Saturday, December 2, 2017

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 ए थ्री में पूर्व गवर्नर चंद्र शेखर मेहता की दिल्ली के लीडर्स के समर्थन के भरोसे सुरेश जिंदल और पुनीत बंसल का पत्ता कटवा कर हरदीप सरकारिया को सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद का उम्मीदवार बनवा लेने की कार्रवाई पर हरियाणा में नाराजगी और विरोध

सिरसा । सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए हरदीप सरकारिया को उम्मीदवार घोषित करने के साथ ही हरियाणा लायंस फोरम में बिखराव और टकराव के संकेत मिलने शुरू हो गए हैं । उल्लेखनीय है कि हरियाणा लायंस फोरम की मीटिंग में ही हरदीप सरकारिया को सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए उम्मीदवार चुना गया है, लेकिन इस फैसले के सार्वजनिक होने के साथ ही हरियाणा के लायंस सदस्यों की तरफ से न सिर्फ इस फैसले की आलोचना होने लगी है, बल्कि हरियाणा लायंस फोरम के सांगठनिक स्वरूप पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं । इस फैसले को लेकर सुरेश जिंदल और पुनीत बंसल के नजदीकियों व समर्थकों में गहरी नाराजगी है - और इनकी तरफ से हरदीप सरकारिया को उम्मीदवार बनाए जाने के फैसले को पक्षपातपूर्ण बताया जा रहा है । दिलचस्प नजारा यह देखने को मिल रहा है कि हरदीप सरकारिया के समर्थकों की तरफ से फैसले के विरोध में उठ रही आवाज़ों को दिल्ली के लायन नेताओं की शह और प्रेरणा के रूप में देखा/पहचाना और बताया जा रहा है । हरदीप सरकारिया के समर्थकों की तरफ से कहा/बताया जा रहा है कि दिल्ली के लायन लीडर्स हरियाणा में भी अपना दखल बनाए रखना चाहते हैं, और इसलिए वह नहीं चाहते हैं कि हरियाणा में लायंस सदस्यों के बीच एकता स्थापित हो - और इसीलिए वह हरदीप सरकारिया के नाम पर बनी एकता को तोड़ने की कोशिशों में जुट गए हैं । हालाँकि हरियाणा के ही कई नेताओं का मानना/कहना है कि दिल्ली के लायन लीडर्स का नाम लेकर हरदीप सरकारिया की उम्मीदवारी तय करने के मनमाने और पक्षपातपूर्ण फैसले को सही नहीं ठहराया जा सकता और हरियाणा की एकता के नाम पर इस फैसले को हरियाणा के लायंस सदस्यों के सिर जबर्दस्ती नहीं थोपा जा सकता है ।
उल्लेखनीय है कि सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए हरियाणा में सुरेश जिंदल और पुनीत बंसल के नाम चर्चा में थे । सुरेश जिंदल और उनके समर्थकों का तर्क था कि वह चूँकि एक बार चुनाव लड़ चुके हैं, इसलिए अब जब मौका आया है तब उन्हें उम्मीदवार होना चाहिए और पिछली बार जो चंद्रशेखर मेहता और केएल खट्टर जैसे पूर्व गवर्नर्स उन्हें सफलता नहीं दिलवा सके थे, उन्हें इस बार उनकी उम्मीदवारी की वकालत करना चाहिए । पुनीत बंसल पिछले दो-तीन वर्षों की अपनी निरंतर सक्रियता के भरोसे अपनी उम्मीदवारी का दावा ठोक रहे थे । उनका और उनके समर्थकों का कहना रहा कि डिस्ट्रिक्ट को इस समय ऐसे लीडर की जरूरत है, जिसका लोगों के बीच संपर्क और संलग्नता है -  इसलिए पुनीत बंसल ही उपयुक्त उम्मीदवार हो सकते हैं । इन दोनों की दावेदारी के बीच एक बात यह भी लोगों के बीच सुनी/कही जा रही थी कि पूर्व गवर्नर चंद्र शेखर मेहता किसी भी कीमत पर पुनीत बंसल को तो उम्मीदवार नहीं बनने देंगे । इस बात से सुरेश जिंदल और उनके समर्थकों को अपनी दाल गलती हुई दिख रही थी । लेकिन चंद्र शेखर मेहता ने अचानक से हरदीप सरकारिया का नाम आगे बढ़ा कर सुरेश जिंदल की दाल को गलने से पहले ही बिखेर देने का काम कर दिया । हरदीप सरकारिया का नाम आगे बढ़ा कर चंद्र शेखर मेहता ने पुनीत बंसल का शिकार करने के लिए घेराबंदी की । पुनीत बंसल की यह घेराबंदी करने के बाद भी उन्हें डर था कि दिल्ली के लायन लीडर्स पुनीत बंसल को शह और समर्थन देकर यदि उम्मीदवार बना/बनवा देते हैं, तब फिर उनके लिए मुसीबत हो जाएगी । वह भी मानते/जानते हैं कि चुनाव की नौबत यदि आई तो पुनीत बंसल और या सुरेश जिंदल के सामने हरदीप सरकारिया का टिक पाना मुश्किल क्या असंभव ही होगा ।
ऐसे में, हरदीप सरकारिया के जरिए पुनीत बंसल को 'ठिकाने' लगाने के लिए चंद्र शेखर मेहता को दिल्ली के लीडर्स के समर्थन की जरूरत थी । वह जान/समझ रहे थे कि दिल्ली के लीडर्स के समर्थन के बिना पुनीत बंसल या सुरेश जिंदल के लिए उम्मीदवार बनना असंभव होगा । चंद्र शेखर मेहता ने दिल्ली के लीडर्स का मूड भाँपने की जो कोशिश की, उसमें उन्हें यह जान/देख कर राहत मिली कि दिल्ली के हर प्रभावी लीडर ने उन्हें आश्वस्त किया कि हरियाणा को लेकर वह जो फैसला करेंगे, वह उन्हें मान्य होगा । दिल्ली के लायन लीडर्स से आश्वासन मिलने के बाद चंद्र शेखर मेहता निश्चिन्त हो गए और फिर उन्होंने सुरेश जिंदल को इग्नोर करके तथा पुनीत बंसल को फुसला करके हरदीप सरकारिया की उम्मीदवारी के नाम पर मोहर लगवा ली । हरियाणा लायंस फोरम के फैसले का दिलचस्प पक्ष यह है कि उसे फैसला अभी होने वाले सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए करना था, लेकिन उसने हरियाणा से अगले उम्मीदवार बारे में भी फैसला कर डाला । चंद्र शेखर मेहता ने पुनीत बंसल को फुसलाने के लिए उनसे वायदा कर दिया है कि हरियाणा का अगला नंबर जब आएगा, तब वह उनकी उम्मीदवारी को समर्थन देंगे - और इस वायदे के आधार पर हरियाणा लायंस फोरम ने अपने अगले उम्मीदवार के रूप में पुनीत बंसल के नाम की घोषणा कर दी है । यह कुछ कुछ ऐसा ही मामला है जैसे रोते बच्चे को चुप करवाने के लिए उसे झुनझुना पकड़ा दिया जाता है । पुनीत बंसल की भी मजबूरी है कि अगले उम्मीदवार रूपी झुनझुने को लेकर वह शांत हो जाएँ ।
हरदीप सरकारिया को उम्मीदवारी चुनने/बनाने के फैसले पर पुनीत बंसल और सुरेश जिंदल के समर्थकों व नजदीकियों के बीच तुरंत से जो नाराजगी देखने/सुनने को मिली है, वह हरदीप सरकारिया की उम्मीदवारी के लिए अभी तो कोई संकट बनती नहीं दिख रही है - दरअसल इसीलिए हरदीप सरकारिया के समर्थकों ने तुरंत से जबावी कार्रवाई करते हुए दिल्ली के लायन लीडर्स को निशाने पर ले लिया है । इसके जरिए उनकी कोशिश वास्तव में दिल्ली के लायन लीडर्स को हरियाणा से दूर करने/रखने की है । अपनी इस कोशिश में अभी वह सफल भी नजर आ रहे हैं । दिल्ली के लायन लीडर्स ने हरियाणा लायंस फोरम के फैसले का स्वागत ही किया है । लेकिन डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के खिलाड़ियों का मानना/कहना है कि यह 'स्वागत' तभी तक है, जब तक कि फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए दिल्ली वाले एक उम्मीदवार का चयन नहीं कर लेते हैं । राजनीति जानने/समझने वाले लोगों को लगता है कि दिल्ली में भी यदि एकमत से किसी उम्मीदवार के बारे में फैसला हो गया, तब तो बबाल नहीं होगा और हरदीप सरकारिया को कोई चुनौती नहीं मिलेगी । लेकिन यदि दिल्ली में दो उम्मीदवार हो गए, जिनके पीछे दो खेमे बने - तब हरियाणा की राजनीति में भी पलटी लगेगी । क्योंकि तब चंद्र शेखर मेहता के सामने किसी एक उम्मीदवार और उसके खेमे को समर्थन देने की मजबूरी पैदा होगी, और तब दूसरा खेमा हरियाणा में किसी दूसरे उम्मीदवार को शह और समर्थन दे देगा । हरियाणा में भी और दिल्ली में भी हर कोई जानता/समझता है कि हरियाणा में यदि दो उम्मीदवार हुए और चुनाव की नौबत आई तो हरदीप सरकारिया के लिए मामला खासा मुश्किल हो जाएगा । वास्तव में इसीलिए हरियाणा लायंस फोरम में उम्मीदवारी के लिए हरी झंडी मिल जाने के बाद भी हरदीप सरकारिया के लिए रास्ता अभी भी पूरी तरह क्लियर नहीं हुआ है ।