Wednesday, December 13, 2017

रोटरी इंटरनेशनल डायरेक्टर पद की चुनावी लड़ाई में अशोक गुप्ता को बढ़त बनाते देख पैदा हुई राजा साबू की बौखलाहट ने अधिकतर डिस्ट्रिक्ट्स में भरत पांड्या की उम्मीदवारी की कमजोर स्थिति की पोल खोलने का काम और कर दिया है

चंडीगढ़ । इंटरनेशनल डायरेक्टर पद की चुनावी लड़ाई में अशोक गुप्ता के मुकाबले भरत पांड्या को पिछड़ता देख बौखलाए राजा साबू ने कॉलिज ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग में अपनी बौखलाहट को प्रदर्शित किया । कॉलिज ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग में राजा साबू ने अपनी बौखलाहट में निशाना बनाया मोहिंदर पॉल गुप्ता को, जो डिस्ट्रिक्ट गवर्नर टीके रूबी की डिस्ट्रिक्ट टीम में कई एक कमेटियों में या तो चेयरमैन हैं और या सदस्य हैं । राजा साबू का कहना रहा कि मोहिंदर पॉल गुप्ता डिस्ट्रिक्ट के क्लब्स के प्रेसीडेंट्स पर इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव में अशोक गुप्ता को वोट देने के लिए तैयार कर रहे हैं, इसलिए मोहिंदर पॉल गुप्ता को डिस्ट्रिक्ट टीम की सभी कमेटियों से हटा देना चाहिए । रोटरी क्लब चंडीगढ़ सिटी ब्यूटीफुल के वरिष्ठ पूर्व अध्यक्ष मोहिंदर पॉल गुप्ता ने पिछले कुछ समय से डिस्ट्रिक्ट में रोटरी के पैसों में हिसाब/किताब में पारदर्शिता तथा ईमानदारी लाने/बरतने के लिए अभियान छेड़ा हुआ है, और निरंतरता के साथ कई ऐसे ऐसे तथ्य उद्घाटित किये हैं, जिनसे पता चला है कि राजा साबू और उनके करीबी पूर्व गवर्नर्स ने किस किस तरीके की 'बेईमानियों' से विभिन्न ग्रांट्स को इधर से उधर करके मोटी मोटी रकमें जुटा लीं, और उनसे सेवा के नाम पर अपनी राजनीति तथा अपने मौज-मजे के लिए मौके बनाए है । इसलिए मोहिंदर पॉल गुप्ता को लेकर राजा साबू का गुस्सा सातवें आसमान पर हैं, पर अपने गुस्से में राजा साबू इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव को बीच में ले आयेंगे - यह किसी ने कल्पना भी नहीं की थी । ऐसे में लोगों को लग रहा है कि इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव में अधिकृत उम्मीदवार होने के बावजूद भरत पांड्या की कमजोर होती/पड़ती स्थिति और उनके लिए कुछ कर न पाने की अपनी विवशता को देख कर राजा साबू इस हद तक बौखला गए हैं कि इसके लिए भी उन्होंने मोहिंदर पॉल गुप्ता को जिम्मेदार ठहरा दिया है ।
कॉलिज ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग में इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव को लेकर राजा साबू द्वारा दिखाई गई बौखलाहट से कुछेक लोगों ने हालाँकि यह नतीजा भी निकाला है कि मोहिंदर पॉल गुप्ता के बहाने राजा साबू ने वास्तव में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर टीके रूबी और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी जितेंद्र ढींगरा को 'चेतावनी' दी है । इन दोनों को इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव में अशोक गुप्ता के समर्थक के रूप में देखा/पहचाना जाता है । ऐसे में माना/समझा जा रहा है कि कॉलिज ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग में इंटरनेशनल डायरेक्टर के चुनाव का जिक्र करके मोहिंदर पॉल गुप्ता को अशोक गुप्ता का समर्थक बताते हुए उन्हें कमेटियों से हटाने की माँग के जरिये राजा साबू ने वास्तव में टीके रूबी और जितेंद्र ढींगरा को खबरदार करने की कोशिश की है । मजे की बात यह हुई है कि अपनी इस कोशिश के जरिये राजा साबू ने वास्तव में इनकी और अशोक गुप्ता की मदद ही कर दी है । दरअसल टीके रूबी और जितेंद्र ढींगरा और मोहिंदर पॉल गुप्ता ने अभी तक इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव की तरफ ध्यान ही नहीं दिया था । टीके रूबी जिस तरह से घिरे हुए हैं, उसके चलते वह अपनी गवर्नरी संभल-संभल कर ही करने में लगे हैं; जितेंद्र ढींगरा इन दिनों अपने काम में व्यस्त है और मोहिंदर पॉल गुप्ता इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनावी खेल में 'बाहर' के व्यक्ति हैं (राजा साबू ने लेकिन अपनी बौखलाहट में उन्हें 'अंदर' का व्यक्ति बना दिया है) - इस कारण यह लोग अभी तक इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव के अभियान से दूर ही थे; लेकिन राजा साबू ने इनका काम आसान करते हुए खुद ही लोगों को बता दिया है कि यह लोग इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव में अशोक गुप्ता के साथ हैं, और चाहते हैं कि इनके डिस्ट्रिक्ट के क्लब्स के प्रेसीडेंट्स अशोक गुप्ता को वोट दें । 
कई लोगों को हैरानी हो सकती है और उनके लिए यह समझना मुश्किल हो सकता है कि राजा साबू इतनी बड़ी राजनीतिक बेबकूफी कैसे कर सकते हैं कि अपने विरोधियों का काम भी वह खुद ही कर दें ? लेकिन पिछले दो-तीन वर्षों की उनके डिस्ट्रिक्ट की गतिविधियों को देखें/समझें तो पायेंगे कि राजनीतिक बेबकूफियाँ करने में राजा साबू बड़े 'एक्सपर्ट' हैं । राजा साबू और उनके गिरोह के पूर्व गवर्नर्स अपने खुले और सक्रिय समर्थन के बावजूद टीके रूबी के मुकाबले डीसी बंसल को 'जीत' नहीं दिलवा सके, यह तो उनकी राजनीतिक कमजोरी का सुबूत है - लेकिन टीके रूबी का इस वर्ष डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के पद पर होना राजा साबू की राजनीतिक बेबकूफी का प्रचंड सुबूत और उदाहरण है । वास्तव में राजा साबू के लिए फजीहत की बात ही यह हुई है कि उन्होंने अपनी सारी ताकत, अपनी सारी पहचान, अपनी सारी प्रतिष्ठा को सिर्फ इसलिए दाँव पर लगा दिया कि कहीं टीके रूबी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर न बन जाएँ - लेकिन अंत में बेबकूफी करते हुए प्रवीन गोयल को पहले तो वर्ष 2017-18 की गवर्नरी सँभलवाने की और फिर हटवाने की ऐसी कोशिश की कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का पद टीके रूबी की गोद में खुद-ब-खुद आ गिरा । पिछले ढाई-तीन वर्षों की लड़ाई में राजा साबू ने अपनी हरकतों से अपने कई नए 'दुश्मन' बनाए, जिनमें से एक मोहिंदर पॉल गुप्ता की सक्रियता राजा साबू और उनके संगी-साथी गवर्नर्स की बेईमानियों की पोल खोलने का वाहक बनी । टीके रूबी को गवर्नर न बनने देने की जिद ने राजा साबू की सारी पहचान और प्रतिष्ठा को धूल में मिला दिया है - और आज राजा साबू राजनीतिक व आर्थिक बेईमानी के 'प्रतीक-पुरुष' बन गए हैं । बड़े पदों पर रहे लोगों के पतन की कीचड़ में लिथड़ने के किस्से यूँ तो बहुत हैं, लेकिन रोटरी में एक अकेले राजा साबू ने ही यह पतन-गाथा लिखी है । जिन लोगों ने रोटरी में राजा साबू का 'भव्य-काल' देखा है, उन लोगों के लिए राजा साबू को पतन की कीचड़ में लिथड़ते देखना सचमुच निराशाजनक और शर्मिंदगी भरा है ।
राजा साबू के पतन की यही स्थिति इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव में भरत पांड्या के लिए मुसीबत बन गई है । कहने/होने को तो भरत पांड्या की उम्मीदवारी के सबसे बड़े समर्थक राजा साबू हैं, लेकिन राजा साबू के ही डिस्ट्रिक्ट में भरत पांड्या की स्थिति सबसे खराब है - सबसे खराब इसलिए क्योंकि यही एक डिस्ट्रिक्ट है, जहाँ भरत पांड्या के वोट अपने समर्थक नेताओं के कारण बढ़ने की बजाए घटेंगे । डिस्ट्रिक्ट में तमाम लोगों का कहना है कि इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव में वह किसी भी उम्मीदवार को नहीं जानते हैं, लेकिन वह उस उम्मीदवार को तो हरगिज वोट नहीं देंगे जिसका समर्थन राजा साबू और उनके साथी पूर्व गवर्नर्स कर रहे होंगे । यह स्थिति भरत पांड्या के लिए मुसीबत बनी है । राजा साबू ने अपने रवैये से अपने डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच अशोक गुप्ता के लिए सहानुभूति और समर्थन पैदा करने का ही काम किया है । कुछ समय पहले डिस्ट्रिक्ट गवर्नर टीके रूबी ने इंटरसिटी सेमीनार में अशोक गुप्ता को मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया था; अशोक गुप्ता द्वारा आमंत्रण स्वीकार कर लेने के बाद उनके नाम और फोटो के साथ निमंत्रण पत्र भी छप/बँट गए थे - लेकिन राजा साबू और उनके साथी पूर्व गवर्नर्स ने आपत्ति व शिकायत करके अशोक गुप्ता का उक्त सेमीनार में आना स्थगित करवा दिया था । इसका असर लेकिन यह हुआ कि डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच अशोक गुप्ता के प्रति सहानुभूति और समर्थन पैदा हुआ, और राजा साबू और उनके साथी पूर्व गवर्नर्स का दाँव उल्टा पड़ा । अभी जब कॉलिज ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग में राजा साबू ने अशोक गुप्ता का समर्थन करने का आरोप लगाते हुए मोहिंदर पॉल गुप्ता को कमेटियों से हटाने की बात कही, तब फिर लोगों की तरफ से यही प्रतिक्रिया देखने/सुनने को मिली है । जिन लोगों को अभी तक इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव को लेकर कोई जानकारी नहीं थी और जिन्होंने अभी तक अपनी कोई भूमिका तय नहीं की थी, राजा साबू की हरकत के चलते उनके सामने भी सारा नजारा स्पष्ट हो गया है, और लोगों के सामने राजा साबू तथा उनके संगी-साथी गवर्नर्स का राजनीतिक छोटापन एक बार फिर जाहिर हो गया है ।
भरत पांड्या और उनके नजदीकियों के लिए मुसीबत की बात यह हुई है कि उनके सबसे बड़े समर्थक राजा साबू की अपने ही डिस्ट्रिक्ट में जो फजीहत हुई है, जिसके चलते रोटरी की व्यवस्था और राजनीति में राजा साबू पतन की ओर बढ़े हैं - उसकी प्रतिक्रिया के रूप में आसपास के दूसरे डिस्ट्रिक्ट्स में भी राजा साबू की 'अपील' न सिर्फ कमजोर पड़ी है, बल्कि राजा साबू के समर्थक के रूप में देखे/पहचाने जाने वाले नेताओं ने बचना/छिपना शुरू कर दिया है । इसका नतीजा यह है कि अधिकतर डिस्ट्रिक्ट्स में भरत पांड्या की उम्मीदवारी के लिए कैम्पेन चलाने और चुनाव की व्यवस्था देखने/सँभालने के लिए व्यक्तियों का टोटा तक पड़ गया है ।