Wednesday, December 6, 2017

रोटरी इंटरनेशनल डायरेक्टर बासकर चॉकलिंगम के नाम पर इंटरनेशनल डायरेक्टर पद की चुनावी राजनीति में बढ़त बनाने की भरत पांड्या की योजना को पड़ी दोतरफा चोट ने अशोक गुप्ता के मुकाबले उनकी स्थिति को डाँवाडोल बनाया

मुंबई । कुआलालुम्पुर में आयोजित हुए रोटरी इंस्टीट्यूट में प्रतिनिधियों के रहने की जगह को लेकर तथा अगले रोटरी वर्ष में चेन्नई में आयोजित होने वाले इंस्टीट्यूट की आयोजन समिति के लिए पदाधिकारियों के चयन को लेकर उत्तर व पश्चिम भारत के रोटेरियंस के साथ जो भेदभाव हुआ है, वह जोन 4 में होने वाले इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव में मुद्दा बन रहा है - और इस मुद्दे ने भरत पांड्या और उनके साथियों को लोगों के निशाने पर ला दिया है । रोमांचक बात यह है कि इस मुद्दे पर जो बबाल पैदा हुआ है, उसमें भरत पांड्या और उनके साथी दोनों तरफ से - लीडरशिप की तरफ से भी और लोगों की तरफ से भी - 'मार' खा रहे हैं । मौजूदा इंटरनेशनल डायरेक्टर बासकर चॉकलिंगम ने अपना नाम इस्तेमाल करने और घसीटे जाने के लिए भरत पांड्या और उनके साथियों की 'खबर' भी ली । मजे की बात यह है कि यह स्थिति खुद भरत पांड्या और उनके साथियों ने ही बनाई है । दरअसल, कुआलालुम्पुर में भरत पांड्या और उनके समर्थकों ने इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए समर्थन जुटाने वास्ते जो खेल खेला, वह उन्हें उल्टा पड़ गया है - जिसकी भरपाई करना उनके लिए खासा मुश्किल हो उठा है । कुआलालुम्पुर में भरत पांड्या और उनके साथियों ने जोन 4 के विभिन्न डिस्ट्रिक्ट्स के महत्त्वपूर्व पूर्व गवर्नर्स का समर्थन जुटाने के लिए योजना तो बहुत अच्छी बनाई थी, लेकिन परिस्थितियाँ कुछ ऐसी बनीं कि उनकी योजना उन्हीं के गले पड़ गई है । योजना के अनुसार, भरत पांड्या और उनके समर्थकों ने जोन 4 के पूर्व गवर्नर्स का समर्थन जुटाने के लिए उन्हें यह आभास और अहसास कराने का प्रयास किया कि इंटरनेशनल डायरेक्टर बासकर चॉकलिंगम उनकी उम्मीदवारी का समर्थन कर रहे हैं, और इसके लिए वह उनके कहने से रोटरी रिसोर्स ग्रुप के पदों का बँटवारा करने के लिए भी तैयार हैं । उनके इन प्रयासों की भनक जब इंटरनेशनल डायरेक्टर बासकर चॉकलिंगम को लगी, तब बासकर चॉकलिंगम ने उनसे अपना नाम घसीटे जाने पर गंभीर नाराजगी दिखाई ।
कुआलालुम्पुर में भरत पांड्या और उनके साथियों ने लोगों के साथ एक नाटक खेला - जिसके तहत भरत पांड्या के कुछेक साथी जोन 4 के विभिन्न डिस्ट्रिक्ट्स में राजनीतिक रूप से सक्रिय रहने तथा महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले पूर्व गवर्नर्स को घेरघार कर भरत पांड्या से मिलवाने ले जाते, जहाँ भरत पांड्या उनसे बासकर चॉकलिंगम तथा अन्य बड़े पदाधिकारियों से अपनी निकटता का बखान करते हुए पूछते कि रोटरी रिसोर्स ग्रुप में उन्हें जो कोई भी पद चाहिए, वह बताएँ - बासकर चॉकलिंगम से कह कर वह उनसे उन्हें पद दिलवा देंगे । इस तरह भरत पांड्या की तरफ से कोशिश की गई कि रोटरी रिसोर्स ग्रुप के पद 'लेकर' विभिन्न डिस्ट्रिक्ट्स के नेता अपने अपने डिस्ट्रिक्ट्स में उनकी उम्मीदवारी के पक्ष में वोट दिलवाएँ । भरत पांड्या और उनके साथियों को इस बात का शायद जरा भी अंदाजा नहीं था कि वोट के लिए वह जब जोन 4 के पूर्व गवर्नर्स को बासकर चॉकलिंगम से पद दिलवाने की बात कर रहे थे, तब जोन 4 के पूर्व गवर्नर्स बासकर चॉकलिंगम की एक पक्षपातपूर्ण कार्रवाई से जूझ रहे थे । दरअसल कुआलालुम्पुर इंस्टीट्यूट में पहुँचे जोन 4 के कई पूर्व गवर्नर्स यह देख कर परेशान हो रहे थे कि उनके ठहरने के लिए मुख्य होटल की बजाए दूसरे होटल में व्यवस्था की गई थी । लोगों का ध्यान गया कि दक्षिण भारत के प्रतिनिधियों को तो मुख्य होटल में ही ठहराया गया, जबकि उत्तर व पश्चिम भारत के डिस्ट्रिक्ट्स के लोगों को दूसरे होटल में जगह दी गई । सभी लोग मुख्य होटल में ही जगह चाहते थे । यह ठीक है कि मुख्य होटल में कमरों की सीमित उपलब्धता के कारण सभी को उसमें जगह नहीं मिल सकती थी - लेकिन जगह देने में दक्षिण और उत्तर का जो भेदभाव 'दिखा' उसने लोगों को भड़का दिया । जोन 4 के डिस्ट्रिक्ट्स के जिन लोगों को भरत पांड्या, बासकर चॉकलिंगम से निकटता का वास्ता देकर रोटरी रिसोर्स ग्रुप में पद दिलवा रहे थे, उन लोगों ने भरत पांड्या से अनुरोध किया कि रोटरी रिसोर्स ग्रुप के पद/वद तो बाद में देखेंगे, पहले तो बासकर चॉकलिंगम से कह कर मुख्य होटल में कमरा दिलवाओ ।
जोन 4 के डिस्ट्रिक्ट्स के पूर्व गवर्नर्स की इस माँग पर भरत पांड्या फँस गए । उनकी फँसावट को लोगों ने यह कह कर और बढ़ाया कि आप तो कहते/बताते हो कि बासकर चॉकलिंगम आपके बहुत नजदीक हैं और समर्थक हैं और कुआलालुम्पुर की व्यवस्था में आपकी भी भूमिका है - और फिर भी आप इतना सा काम भी नहीं करवा सकते हैं । इसी बहसबाजी में कई एक लोगों ने जयपुर और दुबई इंस्टीट्यूट की व्यवस्था को याद किया और कहा/दोहराया कि जयपुर में तो अशोक गुप्ता की ही पूरी व्यवस्था थी, जबकि दुबई इंस्टीट्यूट की व्यवस्था में भी उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका थी - और दोनों ही जगह उन्होंने किसी भी आधार पर किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं किया और किसी को भी जरा भी परेशान नहीं होने दिया था । जयपुर और दुबई इंस्टीट्यूट और उसमें अशोक गुप्ता की भूमिका की तारीफें सुनकर भरत पांड्या और उनके समर्थकों को समझ में आ गया कि उनका दाँव उल्टा पड़ गया है, और उनकी होशियारी ने उन्हें ही लपेटे में ले लिया है । भरत पांड्या के लिए इससे भी बड़ी मुसीबत की बात तब हुई, जब इस मामले की जानकारी बासकर चॉकलिंगम को हुई । उनकी तरफ से इस बात पर गहरी नाराजगी जाहिर की गई कि भरत पांड्या और उनके साथी इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव में उनका नाम क्यों इस्तेमाल कर रहे हैं ? बासकर चॉकलिंगम ने यह बात कई लोगों के सामने जिस तरह से कही, उससे भरत पांड्या और उनके साथियों को तगड़ा झटका लगा । बासकर चॉकलिंगम ने इस झटके की तीव्रता को बढ़ाते हुए एक काम यह और कर डाला कि अगले रोटरी वर्ष में चेन्नई में होने वाले इंस्टीट्यूट के लिए जो टीम घोषित की, उसमें अशोक गुप्ता के डिस्ट्रिक्ट के तथा उनके नजदीकी को भी महत्त्वपूर्ण भूमिका दे दी । बासकर चॉकलिंगम के तेवर को देखते हुए भरत पांड्या और उनके समर्थकों की चेन्नई इंस्टीट्यूट की मैनेजिंग कमेटी में पद दिलवाने का वायदा करके समर्थन जुटाने की योजना ने भी दम तोड़ दिया । बासकर चॉकलिंगम के नाम पर इंटरनेशनल डायरेक्टर पद की चुनावी राजनीति में बढ़त बनाने की भरत पांड्या की योजना को जो दोतरफा चोट पड़ी है, उसने अशोक गुप्ता के मुकाबले उनकी स्थिति को फिलहाल डाँवाडोल तो बना ही दिया है ।