नई दिल्ली । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद पर संजीव राय मेहरा की चुनावी जीत की खबर आने/मिलने से पहले ही उन्हें जितवाने के लिए डिस्ट्रिक्ट
गवर्नर रवि चौधरी और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट विनय भाटिया की हरकतों की
शिकायत दर्ज हो जाने से उनकी जीत का रंग फीका पड़ गया है । शिकायत में
चुनावी प्रक्रिया को रोकने, चुनाव को रद्द करने तथा दोबारा चुनाव करवाने की
माँग की गई है । यूँ तो चुनाव में हारने वाले पक्ष की तरफ से बेईमानी होने
के आरोप लगना सामान्य बात है, और नतीजा आने के बाद लगने वाले आरोपों को
अक्सर ही गंभीरता से नहीं लिया जाता है; लेकिन संजीव राय मेहरा के लिए
बदकिस्मती की बात यह रही कि चुनाव जीतने के लिए उनके और रवि चौधरी व विनय
भाटिया द्वारा की गई और की जा रही हरकतों का कच्चा-चिट्ठा डिस्ट्रिक्ट की
इलेक्शन ग्रीवेंस कमेटी को चुनाव पूरा होने से पहले ही भेजा जा चुका था ।
रोटरी क्लब दिल्ली चाणक्यपुरी के प्रेसीडेंट एसएन चतुर्वेदी की तरफ से
इलेक्शन ग्रीवेंस कमेटी को संजीव राय मेहरा, रवि चौधरी, विनय भाटिया और
पूर्व गवर्नर सुशील खुराना की हरकतों का जो ब्यौरा सौंपा गया - उसे एक नजर
भर देखने से ही साफ हो जाता है कि डिस्ट्रिक्ट 3011 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर
नॉमिनी पद का चुनाव नहीं, बल्कि चुनाव के नाम पर मजाक हुआ है । इस
ब्यौरे में संजीव राय मेहरा, रवि चौधरी, विनय भाटिया और सुशील खुराना की
जैसी जिन कार्रवाइयों का जिक्र है और उनके सुबूत हैं - उससे जाहिर है कि इन
प्रमुख लोगों को न तो रोटरी के नियम-कानूनों की परवाह रही और न इन्होंने
अपनी ही प्रतिष्ठा की फिक्र की; इनका उद्देश्य किसी भी तरह से बस चुनाव
जीतना था, और इसके लिए यह घटिया से घटिया हरकत करने को तैयार थे ।
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रवि चौधरी द्वारा क्लब्स के प्रेसीडेंट्स पर संजीव राय
मेहरा को वोट देने के लिए जिस जिस तरह के दबाव बनाए गए, उसके चलते कई एक
क्लब्स में झगड़े तक हो गए और रोटरी क्लब दिल्ली पंचशील पार्क के प्रेसीडेंट
के लिए तो हालात इस्तीफा देने तक पहुँच गए ।
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में रवि चौधरी ने संजीव राय मेहरा को चुनाव जितवाने के लिए पक्षपातपूर्ण 'नंगे नाच' का प्रदर्शन तब किया, जबकि दो वर्ष पहले ही डिस्ट्रिक्ट के कुछेक प्रमुख लोग चुनावी संलग्नता के आरोप में रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड से लताड़ खा चुके हैं । उस लताड़ के चलते उम्मीद की गई थी कि डिस्ट्रिक्ट के पदाधिकारी तथा चुनावबाज नेता सबक लेंगे और अपने आपको चुनावी संलग्नता से दूर रखेंगे । लेकिन संजीव राय मेहरा को चुनाव जितवाने के लिए रवि चौधरी, विनय भाटिया, सुशील खुराना ने जिस पक्षपातपूर्ण निर्लज्जता का प्रदर्शन किया, उसे देख/जान कर लगता नहीं है कि इन्हें रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड द्वारा लगाई गई लताड़ की कोई परवाह रही । रोटरी इंटरनेशनल प्रेसीडेंट बनने की 'तैयारी' कर रहे, डिस्ट्रिक्ट और रोटरी की पहचान और प्रतिष्ठा की चिंता करते रहने वाले पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील गुप्ता से कई बार रवि चौधरी और विनय भाटिया की हरकतों को लेकर शिकायत की गई, लेकिन उन्होंने भी चुप्पी साधे रखने में ही अपनी भलाई देखी/पहचानी । मजे की बात यह रही कि सुशील गुप्ता की चुप्पी और सीओएल सदस्य सुशील खुराना सहित डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रवि चौधरी व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट विनय भाटिया की खुली पक्षधरता के बावजूद संजीव राय मेहरा को अपने निकटतम प्रतिद्वंदी अनूप मित्तल से कुल छह वोट ज्यादा मिले - संजीव राय मेहरा को 63 तथा अनूप मित्तल को 57 वोट मिले । समझा जा सकता है कि संजीव राय मेहरा के लिए डिस्ट्रिक्ट के पदाधिकारी बेशर्मी और निर्लज्जता पर न उतरते, तो उन्हें कितनी बड़ी हार का सामना करना पड़ता ।
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट विनय भाटिया का रवैया इस मामले में काफी गंभीर रहा । रवि चौधरी के बारे में तो लोग मान लेते हैं कि वह बदतमीज किस्म के व्यक्ति हैं और उन्हें इस बात की भी परवाह नहीं है कि उनकी हरकतों से उनकी जो बदनामी हो रही है, उससे रोटरी में सम्मानजनक ढंग से उनके बने रहने के मौके उनके पास नहीं बचेंगे; रवि चौधरी खुद कई बार कह चुके हैं कि उन्हें रोटरी में नहीं रहना है और वह तो रोटरी छोड़ देंगे - इसलिए उन्हें इस बात की फिक्र करने की जरूरत नहीं है कि उनकी हरकतों से रोटरी और डिस्ट्रिक्ट के साथ-साथ खुद उनकी भी फजीहत हो । लेकिन विनय भाटिया को तो अभी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर 'बनना' है, और स्वभाव में वह रवि चौधरी जैसे बदतमीज भी नहीं हैं - फिर क्यों वह संजीव राय मेहरा के चुनाव में क्लब्स के प्रेसीडेंट्स को प्रभावित करने के मामले में रवि चौधरी से भी आगे निकलने की होड़ में रहे ? विनय भाटिया खुद तो सक्रिय रहे ही, अगले रोटरी वर्ष की अपनी गवर्नर-टीम के प्रमुख सदस्यों के रूप में पप्पूजीत सिंह सरना तथा अशोक कंतूर तक को उन्होंने संजीव राय मेहरा के पक्ष में वोट जुटाने के अभियान में लगाए रखा । विनय भाटिया ने अपने गवर्नर-काल में अशोक कंतूर को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी बनवाने/जितवाने की जिम्मेदारी भी ले ली है । मजे की बात यह है कि विनय भाटिया अपने गवर्नर-काल के डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर विनोद बंसल की बात भी सुनने/मानने और समझने को तैयार नहीं दिखते हैं । उल्लेखनीय है कि रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड से डिस्ट्रिक्ट के पदाधिकारियों और नेताओं को जो लताड़ मिली थी, वह विनय भाटिया के चुनाव में ही मिली थी । इसके बावजूद विनय भाटिया पर कोई असर नहीं है, तो क्या यह मान लेना चाहिए कि अगले रोटरी वर्ष में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का पदभार सँभालने की तैयारी कर रहे - डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट विनय भाटिया को रोटरी इंटरनेशनल के वरिष्ठ पदाधिकारियों के फैसलों और उनके दिशा-निर्देशों की कोई परवाह नहीं है, और उनका गवर्नर-वर्ष भी रवि चौधरी के गवर्नर-वर्ष की तरह विवादों और घटिया हरकतों की भेंट चढ़ेगा ?
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में रवि चौधरी ने संजीव राय मेहरा को चुनाव जितवाने के लिए पक्षपातपूर्ण 'नंगे नाच' का प्रदर्शन तब किया, जबकि दो वर्ष पहले ही डिस्ट्रिक्ट के कुछेक प्रमुख लोग चुनावी संलग्नता के आरोप में रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड से लताड़ खा चुके हैं । उस लताड़ के चलते उम्मीद की गई थी कि डिस्ट्रिक्ट के पदाधिकारी तथा चुनावबाज नेता सबक लेंगे और अपने आपको चुनावी संलग्नता से दूर रखेंगे । लेकिन संजीव राय मेहरा को चुनाव जितवाने के लिए रवि चौधरी, विनय भाटिया, सुशील खुराना ने जिस पक्षपातपूर्ण निर्लज्जता का प्रदर्शन किया, उसे देख/जान कर लगता नहीं है कि इन्हें रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड द्वारा लगाई गई लताड़ की कोई परवाह रही । रोटरी इंटरनेशनल प्रेसीडेंट बनने की 'तैयारी' कर रहे, डिस्ट्रिक्ट और रोटरी की पहचान और प्रतिष्ठा की चिंता करते रहने वाले पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील गुप्ता से कई बार रवि चौधरी और विनय भाटिया की हरकतों को लेकर शिकायत की गई, लेकिन उन्होंने भी चुप्पी साधे रखने में ही अपनी भलाई देखी/पहचानी । मजे की बात यह रही कि सुशील गुप्ता की चुप्पी और सीओएल सदस्य सुशील खुराना सहित डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रवि चौधरी व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट विनय भाटिया की खुली पक्षधरता के बावजूद संजीव राय मेहरा को अपने निकटतम प्रतिद्वंदी अनूप मित्तल से कुल छह वोट ज्यादा मिले - संजीव राय मेहरा को 63 तथा अनूप मित्तल को 57 वोट मिले । समझा जा सकता है कि संजीव राय मेहरा के लिए डिस्ट्रिक्ट के पदाधिकारी बेशर्मी और निर्लज्जता पर न उतरते, तो उन्हें कितनी बड़ी हार का सामना करना पड़ता ।
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट विनय भाटिया का रवैया इस मामले में काफी गंभीर रहा । रवि चौधरी के बारे में तो लोग मान लेते हैं कि वह बदतमीज किस्म के व्यक्ति हैं और उन्हें इस बात की भी परवाह नहीं है कि उनकी हरकतों से उनकी जो बदनामी हो रही है, उससे रोटरी में सम्मानजनक ढंग से उनके बने रहने के मौके उनके पास नहीं बचेंगे; रवि चौधरी खुद कई बार कह चुके हैं कि उन्हें रोटरी में नहीं रहना है और वह तो रोटरी छोड़ देंगे - इसलिए उन्हें इस बात की फिक्र करने की जरूरत नहीं है कि उनकी हरकतों से रोटरी और डिस्ट्रिक्ट के साथ-साथ खुद उनकी भी फजीहत हो । लेकिन विनय भाटिया को तो अभी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर 'बनना' है, और स्वभाव में वह रवि चौधरी जैसे बदतमीज भी नहीं हैं - फिर क्यों वह संजीव राय मेहरा के चुनाव में क्लब्स के प्रेसीडेंट्स को प्रभावित करने के मामले में रवि चौधरी से भी आगे निकलने की होड़ में रहे ? विनय भाटिया खुद तो सक्रिय रहे ही, अगले रोटरी वर्ष की अपनी गवर्नर-टीम के प्रमुख सदस्यों के रूप में पप्पूजीत सिंह सरना तथा अशोक कंतूर तक को उन्होंने संजीव राय मेहरा के पक्ष में वोट जुटाने के अभियान में लगाए रखा । विनय भाटिया ने अपने गवर्नर-काल में अशोक कंतूर को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी बनवाने/जितवाने की जिम्मेदारी भी ले ली है । मजे की बात यह है कि विनय भाटिया अपने गवर्नर-काल के डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर विनोद बंसल की बात भी सुनने/मानने और समझने को तैयार नहीं दिखते हैं । उल्लेखनीय है कि रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड से डिस्ट्रिक्ट के पदाधिकारियों और नेताओं को जो लताड़ मिली थी, वह विनय भाटिया के चुनाव में ही मिली थी । इसके बावजूद विनय भाटिया पर कोई असर नहीं है, तो क्या यह मान लेना चाहिए कि अगले रोटरी वर्ष में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का पदभार सँभालने की तैयारी कर रहे - डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट विनय भाटिया को रोटरी इंटरनेशनल के वरिष्ठ पदाधिकारियों के फैसलों और उनके दिशा-निर्देशों की कोई परवाह नहीं है, और उनका गवर्नर-वर्ष भी रवि चौधरी के गवर्नर-वर्ष की तरह विवादों और घटिया हरकतों की भेंट चढ़ेगा ?