मित्तल के लिए मुकाबला अनिश्चितताभरा हो जाएगा । अनूप मित्तल की उम्मीदवारी के खिलाफ नेताओं की चलती चालों और उनके बीच बनती नजर आ रही 'एकता' ने अनूप मित्तल के लिए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनावी मुकाबले को मुसीबतभरा तथा रोमांचक बना दिया है ।