Monday, December 11, 2017

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 ए टू में रमन गुप्ता की उम्मीदवारी की तेज चाल, पिछले वर्ष डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में पकड़ बनाने वाले जेपी सिंह खेमे को इस वर्ष धराशाही कर देने की तरफ बढ़ रही है क्या ?

अंबाला । रमन गुप्ता की चेयरमैनशिप में आयोजित हुए अंबाला के ग्यारह क्लब्स के संयुक्त अधिष्ठापन समारोह की जोरदार सफलता ने सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की चुनावी लड़ाई को गर्मा देने के साथ-साथ एकतरफा भी बना दिया है । मजे की बात यह है कि अंबाला में आयोजित हुए ग्यारह क्लब्स के अधिष्ठापन समारोह में डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के दोनों खेमों के नेता लोग शामिल हुए और दोनों खेमों के नेताओं ने ही माना/कहा कि इस समारोह के जरिए रमन गुप्ता ने सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए अपनी उम्मीदवारी को ऐसे मुकाम पर पहुँचा दिया है, जहाँ मदन बत्रा के लिए उन्हें 'पकड़' पाना और उनसे मुकाबला कर पाना मुश्किल ही नहीं, बल्कि असंभव ही है । समारोह में दिलचस्प नजारा उस समय देखने को मिला, जब मदन बत्रा की उम्मीदवारी के समर्थक जेपी सिंह खेमे के कुछेक नेताओं ने समारोह में मौजूद लोगों के बीच मदन बत्रा की उम्मीदवारी के पक्ष में बातें करना शुरू कीं - लेकिन लोगों से यह सुन कर उन्हें अपने कदम पीछे खींचने पड़े कि आपने इतना कमजोर उम्मीदवार क्यों चुना है कि दूसरे के कार्यक्रम में आ कर आपको उसका प्रचार करना पड़ रहा है ? मदन बत्रा के समर्थक नेताओं को लोगों से सीधे सीधे यह सवाल सुनना पड़ा कि इस तरह का आयोजन आप लोग कब कर रहे हो ? अलग अलग मौकों पर किसी किसी ने जबाव भी दिया कि इससे अच्छा और बड़ा कार्यक्रम करके दिखायेंगे, लेकिन आपसी निजी बातचीत में मदन बत्रा के समर्थक नेताओं ने भी स्वीकार किया है कि रमन गुप्ता ने अपने चुनाव अभियान का जो व्यापक रूप और स्टैंडर्ड तय कर दिया है, उसके सामने मदन बत्रा की उम्मीदवारी को टिका पाना मुश्किल ही होगा । पिछले लायन वर्ष में गुरचरण सिंह भोला को सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद का चुनाव जितवा कर जेपी सिंह खेमे ने डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति पर जो पकड़ बनाई थी, वह इस वर्ष बुरी तरह ढीली पड़ जाएगी - यह किसी ने नहीं सोचा था ।
रमन गुप्ता की चेयरमैनशिप में अंबाला में आयोजित हुए ग्यारह क्लब्स के अधिष्ठापन समारोह में आठ सौ से अधिक लायंस पदाधिकारियों व सदस्यों के उपस्थित होने का दावा किया गया है, जिनमें से डेढ़ सौ के करीब दिल्ली से गए/पहुँचे लोगों की मौजूदगी थी । इतनी बड़ी संख्या में लोगों के पहुँचने पर हर किसी को हैरानी हुई । कई लोगों ने कहा भी कि इतने लोग तो डिस्ट्रिक्ट के कार्यक्रमों में नहीं आते/पहुँचते हैं । समारोह में 70 के करीब मान्य अतिथियों का मंच सजाया गया था, जैसा कि कभी डिस्ट्रिक्ट के किसी कार्यक्रम में देखने को नहीं मिला है; समारोह में 75 के करीब क्लब्स का प्रतिनिधित्व होने का दावा किया गया है । इतनी बड़ी संख्या में लोगों को जुटाने के लिए जो तैयारी की गई होगी, इतनी बड़ी संख्या में लोगों के पहुँचने का जो विश्वास किया गया होगा, इतनी बड़ी संख्या में पहुँचे लोगों के लिए सुविधाओं की जो व्यवस्था की गई होगी - उस सब का विचार करें, तो यही पायेंगे कि ग्यारह क्लब्स के अधिष्ठापन समारोह के आयोजन के जरिए रमन गुप्ता ने एक बड़ा दाँव चला है; जिसके जरिए एक तरफ तो उन्होंने अपने संभावित समर्थकों व साथियों को अपने और नजदीक कर लिया है, तथा दूसरी तरफ अपने विरोधियों को चारों खाने चित्त कर देने का काम कर लिया है । रमन गुप्ता की चेयरमैनशिप में हुए आयोजन में पक्ष और विपक्ष का फर्क जैसे पूरी तरह से मिट गया था, और विरोधी पक्ष के जो लोग समारोह में पहुँचे हुए थे - वह भी रमन गुप्ता और उनके समर्थकों के साथ सहयोगी और मस्ती के मूड में दिख रहे थे ।  
ऐसे में, मदन बत्रा की उम्मीदवारी के समर्थक नेताओं के सामने चुनौती की बात यही है कि वह कैसे मदन बत्रा की उम्मीदवारी को बनाए/टिकाए रख सकें ? नेताओं के लिए चुनौती की बात इसलिए और बड़ी हो गई है क्योंकि हालात 'देख' कर मदन बत्रा ने 'कुछ भी करने' से कदम पीछे खींच लिए हैं । उनके समर्थक नेताओं का ही कहना है कि मदन बत्रा ने लगता है कि समझ लिया है कि वह जो भी पैसा खर्च करेंगे, वह बेकार ही जायेगा - इसलिए उन्होंने कुछ भी खर्च नहीं करने का मन बना लिया है । इससे उनके चुनाव अभियान को 'उठा' पाने की कोशिशें शुरू होने से पहले ही धराशाही हो गईं हैं । मदन बत्रा की उम्मीदवारी के समर्थक नेताओं ने उनकी जगह किसी दूसरे उम्मीदवार की भी खोज की है, लेकिन जिसमें वह सफल नहीं हो पाए हैं । दरअसल रमन गुप्ता ने चुनावी चाल में जो तेजी दिखाई है, उसने दूसरे संभावित उम्मीदवारों को डरा दिया है और उन्होंने इस वर्ष के चुनावी मुकाबले से दूर रहने में ही अपनी भलाई देखी/पहचानी है । इस स्थिति ने इस वर्ष के चुनावी मुकाबले को फिलहाल तो रमन गुप्ता के पक्ष में एकपक्षीय बना दिया है । जेपी सिंह खेमे के नेताओं के पास इस समय इसके अलावा जैसे कोई चारा ही नहीं बचा है कि वह इंतजार करें कि रमन गुप्ता और या उनके समर्थक नेता कोई बड़ी गलती करें, तो उनके लिए मुकाबले में वापस लौटने का मौका बने ।