Monday, July 17, 2017

लायंस मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट 321 में मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन के रूप में विनय गर्ग की 'मजबूरी' का अजय सिंघल को फायदा उठाता देख आनंद साहनी, विनय गर्ग पर भड़के

चंडीगढ़ । विनय गर्ग और अजय सिंघल के बीच बढ़ती 'दिखी' नजदीकी ने आनंद साहनी को तगड़ा झटका देते हुए बुरी तरह से निराश किया है, जिसके चलते उन्होंने अपने नजदीकियों से रोना रोया है कि उनके लिए इस बात पर यकीन करना मुश्किल हो रहा है कि विनय गर्ग इतनी जल्दी रंग बदल लेंगे । आनंद साहनी को लगता है और उन्होंने कई एक मौकों पर यह कहा/जताया भी है, तथा मल्टीपल में कई लोग इस बात से सहमत भी हैं कि विनय गर्ग यदि मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन बन सके हैं - तो इसके लिए आनंद साहनी का दृढ़ समर्थन ही मुख्य रूप से जिम्मेदार है । उल्लेखनीय है कि मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन के चुनाव को लेकर पीछे जो घमासानभरा नाटक चला था, उसमें विनय गर्ग को जीतने न देने के लिए लीडरशिप ने आनंद साहनी पर ही फोकस किया हुआ था । दरअसल विनय गर्ग के समर्थकों में आनंद साहनी को ही सबसे कमजोर कड़ी के रूप में देखा/पहचाना जा रहा था, और उन्हें 'तोड़ने' के लिए लीडरशिप के बड़े/छोटे नेताओं ने अपनी सारी ताकत लगाई हुई थी । आनंद साहनी ने लेकिन विनय गर्ग का साथ नहीं छोड़ा - और तमाम दंगे/फसाद के बावजूद अंततः विनय गर्ग मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन बनने में सफल हुए । मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन के रूप में विनय गर्ग लेकिन जिस तरह से लीडरशिप के लोगों के नजदीक होने की कोशिश करते हुए दिखे हैं, उससे आनंद साहनी सहित उनके कई समर्थकों को खासा तगड़ा झटका लगा है । इंटरनेशनल प्रेसीडेंट के रूप में नरेश अग्रवाल का स्वागत करने के लिए दिल्ली में हुए आयोजन में विनय गर्ग को अजय सिंघल के नजदीक होने की कोशिश करता देख कर तो आनंद साहनी बुरी तरह जल-भुन से गए हैं । 
आनंद साहनी के इस 'जलने-भुनने' का कारण दरअसल यह है कि डिस्ट्रिक्ट 321 एफ के गवर्नर के रूप में आनंद साहनी को इस वर्ष मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन बनना है, और इसमें उनका मुकाबला डिस्ट्रिक्ट 321 सी वन के गवर्नर अजय सिंघल से होने की चर्चा है । आनंद साहनी इस वर्ष के मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन के चुनाव में अपनी स्थिति मजबूत करने/बनाने में विनय गर्ग से सहयोग और समर्थन मिलने की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन विनय गर्ग को अजय सिंघल के साथ नजदीकी बनाने और 'दिखाने' की कोशिश करता देख आनंद साहनी का माथा ठनका है । आनंद साहनी के लिए यह समझना मुश्किल हो रहा है कि फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में जिन अजय सिंघल ने मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन के चुनाव में विनय गर्ग का जमकर विरोध किया था; और तेजपाल खिल्लन से बीस लाख रुपए का ऑफर मिलने के बाद भी जो विनय गर्ग को वोट देने के लिए राजी नहीं हुए थे - उन अजय सिंघल के साथ नजदीकी बनाने और उसे 'दिखाने' की विनय गर्ग को आखिर क्या जरूरत आ पड़ी है ? विनय गर्ग पर उनके ही साथियों/समर्थकों के यह आरोप तो सुने ही जा रहे हैं कि मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन बनने के बाद विनय गर्ग उन्हें भूल/छोड़ कर लीडरशिप के नेताओं के नजदीक होने का प्रयास कर रहे हैं; इन्हीं आरोपों के चलते नरेश अग्रवाल का स्वागत करने के लिए दिल्ली में हुए मल्टीपल के पहले ही कार्यक्रम का विनय गर्ग के खास सहयोगी रहे उनके अपने डिस्ट्रिक्ट के सुभाष बत्रा, अजय गोयल, चमनलाल गुप्ता जैसे पूर्व गवर्नर्स ने बहिष्कार किया - आनंद साहनी के लिए लेकिन यह समझना मुश्किल बना हुआ है कि विनय गर्ग उक्त कार्यक्रम में उनकी बजाए अजय सिंघल के साथ ज्यादा नजदीक होने और 'दिखने' का प्रयास क्यों कर रहे थे ? विनय गर्ग के इस व्यवहार को आनंद साहनी मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन के चुनाव के संदर्भ में अपने लिए खतरे की घंटी के रूप में देख और 'सुन' रहे हैं ।
विनय गर्ग के नजदीकियों ने हालाँकि विनय गर्ग की मजबूरियों का वास्ता देकर आनंद साहनी को समझाने और आश्वस्त करने का प्रयास किया है, लेकिन आनंद साहनी को लगातार यही महसूस हो रहा है कि अपना काम निकल जाने के बाद विनय गर्ग ने उनसे मुँह फेर लिया है और मान लिया है कि अब वह उनके 'काम' के नहीं रह गए हैं । इस प्रसंग में विनय गर्ग के नजदीकियों का कहना है कि विनय गर्ग के कई समर्थक इस सच्चाई को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं कि मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन बनने के बाद विनय गर्ग के लिए परिस्थितियाँ बदल गयी हैं, और अब वह चुनाव से पहले की तरह से टकरावभरे रास्ते पर नहीं चल सकते हैं । मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन के रूप में अच्छे से काम करने के लिए विनय गर्ग के लिए यह बहुत जरूरी है कि वह सभी को साथ लेकर चलें - और वह यही करने की कोशिश कर रहे हैं । उनकी कोशिश का अजय सिंघल ने यदि फायदा उठाया और अनुकूल प्रतिक्रिया व्यक्त की - जिसके चलते लोगों को विनय गर्ग और अजय सिंघल एक दूसरे के नजदीक नजर आए, तो इसमें आनंद साहनी को अपनी कमजोरी और विफलता को भी पहचानना चाहिए । विनय गर्ग के सामने दोहरी चुनौती है - उनके विरोधी तो हर कदम पर उन्हें फेल करने का प्रयास करेंगे ही, लेकिन विनय गर्ग को अपने समर्थकों के साथ-साथ अपने विरोधियों को भी अपने साथ लाने का प्रयास करना है । आनंद साहनी की नाराजगी लेकिन बता/दिखा रही है कि विरोधियों को साधने के चक्कर में विनय गर्ग अपने समर्थकों को नाराज कर रहे हैं । विनय गर्ग को मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन बनवाने में आनंद साहनी की भूमिका को देखते हुए - 'मजबूरियों' के चलते विनय गर्ग के बदलते व्यवहार के प्रति आनंद साहनी की नाराजगी विनय गर्ग के लिए मुसीबत भरी भी साबित हो सकती है ।