नई
दिल्ली । प्रशांत माथुर तो डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए अपनी
उम्मीदवारी का शिगूफा छोड़ कर गायब हो गए हैं, लेकिन ललित खन्ना का काम बढ़ा गए हैं । ललित खन्ना के लिए यह काम और बढ़ गया है कि वह
लोगों को बताएँ कि प्रशांत माथुर जिन नेताओं के भरोसे उम्मीदवार होने की
सोच रहे थे, उन नेताओं का समर्थन चूँकि उनके साथ ही है - इसलिए प्रशांत
माथुर की उम्मीदवारी की संभावना नहीं है । उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट
गवर्नर नॉमिनी पद का चुनाव दो उम्मीदवारों के बीच नहीं, बल्कि दो खेमों के
बीच होता है - इसलिए प्रशांत माथुर की उम्मीदवारी की घोषणा ने लोगों के बीच
ललित खन्ना की उम्मीदवारी पर सवाल खड़े कर दिए थे । ललित खन्ना और
प्रशांत माथुर चूँकि एक ही खेमे के साथ 'देखे/पहचाने' जाते हैं; और ललित
खन्ना की उम्मीदवारी चूँकि पहले से ही चर्चा में है - इसलिए प्रशांत
माथुर की अचानक घोषित हुई उम्मीदवारी से लोगों को आभास मिला कि जैसे खेमे
के नेता ललित खन्ना की उम्मीदवारी की 'चाल' से खुश नहीं हैं और उनके ही
कहने पर प्रशांत माथुर ने अपनी उम्मीदवारी की घोषणा की है । इससे ललित
खन्ना के सामने लोगों के बीच खेमे के नेताओं के समर्थन का भरोसा बनाए रखने
की चुनौती पैदा हुई । घोषणा करने के बाद से प्रशांत माथुर चूँकि एक
उम्मीदवार के रूप में सक्रिय नहीं दिख रहे हैं, इसलिए ललित खन्ना का काम
आसान तो हुआ है - लेकिन प्रशांत माथुर की घोषणा ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव के संदर्भ में उन्हें जो नुकसान
पहुँचाया है, जल्दी से जल्दी उसकी भरपाई करना उनके लिए एक चुनौती की बात तो
है ही ।
प्रशांत माथुर के रवैये ने भी लोगों को हैरान किया है । उन्हें एक जिम्मेदार व्यक्ति व रोटेरियन के रूप में देखा/पहचाना जाता है । इसीलिए उन्होंने जब अपनी उम्मीदवारी की घोषणा की तो उनकी घोषणा को लोगों ने गंभीरता से लिया - लेकिन फिर जल्दी ही देखा/पाया गया कि प्रशांत माथुर अपनी उम्मीदवारी को लेकर खुद ही गंभीर नहीं हैं । उनके कुछेक नजदीकियों ने हालाँकि दावा किया था कि वह चुनावी राजनीति की मुश्किलों से परिचित हैं, वह कॉर्पोरेट राजनीति में संलग्न रहते हैं और इसलिए भी राजनीति करने के तौर-तरीकों को जानते/समझते हैं - इस कारण से एक उम्मीदवार के रूप में वह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में एक दमदार खिलाड़ी साबित होंगे । प्रशांत माथुर लेकिन उम्मीदवारी की घोषणा करके गायब ही हो गए हैं - इससे लोगों ने यही समझा है कि जोश जोश में उन्होंने अपनी उम्मीदवारी की घोषणा तो कर दी, लेकिन जब यह देखा/समझा कि उम्मीदवारी को निभाना 'आग का दरिया है, जिसे तैर कर पार करना' है तो फिर वह तुरंत ही पीछे हट गए । लोगों ने यह भी माना/कहा कि प्रशांत माथुर ने जिस अचानक तरीके से अपनी उम्मीदवारी की घोषणा की थी, उससे भी लगा था कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की चुनावी राजनीति की बुनियादी तासीर से वह जरा भी परिचित नहीं हैं और बस अवॉर्ड के जोश में आकर उन्होंने अपनी उम्मीदवारी की घोषणा कर दी ।
प्रशांत माथुर के कुछेक नजदीकियों का कहना है कि डिस्ट्रिक्ट के थैंक्सगिविंग कार्यक्रम में शरत जैन से प्रशांत माथुर को 'सर्विस अबव सेल्फ' का जो अवार्ड मिला और उस पर जो तालियाँ बजीं - तो प्रशांत माथुर की आँखों में गवर्नर की कुर्सी चमक उठी । रोटरी में यह बड़ी आम घटना है : रोटरी की कार्यप्रणाली और इसमें का माहौल कई लोगों को खुद के महत्त्वपूर्ण होने का आभासी/झूठा अहसास कराता है; कुछ लोग इसे असली समझ बैठते हैं - और तब वह अपने आप को गवर्नर से कम समझने को राजी नहीं होते । लगता है कि प्रशांत माथुर भी इसी मृगमरीचिका का शिकार हुए और 'नेक्स्ट स्टेप इन रोटरी' के रूप में गवर्नर पद पर दावा कर बैठे । यह दावा करने के बाद वह दो-एक कार्यक्रमों में तो दिखाई दिए, लेकिन फिर पूरी तरह गायब ही हो गए । लोग उनके नजदीकियों से पूछ रहे हैं कि भई प्रशांत माथुर को गवर्नर बनना है, लेकिन वह हैं कहाँ ? नजदीकी परेशान हैं कि वह भला क्या जबाव दें ? प्रशांत माथुर के नजदीकियों से ज्यादा ललित खन्ना के लिए परेशानी खड़ी हुई है और उन्हें इस बात पर सफाई देनी पड़ रही है कि जिस खेमे का समर्थन उन्हें मिलने की बात हो रही है, उस खेमे की तरफ से प्रशांत माथुर कैसे और क्यों अपनी उम्मीदवारी की बात करने लगे हैं ? प्रशांत माथुर के सीन से गायब हो जाने के कारण ललित खन्ना को जबाव देने में आसानी तो हो गई है, लेकिन फिर भी प्रशांत माथुर की जोशबाजी के कारण ललित खन्ना पर जबाव देने का अतिरिक्त बोझ तो आ ही पड़ा है ।
प्रशांत माथुर के रवैये ने भी लोगों को हैरान किया है । उन्हें एक जिम्मेदार व्यक्ति व रोटेरियन के रूप में देखा/पहचाना जाता है । इसीलिए उन्होंने जब अपनी उम्मीदवारी की घोषणा की तो उनकी घोषणा को लोगों ने गंभीरता से लिया - लेकिन फिर जल्दी ही देखा/पाया गया कि प्रशांत माथुर अपनी उम्मीदवारी को लेकर खुद ही गंभीर नहीं हैं । उनके कुछेक नजदीकियों ने हालाँकि दावा किया था कि वह चुनावी राजनीति की मुश्किलों से परिचित हैं, वह कॉर्पोरेट राजनीति में संलग्न रहते हैं और इसलिए भी राजनीति करने के तौर-तरीकों को जानते/समझते हैं - इस कारण से एक उम्मीदवार के रूप में वह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में एक दमदार खिलाड़ी साबित होंगे । प्रशांत माथुर लेकिन उम्मीदवारी की घोषणा करके गायब ही हो गए हैं - इससे लोगों ने यही समझा है कि जोश जोश में उन्होंने अपनी उम्मीदवारी की घोषणा तो कर दी, लेकिन जब यह देखा/समझा कि उम्मीदवारी को निभाना 'आग का दरिया है, जिसे तैर कर पार करना' है तो फिर वह तुरंत ही पीछे हट गए । लोगों ने यह भी माना/कहा कि प्रशांत माथुर ने जिस अचानक तरीके से अपनी उम्मीदवारी की घोषणा की थी, उससे भी लगा था कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की चुनावी राजनीति की बुनियादी तासीर से वह जरा भी परिचित नहीं हैं और बस अवॉर्ड के जोश में आकर उन्होंने अपनी उम्मीदवारी की घोषणा कर दी ।
प्रशांत माथुर के कुछेक नजदीकियों का कहना है कि डिस्ट्रिक्ट के थैंक्सगिविंग कार्यक्रम में शरत जैन से प्रशांत माथुर को 'सर्विस अबव सेल्फ' का जो अवार्ड मिला और उस पर जो तालियाँ बजीं - तो प्रशांत माथुर की आँखों में गवर्नर की कुर्सी चमक उठी । रोटरी में यह बड़ी आम घटना है : रोटरी की कार्यप्रणाली और इसमें का माहौल कई लोगों को खुद के महत्त्वपूर्ण होने का आभासी/झूठा अहसास कराता है; कुछ लोग इसे असली समझ बैठते हैं - और तब वह अपने आप को गवर्नर से कम समझने को राजी नहीं होते । लगता है कि प्रशांत माथुर भी इसी मृगमरीचिका का शिकार हुए और 'नेक्स्ट स्टेप इन रोटरी' के रूप में गवर्नर पद पर दावा कर बैठे । यह दावा करने के बाद वह दो-एक कार्यक्रमों में तो दिखाई दिए, लेकिन फिर पूरी तरह गायब ही हो गए । लोग उनके नजदीकियों से पूछ रहे हैं कि भई प्रशांत माथुर को गवर्नर बनना है, लेकिन वह हैं कहाँ ? नजदीकी परेशान हैं कि वह भला क्या जबाव दें ? प्रशांत माथुर के नजदीकियों से ज्यादा ललित खन्ना के लिए परेशानी खड़ी हुई है और उन्हें इस बात पर सफाई देनी पड़ रही है कि जिस खेमे का समर्थन उन्हें मिलने की बात हो रही है, उस खेमे की तरफ से प्रशांत माथुर कैसे और क्यों अपनी उम्मीदवारी की बात करने लगे हैं ? प्रशांत माथुर के सीन से गायब हो जाने के कारण ललित खन्ना को जबाव देने में आसानी तो हो गई है, लेकिन फिर भी प्रशांत माथुर की जोशबाजी के कारण ललित खन्ना पर जबाव देने का अतिरिक्त बोझ तो आ ही पड़ा है ।