यमुना
नगर । कपिल गुप्ता को टीके रूबी और जितेंद्र ढींगरा की जोड़ी के सामने अपनी
उम्मीदवारी को समर्पित करता देख राजा साबू गिरोह के लोगों की राजनीति को
तगड़ा झटका लगा है, जिससे उबरने की कोशिश में उनकी तरफ से कपिल गुप्ता को
तरह तरह से उकसाने और भड़काने के प्रयास हो रहे हैं । मजे की बात यह है
कि पिछले दिनों, वर्ष 2018-19 के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए हो रहे
चुनाव में तो कपिल गुप्ता की उम्मीदवारी का विरोध करने में राजा साबू गिरोह
के कुछेक नेता आगे-आगे थे, लेकिन अब वर्ष 2020-21 के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर
पद के लिए होने वाले चुनाव को लेकर कपिल गुप्ता जब पीछे हटते दिख रहे हैं -
तो उनका विरोध करने वाले वही नेता अचानक से कपिल गुप्ता की उम्मीदवारी में
संभावना देखने लगे हैं । उल्लेखनीय है कि वर्ष 2020-21 के डिस्ट्रिक्ट
गवर्नर पद के लिए होने वाले चुनाव में टीके रूबी और जितेंद्र ढींगरा की
जोड़ी की तरफ से रमेश बजाज की उम्मीदवारी को जहाँ पक्का सा माना जा रहा है,
वहाँ राजा साबू गिरोह की तरफ से उम्मीदवारी को लेकर अभी असमंजस बना हुआ है ।
उम्मीद की जा रही थी कि उनकी तरफ से पूनम सिंह और कपिल गुप्ता में से
कोई एक उम्मीदवार बनेगा/रहेगा । कपिल गुप्ता लेकिन जिस तरह से टीके रूबी और
जितेंद्र ढींगरा की जोड़ी के सामने अपनी उम्मीदवारी को समर्पित करते नजर आ
रहे हैं, उससे राजा साबू गिरोह को अपना गेम-प्लान बिगड़ता दिख रहा है ।
कपिल
गुप्ता के नजदीकियों के अनुसार, टीके रूबी और जितेंद्र ढींगरा की जोड़ी ने
उन्हें अगले रोटरी वर्ष में 'अपना' उम्मीदवार बनाने का भरोसा दे दिया है,
जिसके चलते कपिल गुप्ता ने इस वर्ष रमेश बजाज की उम्मीदवारी की राह में
काँटा बनने का इरादा त्याग दिया है । पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सतीश सलूजा
तो कपिल गुप्ता को इस समर्पण के लिए राजी करने का प्रयास कर ही रहे थे,
प्रमोद विज और रंजीत भाटिया जैसे पूर्व गवर्नर्स को भी कमजोर पड़ता देख कपिल
गुप्ता को भी अपनी उम्मीदवारी समर्पित करने में ही अपनी भलाई दिखी ।
कपिल गुप्ता के नजदीकियों के अनुसार, प्रमोद विज और रंजीत भाटिया ने
पहले तो कपिल गुप्ता में उम्मीदवारी के लिए हवा भरने की कोशिश की थी, लेकिन
फिर धीरे धीरे वह ठंडे पड़ते गए । दरअसल उन्होंने समझ लिया कि जब वर्ष
2018-19 के लिए चुनाव हो रहा था, तब हालात अलग थे और उस समय टीके रूबी व
जितेंद्र ढींगरा के उम्मीदवार के रूप में रमेश बजाज की उम्मीदवारी से
मुकाबला किया जा सकता था, लेकिन अब के हालात में रमेश बजाज की उम्मीदवारी
से निपटना मुश्किल होगा । प्रमोद विज और रंजीत भाटिया को ठंडा पड़ता देख,
कपिल गुप्ता के सामने टीके रूबी और जितेंद्र ढींगरा की जोड़ी के सामने अपनी
उम्मीदवारी का समर्पण करने के अलावा कोई चारा नहीं बचा ।
कपिल
गुप्ता को अपनी उम्मीदवारी से पीछे हटता देख राजा साबू गिरोह के नेताओं को
दोहरा झटका लगा है - एक तरफ तो उनके पास उम्मीदवारों की कमी हो गयी, और
दूसरी तरफ डिस्ट्रिक्ट में लोगों को टीके रूबी और जितेंद्र ढींगरा की
राजनीतिक ताकत और बढ़ती हुई दिखी है । राजा साबू गिरोह के लोगों ने हालाँकि
अभी भी टीके रूबी के गवर्नर-काल के प्रति असहयोग व उपेक्षा का रवैया अपनाया
हुआ है, लेकिन धीरे धीरे पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स राजा साबू की
छत्र-छाया से बाहर निकल कर इस 'सच्चाई' को स्वीकारने लगे हैं कि टीके रूबी
ही डिस्ट्रिक्ट गवर्नर 'हैं' । राजा साबू, यशपाल दास और शाजु पीटर ही अभी
इस 'सच्चाई' को हजम कर पाने में दर्द महसूस कर रहे हैं और उनकी मरोड़े कम
नहीं हो रही हैं । उन्हें उम्मीद थी कि प्रमोद विज और रंजीत भाटिया भी
उनके जैसे तेवर बनाए रहेंगे; किंतु कपिल गुप्ता के उम्मीदवारी से पीछे हटने
में उन्हें कपिल गुप्ता के साथ-साथ प्रमोद विज और रंजीत भाटिया भी टीके
रूबी व जितेंद्र ढींगरा की जोड़ी के आगे समर्पण करते नजर आ रहे हैं ।
दरअसल इसीलिए, कपिल गुप्ता को अपनी उम्मीदवारी से पीछे हटता तथा
उन्हें टीके रूबी और जितेंद्र ढींगरा की जोड़ी के साथ जुड़ता देख राजा साबू
और उनके नजदीकियों की बेचैनी बढ़ गयी है ।
बढ़ती बेचैनी
में राजा साबू के नजदीकी एक तरफ कपिल गुप्ता और उनके साथ-साथ प्रमोद विज व
रंजीत भाटिया को कोसने में लगे हैं, तथा दूसरी तरफ उन्हें भड़काने व उकसाने
के प्रयास भी कर रहे हैं । उनका कहना है कि कपिल गुप्ता अगले रोटरी वर्ष
में टीके रूबी और जितेंद्र ढींगरा की मदद से डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी
चुने जाने का जो ख्बाव देख रहे हैं, वह कभी पूरा नहीं होगा - क्योंकि वह
लोग उन्हें प्रमोद विज व रंजीत भाटिया के 'आदमी' के रूप में देखते हैं और
इसलिए उन्हें कभी समर्थन नहीं देंगे । कपिल गुप्ता को यह याद दिलाते
हुए भी भड़काने/उकसाने का प्रयास किया जा रहा है कि उन्होंने रमेश बजाज से
पहले अपनी उम्मीदवारी घोषित की थी, इसलिए रमेश बजाज उनसे पहले कैसे गवर्नर
बन सकते हैं ? समझा जाता है कि कपिल गुप्ता की उम्मीदवारी जब पहली बार
सामने आई थी, तब उन्हें सतीश सलूजा के उम्मीदवार के रूप में देखा/पहचाना
गया था और जितेंद्र ढींगरा का समर्थन भी उनके साथ बताया गया था । समस्या
लेकिन तब पैदा हुई, जब कपिल गुप्ता ने पानीपत में अपने आप को प्रमोद विज व
रणजीत भाटिया के साथ खड़ा कर लिया । उनकी इस कार्रवाई के विरोध में
ही रमेश बजाज की उम्मीदवारी प्रकट हुई । अचानक प्रकट हुई रमेश बजाज की
उम्मीदवारी से जितेंद्र ढींगरा खुश नहीं थे और वह मजबूरी में ही रमेश बजाज
की उम्मीदवारी के साथ बने हुए थे ।
जितेंद्र ढींगरा को उस
समय दरअसल अपनी चिंता थी । राजा साबू के चक्रव्यूह को भेद कर जितेंद्र
ढींगरा सत्ता के निकट तो पहुँच गए थे, लेकिन वह देख रहे थे कि राजा साबू की
'कौरव सेना' ने उन्हें चारों तरफ से घेरा हुआ है और उन्हें 'कुरुक्षेत्र'
में ही निपटा देने की कोशिश की जाएगी । इसलिए जितेंद्र ढींगरा को डर हुआ था कि रमेश बजाज की उम्मीदवारी के चक्कर में कहीं वह अपने लिए मुसीबतों को न बढ़ा लें ।
बाद के हालात में जब टीके रूबी के हाथ सत्ता की सीधी बागडोर आ गयी तो राजा
साबू की कौरव सेना का घेरा अपने आप दरक उठा और कमजोर पड़ गया । इससे
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की चुनावी राजनीति के समीकरण भी बदल गए हैं
और राजा साबू गिरोह के भरोसे उम्मीदवार बनने वाले लोग अपनी अपनी उम्मीदवारी
से पीछे हटते नजर आए । ऐसे में, कपिल गुप्ता ने होशियारी दिखाई और टीके रूबी व जितेंद्र ढींगरा की जोड़ी के साथ समझौता कर लिया ।
कपिल गुप्ता के इस फैसले ने राजा साबू गिरोह की राजनीति को तगड़ी चोट
पहुँचाई है और उनके लिए आगे की राह को और ज्यादा मुश्किल बना दिया है ।