Saturday, December 23, 2017

रोटरी इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव में अशोक गुप्ता के मुकाबले भरत पांड्या की स्थिति को कमजोर पाकर अशोक महाजन चुनावी मैदान में खुद उतरे और वोटिंग शिड्यूल में हुई घपलेबाजी का समर्थन करने के संकेत देने लगे

मुंबई । रोटरी इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए जोन 4 में कुछेक डिस्ट्रिक्ट्स में घोषित शिड्यूल से पहले वोटिंग लाइन खुल जाने से चुनावी व्यवस्था शक और आरोपों के घेरे में आ गई है । बीकानेर में आयोजित हुई रोटरी डिस्ट्रिक्ट 3053 की कॉन्फ्रेंस में इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए वोटिंग खुलने की और कई क्लब्स के वोट पड़ जाने की सूचना मिलने पर भरत पांड्या और उनके साथियों की तरफ से जिस तरह की खुशी देखने/सुनने को मिली, उससे लगा कि उन्हें ऐसा कुछ होने का भरोसा था और वह बस 'शुभसूचना' मिलने का इंतजार ही कर रहे थे । कुछेक डिस्ट्रिक्ट्स में 22 दिसंबर से वोटिंग लाइन खुलने को लेकर बात तो कही/सुनी जा रही थी, लेकिन उसे कन्फ्यूजन कहते/बताते हुए अनदेखा/अनसुना कर दिया गया था । दरअसल रोटरी इंटरनेशनल की तरफ से प्रेसीडेंट्स को वोटिंग के संदर्भ में जो शिड्यूल मिला था, उसमें 22 दिसंबर से पासवर्ड मिलने और 30 दिसंबर से वोटिंग लाइन खुलने की बात कही गई थी । इसलिए मान लिया गया था कि कुछेक लोग गलतफहमी में 22 दिसंबर से ही वोटिंग लाइन खुलने की बात कर रहे हैं । पर अब जब कुछेक डिस्ट्रिक्ट्स में 22 दिसंबर को ही वोटिंग लाइन खुलने तथा वोट पड़ जाने की बात सामने आई है, तो लग रहा है कि शिड्यूल में गड़बड़ी करने की पहले से ही तैयारी थी । मजे की बात यह है कि वोटिंग शिड्यूल में हुई इस गड़बड़ी पर अशोक गुप्ता के समर्थकों की तरफ से तो आपत्ति व शिकायत हुई है, लेकिन भरत पांड्या की तरफ से कोई आपत्ति व शिकायत नहीं हुई है । भरत पांड्या की उम्मीदवारी के एक बड़े समर्थक पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर अशोक महाजन की तरफ से तो बल्कि यहाँ तक कहा/सुना गया है कि वोटिंग लाइन 30 की बजाए यदि 22 से खुल गई हैं, तो इसमें आपत्ति व शिकायत करने की भला क्या बात है ? इससे यह तो जाहिर हो ही रहा है कि वोटिंग शिड्यूल में गड़बड़ी सोची समझी योजना के साथ हुई और की गई है तथा इसके पीछे भरत पांड्या की उम्मीदवारी के समर्थक नेता ही हैं ।
अशोक महाजन ने अभी हाल ही में पुणे में आयोजित हुए डिस्ट्रिक्ट 3131 के फाउंडेशन सेमीनार में शामिल होने के नाम पर जिस तरह की सक्रियता दिखाई और कोल्हापुर में डिस्ट्रिक्ट 3170 के पूर्व गवर्नर मोहन मुल्हेरकर के घर डिनर के लिए जाते हुए डिस्ट्रिक्ट 3131 के पूर्व गवर्नर दीपक शिकारपुर को भी अपने साथ लेते गए - तो लोगों की निगाह में मोहन मुल्हेरकर के घर की वह रात सिर्फ डिनर के लिए ही नहीं थी और उस रात वहाँ सिर्फ डिनर ही नहीं खाया गया, बल्कि इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव की राजनीति के लिए भी तिकड़में प्लान की गईं थीं । अशोक महाजन को पिछले कुछ दिनों में जोन 4 के वेस्टर्न हिस्से में पड़ने वाले डिस्ट्रिक्ट्स में तो सशरीर ही खासा सक्रिय देखा/पाया गया, और नॉर्दर्न हिस्से के डिस्ट्रिक्ट्स के लोगों को उनके फोन खूब मिले हैं । कुछेक लोगों ने बताया है कि अशोक महाजन ने रोटरी कैरियर का वास्ता देकर उन्हें इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव में अपना पक्ष तय करने का सुझाव दिया, तो कुछेक लोगों ने शिकायती स्वर में बताया कि अशोक महाजन ने उन्हें अशोक गुप्ता के समर्थकों व नजदीकियों के साथ रहने के लिए झिड़का । अशोक महाजन की बातों से लोगों को लगा कि उन्हें जैसे दूसरों की गतिविधियों की पूरी पूरी जानकारी है कि कौन किससे कब और कहाँ मिला है, और या मिलने का कार्यक्रम तय हुआ है । अशोक महाजन की सक्रियता देख/सुन कर लोगों को लगा है कि जैसे भरत पांड्या के चुनाव की कमान अब उन्होंने ही पूरी तरह संभाल ली है - और इस बात की परवाह करना छोड़ दिया है कि इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव में खुली पक्षधरता दिखाने के लिए रोटरी में उनकी कितनी बदनामी होगी । अशोक महाजन के नजदीकियों का कहना है कि अशोक महाजन अभी तक तो पर्दे के पीछे रह कर भरत पांड्या की उम्मीदवारी को सफल बनाने के लिए काम कर रहे थे, लेकिन अभी जब उन्होंने भरत पांड्या की उम्मीदवारी की स्थिति को कमजोर पाया/देखा, तो उन्हें पर्दा हटा कर सामने आने के लिए मजबूर होना पड़ा है ।
भरत पांड्या की उम्मीदवारी के रणनीतिकारों ने जोन 4 के डिस्ट्रिक्ट्स में अपने समर्थक तो खूब बनाए/तैयार किए थे, लेकिन देखा/पाया गया कि उन समर्थकों ने किया कुछ नहीं । भरत पांड्या और उनके साथियों को विभिन्न डिस्ट्रिक्ट्स के जिन पूर्व गवर्नर्स से समर्थन और सहयोग मिलने की उम्मीद थी, उन्हें मौका आने पर जब चुप होते और पीछे हटते हुए देखा/पाया गया - तब भरत पांड्या और उनके साथियों को अपनी नाव पूरी तरह डूबती हुई लगी । अशोक गुप्ता की उम्मीदवारी के समर्थकों की सक्रियता ने विभिन्न डिस्ट्रिक्ट्स में जो हवा बनाई, उसके चलते भरत पांड्या की उम्मीदवारी के लिए संकट और बढ़ा । यह नजारा देख अशोक महाजन को खुद मैदान में उतरने के लिए मजबूर होना पड़ा है । इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव में भरत पांड्या को चुनाव जितवाना अशोक महाजन को अपनी राजनीति के लिए बहुत ही जरूरी लग रहा है । दरअसल हाल के वर्षों में इंटरनेशनल प्रेसीडेंट बनने की अशोक महाजन की कोशिशें जिस तरह फेल हुई हैं, उससे उनका राजनीतिक आभामंडल कमजोर हुआ है । उनके ही डिस्ट्रिक्ट के गुलाम वहनवती के रोटरी फाउंडेशन में ट्रस्टी बनने से अशोक महाजन को दोहरी चोट पड़ी है । ट्रस्टी बनने के बाद से गुलाम वहनवती का कद अपने डिस्ट्रिक्ट के साथ-साथ दूसरे डिस्ट्रिक्ट्स में भी जिस तरह से बढ़ा है, उसे देखते/पहचानते हुए अशोक महाजन को अपने कद की चिंता करने के लिए मजबूर होना पड़ा है । गुलाम वहनवती के बढ़े कद के सामने अपने कद को बचाने के लिए अशोक महाजन को भरत पांड्या को इंटरनेशनल डायरेक्टर बनवाना/चुनवाना जरूरी लग रहा है । मजे की बात यह है कि अशोक महाजन को यह भी लग रहा है कि उनका कद घटाने के लिए ही गुलाम वहनवती ने भरत पांड्या की उम्मीदवारी का विरोध किया हुआ है । भरत पांड्या की उम्मीदवारी अशोक महाजन और गुलाम वहनवती के बीच की होड़ में जिस तरह से फँस गई है, उससे इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए अशोक गुप्ता की उम्मीदवारी को और बढ़त मिली है । इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव के घोषित शिड्यूल से पहले वोटिंग लाइन खुलने के पीछे अशोक गुप्ता की उम्मीदवारी की इसी बढ़त को रोकने की - भरत पांड्या समर्थकों की चाल को देखा/पहचाना जा रहा है । भरत पांड्या के समर्थकों को इस तरह की चालबाजी पर उतरता देख इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव में उनकी हालत पतली होने के संकेत ही पुख्ता हुए हैं ।