Friday, December 15, 2017

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3100 में रोटरी इंटरनेशनल के खिलाफ एक लंबी कानूनी लड़ाई के बाद अंततः डीके शर्मा को रोटरी में ऐतिहासिक जीत मिली है और उनके लिए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर की कुर्सी तक पहुँचने का रास्ता साफ हुआ है

सिकंदराबाद । रोटरी इंटरनेशनल से लड़ी एक लंबी कानूनी लड़ाई के बाद डीके शर्मा के लिए वह रास्ता आखिरकार खुला, जिस पर चल कर वह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर की कुर्सी तक पहुँच पायेंगे । पौढ़ी-गढ़वाल की डिस्ट्रिक्ट व सेशन जज की अदालत के फैसले ने डिस्ट्रिक्ट 3100 के नॉन-डिस्ट्रिक्ट स्टेटस को हटाने, डीके शर्मा को गवर्नर पद सौंपने तथा इस बात को रेखांकित करते हुए कि मौजूदा रोटरी वर्ष में अब चूँकि ज्यादा समय नहीं बचा रह गया है, इसलिए अगले रोटरी वर्ष के लिए भी उन्हें गवर्नर पद पर रहने का मौका देने की जो बातें कहीं हैं - वह रोटरी इंटरनेशनल के इतिहास में अनोखा अध्याय जोड़ती हैं । इस फैसले से अगले रोटरी वर्ष के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए हुआ चुनाव भी निरस्त हो जाता है और जिसके तहत डीके शर्मा के लिए दो रोटरी वर्ष में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद पर रहने का एक विलक्षण मौका बनता है । रोटरी इंटरनेशनल के इतिहास में दो रोटरी वर्ष में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रहने का मौका इससे पहले शायद किसी को नहीं मिला है । इस अदालती फैसले ने डीके शर्मा के नजदीकियों और समर्थकों को ही नहीं, बल्कि डिस्ट्रिक्ट के अन्य लोगों को भी राहत और खुशी पहुँचाई है - जो डिस्ट्रिक्ट को फिर से डिस्ट्रिक्ट बनते देखने का इंतजार कर रहे थे । अधिकतर लोगों का मानना और कहना रहा है कि डीके शर्मा को बिना कोई गुनाह किए ही रोटरी इंटरनेशनल की तरफ से 'सजा' मिल रही है, इसलिए उनके साथ न्याय होना ही चाहिए । इसी भावना के चलते पौढ़ी-गढ़वाल की डिस्ट्रिक्ट व सेशन जज की अदालत में हुए फैसले का डिस्ट्रिक्ट में हर किसी ने स्वागत ही किया है और इसे डिस्ट्रिक्ट 3100 के लिए शुभ लक्षण के रूप में देखा/पहचाना है ।
रोटरी इंटरनेशनल की तरफ से डीके शर्मा के साथ हो रहे 'अन्याय' को लेकर लोगों के बीच इसलिए भी उदासी और नाराजगी थी, क्योंकि हाल-फिलहाल के वर्षों में डीके शर्मा ही अकेले ऐसे चुने हुए गवर्नर हैं, जो बिना किसी विवाद और या शोर-शराबे के गवर्नर चुने गए । संजीव रस्तोगी के गवर्नर-काल में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद का चुनाव जितनी शांति और आपसी भाईचारे की भावना के साथ संपन्न हुआ, वैसा उदाहरण डिस्ट्रिक्ट 3100 तो छोड़िए - दूसरे किसी डिस्ट्रिक्ट में भी मुश्किल से ही मिलेगा । डिस्ट्रिक्ट 3100 में और दूसरे डिस्ट्रिक्ट्स में भी, निर्विरोध डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी चुने जाने के उदाहरण तो खूब मिलेंगे - लेकिन उन उदाहरणों की पृष्ठभूमि में सौदेबाजियों और या पक्षपातपूर्ण रूप से डराने/फुसलाने/ललचाने वाली हरकतों की जालसाजियों के किस्से भी अवश्य ही सुनने को मिलेंगे । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में संजीव रस्तोगी ने लेकिन अपने कार्यकाल में पारदर्शी तरीके से सभी को विश्वास में लेते हुए ऐसा अनोखा माहौल बनाया था कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद को लेकर कोई झमेला ही पैदा नहीं हुआ और सारी कार्रवाई बड़े सामान्य ढंग से संपन्न हुई, जिसमें डीके शर्मा सर्वसहमति से डिस्ट्रिक्ट गवर्नर चुने गए । इससे ठीक पहले के वर्ष में दीपक बाबू के चुनाव में चूँकि खासे झगड़े-झंझट हुए थे, इसलिए डीके शर्मा के चुनाव के शांत/सहज भाव से निपट जाने पर सभी ने राहत, संतोष और खुशी की साँस ली थी । संजीव रस्तोगी के डिस्ट्रिक्ट में बनाए गए माहौल को लेकिन उनके बाद गवर्नर बने सुनील गुप्ता बनाए नहीं रख सके, जिस कारण सुनील गुप्ता के गवर्नर-काल में डिस्ट्रिक्ट में खासे बबाल हुए और नतीजे के रूप में सुनील गुप्ता की गवर्नरी पूरी होने से पहले ही वापस ले ली गई और डिस्ट्रिक्ट का स्टेटस भी खत्म कर दिया गया । इससे दीपक बाबू और डीके शर्मा का गवर्नर बनने का मौका भी छिन गया ।
दीपक बाबू ने तो इस स्थिति को स्वीकार कर लिया, किंतु डीके शर्मा ने अपना मौका वापस पाने के लिए प्रयास करना शुरू किया । शुरू से ही उनका तर्क रहा कि एक रोटेरियन और एक उम्मीदवार के रूप में उनके व्यवहार और आचरण पर कभी कोई आरोप नहीं रहा, और उनका चुनाव निर्विरोध ही नहीं बल्कि निर्विवाद रूप से संपन्न हुआ - आखिर तब फिर उनसे गवर्नर बनने का उनका अधिकार क्यों छीना जा रहा है ? डीके शर्मा ने अपनी तरफ से पहले रोटरी के भीतर ही न्याय प्राप्त करने की कोशिश की, और इस कोशिश में उन्होंने रोटरी इंटरनेशनल का हर दरवाजा खटखटाया; कई एक मौकों पर उन्हें तथा उनके साथियों को लगा भी कि रोटरी इंटरनेशनल के पदाधिकारी उनके साथ अन्याय नहीं होने देंगे और उनका गवर्नर-वर्ष शुरू होने से पहले ही डिस्ट्रिक्ट 3100 से नॉन-डिस्ट्रिक्ट का तमगा हट जाएगा और डीके शर्मा को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का पद मिल जाएगा । लेकिन समय बीतते बीतते डीके शर्मा और उनके साथियों को समझ में आ गया कि रोटरी इंटरनेशनल के पदाधिकारी उन्हें उलझाए हुए रख कर झाँसा दे रहे हैं तथा रोटरी में उन्हें न्याय नहीं ही मिलेगा ।
डीके शर्मा को तब मजबूर होकर अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा । अदालती कार्रवाई के दौरान भी डीके शर्मा को रोटरी इंटरनेशनल के पदाधिकारियों की तरफ से कई बार संकेत/संदेश मिले कि वह अदालती कार्रवाई को वापस ले लें, और उसके बदले में रोटरी इंटरनेशनल उन्हें उनका हक दे देगी - लेकिन हर बार डीके शर्मा को अपने ठगे जाने का अहसास हुआ । अदालती कार्रवाई में भी काफी उतार-चढ़ाव रहे, जिसमें कभी डीके शर्मा का तो कभी रोटरी इंटरनेशनल का पलड़ा भारी होता हुआ नजर आया । डीके शर्मा ने रेखांकित किया कि अदालती कार्रवाई में जब जब उनका पलड़ा भारी होता हुआ लगा, तब तब रोटरी इंटरनेशनल के पदाधिकारियों की तरफ से समझौते की बातें हुईं - लेकिन जल्दी ही यह भेद भी खुलता गया कि समझौते की बातों के पीछे उद्देश्य किसी भी तरह से अदालती कार्रवाई को रुकवाना और वापस करवाना ही था । डीके शर्मा रोटरी इंटरनेशनल की इस चाल में नहीं फँसे और बार बार कहते रहे कि रोटरी इंटरनेशनल के साथ कानूनी लड़ाई लड़ना उन्हें अच्छा तो नहीं लग रहा है, लेकिन रोटरी इंटरनेशनल के पदाधिकारियों के पक्षपातपूर्ण और चालाकी भरे रवैये के कारण उन्हें यह कानूनी लड़ाई मजबूरी में लड़ना पड़ रही है । मजबूरी में लड़ी इस कानूनी लड़ाई में अंततः डीके शर्मा को जीत मिली है और उनके लिए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर की कुर्सी तक पहुँचने का रास्ता साफ हुआ है । डीके शर्मा के हक में आया कानूनी फैसला डीके शर्मा और डिस्ट्रिक्ट 3100 के साथ-साथ रोटरी के लिए भी खासा महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि इस फैसले से रोटरी इंटरनेशनल के पदाधिकारियों द्वारा फैलाए और स्थापित किए गए उस झूठ का पर्दाफाश हुआ है कि रोटरी इंटरनेशनल की मनमानियों को अदालती कार्रवाई के जरिए चुनौती नहीं दी जा सकती है और न्याय नहीं पाया सकता है ।
 पौढ़ी-गढ़वाल की डिस्ट्रिक्ट व सेशन जज की अदालत का फैसला :