जालंधर
। डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट बरजेश सिंघल पर अगले रोटरी वर्ष के अपने
गवर्नर-काल के असिस्टेंट गवर्नर्स के पद के बदले इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के
चुनाव में भरत पांड्या के लिए वोट जुटाने का आरोप लगने - और रोटरी
इंटरनेशनल में इस बारे में शिकायत होने से डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति
में गर्मी पैदा होने के साथ-साथ उसके समीकरणों में बदलाव आने के संकेत भी
मिले हैं । उल्लेखनीय है कि अशोक गुप्ता और भरत पांड्या के बीच हो रहे
इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव को लेकर डिस्ट्रिक्ट 3070 में खासी
गहमागहमी है । हालाँकि कुछेक पूर्व गवर्नर्स का कहना है कि गहमागहमी ज्यादा
नहीं है, गहमागहमी का शोर ज्यादा है - और इसका कारण पूर्व गवर्नर गुरजीत
सिंह की सक्रियता है । गुरजीत सिंह ने भरत पांड्या की उम्मीदवारी का
झंडा उठाया हुआ है; और पंचकुला में हुई नोमीनेटिंग कमेटी की मीटिंग से लेकर
कुआलालुम्पुर में हुए रोटरी इंस्टीट्यूट तक भरत पांड्या की उम्मीदवारी के
समर्थन में काम करने को लेकर वह चर्चा में रहे हैं । कुआलालुम्पुर से लौट
कर गुरजीत सिंह ने नॉर्दर्न क्षेत्र के दूसरे डिस्ट्रिक्ट्स में अपनी
सक्रियता दिखाने का प्रयास किया, लेकिन वहाँ कहीं उनकी ज्यादा चली नहीं -
और इस कारण से उनकी चर्चा का ग्राफ जितनी तेजी से ऊँचा चढ़ा था, उतनी ही
तेजी से वह नीचे भी आ गया । इसका कारण यह भी रहा कि गुरजीत सिंह को अपने
ही डिस्ट्रिक्ट में भरत पांड्या के समर्थन के संदर्भ में अपनी सक्रियता को
लेकर विरोध का सामना करना पड़ा । दरअसल डिस्ट्रिक्ट 3070 में भरत पांड्या
की उम्मीदवारी के दूसरे समर्थक नेताओं ने भरत पांड्या और उनके
चुनावी-प्रबंधकों से साफ कह दिया कि उनकी उम्मीदवारी की कमान यदि गुरजीत
सिंह के हाथ में रहेगी, तो डिस्ट्रिक्ट में उन्हें जो वोट मिल सकते हैं, वह
भी उन्हें नहीं मिलेंगे । इसके बाद, भरत पांड्या की उम्मीदवारी के
चुनाव-प्रबंधकों ने गुरजीत सिंह को 'ज्यादा न उड़ने' का निर्देश दिया, और तब
गुरजीत सिंह ने अपनी सक्रियता की रफ़्तार धीरे की ।
गुरजीत सिंह की सक्रियता भरत पांड्या के लिए वास्तव में मुसीबत का कारण ही बनी । दरअसल भरत पांड्या के लिए गुरजीत सिंह की सक्रियता को रोटरी में आगे बढ़ने की उनकी 'सीढ़ी' के रूप में देखा/पहचाना गया । गुरजीत सिंह को एक महत्त्वाकांक्षी रोटेरियन के रूप में देखा/पहचाना जाता है; उन्होंने खुद भी कई लोगों से कहा है कि उन्हें रोटरी में 'आगे' बढ़ना है । उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट 3070 में सुरेंद्र सेठ को छोड़ कर किसी अन्य गवर्नर की रोटरी में ऊँची पहचान नहीं बन सकी है । इसका कारण यह भी रहा कि किसी ने ऊँची पहचान के लिए कोई प्रयास भी नहीं किया । सुरेंद्र सेठ की वक्तृत कला और उनकी सक्रियता की विविधता के चलते रोटरी में उनका एक आभामंडल बना, जो लगातार कायम रहा । तीन वर्ष पहले डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रहे गुरजीत सिंह ने रोटरी में ऊँची उड़ान भरने के बारे में सोचा तो, लेकिन वह ऐसा कोई काम करके दिखा नहीं सके जिससे कि रोटरी के बड़े नेताओं की निगाह में वह 'चढ़' सकें । बासकर चॉकलिंगम के इंटरनेशनल डायरेक्टर के रूप में काम करना शुरू करने के बाद, गुरजीत सिंह ने उनके लिए कम्प्यूटर नेटवर्किंग को लेकर कुछ काम किया - जिसके चलते वह बासकर चॉकलिंगम के नजदीक तो आए, पर इस नजदीकियत का उन्हें कोई फायदा होता हुआ नहीं दिखा । इस बीच इंटरनेशनल डायरेक्टर पद को लेकर शुरू हुई गहमागहमी में उन्हें अपनी महत्त्वाकांक्षा को पूरा करने का मौका नजर आया, और इस मौके को इस्तेमाल करने के लिए वह इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनावी मैदान में कूद पड़े । उन्हें विश्वास रहा कि वह भरत पांड्या की उम्मीदवारी के लिए काम करेंगे, तो भरत पांड्या के समर्थक बड़े नेता रोटरी में ऊँचा उठने की उनकी कोशिशों में अवश्य ही मदद करेंगे । इसी विश्वास के चलते गुरजीत सिंह ने भरत पांड्या की उम्मीदवारी के पक्ष में जोशो-खरोश के साथ मोर्चा संभाल लिया । गुरजीत सिंह को भरत पांड्या के यहाँ ज्यादा तवज्जो मिलती देख, भरत पांड्या के दूसरे समर्थक लेकिन नाराज हो गए - और यह कहते हुए भरत पांड्या के समर्थन से पीछे हट गए कि अब जो करेंगे, गुरजीत सिंह ही करेंगे ।
जोन 4 के नॉर्दर्न हिस्से के डिस्ट्रिक्ट्स में गुरजीत सिंह की अति-सक्रियता के कारण भरत पांड्या के संभावित समर्थकों में फैली नाराजगी ने भरत पांड्या की उम्मीदवारी को तगड़ा झटका दिया । गुरजीत सिंह के डिस्ट्रिक्ट - डिस्ट्रिक्ट 3070 तक में भरत पांड्या ने अपना काफी समर्थन खो दिया है । उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट 3070 में भरत पांड्या के लिए अच्छा समर्थन था - कुछ खेमेबाजी के समीकरणों के चलते और कुछ डिस्ट्रिक्ट के विभिन्न आयोजनों में भरत पांड्या के आने के कारण । डिस्ट्रिक्ट की राजनीति में जो विभिन्न खेमे हैं, उनके नेताओं के साथ अलग-अलग कारणों से भरत पांड्या के संबंध बने और रहे - लेकिन जब भरत पांड्या को गुरजीत सिंह पर ज्यादा निर्भर देखा गया, तो उनके दूसरे समर्थक गुरजीत सिंह के साथ विरोध के चलते भरत पांड्या से दूर हो गए । इसीलिए भरत पांड्या के समर्थक बड़े नेताओं ने गुरजीत सिंह से दूरी भी बनाई और गुरजीत सिंह को लो-प्रोफाइल रहने को भी कहा गया । डिस्ट्रिक्ट 3070 में हाल-फिलहाल के वर्षों में गुरजीत सिंह की राजनीति चल तो रही है, लेकिन उनका ज्यादा असर अमृतसर के क्लब्स पर ही देखने को मिलता है । गुरजीत सिंह ने डिस्ट्रिक्ट की राजनीति में जालंधर और लुधियाना के गवर्नर्स को जिस तरह अलग-थलग किया हुआ है, उसके कारण जालंधर और लुधियाना में गुरजीत सिंह का ज्यादा प्रभाव नहीं है । ऐसे में, भरत पांड्या को मिल सकने वाला समर्थन अमृतसर तक ही सिमट गया और बाकी क्षेत्रों में अशोक गुप्ता के लिए अच्छा मौका बना ।
गुरजीत सिंह के समर्थन का उल्टा असर होता देख - और डिस्ट्रिक्ट 3070 में भरत पांड्या के समर्थन-आधार को अशोक गुप्ता की तरफ जाता देख कर भरत पांड्या के रणनीतिकारों ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट बरजेश सिंघल पर दबाव बनाया और उन्हें भरत पांड्या के लिए वोट जुटाने के काम पर लगाया है । बरजेश सिंघल का अभी लोगों के बीच ऐसा कोई असर तो है नहीं कि उनके कहने से लोग भरत पांड्या को वोट देने को तैयार हो जाएँ - इसलिए बरजेश सिंघल ने असिस्टेंट गवर्नर्स के पदों की सौदेबाजी के जरिए वोट खरीदने की योजना बनाई । डिस्ट्रिक्ट के लोगों से ही आरोप सुने गए हैं कि बरजेश सिंघल ने छोटे शहरों व क्षेत्रों के क्लब्स के वोट जुटाने के लिए क्लब्स के प्रमुख लोगों को असिस्टेंट गवर्नर्स व अन्य प्रमुख पदों का ऑफर दिया है, और उनसे क्लब के पासवर्ड माँग रहे हैं । इस तरह बरजेश सिंघल इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव की व्यवस्था को ही हाईजैक करने की कोशिश कर रहे हैं । बरजेश सिंघल की इस हरकत पर तीखी प्रतिक्रिया सुनने को मिली है और इसकी शिकायत रोटरी इंटरनेशनल में भी किए जाने की चर्चा सुनी गई है । बरजेश सिंघल के नजदीकियों व शुभचिंतकों की तरफ से यह सुनने को भी मिला है कि बरजेश सिंघल को अभी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का पदभार संभालना है, और ऐसी स्थिति में उन्हें अपनी टीम के पदों की सौदेबाजी से बचना चाहिए - अन्यथा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की जिम्मेदारियाँ निभा सकना उनके लिए मुश्किल होगा । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की कुर्सी पर बैठने से पहले ही भारत पांड्या को वोट दिलवाने के चक्कर में बरजेश सिंघल डिस्ट्रिक्ट के साथ-साथ रोटरी इंटरनेशनल में भी अपने लिए जो विरोधी माहौल बना रहे हैं, उसे उनके नजदीकी और शुभचिंतक भी कोई शुभ लक्षण के रूप में नहीं देख रहे हैं ।
गुरजीत सिंह की सक्रियता भरत पांड्या के लिए वास्तव में मुसीबत का कारण ही बनी । दरअसल भरत पांड्या के लिए गुरजीत सिंह की सक्रियता को रोटरी में आगे बढ़ने की उनकी 'सीढ़ी' के रूप में देखा/पहचाना गया । गुरजीत सिंह को एक महत्त्वाकांक्षी रोटेरियन के रूप में देखा/पहचाना जाता है; उन्होंने खुद भी कई लोगों से कहा है कि उन्हें रोटरी में 'आगे' बढ़ना है । उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट 3070 में सुरेंद्र सेठ को छोड़ कर किसी अन्य गवर्नर की रोटरी में ऊँची पहचान नहीं बन सकी है । इसका कारण यह भी रहा कि किसी ने ऊँची पहचान के लिए कोई प्रयास भी नहीं किया । सुरेंद्र सेठ की वक्तृत कला और उनकी सक्रियता की विविधता के चलते रोटरी में उनका एक आभामंडल बना, जो लगातार कायम रहा । तीन वर्ष पहले डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रहे गुरजीत सिंह ने रोटरी में ऊँची उड़ान भरने के बारे में सोचा तो, लेकिन वह ऐसा कोई काम करके दिखा नहीं सके जिससे कि रोटरी के बड़े नेताओं की निगाह में वह 'चढ़' सकें । बासकर चॉकलिंगम के इंटरनेशनल डायरेक्टर के रूप में काम करना शुरू करने के बाद, गुरजीत सिंह ने उनके लिए कम्प्यूटर नेटवर्किंग को लेकर कुछ काम किया - जिसके चलते वह बासकर चॉकलिंगम के नजदीक तो आए, पर इस नजदीकियत का उन्हें कोई फायदा होता हुआ नहीं दिखा । इस बीच इंटरनेशनल डायरेक्टर पद को लेकर शुरू हुई गहमागहमी में उन्हें अपनी महत्त्वाकांक्षा को पूरा करने का मौका नजर आया, और इस मौके को इस्तेमाल करने के लिए वह इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनावी मैदान में कूद पड़े । उन्हें विश्वास रहा कि वह भरत पांड्या की उम्मीदवारी के लिए काम करेंगे, तो भरत पांड्या के समर्थक बड़े नेता रोटरी में ऊँचा उठने की उनकी कोशिशों में अवश्य ही मदद करेंगे । इसी विश्वास के चलते गुरजीत सिंह ने भरत पांड्या की उम्मीदवारी के पक्ष में जोशो-खरोश के साथ मोर्चा संभाल लिया । गुरजीत सिंह को भरत पांड्या के यहाँ ज्यादा तवज्जो मिलती देख, भरत पांड्या के दूसरे समर्थक लेकिन नाराज हो गए - और यह कहते हुए भरत पांड्या के समर्थन से पीछे हट गए कि अब जो करेंगे, गुरजीत सिंह ही करेंगे ।
जोन 4 के नॉर्दर्न हिस्से के डिस्ट्रिक्ट्स में गुरजीत सिंह की अति-सक्रियता के कारण भरत पांड्या के संभावित समर्थकों में फैली नाराजगी ने भरत पांड्या की उम्मीदवारी को तगड़ा झटका दिया । गुरजीत सिंह के डिस्ट्रिक्ट - डिस्ट्रिक्ट 3070 तक में भरत पांड्या ने अपना काफी समर्थन खो दिया है । उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट 3070 में भरत पांड्या के लिए अच्छा समर्थन था - कुछ खेमेबाजी के समीकरणों के चलते और कुछ डिस्ट्रिक्ट के विभिन्न आयोजनों में भरत पांड्या के आने के कारण । डिस्ट्रिक्ट की राजनीति में जो विभिन्न खेमे हैं, उनके नेताओं के साथ अलग-अलग कारणों से भरत पांड्या के संबंध बने और रहे - लेकिन जब भरत पांड्या को गुरजीत सिंह पर ज्यादा निर्भर देखा गया, तो उनके दूसरे समर्थक गुरजीत सिंह के साथ विरोध के चलते भरत पांड्या से दूर हो गए । इसीलिए भरत पांड्या के समर्थक बड़े नेताओं ने गुरजीत सिंह से दूरी भी बनाई और गुरजीत सिंह को लो-प्रोफाइल रहने को भी कहा गया । डिस्ट्रिक्ट 3070 में हाल-फिलहाल के वर्षों में गुरजीत सिंह की राजनीति चल तो रही है, लेकिन उनका ज्यादा असर अमृतसर के क्लब्स पर ही देखने को मिलता है । गुरजीत सिंह ने डिस्ट्रिक्ट की राजनीति में जालंधर और लुधियाना के गवर्नर्स को जिस तरह अलग-थलग किया हुआ है, उसके कारण जालंधर और लुधियाना में गुरजीत सिंह का ज्यादा प्रभाव नहीं है । ऐसे में, भरत पांड्या को मिल सकने वाला समर्थन अमृतसर तक ही सिमट गया और बाकी क्षेत्रों में अशोक गुप्ता के लिए अच्छा मौका बना ।
गुरजीत सिंह के समर्थन का उल्टा असर होता देख - और डिस्ट्रिक्ट 3070 में भरत पांड्या के समर्थन-आधार को अशोक गुप्ता की तरफ जाता देख कर भरत पांड्या के रणनीतिकारों ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट बरजेश सिंघल पर दबाव बनाया और उन्हें भरत पांड्या के लिए वोट जुटाने के काम पर लगाया है । बरजेश सिंघल का अभी लोगों के बीच ऐसा कोई असर तो है नहीं कि उनके कहने से लोग भरत पांड्या को वोट देने को तैयार हो जाएँ - इसलिए बरजेश सिंघल ने असिस्टेंट गवर्नर्स के पदों की सौदेबाजी के जरिए वोट खरीदने की योजना बनाई । डिस्ट्रिक्ट के लोगों से ही आरोप सुने गए हैं कि बरजेश सिंघल ने छोटे शहरों व क्षेत्रों के क्लब्स के वोट जुटाने के लिए क्लब्स के प्रमुख लोगों को असिस्टेंट गवर्नर्स व अन्य प्रमुख पदों का ऑफर दिया है, और उनसे क्लब के पासवर्ड माँग रहे हैं । इस तरह बरजेश सिंघल इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव की व्यवस्था को ही हाईजैक करने की कोशिश कर रहे हैं । बरजेश सिंघल की इस हरकत पर तीखी प्रतिक्रिया सुनने को मिली है और इसकी शिकायत रोटरी इंटरनेशनल में भी किए जाने की चर्चा सुनी गई है । बरजेश सिंघल के नजदीकियों व शुभचिंतकों की तरफ से यह सुनने को भी मिला है कि बरजेश सिंघल को अभी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का पदभार संभालना है, और ऐसी स्थिति में उन्हें अपनी टीम के पदों की सौदेबाजी से बचना चाहिए - अन्यथा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की जिम्मेदारियाँ निभा सकना उनके लिए मुश्किल होगा । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की कुर्सी पर बैठने से पहले ही भारत पांड्या को वोट दिलवाने के चक्कर में बरजेश सिंघल डिस्ट्रिक्ट के साथ-साथ रोटरी इंटरनेशनल में भी अपने लिए जो विरोधी माहौल बना रहे हैं, उसे उनके नजदीकी और शुभचिंतक भी कोई शुभ लक्षण के रूप में नहीं देख रहे हैं ।