गाजियाबाद । रोटरी वरदान ब्लड बैंक का उद्घाटन रोटरी के पदाधिकारियों और सदस्यों की अनुपस्थिति में आज हो गया । रोटरी
के पदाधिकारियों और सदस्यों की अनुपस्थिति का कारण यह रहा कि उन्हें आज
हुए उद्घाटन कार्यक्रम की हवा भी नहीं लग सकी थी - और उन्हें पूरी तरह
दरकिनार कर ब्लड बैंक का उद्घाटन कर लिया गया । रोटरी के पैसे से वरदान हॉस्पिटल में बने
ब्लड बैंक के उद्घाटन अवसर से रोटरी के पदाधिकारियों और सदस्यों को ही दूर
रख कर - उनका जो सार्वजनिक अपमान किया गया, वह समाज में रोटरी
पदाधिकारियों और सदस्यों की 'औकात' का एक उदाहरण भी है । यहाँ यह याद करना
प्रासंगिक होगा कि वरदान हॉस्पिटल में रोटरी क्लब्स प्रोजेक्ट के नाम पर
प्रायः पैसे देते रहते हैं; करीब सवा करोड़ रुपए के खर्चे से लगने वाले
ब्लड बैंक को लगाने के लिए भी वरदान हॉस्पिटल को चुना गया - लेकिन वरदान
हॉस्पिटल के पदाधिकारियों ने ब्लड बैंक के उद्घाटन अवसर पर रोटरी
पदाधिकारियों और सदस्यों को कोई तवज्जो देने की जरूरत तक नहीं समझी ।
मजेदार दृश्य यह देखने में आ रहा है कि उपेक्षा के अपमान से तिलमिलाए रोटरी डिस्ट्रिक्ट 3012 के पदाधिकारी और सदस्य तो वरदान हॉस्पिटल के
पदाधिकारियों को कोसने में लगे हैं; लेकिन वरदान के पदाधिकारियों का कहना है
कि रोटरी के पदाधिकारियों के भरोसे रहते तो ब्लड बैंक कभी उद्घाटित न हो
पाता ।
उल्लेखनीय है कि रोटरी ग्लोबल ग्रांट नंबर 1527923 के तहत एक लाख 90 हजार डॉलर से अधिक रकम की लागत वाले रोटरी वरदान ब्लड बैंक की रूपरेखा रोटरी क्लब साहिबाबाद, रोटरी क्लब गाजियाबाद ग्रेटर और रोटरी क्लब गाजियाबाद इंडस्ट्रियल टाउन ने संजय खन्ना के गवर्नर-काल में तैयार की थी; जिसे जेके गौड़ के गवर्नर-काल में पूरा होना था । जेके गौड़ ने अपने गवर्नर-काल की 10 फरवरी को रोटरी इंटरनेशनल के तत्कालीन प्रेसीडेंट केआर रवींद्रन के हाथों इसका उद्घाटन करवाने की योजना भी बना ली थी । लेकिन ब्लड बैंक की आड़ में 'लूट के बँटवारे' को लेकर ब्लड बैंक का काम देख रहे जेके गौड़ तथा उनके साथियों और डीआरएफसी के रूप में मुकेश अरनेजा के बीच जो झगड़ा फैला, तो फिर उसे सँभलते सँभलते ब्लड बैंक का काम पिछड़ता ही गया । झगड़े के फैलने और सँभलने के बीच ही आरोप सुनाई दिए कि इस ब्लड बैंक की आड़ में इसके काम से जुड़े रोटरी नेताओं ने 45 लाख रुपए से ज्यादा की रकम हड़प कर अपनी अपनी अंटी में कर ली है । रकम हड़प लेने के बाद रोटरी नेताओं और पदाधिकारियों ने इस ब्लड बैंक में दिलचस्पी लेना ही बंद कर दिया ।
वरदान हॉस्पिटल से जुड़े लोगों ने ब्लड बैंक से जुड़े रोटरी पदाधिकारियों से बार बार गुजारिश की कि वह इसका काम पूरा करें/करवाएँ, ताकि यह चालू हो सके - रोटरी पदाधिकारी लेकिन तरह तरह की बहानेबाजियों से उनकी गुजारिश को अनसुना करते रहे । इस कारण लाइसेंस लेने का काम भी काफी पिछड़ गया । रोटरी पदाधिकारियों ने उचित समय से - और जल्दी से जल्दी ब्लड बैंक का काम करने/करवाने में तो दिलचस्पी नहीं ली, लेकिन एक दूसरे पर दोषारोपण करने में उन्होंने अपनी काफी एनर्जी लगाई । जेके गौड़ और मुकेश अरनेजा के साथ साथ सतीश सिंघल भी आरोपों की चपेट में आए और उन पर आरोप लगा कि वह इस ब्लड बैंक पर कब्ज़ा करने की फ़िराक में हैं, ताकि इसकी कमाई भी हड़पने का मौका उन्हें मिले । रोटरी पदाधिकारियों के निकम्मेपन और लूट खसोट की जुगाड़ में रहने की 'सोच' को देखते हुए वरदान हॉस्पिटल वालों को समझ में आ गया कि रोटरी वरदान ब्लड बैंक को यदि बचाना और चलाना है, तो उन्हें खुद ही इसकी जिम्मेदारी लेनी होगी । लिहाजा, बाकी बचे जरूरी कामों को उन्होंने खुद ही पूरा किया/करवाया । वरदान हॉस्पिटल के पदाधिकारियों ने रोटरी वरदान ब्लड बैंक के उद्घाटन अवसर से ब्लड बैंक की योजना से जुड़े तथा इसके लिए रकम देने/दिलवाने वाले रोटरी पदाधिकारियों को दूर रखने का काम इसीलिए किया, ताकि रोटरी पदाधिकारी इसकी कमाई में हिस्सा माँगने/लूटने के लिए तैयार न हो जाएँ ।
रोटरी वरदान ब्लड बैंक रोटरी डिस्ट्रिक्ट 3012 के जेके गौड़, मुकेश अरनेजा, सतीश सिंघल जैसे पदाधिकारियों और नेताओं के निकम्मेपन और भ्रष्टाचार का एक ऐसा स्मारक है, जिसके उद्घाटन अवसर को उनकी छाया से भी बचाने की कोशिश की गयी है - और इस तरह से इन्हें इनकी 'असली पहचान' से परिचित कराया गया ।
उल्लेखनीय है कि रोटरी ग्लोबल ग्रांट नंबर 1527923 के तहत एक लाख 90 हजार डॉलर से अधिक रकम की लागत वाले रोटरी वरदान ब्लड बैंक की रूपरेखा रोटरी क्लब साहिबाबाद, रोटरी क्लब गाजियाबाद ग्रेटर और रोटरी क्लब गाजियाबाद इंडस्ट्रियल टाउन ने संजय खन्ना के गवर्नर-काल में तैयार की थी; जिसे जेके गौड़ के गवर्नर-काल में पूरा होना था । जेके गौड़ ने अपने गवर्नर-काल की 10 फरवरी को रोटरी इंटरनेशनल के तत्कालीन प्रेसीडेंट केआर रवींद्रन के हाथों इसका उद्घाटन करवाने की योजना भी बना ली थी । लेकिन ब्लड बैंक की आड़ में 'लूट के बँटवारे' को लेकर ब्लड बैंक का काम देख रहे जेके गौड़ तथा उनके साथियों और डीआरएफसी के रूप में मुकेश अरनेजा के बीच जो झगड़ा फैला, तो फिर उसे सँभलते सँभलते ब्लड बैंक का काम पिछड़ता ही गया । झगड़े के फैलने और सँभलने के बीच ही आरोप सुनाई दिए कि इस ब्लड बैंक की आड़ में इसके काम से जुड़े रोटरी नेताओं ने 45 लाख रुपए से ज्यादा की रकम हड़प कर अपनी अपनी अंटी में कर ली है । रकम हड़प लेने के बाद रोटरी नेताओं और पदाधिकारियों ने इस ब्लड बैंक में दिलचस्पी लेना ही बंद कर दिया ।
वरदान हॉस्पिटल से जुड़े लोगों ने ब्लड बैंक से जुड़े रोटरी पदाधिकारियों से बार बार गुजारिश की कि वह इसका काम पूरा करें/करवाएँ, ताकि यह चालू हो सके - रोटरी पदाधिकारी लेकिन तरह तरह की बहानेबाजियों से उनकी गुजारिश को अनसुना करते रहे । इस कारण लाइसेंस लेने का काम भी काफी पिछड़ गया । रोटरी पदाधिकारियों ने उचित समय से - और जल्दी से जल्दी ब्लड बैंक का काम करने/करवाने में तो दिलचस्पी नहीं ली, लेकिन एक दूसरे पर दोषारोपण करने में उन्होंने अपनी काफी एनर्जी लगाई । जेके गौड़ और मुकेश अरनेजा के साथ साथ सतीश सिंघल भी आरोपों की चपेट में आए और उन पर आरोप लगा कि वह इस ब्लड बैंक पर कब्ज़ा करने की फ़िराक में हैं, ताकि इसकी कमाई भी हड़पने का मौका उन्हें मिले । रोटरी पदाधिकारियों के निकम्मेपन और लूट खसोट की जुगाड़ में रहने की 'सोच' को देखते हुए वरदान हॉस्पिटल वालों को समझ में आ गया कि रोटरी वरदान ब्लड बैंक को यदि बचाना और चलाना है, तो उन्हें खुद ही इसकी जिम्मेदारी लेनी होगी । लिहाजा, बाकी बचे जरूरी कामों को उन्होंने खुद ही पूरा किया/करवाया । वरदान हॉस्पिटल के पदाधिकारियों ने रोटरी वरदान ब्लड बैंक के उद्घाटन अवसर से ब्लड बैंक की योजना से जुड़े तथा इसके लिए रकम देने/दिलवाने वाले रोटरी पदाधिकारियों को दूर रखने का काम इसीलिए किया, ताकि रोटरी पदाधिकारी इसकी कमाई में हिस्सा माँगने/लूटने के लिए तैयार न हो जाएँ ।
रोटरी वरदान ब्लड बैंक रोटरी डिस्ट्रिक्ट 3012 के जेके गौड़, मुकेश अरनेजा, सतीश सिंघल जैसे पदाधिकारियों और नेताओं के निकम्मेपन और भ्रष्टाचार का एक ऐसा स्मारक है, जिसके उद्घाटन अवसर को उनकी छाया से भी बचाने की कोशिश की गयी है - और इस तरह से इन्हें इनकी 'असली पहचान' से परिचित कराया गया ।