चंडीगढ़
। डिस्ट्रिक्ट 3080 में बीते छह महीनों में हुए कामकाज का लेखाजोखा करने
तथा उसके आधार पर अगले छह महीनों के कामकाज का निर्धारण करने के उद्देश्य
से डिस्ट्रिक्ट गवर्नर टीके रूबी द्वारा आयोजित की जा रही मिड ईयर रिव्यू
मीटिंग - इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए अशोक गुप्ता और भरत पांड्या के बीच
हो रहे चुनावी मुकाबले की गर्मी की भेंट चढ़ गई है । 29 दिसंबर को
चंडीगढ़ में हॉलिडे इन होटल में बुलाई गई मीटिंग को रद्द करने के लिए
आधिकारिक रूप से तो 'अपरिहार्य परिस्थितियों' को जिम्मेदार बताया गया है,
लेकिन यह 'अपरिहार्य परिस्थितियाँ' वास्तव में क्या हैं - इसका खुलासा टीके
रूबी की तरफ से नहीं किया गया है । दिलचस्प बात यह है कि इसका खुलासा राजा
साबू गिरोह के सदस्यों की तरफ से किया गया, जिसके तहत कुछेक लोगों को
बताया गया कि राजा साबू गिरोह के पूर्व गवर्नर्स ने टीके रूबी पर दबाव बना
कर इस मीटिंग को रद्द करवाया है । राजा साबू गिरोह के गवर्नर्स का आरोप
रहा कि रिव्यू के बहाने बुलाई जा रही इस मीटिंग में टीके रूबी इंटरनेशनल
डायरेक्टर पद के चुनाव में अशोक गुप्ता को वोट डलवाने का काम कर सकते हैं,
इसलिए इंटरनेशनल डायरेक्टर का चुनाव होने के मौके पर कोई मीटिंग नहीं होनी
चाहिए । राजा साबू गिरोह के पूर्व गवर्नर्स के दोहरे चरित्र का मजेदार
और बिलकुल नया उदाहरण यह है कि 6 जनवरी को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट
प्रवीन गोयल द्वारा माउंट व्यू होटल में की जा रही 'परिचय' मीटिंग को लेकर
उन्हें कोई आपत्ति नहीं है । प्रवीन गोयल को दरअसल वह अपना 'आदमी'
समझते हैं ।
उल्लेखनीय तथ्य यह है कि टीके रूबी भी पहले उनके ही आदमी थे, लेकिन अपने ही आदमियों की उठक-बैठक लगवाने की अपनी सोच और प्रवृत्ति के चलते राजा साबू और उनके गिरोह के पूर्व गवर्नर्स ने जब टीके रूबी के गवर्नर की कुर्सी तक पहुँचने में बाधाएँ खड़ी करना शुरू कीं, तो उसके चलते टीके रूबी अब उनके 'आदमी' नहीं रह गए हैं । सच बात यह है कि कुछ समय पहले तक डिस्ट्रिक्ट 3080 में सभी लोग राजा साबू के 'आदमी' बन कर ही रहे हैं; किंतु धीरे-धीरे जब राजा साबू और उनके साथी गवर्नर्स की हरकतें बढ़ती गईं और उनकी असलियत लोगों के सामने आती गई - तब लोग उनके चंगुल से निकलते गए और अपने व्यवहार व अपने काम के भरोसे अपनी अपनी पहचान बनाते गए । राजा साबू और उनके गिरोह के पूर्व गवर्नर्स के लिए इससे बड़ी फजीहत की बात और क्या होगी कि उन्होंने जिन टीके रूबी को गवर्नर बनने से रोकने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाया, वह टीके रूबी न सिर्फ यह कि गवर्नर बने - बल्कि इंटरनेशनल डायरेक्टर जैसे बड़े चुनाव में राजा साबू गिरोह के लिए वह बड़े प्रतिद्वंदी बन गए हैं । राजा साबू और उनके साथी गवर्नर्स के विरोध के बावजूद उनके डिस्ट्रिक्ट में ही इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव में अशोक गुप्ता को अच्छा समर्थन मिलता दिख रहा है । मजे की बात यह रही कि इसके लिए टीके रूबी को ज्यादा कुछ करना भी नहीं पड़ा; उन्होंने तो सिर्फ जाल बिछाया - राजा साबू और उनके साथी गवर्नर्स उनके जाल में फँसते गए । कुछ ही समय पहले टीके रूबी ने एक इंटरसिटी सेमीनार में अशोक गुप्ता को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया । वह जानते थे कि राजा साबू और उनके गिरोह के लोग अशोक गुप्ता का डिस्ट्रिक्ट में आना हजम नहीं कर पायेंगे और उनके आने को निरस्त करवाने के लिए हाथ-पैर मारेंगे । यही हुआ भी । राजा साबू और उनके साथी गवर्नर्स ने 'ऊपर से' दबाव डलवा कर अशोक गुप्ता के डिस्ट्रिक्ट में आने को तो रुकवा दिया, लेकिन इस के चलते अशोक गुप्ता और इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए उनकी उम्मीदवारी की बात डिस्ट्रिक्ट 3080 में एक जानी-पहचानी बात बन गई - और डिस्ट्रिक्ट के लोगों ने टीके रूबी के बिना कुछ कहे/सुने ही जान लिया कि टीके रूबी का सहयोग और समर्थन अशोक गुप्ता की उम्मीदवारी के लिए है ।
अशोक गुप्ता यदि उस इंटरसिटी सेमीनार में मुख्य अतिथि के रूप में आ जाते, तो उन्हें उतना राजनीतिक फायदा नहीं मिलता - जितना कि राजा साबू और उनके साथी गवर्नर्स ने उनके आने को रद्द करवा कर उन्हें दिलवा दिया । उस प्रसंग ने रोटरी के बड़े नेताओं और पदाधिकारियों के बीच टीके रूबी की पहचान और भूमिका को भी और और विस्तार दिया । यही कहानी 29 दिसंबर की मिड ईयर रिव्यू मीटिंग के मामले में दोहराई गई है । इस मीटिंग का तो अशोक गुप्ता से तो कुछ लेना-देना भी नहीं था; लेकिन राजा साबू और उनके साथी गवर्नर्स चूँकि टीके रूबी - और अशोक गुप्ता को उनके समर्थन की बात से इतना बौखलाए हुए हैं कि टीके रूबी को यदि छींक भी आ जाए, तो वह अपने अपने जुकाम का ईलाज करने में जुट जाते हैं - लिहाजा उन्होंने टीके रूबी की इस मीटिंग को अशोक गुप्ता की उम्मीदवारी के पक्ष में वोटिंग कराने की तैयारी के रूप में देखा और इसे रद्द करने/करवाने के काम में जुट गए । टीके रूबी ने भी मीटिंग रद्द करने को लेकर कोई हील-हुज्जत नहीं की - क्योंकि वह जो करना चाहते थे, वह तो हो ही गया । राजा साबू और उनके साथी गवर्नर्स ने ही डिस्ट्रिक्ट के क्लब्स के प्रेसीडेंट्स तक यह संदेश 'भिजवा' दिया कि टीके रूबी इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव में अशोक गुप्ता को वोट दिलवाना चाहते हैं । टीके रूबी को इस संदर्भ में कुछ कहना/करना ही नहीं पड़ा । मीटिंग यदि होती, तो टीके रूबी इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव के संदर्भ में अशोक गुप्ता की उम्मीदवारी के पक्ष में कुछ नहीं कर पाते; यदि कुछ करने का प्रयास करते भी, तो विवाद में पड़ते । इस लिहाज से राजा साबू और उनके साथी गवर्नर्स की उक्त मीटिंग को रद्द करवाने की कार्रवाई टीके रूबी और अशोक गुप्ता की उम्मीदवारी के लिए वरदान ही बनी है ।
उल्लेखनीय तथ्य यह है कि टीके रूबी भी पहले उनके ही आदमी थे, लेकिन अपने ही आदमियों की उठक-बैठक लगवाने की अपनी सोच और प्रवृत्ति के चलते राजा साबू और उनके गिरोह के पूर्व गवर्नर्स ने जब टीके रूबी के गवर्नर की कुर्सी तक पहुँचने में बाधाएँ खड़ी करना शुरू कीं, तो उसके चलते टीके रूबी अब उनके 'आदमी' नहीं रह गए हैं । सच बात यह है कि कुछ समय पहले तक डिस्ट्रिक्ट 3080 में सभी लोग राजा साबू के 'आदमी' बन कर ही रहे हैं; किंतु धीरे-धीरे जब राजा साबू और उनके साथी गवर्नर्स की हरकतें बढ़ती गईं और उनकी असलियत लोगों के सामने आती गई - तब लोग उनके चंगुल से निकलते गए और अपने व्यवहार व अपने काम के भरोसे अपनी अपनी पहचान बनाते गए । राजा साबू और उनके गिरोह के पूर्व गवर्नर्स के लिए इससे बड़ी फजीहत की बात और क्या होगी कि उन्होंने जिन टीके रूबी को गवर्नर बनने से रोकने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाया, वह टीके रूबी न सिर्फ यह कि गवर्नर बने - बल्कि इंटरनेशनल डायरेक्टर जैसे बड़े चुनाव में राजा साबू गिरोह के लिए वह बड़े प्रतिद्वंदी बन गए हैं । राजा साबू और उनके साथी गवर्नर्स के विरोध के बावजूद उनके डिस्ट्रिक्ट में ही इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव में अशोक गुप्ता को अच्छा समर्थन मिलता दिख रहा है । मजे की बात यह रही कि इसके लिए टीके रूबी को ज्यादा कुछ करना भी नहीं पड़ा; उन्होंने तो सिर्फ जाल बिछाया - राजा साबू और उनके साथी गवर्नर्स उनके जाल में फँसते गए । कुछ ही समय पहले टीके रूबी ने एक इंटरसिटी सेमीनार में अशोक गुप्ता को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया । वह जानते थे कि राजा साबू और उनके गिरोह के लोग अशोक गुप्ता का डिस्ट्रिक्ट में आना हजम नहीं कर पायेंगे और उनके आने को निरस्त करवाने के लिए हाथ-पैर मारेंगे । यही हुआ भी । राजा साबू और उनके साथी गवर्नर्स ने 'ऊपर से' दबाव डलवा कर अशोक गुप्ता के डिस्ट्रिक्ट में आने को तो रुकवा दिया, लेकिन इस के चलते अशोक गुप्ता और इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए उनकी उम्मीदवारी की बात डिस्ट्रिक्ट 3080 में एक जानी-पहचानी बात बन गई - और डिस्ट्रिक्ट के लोगों ने टीके रूबी के बिना कुछ कहे/सुने ही जान लिया कि टीके रूबी का सहयोग और समर्थन अशोक गुप्ता की उम्मीदवारी के लिए है ।
अशोक गुप्ता यदि उस इंटरसिटी सेमीनार में मुख्य अतिथि के रूप में आ जाते, तो उन्हें उतना राजनीतिक फायदा नहीं मिलता - जितना कि राजा साबू और उनके साथी गवर्नर्स ने उनके आने को रद्द करवा कर उन्हें दिलवा दिया । उस प्रसंग ने रोटरी के बड़े नेताओं और पदाधिकारियों के बीच टीके रूबी की पहचान और भूमिका को भी और और विस्तार दिया । यही कहानी 29 दिसंबर की मिड ईयर रिव्यू मीटिंग के मामले में दोहराई गई है । इस मीटिंग का तो अशोक गुप्ता से तो कुछ लेना-देना भी नहीं था; लेकिन राजा साबू और उनके साथी गवर्नर्स चूँकि टीके रूबी - और अशोक गुप्ता को उनके समर्थन की बात से इतना बौखलाए हुए हैं कि टीके रूबी को यदि छींक भी आ जाए, तो वह अपने अपने जुकाम का ईलाज करने में जुट जाते हैं - लिहाजा उन्होंने टीके रूबी की इस मीटिंग को अशोक गुप्ता की उम्मीदवारी के पक्ष में वोटिंग कराने की तैयारी के रूप में देखा और इसे रद्द करने/करवाने के काम में जुट गए । टीके रूबी ने भी मीटिंग रद्द करने को लेकर कोई हील-हुज्जत नहीं की - क्योंकि वह जो करना चाहते थे, वह तो हो ही गया । राजा साबू और उनके साथी गवर्नर्स ने ही डिस्ट्रिक्ट के क्लब्स के प्रेसीडेंट्स तक यह संदेश 'भिजवा' दिया कि टीके रूबी इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव में अशोक गुप्ता को वोट दिलवाना चाहते हैं । टीके रूबी को इस संदर्भ में कुछ कहना/करना ही नहीं पड़ा । मीटिंग यदि होती, तो टीके रूबी इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव के संदर्भ में अशोक गुप्ता की उम्मीदवारी के पक्ष में कुछ नहीं कर पाते; यदि कुछ करने का प्रयास करते भी, तो विवाद में पड़ते । इस लिहाज से राजा साबू और उनके साथी गवर्नर्स की उक्त मीटिंग को रद्द करवाने की कार्रवाई टीके रूबी और अशोक गुप्ता की उम्मीदवारी के लिए वरदान ही बनी है ।